यूपी में आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार का परनाला बह रहा है. हर कोई इसमें डुबकी लगाकर तर दिख रहा है. बस जनता मर रही है इस परनाले की सड़ांध गैस से. करप्ट आबकारी अफसरों के चलते यूपी में जिले जिले नकली शराब, एमआरपी से ज्यादा दाम पर शराब, हरियाणा से लाई गई तस्करी की शराब, स्थानीय स्तर पर बनाई गई अवैध शराब की बिक्री जोरों पर है. नोएडा से लेकर मेरठ और लखनऊ से लेकर बनारस तक में यही हाल है. फिलहाल खबर मेरठ से है. यहां जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हुई है और दर्जन भर से ज्यादा पीड़ितों का इलाज चल रहा है.
सबसे खास बात ये कि एक्साइज कमिश्नर पी गुरुप्रसाद मेरठ के ही कोविड19 आपरेशन के नोडल आफिसर हैं और यहीं कैंप किए हुए हैं. उनकी नाक के नीचे जहरीली शराब बिकी और लोग पीकर मर गए. मेरठ के जिला आबकारी अधिकारी आलोक कुमार हैं जो बसपा राज के समय के कुख्यात अधिकारी रहे हैं. इन्हें ट्रांसफर-पोस्टिंग एक्सपर्ट माना जाता है. मेरठ जैसे संवेदनशील जनपद में पूरे जिले की इन्हें जिम्मेदारी देने का रिजल्ट सामने है.
यही हाल नोएडा का है जहां एमआरपी से ज्यादा दाम पर शराब की बिक्री धड़ल्ले पर है. नोएडा के गांव एरिया की दुकानों में हरियाणा से लाई अवैध शराब की बिक्री भी जोरों पर की जा रही है. यह सब कुछ आबकारी अफसरों के संरक्षण में होता है. करोड़ों की इस उगाही को रोक पाने में योगी सरकार भी नाकाम है. शराब खरीदारों से अवैध उगाही और हरियाणा की नकली शराब बिक्री का काम पहले की सपा और बसपा सरकारों में धड़ल्ले से चलता रहा है. योगी राज में भी ये क्रम जारी है.
मेरठ जिले में शराब से मौत का मामला रोहटा में डूंगर गांव में घटित हुआ है। इस गांव में भावी प्रधान प्रत्याशी सचिन उर्फ ऊदल ने जो शराब बांटी वो जहरीली निकली। उसे पीने से दो ग्रामीणों की मौत हो गई। 12 से ज्यादा ग्रामीण गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं। इनमें से कई तो जीवन मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। पुलिस ने आरोपी के घर से चार पेटी अवैध शराब बरामद की है। ग्रामीणों ने बताया कि सोमवार सुबह भी कई लोगों ने यह शराब पी। इसके बाद 12 से ज्यादा लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी।
फिलहाल जिला प्रशासन और आबकारी विभाग के अफसर जहरीली व अवैध शराब से मौत की बात को छुपाने-ढंकने में जुट गए हैं।
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