हमलावरों भुप्पी और अनुराग के घर का एड्रेस चाहिए ताकि उन्हें ‘गेट वेल सून’ कहते हुए फूल सौंप सकें!

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Yashwant Singh : मुझे यकीन है वे पश्चाताप करेंगे, अपराधबोध से ग्रस्त होंगे, सुधरेंगे, बदलेंगे, यही ठीक भी है. बहुत सारे साथी बदला लेने, ईंट का जवाब पत्थर से देने की बात कर रहे हैं. आठ साल पहले का दौर होता तो शायद मैं भी यही सोचता और ऐसा ही कुछ करता. लेकिन इस वक्त सोचता हूं कि अगले दस बीस तीस साल का जीवन देखिए, कौन कहां, मैं कहां, आप कहां. किसी एक घटना के प्रतिशोध में जीवन की उदात्तता और सहजता को न्योछावर कर दिया जाए, ये ठीक नहीं. हां, गांधीगिरी करेंगे हम सब. उन्हें कलम के जरिए जवाब दिया जाएगा. ध्यान रखें वे कलम की ताकत यानि खबरों के कारण गुस्साए थे और उसी प्रतिशोध में हमला किया. यानि तय है कि कलम ज्यादा ताकतवर है.

इस लोकतंत्र में लोकतांत्रिक और कानूनी तरीके से जो कुछ संभव है, वह किया जाएगा. लेकिन प्लीज, ये बदला और प्रतिशोध की बातें न करें. यह आदिम स्वभाव, यह मध्ययुगीन तरीका, यह आंख के बदले आंख वाला फार्मूला मनुष्यता को कहीं का न छोड़ेगा. गल्तियां हर कोई करता है. ज्यादातर लोग गल्तियों से सबक लेते हैं, प्रायश्चित करते हैं और उसे फिर न रिपीट करने की ठानते हैं. जीवन में मैंने भी दर्जनों गल्तियां की होगीं. हम मनुष्य हैं तो गल्ती करेंगे, अच्छाई करेंगे. पत्थर होते तो कुछ न करते, चुपचाप समाधिस्थ होते. सो, मौका उनको दिया जाना चाहिए. पर उन्हें बिलकुल निरापद भी नहीं छोड़ दिया जाना चाहिए.

जीवन को लेकर मेरी अपनी प्रियारटीज हैं. उसे कुछ पागलों की हरकतों के कारण नहीं बदलना चाहूंगा. तब तक नहीं बदलना चाहूंगा जब तक जीना दुश्वार न हो जाए. मैं अहिंसक या हिंसक, किसी पक्ष का आदमी नहीं हूं. जीवन की उदात्तता में अहिंसा और हिंसा के सवाल बहुत ही मामूली होते हैं. इसलिए अहिंसा या हिंसा, दोनों का पुजारी नहीं हूं. जैसे, सच या झूठ, दोनों मल्टीडायमेंशनल चीजें होती हैं, इनकी कोई एक परत नहीं होती. आपका सच मेरे लिए झूठ हो सकता है और मेरा सच आपके लिए झूठ. किसी फकीर का सच किसी सेठ के लिए झूठ हो सकता है और किसी धनवान का सच किसी फकीर के लिए बेहद झूठा.

इसलिए मैं अपने सभी जानने चाहने वाले साथियों से कहूंगा कि भूल जाएं कि मेरे पर कोई हमला हुआ था. याद रखना चाहें तो ये याद रखें कि एक रोज हम सब एक एक गुलाब का फूल लेकर हमलावर साथियों के घर चलेंगे और उनके गेट पर खड़े होकर गेट वेल सून कहेंगे. उनकी पत्नी और बच्चों से उनके पति-पिता की शिकायत करेंगे. इसलिए मेरी मदद यूं करें कि हमलावर साथियों का फोन नंबर और उनके घर का एड्रेस मालूम कर इनबाक्स करें. तारीख और समय की घोषणा जल्द की जाएगी.

जो जानकारी फिलहाल उपलब्ध है उसके मुताबिक भूपेंद्र नारायण भुप्पी गाजीपुर का रहने वाला है और नोएडा व चंडीगढ़ में इन दिनों रहता है. अनुराग त्रिपाठी लखनऊ का रहने वाला है और नोएडा में इन दिनों रहता है, न्यूजलांड्री नामक कंपनी में नौकरी करता है.

फोन नंबर इसलिए कि इन्हें हम लोग एडवांस में सूचित करके, फोन करके, डेट-समय बता कर इनके घर पर गुलाब का फूल लेकर पहुंचेंगे.

जैजै.

दोनों हमलावरों की तस्वीर ये है…

भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.

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