(बाएं से दाएं- प्रो.हूबनाथ पांडेय, शायर देवमणि पांडेय, डॉ.कुमुद शर्मा, व्यंग्यकार डॉ.अनंत श्रीमाली, डॉ.करुणा शंकर उपाध्याय, मा.कुलपति डॉ.संजय देशमुख, गीतकार माया गोविन्द, शायर रामगोविंद अतहर, हास्यकवि आशकरण अटल, शायर दीक्षित दनकौरी, गीतकार किरण मिश्र)
मुम्बई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और राजस्थानी सेवा संघ की ओर से आयोजित अपने अमृत महोत्सव के अवसर पर गीतकार माया गोविन्द ने कहा- ‘‘वैसे तो मैं पचहत्तर की हो गई हूँ लेकिन ख़ुद को सोलह साल की ही समझती हूँ। सोलह साल का इंसान उत्साह और ऊर्जा से लबालब होता है। मुझमें अभी भी वही जोश और जज़्बा है जो सोलह साल की उम्र में था।’