Girish Malviya : मन तो हो रहा है कि जितनी भी यस बैंक की ब्रांचेस ओर एटीएम है वहाँ जाकर बड़े बड़े शब्दों में लिख दिया जाए-
‘मोदी जी ने किया है तो ठीक ही किया होगा!’
Narendra Nath Mishra : टीवी पर यस बैंक से पैसे निकालने गये लोगों की बेबस तस्वीर आ रही है। न्यूयार्क से हिंदू उबर ड्राइवर को उग्र धर्म का बताकर उसके साथ गलत व्यवहार करने की खबर आ रही है। वहां हिंदूफोबिया की बात हो रही है। भारत का सबसे पुराना साथी और हर समय साथ देने वाला इरान खुलकर विरोध में आ गया है।
किसी से कोई सहानुभूति नहीं रखें। इन्होंने ही चरस बोया है। मिडिल क्लास रिटायर पेंशनभोगी-अपने बच्चों का करियर सेट कर दूसरों का बिगाड़ने वाले ब्रिगेड के परिवार तक यह आग आ रही है। बर्बादी की कुछ छीटें जाने दीजिये। तभी समझेंगे। तभी सुधरेंगे। जिनका पैसा नहीं निकले,जिनके घर का कोई इमरजेंसी काम रुके,उन्हें मदद कीजिये लेकिन उससे पहले जरूर याद दिला दें कि वे किस तरह दूसरे लोगों की परेशानी पर हाहा-हीही करते हुए देशभक्ति सीखाते थे।
Samar Anarya : यस बैंक भी डूबा। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया 50, हज़ार रुपया से ज़्यादा निकालने पर प्रतिबंध लगाया। भक्तों ने सहकारी बैंकों के डूबने पर ग्राहकों को गालियाँ दीं थीं: मुफ़्तख़ोर कहा था। बोले थे चवन्नी भर ज़्यादा ब्याज दर के चक्कर में खुद डुबोया है। आज सी ग्रेड अश्लील सिनेमा अभिनेत्री से धर्मरक्षिका हो गई पायल रोहतगी समेत वही भक्त मोदी सरकार से यस बैंक बचाने की माँग कर रहे हैं जो अपने बाप का भी पैसा डूबे होने की दुहाई दे रहे हैं।
Soumitra Roy : आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने यस बैंक की सिक्योरिटी और डिपाजिट स्लिप को अमान्य कर दिया। इसके बाद बैंक का नेट वर्थ यानी बाजार भाव जीरो हो गया। कल जेपी मॉर्गन ने 1 रुपये का शेयर वैल्यू बताया था। यस बैंक का नेट वर्थ 25 हजार करोड़ का है। बैंक की बैलेंस शीट में BB यानी संदिग्ध लोन 30 हजार करोड़ का है। 50 हजार करोड़ के लोन डूबत खाते में हैं।
अब अगर डूबे 50 हजार के लोन का 15% माफ कर दें और संदिग्ध लोन को समायोजित करें तो बैंक का दिवाला निकल चुका है। अब ऐसे बैंक का SBI के साथ विलय या इसमें पूंजी लगाना बेहद जोखिम का काम है। यह करदाताओं के पैसे को डुबोने जैसा है। यस बैंक कारोबारी घरानों को लोन देने में आगे रहा है। अनिल अंबानी ग्रुप, आईएल एंड एफएस, सीजी पावर, एस्सार पावर, रेडियस डिवेलपर्स और मंत्री ग्रुप जैसे घरानों को बैंक ने लोन जारी किया था।
इन कारोबारी समूहों के डिफॉल्टर साबित होने से भी करारा झटका लगा। हालात यहां तक बिगड़ गए कि बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के नतीजों तक में देरी कर दी। बैंकिंग सेक्टर में यस बैंक की ख्याति हमेशा रिस्की कर्जदारों को लोन बांटने के तौर पर रही। बैंक के प्रमोटर रहे राणा कपूर ने कर्ज और उसकी वसूली के लिए तय प्रक्रिया से ज्यादा महत्व निजी संबंधों को दिया।
Girish Malviya : कोई माने या न माने लेकिन यह सच है कि रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन के इस्तीफे ओर यस बैंक में चल रही उठापटक के बीच सीधा संबंध है. कल सुबह खबर आई कि आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से तीन महीने पहले ही स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एन.एस. विश्वनाथन ही रिजर्व बैंक में बैंकिंग रेगुलेशन, कॉपरेटिव बैंकिंग, नॉन बैंकिंग रेगुलेशन, डिपॉजिट इंश्योरेंस, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और इंस्पेक्शन आदि मामलों को देखते थे, एनएस विश्वनाथन सबसे वरिष्ठ डिप्टी गवर्नर थे,
दरअसल आरबीआई में चार डिप्टी गवर्नर होते हैं जिसमें से दो आरबीआई में रैंक के अनुसार चुने जाते हैं. एक डिप्टी गवर्नर कमर्शियल बैंकिंग क्षेत्र से होता है। जो अभी विश्वनाथन थे, चौथा डिप्टी गवर्नर कोई जाना माना अर्थशास्त्री होता है जो विरल आचार्य थे… कुछ महीने पहले विरल आचार्य ने भी रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था। उनसे पहले उर्जित पटेल भी रिजर्व बैंक से इस्तीफा दे चुके थे.
नवम्बर 2019 में डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने बैंकों को सलाह दी थी कि बैंकों को बैड लोन, फ्रॉड और इन सबसे होने वाले नुकसान के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देनी चाहिए. एन एस विश्वनाथन का कहना है कि अगर बैंक इनका खुलासा समय पर नहीं करते हैं तो रिस्क लेने की क्षमता घटेगी. एनएस विश्वनाथन ने उस वक्त भी आगाह किया था कि पूर्व में ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब रिजर्व बैंक के निरीक्षण में कई बैंकों के एनपीए का खुलासा हुआ है. ऐसे में बैंकों को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए रेगुलेटरी के नियमों से इतर सोचना होगा.
अब इन बातों के संदर्भ में आप यस बैंक को देखिए जिस पर पिछले साल रिजर्व बैंक 1 करोड़ का जुर्माना लगा चुका है जिसने अपने तीसरी तिमाही के परिणाम अब तक घोषित नही किये है, जबकि 2 महीने ऊपर हो चुके हैं, यानी अब तक कोइ फाइनल हिसाब किताब तक नही दिया है और जिस बैंक का 36 फीसदी कैपिटल बैड लोन में फंसा हुआ है। जिसकी रिकवरी की कोई उम्मीद नही है.
हो सकता है कि जैसे PMC बैंक के बारे मे बाद में पता चला कि इसकी तो पूरी पूंजी ही डूब चुकी है वैसा ही कुछ दिनों बाद यस बैंक के साथ भी सामने आए,….. यह भी सम्भव है कि उसके असली NPA का खुलासा ही नही किया गया हो …..
अब ऐसे बैंक को बचाने के लिए स्टेट बैंक को आगे किया जा रहा है, तो जो व्यक्ति जो रिजर्व बैंक में मूल रूप से बैंकिंग रेगुलेशन के लिए जिम्मेदार हो वह यह कैसे बर्दाश्त कर सकता है कि ऐसे प्राइवेट बैंक को बचाने के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक को आगे किया जा रहा है……… उसने यह खबर सामने आने से पहले ही अपना इस्तीफा आरबीआई को सौप दिया….
एन एस विश्वनाथन के ही निर्देश पर आरबीआई, एनबीएफसी को बेल आउट देने के विरोध में अपने कदम पर कायम रही थी और अब यह यस बैंक का मामला और सामने आ गया है. मेरे विचार से एन एस विश्वनाथन का इस्तीफा आज की सबसे बड़ी खबर है जो भारत की बदहाल हो चुकी बैंकिंग प्रणाली असलियत बयान करती है.
सौजन्य : फेसबुक
इसे भी पढ़ें-