
अभी 5 साल पहले माइक्रोमैक्स, कार्बन, लावा जैसी देसी मोबाइल कंपनियों का जलवा था। इस कदर जलवा कि सैमसंग जैसी दिग्गज कम्पनी भारत मे मोबाइल बना रही थी, फिर भी जमीन पर मुंह के बल गिरी पड़ी थी। नोकिया जैसी दिग्गज कम्पनी बिक ही गई।
5 साल बाद श्याओमी, वन प्लस जैसी कम्पनियां छाई हुई हैं। माइक्रोमैक्स, लावा गायब हैं। 2015 में मोबाइल बाजार में भारतीय ब्रांडों का शेयर 43% और चीनी ब्रांडों का शेयर 18% था। 2018 में भारतीय ब्रांडों का शेयर 9% और चीनी ब्रांडों का 60% है।
वाह रे स्वदेशी वाले आरएसएस। वह मोदी जी वाह। आपके मेक इन इंडिया ने तो कमाल कर दिया है। आप महानै पैदा हुए थे। कथनी और करनी में थोड़ा तो साम्य रखिए!
वरिष्ठ पत्रकार सत्येंद्र पी सिंह की एफबी वॉल से.
One comment on “मोदी राज में भारतीय मोबाइल फोन मार्केट पर चीन का कब्जा, देखें आंकड़े”
इस आलेख को modiyapa.com में छापते तो इसकी विषय-वस्तु का पोर्टल के नाम से सटीक साम्य बैठ जाता।