एसपी का अवतार ….. मठाधीशों की तकरार
टेलीविजन न्यूज की दुनिया में हंगामा बरपा है। इन दिनों एक ही नाम बागडोर संभालने वालों तमाम लोगों की जुबान पर है। संत प्रसाद का ये नाम टीवी न्यूज की दुनिया में कथित बुद्धिजीवियों के जेहन में आतंक पैदा कर रहा है। कथित इसलिए, कि सही मायनों में बुद्धिजीवी होते, तो स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा का सहारा लेते, ना कि हो-हल्ला मचाते।
अब मैं जो बताने जो रहा हूं, आप इसकी व्याख्या किस तरह करेंगे आपकी जेहनियत है। क्योंकि बहुतेरे स्वपोषित बौद्धिक चिंतकों को मेरी तुलना से गुरेज हो सकता है। दरअसल टीवी न्यूज को नया आयाम, नई दिशा देने के साथ दर्शकों के बीच इस माध्यम को स्थापित करने का श्रेय उस दिग्गज एसपी (सुरेंद्र प्रताप सिंह) को जाता है, जिसे हर कोई नमन करता है। वक्त ने करवट बदली है, और एक बार फिर एसपी (संत प्रसाद) का नया अवतार सामने रख दिया है, जिसने मिथक तोड़ कर प्रयोगवादी सोच और पहल से खबरों के संसार में हलचल मचा दी है।
कागज पर खबर उकेरे जाने के दौर में ध्वनि और चित्र के साथ समाचार प्रस्तुति की इस नई विधा को समाज ने बेहतर तरीके से स्वीकार किया। वक्त गुजरा, हालात बदले और गुजरते लम्हात ने टीवी न्यूज की नई परिभाषाएं गढ़ दी। दर्शकों ने कई न्यूज चैनलों को बड़े ब्रांड के रूप में मंजूरी दे दी। स्वभाविक सी बात है, इस दुनिया से जुड़े कई शख्स भी इतने कद्दावर हो गए, कि उन्होंने अपने लिहाज से परिभाषाएं गढ़नी शुरू कर दी। ऐसे में कुछ अरसा पहले परदे के पीछे एक शख्स आहिस्ता-आहिस्ता अपनी मेहनत, लगन के साथ नई सोच लेकर बगैर परिणाम की चिन्ता किए हुए इतिहास रचने में जुटा रहा। पहले तो किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जब उसके नए विचारों और अलग प्रस्तुति के साथ उसकी टीम ने कई दिग्गजों के साम्राज्य की चूलें हिला दी, तो शोर-शराबा शुरू हो गया। इसे वक्त की बिसात पर एसपी की पुनर्वापसी का नाम दिया जा सकता है। आपको जानकर हैरत होगी, कि संत प्रसाद के चाहने वाले उनके तमाम करीबी उन्हें एसपी के नाम से ही जानते हैं।
खैर हंगामा तो होना ही था, टीवी न्यूज की दुनिया में नामचीनों की अजेय सल्तनत के सामने चुनौती पेश कर दी गई है। दर्द स्वभाविक भी है, ये चुनौती एक ऐसी शख्सियत ने पेश की है, जिसके जुनून और हौसले से तो तकरीबन तमाम बड़े कद वाकिफ रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी मजबूत सल्तनत को इतनी जल्दी चुनौती मिलने की आशंका नहीं थी। ऐसे में जब एक शख्स ने बगैर हल्ला-हंगामा बरपाए उन्हें आइना दिखा दिया, तो वे दर्द मिटा नहीं पा रहे हैं।
शरदिंदु शेखर
9479001000
[email protected]
अभिषेक आनंद
July 28, 2020 at 10:41 pm
ये नये अवतरित संत जी क्या करते हैं ये भी तो लिख देते साहब। जिन महानुभाव को कोई जानता नहीं उनकी तुलना एसपी से करना वैसी ही चाटुकारिता लग रही है जैसे एक बार चैनल वन के तत्कालीन हेड युसुफ अंसारी ने एक पब्लिक मीटिंग में चैनल के मालिक जहीर मियां को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सैयद अहमद खान से कर के सनसनी फैला दी थी।
शरदिंदु शेखर
July 29, 2020 at 8:07 pm
भाई साहब , चंद अल्फाज में आपने अपनी जेहनियत सामने रख दी है । आप अगर वर्तमान परिवेश और परिदृश्य से वाकिफ नहीं तो , आप जैसे बेवजह कॉमेंट्स करने वाले को जवाब देना भी मुनासिब नहीं , लेकिन चाटुकार शब्द की वजह से मैं अटक गया । मेरे काबिल मित्र कोई भी टिपपणी करने से पहले जरा सोच लो और जानकारी भी जुटा लो । ना तो आप लिखने वाले के बारे में जानकारी रखते हों , ना ही जिसके बारे में लिखा गया है ।
खैर , आपसे गुजारिश है , कि भाषाई संयम रखें ।
शरदिंदु
July 30, 2020 at 8:49 pm
भाई साहब ,
संत जी कौन है ? क्या है आज टीवी न्यूज का परिदृश्य ? अगर आपको वर्तमान परिवेश की जानकारी नहीं , तो आपकी समस्या है । खैर आपकी अपनी विचारधारा है , अभिव्यक्ति की आजादी भी है ।
काबिल दोस्त अनुरोध सिर्फ इतना है , कि टिप्पणी में भाषाई संयम रखना एक अच्छे इंसान और उसकी बेहतर समझ का परिचायक होता है ।
शरदिंदु