राजस्थान सरकार के विवादित बिल के खिलाफ इस अखबार ने संपादकीय कॉलम खाली छोड़ा

दैनिक कंचन केसरी नामक अखबार ने राजस्थान सरकार के विवादित बिल के खिलाफ संपादकीय कॉलम में क्वेश्चन मार्क का चिन्ह लगाकर खाली छोड़ दिया. इस अखबार के संपादकीय प्रभारी उमेंद्र दाधीच हैं. उमेंद्र का कहना है कि उन्होंने मीडिया पर अंकुश लगाने वाले राजस्थान सरकार के विवादित अध्यादेश के खिलाफ मंगलवार को अपना संपादकीय कालम खाली छोड़ दिया. इस काल में केवल एक बड़ा सा प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया गया है.

आईएएस ओपी यादव पर राजस्थान सरकार इतनी मेहरबान क्यो?

भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को निरंकुश बनाने और मीडिया पर पाबंदी लगाने वाले बिल को विधानसभा में रखने के प्रकरण के दौरान ही आईएएस ओपी यादव के परिवार से जुड़ा सौ करोड़ का मामला सामने आया है.. ओपी यादव राज्य सरकार का सबसे चहेता अफसर है. राजस्थान में भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को निरंकुश बनाने और मीडिया पर पाबंदी लगाने वाला बिल मंजूर करवाने में जो तत्परता सीएम राजे और भाजपा के अन्य मंत्री दिखा रहे हैं, उन्हें प्रदेश के आबकारी आयुक्त ओपी यादव के ताजा प्रकरण से सबक लेना चाहिए.

मीडिया पर पाबंदी को तत्पर वसुंधरा सरकार के होश ठिकाने आए, विवादित बिल ठंडे बस्ते पहुंचा

आखिरकार भारी विरोध के बाद वसुंधरा सरकार बैकफुट पर आ गई… विवादित विधेयक सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया…  पिछले पांच दिनों से राजस्थान सरकार की किरकिरी हो रही थी… वसुंधरा सरकार ने लोकसेवकों के करप्शन पर मीडिया में लिखने पर पाबंदी लगाने और लोकसेवकों पर बिना इजाजत मुकदमा नहीं दर्ज करने वाले विवादित बिल को अब प्रवर समिति में भेजने के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया है. इस विवादित अध्यादेश को बिल के रुप में सोमवार को वसुंधरा सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने विधानसभा में रखा था. उसके बाद देश भर में हंगामा मचा हुआ था.

भाजपा यानि भ्रष्टाचारियों को बचाने और मीडिया पर अंकुश लगाने वाली पार्टी! (देखें वीडियो)

राजस्थान की भाजपा सरकार ने एक काला कानून बनाने की तैयारी कर ली है. इसक कानून के बन जाने के बाद भ्रष्टों के खिलाफ कोई खबर मीडिया वाले न लिख सकते हैं और न दिखा सकते हैं. महारानी वसुंधरा राजे फिलहाल लोकतंत्र को मध्ययुगीन राजशाही में तब्दील करने पर आमादा हैं. जितना विरोध कर सकते हैं कर लीजिए वरना कल को विरोध करने लायक हम सब बचेंगे ही नहीं क्योंकि देश बहुत तेजी से आपातकाल और तानाशाही की तरफ बढ़ रहा है. ज्यादातर बड़े मीडिया हाउसेज बिक चुके हैं. जो बचे हैं उनको धमका कर और पाबंदी लगाकर चुप कराया जा रहा है. राजस्थान सरकार का काला कानून पाबंदी लगाकर मीडिया को चुप कराने की साजिश का एक हिस्सा है.