Kavita Krishnan : A woman news anchor in Kerala gets abusive messages branding her a slut etc for moderating a debate on Mahishasura Diwas. The irony, the irony! They falsely claim Durga was called a slut, then in revenge they brand women who moderate debates on Mahishasura, sluts!
Month: February 2016
हत्या की स्टोरी कवर करते समय कैमरामेन की हार्टअटैक से मौत
ठाणे। हत्याकांड की रिपोर्टिंग के लिए गए समाचार चैनल के कैमरामैन रतन राधेश्याम भौमिक की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गयी है. भौमिक कल सुबह कासर वडवली हत्याकांड का कवरेज करने सिविल अस्पताल में गए. उसी समय सुबह करीब पौने नौ बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा.
आजमगढ़ के पत्रकार अरविन्द कुमार सिंह ‘विद्यावाचस्पति’ (पीएच.डी.) से विभूषित
आजमगढ़ । विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ (विश्वविद्यालय) भागलपुर बिहार ने अपने दो दिवसीय (20-21, फरवरी 2016) 20वां महाधिवेशन सह-सम्मान समारोह में जनपद के पत्रकार अरविन्द कुमार सिंह संपादक, ‘शार्प रिपोर्टर’ को उनके एक दशक की पत्रकारीय व साहित्यिक अवदान तथा विशिष्ट शोधकार्य के लिए अपना प्रतिष्ठित मानद सम्मानोपाधि, ‘विद्यावाचस्पति’ (पीएच.डी.) से विभूषित किया है। जनपद के रामपुर, जहानागंज के मूल निवासी अरविन्द कुमार सिंह ने सन् 2014-15 में देश की राष्ट्रीय महत्व की संस्था, ‘‘उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’’, मद्रास (विश्वविद्यालय) के हैदराबाद केन्द्र से आंचलिक पत्रकारिता में एम.फिल.किया।
कार्पोरेट टैक्स में छूट और इनकम टैक्स में कोई राहत न देना दुर्भाग्यपूर्ण
कर्मचारियों एवं ऊर्जा क्षेत्र के लिए पूरी तरह निराशाजनक है केंद्रीय बजट
वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा आज पेश किये गए बजट को बिजली इंजीनियरों ने ऊर्जा क्षेत्र और कर्मचारियों के लिए पूरी तरह निराशाजनक बताते हुए कहा है कि जहाँ कार्पोरेट को टैक्स में छूट देकर राहत पहुंचाई गयी है वहीँ आम कामगारों के लिए टैक्स दरों में कोई बदलाव न किया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निराशाजनक है। ऊर्जा क्षेत्र में भी सबको सस्ती बिजली देने के लिए कोई भी रूपरेखा नहीं दी गयी है जबकि बिजली उपलब्ध होते हुए भी देश के 30 करोड़ लोग अभी भी बिजली से वंचित हैं।
जेटली को पोटली खुलने के बाद ‘सुरसा’ की तरह फैलेगी महंगाई
-चंदन प्रताप सिंह-
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद साल 2016 का आम बजट संसद में पेश कर दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में तेज़ी आई है। लेकिन हैरानी की बात है कि जेटली की पोटली से बहुत कुछ मिलने का आस लगाए बैठे लोगों के हाथ कुछ नहीं आया है। उनके बजट से कुछ भी क्रांतिकारी बदलाव नज़र नहीं आया। आशंका जताई जा रही है कि जेटली के इस बजट से थोड़े दिनों में महंगाई और सिर उठाएगी।
भड़ास4मीडिया के 8 साल पूरे होने वाले हैं… जानिए कब और कैसे प्रकट हुआ भड़ास
देखते ही देखते आठ साल पूरे होने वाले हैं. इतने लंबे वक्त तक भड़ास निकालता रहूंगा, मुझे खुद पर कतई भरोसा न था. अब जब आठ साल सामने है तो कई चीजें याद आ रही हैं. भड़ास4मीडिया के चार साल पूरे होने पर जो आर्टकिल लिखा था, उसे हूबहू नीचे दे रहा हूं क्योंकि इस आर्टकिल में तफसील से सब कुछ है, वो सब कुछ जिसे फ्लैशबैक में जाकर याद कर रहा हूं. जो कुछ छूटा है, नया है, वह आगे लिखूंगा. फिलहाल चार साल पहले लिखे आर्टकिल को दुबारा पढ़िए. इसे इसलिए भी पढ़िए क्योंकि इस पुराने आर्टकिल के बारे में ‘मीडिया वीडिया’ नामक एक अंग्रेजी ब्लाग चलाने वाले भाई परमीत लिखते हैं: ”This is most frank personal story of any Indian blogger I have read so far.” कोई अंग्रेजी वाला बंदा हम जैसे हिंदी वाले शुद्ध देसी आदमी की अंग्रेजी में तारीफ करता है तो अच्छा तो लगेगा ही गुरु. पहले पढ़िए, परमीत ने पूरा क्या लिखा है. उसके बाद पढ़िए वो आर्टकिल जो भड़ास के चार साल पूरे होने पर पूरे रौ में एक सीटिंग में लिख डाला था.
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
पीटीआई के नए संपादक के लिए जेटली की सिफारिश डस्टबिन में गई
Sanjaya Kumar Singh : कई बार विस्तार प्राप्त कर चुके समाचार एजेंसी पीटीआई के संपादक आखिरकार रिटायर हो रहे हैं और पीटीआई बोर्ड, इस एजेंसी चलाने के लिए प्रशासक नहीं, संपादक तलाश रहा है। इस खबर को पढ़िए आप समझ जाएंगे कि देश की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी कितनी गंभीरता से चल रही है। इसकी हिन्दी सेवा ‘भाषा’ के संपादक कुमार आनंद हुआ करते थे और उनके इस्तीफा देने के बाद से भाषा के संपादक का भी पद वर्षों से खाली पड़ा है।
स्मृति ईरानी के बारे में अंग्रेज़ी अखबार The Telegraph में प्रकाशित संपादकीय का हिंदी अनुवाद पढ़िए
Vishwa Deepak : मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के बारे में अंग्रेज़ी अखबार The Telegraph में प्रकाशित संपादकीय का हिंदी अनुवाद –
(आपको) लंबी कहानियों से क्या शिक्षा मिलती है?
(मशहूर अंग्रेजी नाटककार) ऑस्कर वाइल्ड को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. घटने के बजाय झूठ बोलने की कला आज अपने चरम पर है. कम से कम भारतीय संसद में तो है ही. यहां नेता सचाई के लिए नहीं जाने जाते लेकिन केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने जब सांसदों को ‘राष्ट्रवाद’ का पाठ पढ़ाया तो खुल्मखुल्ला झूठ का ऐसा मानक तैयार कर दिया जिससे आपको ईर्ष्या हो सकती है.
एक बेहद ईमानदार और सरल स्वभाव का युवा पत्रकार जो 32 साल की उम्र में सबको अलविदा कह गया
नहीं रहा ‘अनमोल’ रतन
-दानिश आज़मी-
चेहरे से टपकता हुआ पसीना, पसीने से तरबतर बदन, शरीर पर एक सस्ती कमीज़ और पैंट, बिखरे बाल और हाथ में एक डीवी टेप। 2009 से 2011 तक लगभग हर रोज़ ठाणे से अँधेरी दफ़्तर टेप लेकर आने वाला रतन कुछ इस तरह से ज़ेहन में याद है। अँधेरी ऑफिस में काम करने वालों के लिए वो रतन से ज़्यादा विक्रांत का कैमरामैन के रूप से जाना जाता था और विक्रांत के हिस्से की डाट भी उसे ही पड़ती थी। कभी टेप लेट लेकर आना तो कभी ग्लिच और कभी बाइट नदारद। गलती होती थी विक्रांत की लेकिन रतन मुस्कराता हुआ, डरता हुआ सब सुन लेता था। एक बेहद ईमानदार और सरल स्वभाव का युवा पत्रकार जो 32 साल की उम्र में सबको अलविदा कह गया।
रतन
इंडिया टुडे ग्रुप ने बिहार में जंगलराज-2 घोषित कर दिया!
Nadim S. Akhter : इंडिया टुडे ग्रुप ने बिहार में जंगलराज-2 घोषित कर दिया है। हेडिंग देखिये। ये कहकर कि ये लेखक के निजी विचार हैं। संपादकीय पतन की निर्लज्ज पराकाष्ठा देखिये। यदि ऐसा है तो आरजेडी, बीजेपी, कांग्रेस समेत तमाम दलों को अपने ऑनलाइन भक्तों वाली सेना को ichowk के लिए लगा देना चाहिए ताकि वे पानी पी-पी कर विरोधियों को रावण और अपने नेता को हीरो बनाते रहें और पब्लिक इसे एक बड़े मीडिया संस्थान का निष्पक्ष प्रकाशन मानती रहे।
upsacc की तरह ifwj के भी दो टुकड़े हो गये!
पत्रकारों के बटवारे का दर्द
-नवेद शिकोह-
पत्रकारों के बंटवारे के ‘जिन्नाओ’, कितने टुकड़े करोगे हमारे! फिल्म ‘जिस्म’ ने अच्छा बिजनेस दिया तो ‘जिस्म-टू’ बन गयी। इसी तरह नागिन-वन के बाद नागिन-टू, आशिकी के बाद आशिकी टू बनी। व्यवसायिक फिल्मों की व्यवसायिक सोच ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में ये ट्रेन्ड शुरु किया था। भारत की आजादी के फौरन बाद भी कुछ ऐसा ही हुआ। नफा-नुकसान की व्यवसायिक सोच के साथ भारत की आजादी की लड़ाई मे मोहम्मद अली जिन्ना का शामिल होना कितना महंगा पड़ा था। जिन्ना की व्यवसायिक सोच की गन्दी सियासत ने भारत का बटवारा करके हमारे देश के टुकड़े कर दिये।
गुंडई के बल पर प्रबंधन ने सहारा समय राजस्थान चैनल के छह ब्यूरो जबरन खाली कराए
सहारा मीडिया से खबर है कि राजस्थान के 6 ब्यूरो को जबरन खाली करा दिया गया है। खाली कराने से पूर्व न तो संस्था ने कोई नोटिस जारी किया और न ही फोन से सूचना दी। संस्था की दो टीमें हरी मिश्रा व राजीव शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान पहुंची और आफिस जाकर सामान लेने की बात कही। ब्यूरो पैकअप से पूर्व जब ब्यूरो प्रभारियों ने लोकल कनवेंस व अन्य खर्चों का बकाया भुगतान मांगा, जो कि करीब तीन से चार लाख रूपये था, तो संस्था के अधिकारियों ने कहा कि मार्च के प्रथम सप्ताह में आपका भुगतान कर दिया जायेगा। इसके अलावा यदि आपने सामान उठाने से मना किया तो हम आपके खिलाफ सामान जबरन जप्त व चोरी का मुकदमा दर्ज करवा देंगे और संस्था से बेइज्जत करके निकाल देंगे। अधिकारियों ने यह भी कहा कि चुपचाप सामान पैकअप कराने में कोआपरेट करे।
मुजफ्फरनगर दंगा स्टिंग प्रकरण : यूपी विधानसभा में नए बने कठघरा में 4 मार्च को खड़े किए जाएंगे आजतक के पत्रकार
उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मुजफ्फरनगर दंगे का स्टिंग ऑपरेशन करने के मामले में आजतक न्यूज चैनल के कुछ पत्रकारों की हाजिरी माफी की अर्जी को स्वीकार कर लिया है। अब इन पत्रकारों को 4 मार्च को फिर से सदन में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। मुजफ्फरनगर दंगे संबंधी स्टिंग ऑपरेशन करने वाले आजतक चैनल के पत्रकारों को विधानसभा में पेश होना था, लेकिन चैनल ने पेशी के लिए विधानसभा सचिवालय के पत्र को 24 फरवरी को देर शाम मिलने के आधार पर अपना पक्ष रखने के लिए पत्र लिखकर सदन से समय मांगा।
संजय दत्त के कार्यक्रम को कवर करने गए पत्रकारों की पिटाई
मुंबई : शीना वोरा मर्डर केस में हुई दुनिया भर की फजीहत झेल रही मुंबई पुलिस ने संजय दत्त के कार्यकम को कवर करने गए पत्रकारों की पिटाई की है। ताजा मामला सिद्धि विनायक मंदिर कैंपस की है, जहां मुंबई पुलिस ने आधे दर्जन पत्रकारों और कैमरामैनों पर लाठियां चलाई हैं। उन्हें गन्दी गन्दी गलियां दी हैं। यहां तक की अपनी वर्दी के रौब में आकर उन पर जोर-जबरदस्ती कर उनकी रोजी रोटी छीनने की कोशिश की है।
मनीष सोनी को नौकरी से निकाले जाने की सूचना पांच महीने से चला रहा है ‘जी न्यूज एमपी सीजी’!
अंबिकापुर के पत्रकार मनीष सोनी को जी न्यूज एमपी सीजी से हटाए जाने की खबर इसके भोपाल ब्यूरो चीफ आशुतोष गुप्ता पांच महीने से चलवा रहे हैं. मनीष का अपराध ये है कि उन्होंने अपने साथ हुए अन्याय को लेकर सवाल उठाया और पूरी बात भड़ास पर छपवा दी. मनीष बताते हैं कि मुझे जी मीडिया से हटा देने के सम्बन्ध में जो टिकर नवम्बर 9 तारीख़ को शुरू हुआ, वो अब तक चल रहा है और ऐसा होते हुए 5 महीने हो जायेंगे.
पत्रकार टेकचंद सोनवाने ने दिया लोकसत्ता से इस्तीफा, पढाई करने पहुंचे बीजिंग
पत्रकार टेकचंद सोनवाने ने लोकसत्ता अखबार से इस्तीफा दे दिया है. वह चीन की राजधानी बीजिंग पहुंच चुके हैं. वह जर्नलिस्ट एक्सचेंज फेलोशिप के तहत पढ़ाई करने चीन गए हैं. वह दस महीने तक वहां रहेंगे. वे बीजिंग 23 फरवरी को पहुंचे. चूंकि चीन में जीमेल, गूगल, फेसबुक सब बंद यानि बैन है इसलिए उनसे …
ऐन मौके पर महिला एंकर को चक्कर आ गया!
भोपाल : भोपाल दूरदर्शन का समाचार विभाग पिछले कुछ महीनों लगातार चर्चाओं में है. कुछ दिन पहले पीएम नरेन्द्र मोदी के मध्यप्रदेश दौरे के न्यूज़ कवरेज को नहीं दिखा कर एक बार फिर अपनी लचर कार्यप्रणाली को उजागर कर दिया. दिलचस्प तथ्य यह है कि राष्ट्रीय चैनल डीडी न्यूज़ पर उसका प्रसारण हुआ लेकिन भोपाल दूरदर्शन पर नहीं. बताया गया है कि प्रदेश के दर्शक दूरदर्शन के विभागीय समन्वय के अभाव की वजह से पीएम मोदी को देखने से वंचित रह गए. प्रधानमन्त्री के कार्यक्रमों को लेकर इस तरह की उदासीनता निश्चित ही विचारणीय प्रश्न के दायरे में आता है. पीएम के न्यूज़ कवरेज को लेकर यह लापरवाही गंभीर मुद्दा है.
इंडिया टुडे की फर्मों में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगा जी मीडिया
जी मीडिया कॉर्पोरेशन ने कहा है कि वह इंडिया टुडे समूह की घाटे में चल रही ई-कॉमर्स एवं टीवी शॉपिंग इकाई टुडे मर्चेंडाइज एवं टुडे रिटेल नेटवर्क प्राइवेट में 80 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीदेगा। जी मीडिया कॉर्पोरेशन ने बीएसई को सूचित किया है कि उक्त सौदा 165.78 करोड़ रुपये का है और इसके लिए पेमेंट अगले चार साल में किया जाएगा।
अजमेर में भास्कर और पत्रिका ने दाम बढ़ाया तो अखबार वितरकों ने शुरू किया बहिष्कार, नवज्योति की बल्ले बल्ले
अजमेर में दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका ने एक राय होकर विगत 22 फरवरी को अचानक अखबार की कीमत 4.50 रुपए प्रति कॉपी कर दी। उस दिन तो हॉकर ने अखबार उठा लिया लेकिन अगले दिन उन्होंने बढ़ी कीमत वापस लेने की मांग करते हुए अखबार उठाने से मना कर दिया। उस दिन से वे लगातार दोनों अखबारों का बहिष्कार कर रहे हैं। इससे अखबार प्रबंधन में हड़कम्प मचा हुआ है।
जबलपुर में पत्रकार कल्याण चन्द्र जायसवाल को अरुण शुक्ला स्मृति वरिष्ठ पत्रकार सम्मान मिला
जबलपुर। यश भारत प्रकाशन समूह का वर्ष 2016 का अरुणोदय पत्रकार अरुण शुक्ला स्मृति वरिष्ठ पत्रकार सम्मान कल्याण चन्द्र जायसवाल को यहां मानस भवन में आयोजित भव्य समारोह में राज्यसभा के टीवी के कार्यकारी निदेशक राजेश बादल ने प्रदान किया. श्री जायसवाल का चयन नगर के वरिष्ठ पत्रकारों सर्वश्री रवींद्र वाजपेयी संपादक हिंदी एक्सप्रेस श्री सुशील तिवारी संपादक दैनिक भास्कर श्री श्याम कटारे संपादक यश भारत श्री अजित वर्मा संपादक जयलोक और श्री अनूप शाह संपादक नई दुनिया की समिति ने किया था।
यूपी विधानसभा का कटघरा : राजदीप आये और विधानसभा अध्यक्ष के कमरे में ही माफी मांग कर चले गये
अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधान सभा में गत दिनों तमाम राजनैतिक दलों ने अपने आपसी मतभेद भुलाकर मीडिया का जमकर विरोध किया। विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने तो वर्तमान मीडिया को ‘पक्षपाती’ तक कह डाला। दरअसल, सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों से संबंधित एक इलेक्ट्रानिक चैनल आजतक पर प्रसारित किये गये ‘स्टिंग आपरेशन’ की जांच रिपोर्ट में मीडिया घराने टीवी टुडे को दोषी पाया गया। इस संबंध में विधानसभा द्वारा गठित जांच समिति ने सदन में जो रिपोर्ट रखी उसमें बड़े इलेक्ट्रानिक मीडिया आजतक को ‘कटघरे’ में खड़ा कर दिया। रिपोर्ट में जहां तो मंत्री आजम खां को क्लीन चिट दी गई वहीं मीडिया पर पक्षपात पूर्ण कार्य करने का आरोप लगा।
राष्ट्रीय सहारा देहरादून का मार्केटिंग विभाग हुआ खाली
कहावत है कि 12 साल में तो घूरे (कूड़े के ढेर) के दिन भी सुधर जाते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सहारा देहरादून के दिन फिरने का नाम नही ले रहा है। एक के बाद एक झटके देहरादून सहारा को कमजोर कर रहा है। आपसी खींचतान के चलते सहारा देहरादून यूनिट में बचे-खुचे लोगों का भी काम करना दुश्वार हो रहा है।
पत्रकार एसपी भाटिया का जीवन खतरे में, आर्थिक मदद की अपील
मैं जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा हूँ. अभी कितने दिन और लड़ सकता हूं मौत से, मालूम नहीं. वैंटिलेटर पर कार्डियोलोजी आईसीयू पीजीआई में मुझे रखा गया था, जहां सिर्फ़ मौत के सिवा मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया. कल देर शाम मुझे डिस्चार्ज किया गया. डॉक्टर ने यह कहा कि अगर हृदय का दर्द रुक गया, बीपी नार्मल हुया और इन्फेक्शन के साथ साथ हृदय व चेस्ट की इन्फेक्शन नियंत्रित हो गयी तो एक माह देखने के बाद मेरी ऑपन हार्ट सर्जरी कर देंगे वरना मौत के सफ़र की तैयारी शुरू हो गयी है.
इस साल के सबसे ताकतवर लोगों की TOP 100 की लिस्ट में पत्रकार रवीश कुमार और अरनब गोस्वामी भी शामिल
नई दिल्ली : साल 2016 के 100 सबसे ताकतवर भारतीयों की लिस्ट जारी करते हुए इंडियन एक्सप्रेस ने जो सूची जारी की है उसमें पत्रकार रवीश कुमार का भी नाम शामिल है. सूची में राजनीति, खेल, सिनेमा, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों से जुड़े लोग शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से इस सूची में टॉप पर हैं. इस लिस्ट में पत्रकारों को भी शामिल किया गया है जिसमें रवीश कुमार और अरनब गोस्वामी का नाम भी मौजूद है.
‘पांचजन्य’ को ‘बहुजन’ अवधारणा से चिढ़ है… बहुजन विमर्श के कारण निशाने पर है जेएनयू…
-प्रमोद रंजन-
यह जानना जरूरी है कि 1966 में भारत सरकार के एक विशेष एक्ट के तहत बना यह उच्च अध्ययन संस्थान वामपंथ का गढ़ क्यों बन सका। इसका उत्तर इसकी विशेष आरक्षण प्रणाली में है। इस विश्वविद्यालय में आरंभ से ही पिछड़े जिलों से आने वाले उम्मीदवारों, महिलाओं तथा अन्य कमजोर तबकों को नामांकन में प्राथमिकता दी जाती रही है। कश्मीरी विस्थापितों और युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के बच्चों और विधवाओं को भी वरीयता मिलती है। (देखें: बॉक्स) यहां की प्रवेश परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न भी इस प्रकार के होते हैं कि उम्मीदवार के लिए सिर्फ विषय का वस्तुनिष्ठ ज्ञान पर्याप्त नहीं होता। जिसमें पर्याप्त विषयनिष्ठ ज्ञान, विश्लेषण क्षमता और तर्कशीलता हो, वही इस संस्थान में प्रवेश पा सकता है। विभिन्न विदेशी भाषाओं के स्नातक स्तरीय कोर्स इसके अपवाद जरूर हैं, लेकिन इन कोर्सों में आने वाले वे ही छात्र आगे चल कर एम. ए., एमफिल आदि में प्रवेश ले पाते हैं, जिनमें उपरोक्त क्षमता हो। इस प्रकार, वर्षों से जेएनयू आर्थिक व सामाजिक रूप से वंचित तबकों के सबसे जहीन, उर्वर मस्तिष्क के विद्यार्थियों का गढ़ रहा है। यहां के छात्रों की कमतर आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि और इसे लेकर उनकी प्रश्नाकुलता, उन्हें वामपंथ के करीब ले आती है।
महिषासुर प्रसंग में ‘फारवर्ड प्रेस’ मैग्जीन की ओर से प्रेस बयान
नई दिल्ली। नई दिल्ली से प्रकाशित ‘फारवर्ड प्रेस’ भारत की प्रथम द्विभाषी (अंग्रेजी-हिंदी) मासिक है, जो अप्रैल, 2009 से निरंतर प्रकाशित हो रही है। फूले-आम्बेडकरवाद की वैचारिकी पर आधारित यह पत्रिका समाज के बहुजन तबकों में लोकप्रिय है। अभी इसके लगभग 80 हजार पाठक हैं तथा यह मुख्य रूप से उत्त्र भारत में पढी जाती है। दक्षिण भारत के द्रविड आंदोलनों तथा देश अन्य हिस्सों में सामाजिक न्याय से जुडे आंदोलनों, लेखकों से बुद्धिजीवियों से भी पत्रिका का गहरा जुडाव है। इस पत्रिका का एक महत्वपूर्ण अवदान यह भी माना जाता कि इसने भारत की विभिन्न भाषाओं के सामाजिक न्याय के पक्षधर बुद्धिजीवियों को एक सांझा मंच प्रदान किया है, जिससे विचारों का आदान-प्रदान तेज हुआ है।
टेलीग्राफ ने पिछले एक महीने में जो हेडिंग दी, वह बहुत आसान काम नहीं है
Ambrish Kumar : सिर्फ दो अखबार… अपनी जो पोस्ट पब्लिक में थी उसमें बहुत से अंजान लोग भी आए. कई आहत थे तो कई आहत करने का प्रयास कर गए. उनकी एक नाराजगी अपन के पत्रकार होने के साथ पूर्व में इंडियन एक्सप्रेस समूह का पत्रकार होने से ज्यादा थी. वे मीडिया की भूमिका से नाराज थे. पर यह नाराजगी दो अखबारों से ज्यादा थी. अपनी प्रोफाइल में इंडियन एक्सप्रेस है ही जो एक अख़बार था तो दूसरा टेलीग्राफ. दोनों की दिल्ली में सांकेतिक मौजूदगी है, बड़े प्रसार वाले अखबारों के मुकाबले. एक्सप्रेस से अपना लंबा संबंध रहा है और उसका इतिहास भूगोल सब जानते भी हैं. चेन्नई अब कहा जाता है पर आजादी से पहले के मद्रास में किस तरह अंग्रेजों से यह अख़बार नुकसान सहकर लड़ा, यह कम लोग जानते है.
हिन्दुस्तान ने मुरादाबाद में चार साल पूरा किया, पढ़िए संपादक मनीष मिश्र का वक्तव्य
मनीष मिश्र, संपादक, दैनिक हिंदुस्तान मुरादाबाद
Manish Mishra : आपके सपनों को पंख देते रहेंगे हम। हिन्दुस्तान ने मुरादाबाद में अपना चार साल का सफर पूरा कर लिया। करीब डेढ़ हजार दिन के इस सफर से हमने बहुत कुछ सीखा है। इस दौरान हमने शहर की नब्ज थामने की कोशिश की। मुरादाबाद की हर जरूरत को महसूस किया। उसके लिए आवाज उठाई। उपक्रम किए और अंतत: कुछ न कुछ सकारात्मक हासिल भी हुआ। मुरादाबाद के सुधी पाठकों ने एक जिम्मेदार अखबार होने के नाते हम पर जो जिम्मेदारी सौंपी थी, हम उसे पूरा करने में सफल हुए। यह आपकी ही ताकत थी। बड़ी चुनौतियों के बीच मुरादाबाद के नागरिकों ने हिंदुस्तान को जो प्यार दिया, वह बेमिसाल है।
‘एबीपी न्यूज’ और ‘जी न्यूज’ ने तगड़ी छलांग लगाकर जो खोया वो पाया, ‘इंडिया न्यूज’ पुनर्मूषकोभव:
इस साल के सातवें हफ्ते की टीआरपी में इंडिया न्यूज फिर उसी स्थान पर पहुंच गया है जहां पर वह था. हालांकि वह अब भी न्यूज नेशन से आगे है. एबीपी न्यूज और जी न्यूज ने तगड़ी छलांग लगाकर अपना पुराना तीसरे व चौथे स्थान वाला रुतबा हासिल कर लिया है. इंडिया न्यूज लगातार दो हफ्तों से नंबर तीन पर रहने के बाद अब पांचवें पोजीशन पर आ गया है. न्यूज नेशन अब भी इंडिया न्यूज से पीछे है और छठें स्थान पर है.
स्नैपडील ने 600 कर्मियों को निकाला, लड़कियों ने आफिस में कब्जा जमाया, मीडिया ने साधी चुप्पी
दिल्ली के सरित विहार से खबर है कि वहां स्नैपडील कंपनी के आफिस से छह सौ कर्मियों की छंटनी कर दी गई है. इन लोगों को अचानक कह दिया गया कि अब आपकी कोई जरूरत नहीं है. इससे खफा सैकड़ों कर्मियों ने आफिस के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. वहीं सैकड़ों लड़कियों ने आफिस के अंदर की कब्जा जमा रखा है. निकाले गए कर्मियों में आधे से ज्यादा लड़कियां हैं जो आफिस से बाहर नहीं निकल रही हैं.
सहारा के कर्मचारी अपने मालिकों के सब कुछ समेटने, बांधने और भागने की योजनाओं के क़िस्से सुनते-सुनाते दिन काट रहे हैं!
(अनिल यादव, वरिष्ठ पत्रकार)
अपने चढ़ते दिनों में नई योजनाएं शुरू करते वक़्त सहारा इंडिया के संस्थापक चेयरमैन सुब्रत रॉय सहारा की टाइमिंग अचूक हुआ करती थी. लेकिन कामयाबी के नुस्ख़े बताने वाली अपनी ताज़ा किताब “लाइफ़ मंत्रा” के मामले में वक़्त का ख़्याल नहीं रखा गया है. हताशा में इस तथ्य की भी परवाह नहीं की गई है कि उस किताब से कौन प्रेरित होना चाहेगा, जिसका लेखक ग़रीब निवेशकों से धोखाधड़ी के आरोपों में दो साल से जेल में है?. ज़मानत की बड़ी रक़म का इंतज़ाम करने में हलकान कंपनी में कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं. हमेशा विश्वस्त समझे जाने वाले व्यापारिक साझेदार और राजनेता पल्ला झाड़ चुके हैं. ऐसे में किताब की जानकारी रखने वाले साधारण पाठकों के मुंह से “ख़ुद मियां फ़ज़ीहत, औरों को नसीहत” कहावत सुनाई दे रही है.
आजतक के कई बड़े पत्रकार 26 को यूपी विधानसभा में होंगे पेश, जाएंगे जेल या मिलेगी माफी?
Ambrish Kumar : मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित आजम खान को लेकर हुए स्टिंग आपरेशन में मीडिया खासकर इलेक्ट्रानिक चैनल के कई पत्रकारों को 26 फरवरी को विधान सभा में पेश होने के निर्देश दिए गए हैं. इन पत्रकारों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 a, 295 a, 200, 463, 454, 465, 469 और 471 लगाई गई है. इतनी बड़ी संख्या में संभवतः पहली बार चैनलों के पत्रकार विधान सभा में पेश होंगे.
अमेरिका के प्रमुख अखबार ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने जेएनयू क्रैकडाउन पर नरेंद्र मोदी को ज़िम्मेदार ठहराते हुए लिखा एडिटोरियल, पढ़ें
The Opinion Pages | Editorial
India’s Crackdown on Dissent
By THE EDITORIAL BOARD
FEB. 22, 2016
India is in the throes of a violent clash between advocates of freedom of speech and the government of Prime Minister Narendra Modi and its political allies on the Hindu right determined to silence dissent. This confrontation raises serious concerns about Mr. Modi’s governance and may further stall any progress in Parliament on economic reforms.
जागरण में काम कर चुके दंगाई राष्ट्रवादी पत्रकार डा. अनिल दीक्षित ने फेसबुक पर क्या लिख डाला, पढ़िए
Arun Maheshwari : अगर यह व्यक्ति दैनिक जागरण दैनिक का संपादक है तो कहना होगा, एक बदस्तूर अपराधी व्यक्ति भारत में हिंदी के एक प्रमुख अखबार का संपादक बना हुआ है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की तरह के संपादकों की परंपरा वाली हिंदी भाषा के लिये इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है।
भास्कर चंडीगढ़ वालों ने पवन अग्रवाल और सुधीर अग्रवाल को भेजा एक गोपनीय मेल, आप भी पढ़ें
Dear Sir
This is to bring into your kind notice that there are some very unethical things going on which should not be acceptable in any organization at any level. For you reference, we are the employees of Chandigarh team and we are trying to escalate it, hoping that once day will come when every thing will be fine. We have tried to do it earlier also at our unit level but nothing happened unfortunately.
मध्यप्रदेश विधान सभा पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति में चटाई के चौकीदारों का बोलबाला
भोपाल। चतुर्दश विधान सभा का दशम् सत्र २३ फरवरी से प्रारम्भ हो गया है। इसी के साथ मध्यप्रदेश विधान सभा की पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति एक बार फिर चर्चाओं में है। समिति के कुछ कथित सदस्यों द्वारा पिछले सत्र में कुछ पत्रकारों के नाम प्रवेश-पत्र सूची से उड़ाने को लेकर भारी हंगामा हुआ था।चालू सत्र में समिति ने कुछ पत्रकारों के प्रवेश-पत्र रोक दिए, आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इस काट-छांट का शिकार वह पत्रकार हुए है जो वर्षों से विधान सभा की रिपोर्टिंग कर रहे हैं। प्रवेश-पत्र से वंचित पत्रकारों में भरी आक्रोश है।
जोधपुर में ब्लैकमेलर पत्रकारों का हुआ भंडाफोड़ : ”तुम चाहते हो खबर रोक दी जाए तो 60 हजार रुपये दे दो”
जोधपुर : शिव सेना जिला प्रमुख नेमाराम पटेल ने जोधपुर में कार्यरत प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तीन पत्रकारों पर ब्लैकमेल कर पैसे मांगने का लगाया आरोप। नेमाराम ने दैनिक भास्कर के रिपोर्टर रणबीर चौधरी, मनोज वर्मा और सहारा समय न्यूज़ चैनल के प्रदीप जोशी के खिलाफ महा मंदिर थाने में रिपोर्ट दी। इसमें कहां गया है कि उक्त व्यक्तियों ने उसकी एक वीडियो क्लिपिंग दिखाकर कहा कि यह खबर अखबार और इलेक्टॉनिक मीडिया में आ गई तो तुमारा राजनैतिक कैरियर समाप्त हो जाएगा। अगर तुम चाहते हो कि खबर रोक दी जाए तो हम यह खबर रोकने के एवज में पैसे लेंगे। फिर उन्होंने पहले 60 हजार और उसके बाद इसकी दुगनी राशि रिश्वत में मांगी। शिव सेना नेता की दी हुई इस रिपोर्ट पर महामंदिर पुलिस कर रही है जांच।
जीवन भर धार्मिक आडंबरों के खिलाफ बोलने वाले निदा फाजली को मरने के बाद मुसलमानों ने बुरी तरह घेर लिया
सारा घर ले गया घर छोड़ के जानेवाला
-रासबिहारी पाण्डेय-
इस छोटे से जीवन में जिन बड़े कवि शायरों के साथ कुछ खुशनुमा शामें गुजरी हैं और कवि सम्मेलन मुशायरों में शिरकत करने का मौका मिला है ,उनमें एक नाम निदा फ़ाज़ली का भी है.पिछले 8 फरवरी को जब निदा फ़ाज़ली नहीं रहे तो वे सारी यादें एकबारगी चलचित्र की तरह आँखों के सामने घूम गयीं .उनके इंतकाल के बाद उन्हें सुपुर्दे खाक किये जाने तक छह सात घंटे उनके घर और उनके घर से चंद कदम दूर यारी रोड स्थित कब्रिस्तान और मस्जिद में गुजारने के दौरान कुछ उन दोस्तों के साथ भी अरसे बाद मिलने का मौका मिला जो अब या तो किसी की मैयत में मिलते हैं या किसी मुशायरे में . मुंबई की एक खुली सच्चाई यह भी है कि लोग अपनी जरूरतों से कुछ इस तरह बावस्ता हैं कि जिसे दिल से चाहते हैं उसे ज्यादे वक्त नहीं दे पाते, जिसे दिमाग से चाहते हैं उसे ज्यादे वक्त देना पड़ता है.
Delhi HC issues notice to top editorial staff of UNI
New Delhi : Taking strong cognizance of the torture and humiliation of a dalit employee of United News of India (UNI), a prestigious news agency of the country, the Delhi High court yesterday issued notice to two high profile scribes of UNI including Joint Editor Neeraj Bajpayee, Journalist Ashok Upadhyay and an another employee of the agency Mohan Lal Joshi.
मुंबई में पत्रकार मिथिलेश सिन्हा को छत्रपति शिवाजी सम्मान से सम्मानित किया गया
मुंबई : छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर इस्कॉन सभागार में भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश सिन्हा को अभिनेता-गायक अरुण बख्शी ने छत्रपति शिवाजी सम्मान से सम्मानित किया. मिथिलेश सिन्हा को यह सम्मान मिलने पर चेंबर ऑफ फ़िल्म जर्नलिस्ट ने भी उन्हें बधाई दी है.
रइसजादों ने छोटी सी बात पर दिल्ली में टीवी पत्रकार हरदीप की हत्या कर दी
रइसजादों ने दिल्ली में एक टीवी पत्रकार की जान ले ली. एक न्यूज चैनल में काम करने वाला हरदीप अपने घर में दोस्तों के साथ बैठा हुआ था. उसके फ्लैट के नीचे एक रईसजादे का जिम था. जिम में शराब की पार्टी चल रही थी, तेज म्यूजिक बज रहा था. हरदीप ने नीचे पार्टी कर रहे लोगों से शोर न करने का निवदेन किया तो रईसजादे को ये बात बर्दाश्त नहीं हुई और उसने पत्रकार को गोली मार दी.
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव का जंगलराज : डीआईजी ने 80 साल के बुजुर्ग दुकानदार को जड़ा थप्पड़
लखनऊ : जहां एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार लगातार पुलिस को नसीहत देती है कि जनता के बीच जाकर पुलिस की छवि को सुधारने का कार्य करें वहीं लखनऊ मे डीआईजी डी.के. चौधरी ने सरेआम बाजार मे एक बुर्जुग को थप्पड़ मार के अपनी वर्दी का रौब दिखाया। ये घटना लखनऊ के बीच बाजार इंदिरा नगर के भूतनाथ मार्केट की है जहां डीआईजी औचक निरीक्षण के लिए गये थे लेकिन एक बुजुर्ग सड़क के किनारे दुकान लगाये था जिसको देखते ही डीआईजी साहब आपा खो बैठे और बुर्जुग को सबके सामने थप्पड़ जड़ दिया।
मीडिया वाले गढ़ते हैं झूठी खबरें और करते हैं सत्य की हत्या, सुनिए प्रो. आनंद प्रधान की जुबानी एक सच्ची कहानी
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मास कम्यूनिकेशन यानि आईआईएमसी में छात्रों को लंबे समय से पत्रकारिता की पढ़ाई पढ़ा रहे प्रोफेसर आनंद प्रधान एक जमाने में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे हैं. 19 फरवरी को जब जवाहरलाल यूनिवर्सिटी के छात्रों की बैठक छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के समर्थन में हुई तो इसमें जाने माने पत्रकार पी. साईंनाथ समेत कई पत्रकारों ने अपने विचार रखे.
मनोज राजन त्रिपाठी लखनऊ में इंडिया न्यूज यूपी यूके के रेजीडेंट एडिटर बने
लखनऊ से खबर है कि मनोज राजन त्रिपाठी ने आईबीएन7 से इस्तीफा देकर नई पारी की शुरुआत इंडिया न्यूज चैनल के साथ की है. मनोज को इंडिया न्यूज उत्तर प्रदेश उत्तराखंड चैनल का लखनऊ में रेजीडेंट एडिटर बनाया गया है. वे लंबे समय से आईबीएन7 में थे और कई चर्चित स्टोरीज उन्होंने ब्रेक की थी. …
साक्षी जोशी news 24 में एंकर बनीं
विनोद कापड़ी की पत्नी साक्षी जोशी news 24 में एंकर की नौकरी पा गयी हैं। वे लंबे समय से बेरोजगार थीं। विनोद कापड़ी की साक्षी जोशी दूसरी पत्नी हैं। इन दोनों का अफेयर तब सबको पता चला था जब विनोद कापड़ी इंडिया टीवी के संपादक थे और साक्षी यहाँ एंकर थीं। इन दोनों के प्रेम पत्र लीक हुए तो सबकी आँखें फटी रह गयी।
सुरेंद्र कुशवाहा, नितिन राठी, सुनील गुप्ता, विनोद मित्तल, विपिन चौबे, विकास खन्ना, राजेश रजक और अरविंद सिंह के बारे में सूचनाएं
सुरेंद्र कुमार कुशवाहा को ग्वालियर में ईटीवी का ब्यूरो चीफ बनाया गया है. वे पहले भी वर्ष 2007 से 2013 तक ईटीवी के ब्यूरो प्रमुख रह चुके हैं. बीच में वे बंसल न्यूज से जुड़ गए थे. इसके बाद मासिक पत्रिका समग्र समय को मजबूती देने में जुटे रहे. लंबे समय तक कैमरा और आईडी से दूर रहने के बाद सुरेंद्र ने फिर से मुख्यधारा की पत्रकारिता शुरू कर दी है और ईटीवी के हिस्से बन गए हैं.
छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के प्रति पुलिस अफसरों का बर्ताव शर्मनाक, पढिए क्या जवाब दिया इन आईजी साहब ने
आलोक प्रकाश पुतुल बीबीसी के लिए छत्तीसगढ़ में रिपोर्टिंग करते हैं. उन्होंने अपनी किसी रिपोर्ट पर पक्ष के लिए बस्तर के आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी से संपर्क किया तो उन्होंने आलोक को जो मैसेज भेजा, वह इस प्रकार है : “आपकी रिपोर्टिंग निहायत पूर्वाग्रह से ग्रस्त और पक्षपातपूर्ण है। आप जैसे पत्रकारों के साथ अपना समय बर्बाद करने का कोई अर्थ नहीं है, मीडिया का राष्ट्रवादी और देशभक्त तबका कट्टरता से मेरा समर्थन करता है, बेहतर होगा मैं उनके साथ अपना समय गुजारूं, धन्यवाद।”
संगम तट पर पेशाब करते एडीएम ओपी श्रीवास्तव की फोटो हुई वायरल, आप भी देखें और शेम शेम कहें
स्वच्छ भारत अभियान ऐसे ही चल रहा है. जब अफसर ही गंदगी फैलाएं और वह भी ऐसी जगह जो बेहद पवित्र हो तो यह शर्मसार करने वाली बात है. इलाहाबाद के एडीएम नजूल ओपी श्रीवास्तव इन दिनों शहर में चर्चा के विषय बने हुए हैं. उनकी कुछ फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इन फोटो में एडीएम साहब गंगा-यमुना-सरस्वती के त्रिवेणी संगम में यूरिन डिस्चार्ज यानि पेशाब करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
अंग्रेजी न्यूज चैनल इंडिया टुडे के स्टिंग में दिल्ली पुलिस और वकीलों की सांठगांठ उजागर
अंग्रेजी न्यूज चैनल इंडिया टुडे के स्टिंग में वकील विक्रम सिंह चौहान और यशपाल सिंह को कहते दिखाया है कि उन्हें फिर मौका मिला तो वे कन्हैया को फिर पीटेंगे। अंग्रेजी न्यूज चैनल इंडिया टुडे के स्टिंग में दो वकीलों को यह स्वीकार करते हुए दिखाया गया है कि 15 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में उन्होंने पत्रकारों के साथ मारपीट की थी और जवाहर लाल नेहरू (JNU) स्टूडेंट यूनियन अध्यक्ष कन्हैया कुमार को 3 घंटे तक पीटा था। कन्हैया उस वक्त पुलिस कस्टडी में था। स्टिंग में वकील- विक्रम सिंह चौहान और यशपाल सिंह दावा करते दिख रहे हैं कि कन्हैया को इतना पीटा गया था कि उसने पैंट में पेशाब कर दिया था।
प्रबंधन द्वारा सताए जागरण के सैकड़ों मीडियाकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से हासिल हुई निराशा
Stupidity of Two Advocates has let down Newspaper Employees
Newspaper employees, in general, and Dainik Jagran employees, in particular, got a jolt in the Supreme Court today because of the foolishness of their two advocates namely; Vinod Pandey and Ashwin Vaish when the Hon’ble Court refused to grant any relief to the employees, who are either victimised or about to be victimised.
No one killed cartoonist Irfan Hussain!
Sanjaya Kumar Singh : पुलिस ऐसे सुलझाती है मामले और ऐसे होते हैं उसके सबूत। ‘आउटलुक’ के कार्टूनिस्ट इरफान हुसैन की हत्या दिल्ली-गाजियाबाद सीमा पर मार्च 1999 में हो गई थी। पुलिस पर इस मामले को सुलझाने का भारी दबाव था और उसने इस मामले को ‘सुलझा’ भी लिया था। अब पढ़िए कि कैसे सुलझाया था और अदालत में कथित हत्यारे साफ बच निकले क्योंकि पुलिस ने उन्हें फंसा दिया था। जब असली हत्यारों को ढूंढ़ने की बात हुई तो हत्या के कई साल गुजर चुके थे। कुल मिलाकर, हत्या तो हुई पर पुलिस के ढूंढ़े ‘हत्यारे’ ऐसे बच गए जैसे हत्या हुई ही नहीं। पुलिस में किन लोगों ने लापरवाही की या जानबूझकर यह सब किया उसका भी कुछ पता नहीं चला। पढ़िए पेरी महेश्वर की आंख खोलने वाली पोस्ट…
जेएनयू में वाकई गलत हुआ क्योंकि रिपोर्टिंग के नाम पर मीडिया के एक वर्ग ने नंगा नाच किया
Sanjaya Kumar Singh : कुछ लोग अभी भी कह रहे हैं कि, “जेएनयू में जो हुआ वो गलत था।” लेकिन जेएनयू में हुआ क्या? रिपोर्टिंग के नाम पर मीडिया के एक वर्ग का नंगा नाच। ऐसा फर्जीवाड़ा जिसकी पोल इतनी जल्दी पूरी तरह खुल गई। ऐसा फर्जीवाड़ा जिसे संभाल नहीं पाए। ऐसा शर्मनाक कृत्य जिसका साथ वालों ने ही विरोध कर दिया – खुले आम। नौकरी छोड़ने की कीमत पर। पत्रकारिता में जो पहले कभी नहीं हुआ वो करवा लिया। फिर भी किसी को मीडिया के इस तरह नंगे होने का अफसोस नहीं है तो उसे भारत के खिलाफ या पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई से किसने रोका है। जब पुलिस कमिश्नर जैसा बड़ा अधिकारी अपने रिटायरमेंट के बाद के जुगाड़ में लगेगा और ऐसे ही जुगाड़ होते रहेंगे तो पाकिस्तान के पक्ष में नारा लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत कहां रहेगी।
इंडियन एक्सप्रेस का ज़ी न्यूज से विश्व दीपक के इस्तीफे की खबर छापना यानि अंधेरे में एक किरण तो है ही
मुझे पत्रकारिता का पेशा इसीलिए पसंद है। अपना काम करते रहने के लिए किसी लाला की दुकान की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि, लालाओं ने स्थिति इतनी विकट कर दी है कि किसी चैनल या अखबार में नौकरी करने के लिए गालियां सुननी पड़ती है जबकि नौकरी छोड़ना इतना आसान नहीं होता है। पर नौकरी छोड़कर कहां कोई इतना कवरेज या समर्थन पाता है। घर-परिवार चलाने के लिए पत्रकारिता के सिद्धांतों से समझौता करके नौकरी करते रहने से अच्छा है पत्रकारिता छोड़कर पैसे ही कमाए जाएं और पैसे कमाने का बंदोबस्त हो या हो जाए तो विशुद्ध (जैसा मन करे) पत्रकारिता की जाए।
पत्रकारों की नौकरियों पर आने वाला है बहुत भारी संकट, भयंकर छंटनी के लिए तैयार रहिए
Rahul Pandey : प्यारे प्यारे पत्रकारों, मालिकों के दुलारों… मन तो नहीं है ये खबर बताने का फिर भी मन मारने वाली ये खबर मैं भी मन मारके ही बता रहा हूं। आने वाला वक्त आपका नहीं है। मने ये वक्त भी आपका नहीं है और पटियाला हाउस में पिटने के बाद तो पता चल ही गया होगा, फिर भी ये मामला तनिक मांसल पिटाई से अलग है। तकनीकी दुनिया ने आपको पीटने के लिए पूरी तरह से पेटी कस ली है। पिछले साल से आपकी नौकरी पर लात मारने की तैयारी शुरू हो चुकी है। रोबोट पत्रकार आ गया है और कई न्यूज ऐजेंसियों ने इससे काम लेना शुरू कर दिया है। ये साठ सेकेंड में चकाचक स्टोरी लिख रहा है।
गाजियाबाद में टोटल टीवी के राहुल शर्मा पर हमले के खिलाफ पत्रकार डीएम से मिले
गाज़ियाबाद में वरिष्ठ पत्रकार पर हुए जानलेवा हमले पर आज सोमवार को जनपद गाज़ियाबाद के सभी पत्रकारों ने मिलकर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने व आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की। इस पर जिलाधिकारी ने आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जायेगा और कार्यवाही भी की जाएगी।
Letter to JNU VC on Kanhaiya Kumar
Vice Chancellor,
JNU, New Delhi
Dear Prof. M Jagdeesh Kumar,
Late greetings on your taking over as Vice Chancellor of JNU. I saw one of your interview in Navbharat Times (Hindi daily), when your appointment was announced, but you have not yet taken over. Interview was reassuring which mentioned your desire to have very open and frank relations with students without any ideological bias.
गाय माता के बाद अब भारत माता की शरण में निकरधारी!
इतिहास गवाह है कि खाकी निकरधारी और भगवावाले जब-जब कमज़ोर पड़े हैं या जब- जब कोई चुनाव सिर पर मंडराया है, तब-तब उन्हें धर्म और देश की बेसाख्ता याद आई है। बात भी बहुत पुरानी नहीं हुई है। हाल ही में बिहार विधानसभा के चुनाव हुए। इस चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास गाथा, मोदी लहर, सुशासन और 56 इंच सीने का नारा जब पिटने लगा तो निकरधारियों को अचानक गाय माता की याद आ गई। सोशल मीडिया पर गाय पूजने का फैशन शुरू हो गया। बिहार जाने के बाद बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी (विधानसभा चुनाव) पार करने की जुगत भिड़ाने लगे तो वहीं कथित देशभक्त सामाजिक संगठन और बीजेपी के पालनहार आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत भी कूद पड़े। ये दीगर बात है कि बिहार की जनता इस बार इनके छलावे में नहीं आई और दूध से मक्खी की तरह इन्हें बिहार से निकाल फेंका।
विश्वदीपक भाई, इस अजीम कुर्बानी के लिए सैल्यूट आपको!
विश्वदीपक भाई आपको इस अजीम कुर्बानी के लिये बधाई। सिसकती हुयी निष्पक्ष और ईमानदार पत्रकारिता के वेन्टीलेरटर साबित हो रहे हैं आप जैसे चंद पत्रकार प्रोफेशनल लाइफ मे भले ही ये फैसला घाटे का सौदा हो पर आपकी ऐसी सोच बीमार पत्रकारिता की संजीवनी साबित हो रही है। मीडिया के गलत इस्तेमाल से घायल की …
इस लुटेरे मीडिया मालिक इकबाल सिंह अहलूवालिया से रहें सावधान, टीवी 24 में नौकरी देने के नाम पर कइयों को लगा चुका है करोड़ों का चूना
चंडीगढ़ में एक न्यूज चैनल ‘टीवी 24’ का मालिक है लाभ सिंह और उसका बेटा है इकबाल सिंह. ये दोनों ठग अपने चैनल टीवी 24 में नौकरी देने के नाम पर जमकर पैसे वसूलते हैं. ताजा मामले में इन्होंने विदेश में स्पेशल न्यूज रिपोर्टर बनाने के नाम पर एक आदमी से 21 लाख रुपया ठग लिया. पीड़ित ने चंडीगढ़ के सेक्टर 39 में साजिश और धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई है. पीड़ित का नाम गौरव गुप्ता है.
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद वरिष्ठ पत्रकार अनूप भटनागर आर्थिक संकट में, करें मदद
कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके और इन दिनों न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार अनूप भटनागर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. वे किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं और कई वर्षों से डायलिसिस के जरिए जिंदा रहकर पत्रकारिता कर रहे हैं. हाल फिलहाल उनका किडनी ट्रांसप्लांट एम्स में किया गया लेकिन आपरेशन के बाद सेहत संबंधी कई समस्याएं सामने आ रही हैं. अनूप भटनागर अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं. वे डायलसिसि के बावजूद पीटीआई में नौकरी करते रहे.
यूपी में अखिलेश यादव का जंगलराज, मंत्री और उसके बेटे के खिलाफ एफआईआर न होने से नाराज पत्रकार ने बीच चौराहे किया आत्मदाह
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार ने अत्याचार और अनाचार की सभी हदें पार करते हुए जो जंगलराज पिछले चार साल से चला रखा है, वह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब तक के सबसे असफल और सबसे असहाय मुख्यमंत्री के रूप में कुख्यात अखिलेश यादव अपने उन मंत्रियों और उन सपाई गुर्गों पर कार्रवाई करने में असमर्थ पा रहे हैं जो खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ा कर मीडिया वालों पर अत्याचार कर रहे हैं.
संगठन पर उपजे सवालों पर राव साहब से जवाब मांगता एक पत्र
कामरेड श्री के. विक्रम राव
साथी कामरान ने अपने पत्र में जो सवाल उठाये उसको भी पढ़ा और उसके बाद उनको जिस तरह से धमकी भरे अंदाज में जवाब दिया गया उसको भी पढ़ा. एक नवनिर्वाचित पार्षद जो युवा भी है उत्साहित भी है और संगठन के लिए समर्पित भी है. कामरान ने क्या गलत किया कामरान ने संविधान माँगा आपने बदले में उसको ढेर सारा ज्ञान दिया मगर संविधान फिर भी नहीं दिया. आखिर जिस संविधान को वेबसाईट लेने की बात की जा रही है उसको उसी मेल से क्यूँ नहीं भेज दिया जा रहा है. आखिर इस गोपनीयता की वजह क्या है?
सहारा मीडिया में दिसंबर की सेलरी रिलीज, कई वरिष्ठ घर बैठाए गए, कइयों ने ज्वाइन किया
सहारा मीडिया से सूचना आ रही है कि सीईओ और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय के प्रयासों के चलते दिसंबर की सेलरी सबको दे दी गई है. इससे सबने राहत की सांस ली है. लेकिन सवाल वही है कि आखिर सहारा समूह अपने कर्मियों को इतना परेशान कर कर के क्यों सेलरी दे रहे हैं. सहारा मीडिया से एक अन्य सूचना के मुताबिक उन लोगों को फिलहाल घर बिठा दिया गया है जो सहारा में पूर्व में काम कर चुके हैं और हाल-फिलहाल वरिष्ठ पदों पर ज्वाइन किए हैं. इनमें प्रसून शुक्ला, रजनीकांत सिंह, योगेश मिश्र आदि शामिल हैं.
हरियाणा में चरम अराजकता, राष्ट्रपति शासन लगाना जरूरी (देखें वीडियो)
पत्रकार दिलनवाज पाशा ने ये वीडियो बनाया है. ये वीडियो रोहतक और भिवानी के बीच स्थित कलानौर का है. आज दोपहर का ही है. लोग कारों ट्रकों बसों ट्रैक्टरों टेंपो आदि में लदकर हथियार लेकर नारेबाजी करते हुए घूम रहे हैं, आगजनी कर रहे हैं, तोड़फोड़ कर रहे हैं. पुलिस और प्रशासन गायब है. सेना का कहीं अता पता नहीं. हरियाणा में कोई लॉ अंड आर्डर नहीं रह गया है. ऐसे में यहां राष्ट्रपति शासन लगाना ही एकमात्र विकल्प बचा है लेकिन क्या केंद्र की भाजपा सरकार हरियाणा राज्य की भाजपा सरकार को बर्खास्त करेगी?
मोदी राज में देश की न्यायपालिका और पत्रकारिता बेबस-पंगु नजर आ रही… (एक पत्रकार की आपबीती)
Arvind Singh : पिछली दो बार से पटियाला हाउस कोर्ट की रिपोर्टिंग में जो हम लोग झेल रहे हैं, मैं ईमानदारी से मानता हूँ कि उसने देश में “intolerance” को लेकर हो रही बहस में मेरे पहले के विचार को बदला है. अपने करियर में तो याद नहीं कि कभी कोर्ट रिपोर्टिंग में ऐसे मुशिकल हालात हमने झेले हों. एजेंसी का रिपोर्टर होने के चलते और अपने पत्रकार साथियों के सहयोग के चलते, जिन केवल 5 लोगों को आज पटियाला हाउस कोर्ट रूम में सुनवाई को कवर करने की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिली, मैँ भी उनमें था.
विश्वदीपक का त्यागपत्र हमारी पत्रकारिता की खतरनाक फिसलन उजागर करने वाला एक दस्तावेज है
Om Thanvi : ज़ी न्यूज़ के पत्रकार विश्वदीपक को मैं अच्छी तरह जानता हूँ। उन्होंने जनसत्ता के लिए कश्मीर जाकर वह रिपोर्टिंग की, जिसे करने साहस तब लोग नहीं कर पाते थे। उन्होंने बीबीसी लंदन, जर्मनी के डॉयचे वेले और आजतक जैसे प्रतिष्ठानों में काम किया। ज़ी न्यूज़ में उनका जाना हैरान कर गया था, पर वहां से जिस साहस और प्रतिरोध साथ वे निकले हैं उससे पत्रकारिता में नैतिक स्वर के कहीं बने रहने की उम्मीद बनती है।
बुलंदशहर में महिला डीएम के खिलाफ कुत्सित अभियान चलाने वाले दैनिक जागरण के खिलाफ जनता का गुस्सा भड़का, फूंका पुतला (देखें तस्वीरें)
बुलंदशहर में महिला आईएएस बी. चंद्रकला के खिलाफ लगातार कुत्सित अभियान चलाने वाले दैनिक जागरण से नाराज होकर लोगों ने अखबार और इसके पदाधिकारियों का पुतला फूंका. डीएम के खिलाफ महिला विरोधी घटिया अभियान चलाने को लेकर लोगों को गुस्सा फूटा. पंद्रह दिनों से रोज फर्जी न्यूज छापकर दैनिक जागरण ब्लैकमेलिंग की अपनी पत्रकारिता पर अडिग है और डीम को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है. रोज चार लड़कों को खड़ा कर प्रदर्शन की फर्जी तस्वीर और नेताओं के झूठे बयान छापने से जनता में भारी नाराजगी है.
रवीश कुमार भी वही कर रहे हैं जो दूसरे लोग, दल या पत्रकार कर रहे हैं
अपने हालिया विदेशी दौरे वाले लेख में स्वयं को स्टार एंकर कहने वाले एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार कमोबेश वही कर रहे हैं जो दूसरे लोग, दूसरे दल या दूसरे पत्रकार कर रहे हैं। पक्षपात, विरोधाभास, मामलों को जरूरत से ज्यादा तूल देने, मुद्दों के मनमाने चुनाव, किसी पर मनमाना ठप्पा लगाने, निरर्थक बहसों आदि के मामले में वे किसी भी तरह दूसरे कुछ पत्रकारों से अलग नहीं हैं। आप मानें या न मानें, लेकिन निम्नलिखित बातों पर एक बार विचार करके जरूर देखें।
जागरण की चाल नाकाम, राज्यपाल बोले- ”यस आई नो, आपकी डीएम अच्छा काम करती हैं”
बुलंदशहर में राज्यपाल से मिलकर डीएम बी. चन्द्रकला के सेल्फी प्रकरण को एक बार फिर से हवा देने की दैनिक जागरण की चाल आज उस समय नाकाम हो गयी, जब राज्यपाल ने पत्रकारों से कहा, “यस आई नो, आपकी डीएम अच्छा काम करती हैं।” उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री रामनाईक आज बुलंदशहर के खुर्जा स्थित एनआरईसी कालेज के बार्षिकोत्सव में बतौर चीफ गेस्ट पहुँचे थे।
रवीश ने जो कमाया है वह गालियों से बहुत आगे की चीज है
Sanjaya Kumar Singh : मुझे नहीं लगता कि कोई मालिक एंकर अपने चैनल पर ऐसा लिख-बोल पाएगा। लेकिन रवीश कुमार ने कल कर दिखाया। इसके लिए खुद को बनाना पड़ता है। एक कद हासिल करना पड़ता है और यह कद पुरस्कारों या सस्ती लोकप्रियता के साथ नहीं मिल सकता है। मोटी तनख्वाह के साथ तो नहीं ही मिलेगा। तय आपको करना है कि क्या चाहिए। लगे रहिए भक्ति में या फिर पैसे ही कमा लीजिए। रवीश ने जो कमाया है वह गालियों से बहुत आगे की चीज है। गाली देने वाले क्या जानें। रवीश कुमार को नहीं देखने वालों के पास दर्शक के रूप में रवीश का जवाब तो नहीं ही होगा।
तब रवीश कुमार की आत्मा नहीं जागी थी?
Sarjana Sharama : रवीश कुमार अच्छे पत्रकार है माना जा सकता है। लेकिन निरपेक्ष भाव से या बिना किसी का पक्ष लिए पत्रकारिता करते हैं ये नहीं माना जा सकता। उनकी अंतरआत्मा भी कुछ सिलेक्टिव मुद्दों पर जागती है। अब देखिए ना काला पर्दा दिखा कर वो इमंरजेंसी जैसा माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं जिसको एक वर्ग हाथों हाथ ले रहा है।
मुंबई प्रेस क्लब में तब प्रणय राय ने कहा था- ”तीन साल के अंदर भारतीय मीडिया की कोई साख नहीं रह जायेगी”
Arun Maheshwari : इस बात को सिर्फ़ साढ़े नौ महीने हुए हैं। मुंबई प्रेस क्लब द्वारा लाईफ़ टाईम पुरस्कार से नवाजे जाने के समय एनडीटीवी के प्रणय राय ने वहाँ मौजूद दर्शकों को यह कहते हुए हैरत में डाल दिया था कि एक हिंदी चैनल पर उन्होंने बालों को झटकते हुए एक महिला एंकर को यह कहते सुना था कि – ‘ब्रेक के बाद आप को एक रेप दिखायेंगे’।
क्या संजय गुप्ता की टांग टूट गई है?
Shrikant Singh : दैनिक जागरण के कर्मचारियों की बददुआ का असर देखिए.. सुना है कि संजय गुप्ता का पैर टूट गया है। समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर दुखी हुआ जाए या खुश। हां चिंता जरूर हो रही है कि वह अपने पैरों पर चल कर जेल कैसे जा पाएंगे। शायद भगवान उनका साथ अब छोड़ने लगे हैं। दरअसल, जो मालिक अपने आश्रित कर्मचारियों का हक मारता है, उसकी यही दशा होती है। शनि महाराज ऐसे लोगों से तत्काल नाराज हो जाते हैं और पहले अपना प्रभाव पैर पर ही दिखाते हैं। शनि का प्रतिकूल प्रभाव दूर करने के लिए पैदल चलना जरूरी होता है, लेकिन शनि महाराज कोई बुड़बक थोड़े ही हैं। शायद इसीलिए वह पहला प्रहार पैरों पर ही करते हैं। सही गाना है-पैर ही जब साथ न दें तो मुसाफिर क्या करे।
बिना प्रणव राय की मर्जी के रवीश कुमार एनडीटीवी में सांस भी ले सकते हैं?
: सच यह है कि रवीश कुमार भी दलाल पथ के यात्री हैं : ब्लैक स्क्रीन प्रोग्राम कर के रवीश कुमार कुछ मित्रों की राय में हीरो बन गए हैं। लेकिन क्या सचमुच? एक मशहूर कविता के रंग में जो डूब कर कहूं तो क्या थे रवीश और क्या हो गए हैं, क्या होंगे अभी! बाक़ी तो सब ठीक है लेकिन रवीश ने जो गंवाया है, उसका भी कोई हिसाब है क्या? रवीश कुमार के कार्यक्रम के स्लोगन को ही जो उधार ले कर कहूं कि सच यह है कि ये अंधेरा ही आज के टीवी की तस्वीर है! कि देश और देशभक्ति को मज़ाक में तब्दील कर दिया गया है। बहस का विषय बना दिया गया है। जैसे कोई चुराया हुआ बच्चा हो देशभक्ति कि पूछा जाए असली मां कौन? रवीश कुमार एंड कंपनी को शर्म आनी चाहिए।
जेएनयू प्रकरण में जी न्यूज की बेशर्म भूमिका से खफा पत्रकार ने चैनल को बोला गुडबॉय, पढ़ें इस्तीफानामा
(विश्व दीपक)
जेएनयू और कन्हैया प्रकरण में जी न्यूज की भूमिका से नाराज यहां कार्यरत एक मीडियाकर्मी ने इस्तीफा दे दिया है. इनका नाम विश्व दीपक है. इन्होंने इस्तीफे के बाद अपनी पूरी बात फेसबुक पर पोस्ट की है जिसे लोग खूब शेयर और लाइक कर रहे हैं. विश्व दीपक की पोस्ट को शेयर करते हुए दिलीप खान लिखते हैं:
”Zee न्यूज़ की कारस्तानियों से विरोध जताते हुए Vishwa Deepak ने इस्तीफ़ा दे दिया। ज़ी को लेकिन शर्म नहीं आएगी।”
अब पढ़िए विश्वदीपक की एफबी पोस्ट जिसमें उन्होंने अपना इस्तीफानामा भी प्रकाशित किया हुआ है…
लखनऊ में पत्रकारों की राजनीति पर सवाल उठाओ तो पूछा जाता है- ‘किस गुट की तरफ से बोल रहे हो?’
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है
वो हर एक बात पर कहना के यूँ होता तो क्या होता.
इन दो व्यक्तियों की तस्वीरों को देखिये और पहचानने की कोशिश कीजिये… जितने अति वरिष्ठ हैं और जितने भी बड़े पत्रकारों के नेता हैं, उनमें से शायद बहुत कम ही इनको पहचानते होंगे… जो नहीं पहचानते, उन्हें मैं बता देता हूं- इसमें बायीं तरफ हैं Neeraj Mishra और दाहिनी तरह है Mukesh Verma. दोनों टीवी के बहुत कनिष्ठ पत्रकार हैं लेकिन दिल के बहुत बड़े हैं और साथियों के लिए जीना-मरना जानते हैं… इनका पत्रकार दोस्त था… नाम था Santosh Kumar Gwala…
मौलाना बुखारी की प्रेस कांफ्रेंस में सवाल पूछने पर उर्दू अखबार के पत्रकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया
लखनऊ : जामा मस्जिद का शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी अपनी प्रेस कांफ्रेंस में अक्सर तीखे सवालों पर भड़क जाता है. शनिवार को एक उर्दू अखबार के पत्रकार द्वारा सवाल पूछने पर इमाम बुखारी के गुर्गों ने पत्रकार को ही प्रेस कांफ्रेंस से बाहर कर दिया. इस पर हंगामा खड़ा हो गया. बाद में मौलाना बुखारी ने पत्रकारों से माफी मांगी. पीड़ित पत्रकार नवेद सिद्दीकी ने कैसरबाग कोतवाली में मौलाना अहमद बुखारी व उनके गुर्गों के खिलाफ अभ्रद्रता करने, अपहरण का प्रयास करने व हमलावर होने का आरोप लगा कर तहरीर दी है. हंगामे के बीच बुखारी को प्रेस कांफ्रेंस बीच में छोड़कर जाना पड़ा.
Partial implementation of Majithia in Himachal Pradesh
The status report on the implementation of the Majithia Award filed by Shri Amit Kashyap, the Labour Commissioner Cum-Director of Employment of Himachal Pradesh says that the newspaper establishments and newspaper agencies whose headquarters are situated with in the territorial jurisdiction of his state have partially implemented the Award. His report however, further says that some of the establishments have still kept the matter in abeyance and therefore necessary directions have been issued to the Inspectors to initiate proceedings against them.
पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने संबंधी कानून बनाने के लिए गोरखपुर में मीडियाकर्मियों ने किया प्रदर्शन
गोरखपुर । इण्डियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के तत्वाधान में सुल्तानपुर में जनसंदेश टाइम्स अम्बेडकरनगर के ब्यूरेा चीफ करूण मिश्रा की निर्मम हत्या एवं पत्रकार उत्पीड़न की विभिन्न घटनाओं केा लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष सेराज अहमद कुरैशी के नेतृत्व में महात्मा गांधी प्रतिमा, टाउनहाल गोरखपुर के समक्ष पत्रकारेां का विशाल धरना प्रदर्शन हुआ। धरना स्थल पर पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष सेराज अहमद कुरैशी ने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में पत्रकारों पर अनगिनत हमला हो रही है राज्य सरकार द्वारा उनकी उपेक्षा एक आम बात हो गयी है।
पुण्य प्रसून बाजपेयी का विश्लेषण : दो साल में देश को बर्बादी की ओर ले गए मोदी राज में देशद्रोह देशद्रोह खेला जा रहा है!
मोदी जी, इस बार पीएम नहीं देश फेल होगा
दो दिन बाद संसद के बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी। इस पर संसद की ही नहीं बल्कि देश की नजर होगी। आखिर मोदी सरकार की किन उपलब्धियों का जिक्र राष्ट्रपति करते हैं और किन मुद्दों पर चिंता जताते हैं। पहली बार जाति या धर्म से इतर राष्ट्रवाद ही राजनीतिक बिसात पर मोहरा बनता दिख रहा है। पहली बार आर्थिक मोर्चे पर सरकार के फूलते हाथ पांव हर किसी को दिखायी भी दे रहे हैं। साथ ही संघ परिवार के भीतर भी मोदी के विकास मंत्र को लेकर कसमसाहट पैदा हो चली है। यानी 2014 के लोकसभा चुनाव के दौर के तेवर 2016 के बजट सत्र के दौरान कैसे बुखार में बदल रहे हैं, यह किसी से छुपा नहीं है।
कन्हैया और जेएनयू प्रकरण के नकली टेप चलाने वाले न्यूज चैनलों पर कार्रवाई की हिम्मत छप्पन इंच सीने वाली मोदी सरकार में है?
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानि जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को एक ऐसे वीडियो टेप के आधार पर फंसा दिया गया जिसे छेड़छाड़ कर तैयार किया गया. छेड़छाड़ किए गए टेप के बिना जांच पड़ताल के प्रसारण से कई न्यूज चैनलों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. इनमें से दो अंग्रेजी न्यूज चैनल हैं- टाइम्स नाऊ और न्यूज एक्स. हिंदी के कई न्यूज चैनल हैं- जी न्यूज, इंडिया न्यूज, इंडिया टीवी आदि. इन चैनलों पर प्रसारित टेप में कन्हैया को कश्मीर अलगाववाद के समर्थन में नारे लगाते दिखाया गया है जबकि एबीपी न्यूज ने सही माने जा रहे टेप को दिखाया जिसमें भारत विरोधी बातें नहीं बल्कि गरीबी, सामंतवाद आदि से आजादी संबंधी नारे लगाए जा रहे हैं.
जेएनयू पर एक कविता : यस, आई स्टेंड विद जेएनयू ….
यस, आई स्टेंड विद जेएनयू
यह जानते हुये भी कि
वानरसेना मुझको भी
राष्ट्रद्रोही कहेगी।
काले कोट पहने
गुण्डों की फौज
यह बिल्कुल भी
नहीं सहेगी।
तिरंगा थामे
मां भारती के लाल
मां बहनों को गरियायेंगे।
दशहतगर्द देशभक्त
जूते मारो साले को
चीख चीख चिल्लायेंगे।
जानता हूं
मेरे आंगन तक
पहुंच जायेगा,
उन्मादी राष्ट्रप्रेमियों के
खौफ का असर।
लम्पट देशप्रेमी
नहीं छोड़ेंगे मुझको भी।
फिर भी कहना चाहता हूं
हॉ, मैं जेएनयू के साथ खड़ा हूं।
लखनऊ में धरना देते समय विक्रम राव और कामरान में हुई तकरार, देखें वीडियो
जिम्मेदार वरिष्ठ पत्रकारों / इन्साफ पसंद पत्रकार नेताओं से एक पत्रकार की गुजारिश
नीचे दिए गए वीडियो को ध्यान से देखिये। ये मौका था दिल्ली मे पत्रकारों के साथ बदसलूकी के खिलाफ हजरतगंज स्थित गाँधी प्रतिमा के नीचे विरोध प्रदर्शन का। इस तरह का मुजाहिरा पत्रकार एकता और एकजुटता की दलील भी देता है। लेकिन यहाँ का मंजर तो मकसद से विपरीत पत्रकारों के मतभेद, खंडित होने और बिखराव के साथ पत्रकार खुद बदसलूकी का शिकार होता दिखाई दिया। दो के बीच जमकर हुयी तकरार में एक वरिष्ठ था और एक उनसे काफी कनिष्ठ। एक युवा और एक बुजुर्ग। बुजुर्ग महोदय सम्मानित, जाने-पहचाने और राष्ट्रीय स्तर की ट्रेड यूनियन के संस्थापक अध्यक्ष हैं। दो पीढ़ियों के पत्रकारों के हुजूम के बीचो-बीच दो पीढ़ियों के इन दो पत्रकारों की तकरार मे दोनों मे कोई एक गलत और कोई एक सही होगा।
इंडिया न्यूज के फर्जीवाड़े का एबीपी न्यूज ने किया खुलासा
इंडिया न्यूज़ ने बुधवार की रात प्राइम टाइम में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार का एक वीडियो दिखाया जिसमें बताया गया कि वो कश्मीर की आज़ादी का नारा लगा रहा है. इस वीडियो को नया बताते हुए पेश किया गया. थोड़ी देर बाद एबीपी न्यूज़ ने इंडिया न्यूज के फर्जीवाड़े का खंडन करते हुए वही वीडियो साफ़ ऑडियो के साथ प्रसारित किया. एबीपी न्यूज ने बताया कि कुछ चैनल इस वीडियो को गलत ढंग से पेश कर गलत सूचना प्रसारित कर रहे हैं. चैनल ने वीडियो में लगाये गए नारों का ट्रांसक्रिप्शन किया और दिखाया कि कन्हैया कुमार ‘भुखमरी’, ‘मोदी’, ‘संघवाद’ आदि से आज़ादी का नारा लगा रहा है.
जेएनयू के बारे में पी साईंनाथ के इस वीडियो को नहीं सुना तो आप अंबानी अडानी के टुकड़खोर हैं!
Shamshad Elahee Shams : एक दो कौड़ी के पशुपुत्र ने मेरी जेएनयू आन्दोलन सम्बंधित पोस्ट पर अपनी मानसिक विकलांगता का प्रदर्शन करते हुए कहा था कि ये संस्थान ब्ल्यू फिल्म बनाने वालों के लिए जाना जाता है. इस वीडियों पर अपने जीवन के 59 मिनट खर्च करें और पता चल जायेगा कि जेएनयू क्या है? पी साईंनाथ को अगर आपने नहीं सुना तो आप अंबानी अडानी के टुकड़खोर है या उनके प्रचारतंत्र के शिकार. गौर से सुनिए देश का हाल, जिसका हिस्सा जेएनयू है.
अपने ब्लैक प्राइम टाइम शो के दौरान रवीश लगातार क्या बोलते रहे, यहां पढ़िए
आप सबको पता ही है कि हमारा टीवी बीमार हो गया है। पूरी दुनिया में टीवी में टीबी हो गया है। हम सब बीमार हैं। मैं किसी दूसरे को बीमार बताकर खुद को डॉक्टर नहीं कह रहा। बीमार मैं भी हूं। पहले हम बीमार हुए अब आप हो रहे हैं। आपमें से कोई न कोई रोज़ हमें मारने पीटने और ज़िंदा जला देने का पत्र लिखता रहता है। उसके भीतर का ज़हर कहीं हमारे भीतर से तो नहीं पहुंच रहा। मैं डॉक्टर नहीं हूं। मैं तो ख़ुद ही बीमार हूं। मेरा टीवी भी बीमार है। डिबेट के नाम पर हर दिन का यह शोर शराबा आपकी आंखों में उजाला लाता है या अंधेरा कर देता है। आप शायद सोचते तो होंगे।
टाइम्स नाऊ का लायसेंस रद्द कर अरनब गोस्वामी को जेल भेज देना चाहिए
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार का फर्जी वीडियो दिखाने में आगे रहने वाले न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ और इसके संपादक अरनब गोस्वामी को लेकर वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने फेसबुक पर एक संक्षिप्त पोस्ट लिखी है, जो इस प्रकार है :
झूठी रिपोर्टिंग करने वाले Zee News के रिपोर्टर को JNU के लोगों ने गुलाब देकर शर्मसार किया
Dilip Khan : जिस तरह तमाम झूठी रिपोर्टिंग के बावजूद Zee News के रिपोर्टर को JNU के लोगों ने गुलाब देकर शर्मसार किया, उसी तरह सुधीर चौधरी / रोहित सरदाना / दीपक चौरसिया को हाजमोला कैंडी भेजकर हाजमा दुरुस्त करने में मदद करें। मरीजों का ख़याल रखना भी हमारा काम है। पत्रकार दिलीप खान के …
रवीश ने घनघोर अन्धकार भरे समय में पत्रकारिता की गिरती साख बचा लिया
Priyabhanshu Ranjan : आज Primetime देखते हुए सोच रहा था कि पूरी NDTV और खासकर रवीश कुमार ने जिस तरह न्यूज़ चैनलों, कुछ दोयम दर्जे के पत्रकारों, समाज में रह रही दंगाइयों की भीड़ और मोदी सरकार को expose किया है, क्या इससे उन्हें कोई खतरा नहीं होगा ! मुझे पूरा अंदेशा है कि रवीश और NDTV का कोई भी पत्रकार अब मोदी सरकार और उनके कट्टर समर्थकों को फूटी आंख नहीं सुहा रहा होगा। लिहाज़ा, उन्हें पत्रकारिता तो ऐसी ही जारी रखनी चाहिए…लेकिन अपनी सुरक्षा को लेकर भी चौकसी बरतनी चाहिए….क्योंकि रवीश सुधीर चौधरी जैसे ‘भक्त’ पत्रकार नहीं हैं, जिन्हें मोदी सरकार सरकारी सुरक्षा मुहैया करा दे।
प्राइम टाईम अंधेरे का सदमा… इस समय इस प्राइम टाइम की सख़्त जरूरत थी
Preety Choudhari : मैंने आदत के तौर पर टीवी देखना दस बारह साल पहले ही छोड़ दिया था ,यानि रवीश कुमार जब से अपने ब्लाग पर टी वी नहीं देखने की सलाह दे रहे हैं उससे बहुत पहले ही. मैं अच्छी तरह जानती थी कि मैं टीवी क्यों नहीं देखती …रवीश कुमार ने पत्रकारिता की इस कालिमा को पेश कर अपने ज़मीर को थोड़ा सुकून बख़्शा है या उसे और किकरत्व्यविमूढ़ कर दिया है पता नहीं पर इतना ज़रूर है कि इस समय इस प्राइम टाइम की सख़्त जरूरत थी.
भारतीय टीवी पत्रकारिता के फील्ड में एनडीटीवी और रवीश कुमार ने इतिहास रच दिया
Shambhunath Shukla : मैने चैनल नहीं बदला रवीश जी। आज की मीडिया की हकीकत को नए और अभिनव अंदाज से दिखाने के लिए Ravish Kumar आपको बधाई और शुक्रिया। शायद विजुअल पत्रकारिता के इतिहास में ऐसा प्रयोग पहली बार हुआ। इसके पहले एक बार 27 जून 1975 को कई अखबारों ने अपने पेज काले ही छोड़ दिए थे।
प्रतिमा मिश्रा की शानदार रिपोर्टिंग और छी न्यूज का सरकारी भोंपू बनना
Manisha Pandey : राष्ट्रवादी स्कूलिंग ऐसी ही होती है। जबरिया टाइप। हलक में उंगली घुसाकर बोलेंगे- वंदे मारतम बोलो। भारत माता की जय बोलो। कैसे नहीं बोलोगे। हम बुलवाकर रहेंगे टाइप। वंदे मातरम का इतिहास, उसके निहितार्थ समझने के लिए बंकिम चंद्र चटर्जी का उपन्यास आनंद मठ पढ़ लीजिए। पढ़ना-लिखना बहुत काम आता है सर। थोड़ा बुद्धि के दरवाजे खुलते हैं। थोड़ा विवेक, थोड़ी समझ, थोड़ा संतुलन। प्रतिमा मिश्रा की शानदार रिपोर्टिंग।
‘शटडाउन जेएनयू’ की जगह ‘शटडाउन जी न्यूज’ का मुहिम चलाना चाहिए!
जेएनयू और रोहित वेमुला के मसले पर एबीवीपी के नेताओं के इस्तीफ़ा-पत्र का हिन्दी अनुवाद
मित्रों,
हम लोग, प्रदीप, संयुक्त सचिव एबीवीपी, जे एन यू यूनिट, राहुल यादव , अध्यक्ष सामाजिक अध्ययन संसथान एबीवीपी यूनिट, जे एन यू, और अंकित हंस , सचिव, सामाजिक अध्ययन संसथानएबीवीपी यूनिट, जे एन यू, एबीवीपी से इस्तीफा दे रहे हैं और खुद को एबीवीपी के अगले किसी भी एक्टिविटी से अलग करते है. हम यह निर्णय निम्नांकित कारणों से ले रहे हैं.
1. जेएनयू के हालिया घटनाक्रम
2. संगठन के साथ रोहित वेमुला और मनुस्मृति जैसे मुद्दों पर लम्बे समय से असहमति
रजत शर्मा, आपने बस्सी जी को बचने का मौका दिया तो कन्हैया को भी अपना पक्ष रखने का मौका दीजिए!
Sanjaya Kumar Singh : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राजनीति से पत्रकारिता में आए रजत शर्मा बुधवार, 17 फरवरी को अपने चैनल पर दिल्ली के पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी से बातचीत दिखा रहे थे जिसमें बस्सी ने बार-बार पर सिर्फ यही कहा कि कन्हैया कुमार के खिलाफ “पर्याप्त सबूत” हैं। रजत शर्मा के साथ-साथ दुनिया जानती है कि सबूत होने पर ही गिरफ्तारी होती है और सबूत पर्याप्त या अकाट्य नहीं होते हैं, तभी अभियुक्त अदालत से छूटते रहते हैं। ऐसे में सबूत जुटाने वाले से ही पूछना या कहलवाना या उसे कहने का मौका देने का मतलब समझ में आता है। जिसे नहीं समझ में आता है, नहीं समझ में आएगा।
बस्सी साहब 21वीं सदी के स्वामिभक्त नौकरशाही के सबसे बेहतरीन नायक हैं!
Arvind K Singh : बस्सी साहब ने वाकई शानदार पारी खेली। अगर सभी प्रशासनिक अधिकारी उनकी तरह हो जायें तो नौकरशाही में धर्मवीर, भूरेलाल या के.एफ.रुस्तमजी जैसों का नाम निशान ही मिट जाएगा। बस्सी साहब ने ऐसी लंबी लकीर खींच दी है कि जिसे पार कर पाना शायद आगे के पुलिस आयुक्तों के लिए बहुत कठिन होगा।
एबीपी न्यूज की बहादुर रिपोर्टर प्रतिमा मिश्रा, ऐसे ही काम करती रहो, डरना मत कभी : अजीत अंजुम
Ajit Anjum : ABP की बहादुर रिपोर्टर प्रतिमा मिश्रा…. ऐसे ही काम करती रहो.. डरना मत कभी… झुकना मत कभी… तुम्हारे जैसी रिपोर्टर और पत्रकार की देश को ज़रूरत है… उन्मादी भीड़ में शामिल हुए लोगों को ये हक़ किसने दिया कि वो सबको देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटे… ये देश जितना उनका है, उतना ही तुम्हारा और हमारा… आप भी सरेआम गुंडागर्दी करने वाले इस वकील को देखिए… इसका वश चले तो सवाल पूछने वाली इस युवा रिपोर्टर को मौके पर ही देशद्रोही घोषित कर दे…
स्मार्टफोन ‘फ्रीडम 251’ : आइए इस फ्रॉड फोन के कुछ प्रमुख फीचर्स के बारे में जानें
-देश के सभी बड़े अख़बारों में इस फोन का डबल साइड विज्ञापन छापा गया है जिसमें करोड़ों रूपए खर्च हुए. कंपनी के मालिकों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि वो इतना पैसा खर्च करें विज्ञापन में. कंपनी के तीनों डायरेक्टर गांव से आनेवाले सामान्य परिवार के लोग है। तीनों मुजफ्फरनगर के शामली तहसील के रहनेवाले वाले हैं। रिंगिंग बेल्स के डायरेक्टर मोहित गोयल का बैकग्राउंड भी ऐसा नहीं है कि वो इतनी बड़ी मात्रा में फ़ोन का उत्पादन कर सकें. उनके पास मोबाइल फोन इंजीनियरिंग का भी अनुभव नहीं है.
गलत खबर छापे जाने की शिकायत करने पर अमर उजाला वाले भड़क जाते हैं (सुनें टेप)
अमर उजाला वाराणसी में एक गलत खबर छपी. ‘पैर’ की जगह ‘हाथ’ छप गया. क्राइम की खबर में दूसरी बड़ी गलती हेडिंग में थी. दोनों गल्तियों को लेकर जब मैंने अमर उजाला बनारस के दफ्तर में इस नंबर 09675201433 पर फोन किया तो उधर से बहुत ही बेरुखी से बात किया गया. इन गल्तियों की सूचना संपादक को देने की कोशिश की तो जाने किसे फोन ट्रांसफर कर दिया गया और उधर से जो जवाब आया, उसे आप रिकॉर्डिंग में सुन सकते हैं.
ठेकेदार ने पत्रकार को दी धमकी (सुनें टेप)
डिंडोरी जिले से खबर है कि ठेकेदार ने चैनल के पत्रकार को फोन पर धमकी दी. मझियाख़ार में बन रहे पुल में मजदूरों का कर रहा था शोषण. गिट्टी रेत की जगह डस्ट से करा रहा था काम. फोन से जानकारी चाहे जाने पर फोन पर ही ठेकेदार ने दी धमकी. इसकी शिकायत गाडा सरई थाने में की गई है. आर ई एस विभाग द्वारा माझिया खार ग्राम पंचायत के चक रार नदी पर पुल बनवाया जा रहा है. यहां मजदूरों ने शिकायत की क़ि ठेकेदार द्वारा 120 रुपये मजदूरी दी जा रही है. इसके बाद पत्रकार अभिमन्यु द्वारा फोन पर बात करने की कोशिश की गई तो ठेकेदार अजित त्रिपाठी ने धमकी दी.
कन्हैया पर राष्ट्रद्रोह का इल्जाम वो लोग लगा रहे जिन्होंने हमेशा अंग्रेजों का साथ दिया और महात्मा गांधी जैसे राष्ट्रवादी नेता की हत्या की
पटना : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित अन्य छात्रों पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाकर गिरफ्तारी, ए.आई.एस.एफ के राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत सहित छात्रों, प्राध्यापकों एवं पत्रकारों से मारपीट एवं विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने की कोशिश के खिलाफ प्रेमचंद रंगशाला परिसर में प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया। हिंसा के विरूद्ध संस्कृतिकर्मी; रंगकर्मियों-कलाकारों का साझा मंच के बैनर तले आयोजित इस बड़ी प्रतिरोध सभा में पटना के रंगकर्मियों, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न छात्र संगठनों एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने कहा पूरे देश भर में कन्हैया और उनके साथियों की गिरफ्तारी के विरूद्ध आवाज उठ रही है।
यूपी में अप्रैल से अंग्रेजी शराब की बोतल सौ रुपये सस्ती मिलेगी, देसी पीने वालों को निराशा
अजय कुमार, लखनऊ
जो काम अखिलेश सरकार चार वर्ष तक नहीं कर पाई उसे उसने चुनावी साल में पूरा कर दिखाया। अखिलेश ने आबकारी शुल्क में 25 फीसदी कमी करके पियक्कड़ों को खुश कर दिया। आबकारी शुल्क कम किये का मतलब प्रदेश में पहली अप्रैल से सस्ती शराब बिकेगी। बतौर सपा प्रदेश अध्यक्ष, अखिलेश यादव ने ‘शाम की दवा’ सस्ती करने का वादा 2012 के विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान किया था। आबकारी शुल्क में कमी का असर समझना हो तो यह कहा जा सकता है कि रॉयल स्टैग की जो बोतल अभी 760 में मिलती है, पहली अप्रैल से उसके दाम घटकर 680 रुपये के आसपास हो जाएंगे। ऐसे ही इंपीरियल ब्ल्यू की 700 में मिलने वाली बोतल करीब सवा छह सौ रुपये में मिल सकेगी।
योगेश योगी ने अमर उजाला को कहा अलविदा, ईटीवी में एसाइनमेंट हेड बने
पिछले दस सालों से अमर उजाला के साथ काम कर रहे डॉ योगेश योगी ने अमर उजाला को बाय-बाय कह दिया है। योगेश योगी अब अपनी नई पारी ईटीवी के साथ शुरू करेंगे। ईटीवी में उन्होंने उत्तराखंड एसाइनमेंट हेड ज्वाइन किया है। योगेश योगी वर्तमान में अमर उजाला देहरादून में स्टेट ब्यूरो में कार्यरत थे। इसके पहले अमर उजाला के हरिद्वार और रुड़की ब्यूरो के इंजार्ज रह चुके हैं। डॉ योगेश योगी ने अपने फेसबुक पेज पर नई पारी की जानकारी कुछ इस तरह दी है:
वीरेन डंगवाल को याद करने बरेली में कल से जुटेंगे साहित्यकार व संस्कृतिकर्मी
लखनऊ : साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त हिन्दी के क्रान्तिकारी कवि व पत्रकार वीरेन डंगवाल की कर्मस्थली बरेली में देश भर से साहित्यकार 20 व 21 फरवरी को जुटेंगे। वे वीरेन की कविताओं से लेकर उनके सृजन पर चर्चा करेंगे, व्यक्तित्व के विविध पहलुओं से रू ब रू होंगे तथा उनके साथ की यादों को साझा करेंगे। ‘स्मरण: वीरेन डंगवाल’ शीर्षक से जन संस्कृति मंच और वीरेन डंगवाल स्मृति आयोजन समिति, बरेली की ओर से आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया है। यह जानकारी जन संस्कृति मंच के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष कौशल किशोर तथा सचिव प्रेमशंकर सिंह की ओर से जारी विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई।
दैनिक जागरण और दिलीप अवस्थी का दोगलापन
सर
सादर प्रणाम
सादर अवगत कराना है कि दैनिक जागरण जनपद अमेठी के विकासखंड बाजार शुकुल से मैं बतौर क्षेत्रीय रिपोर्टर पिछले पाँच वर्षों से समाचार लिख रहा था। कुछ माह पूर्व हुए पंचायत चुनाव में मैंने क्षेत्रपंचायत का चुनाव लड़ा। पंचायत चुनाव लड़ने के कारण मुझे दैनिक जागरण से यह कहकर हटा दिया गया कि दैनिक जागरण में चुनाव लड़ने वाले पत्रकारों को सम्पादक दिलीप अवस्थी द्वारा निकालने का आदेश हुआ है।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ के खोजी पत्रकारों ने बैंकों के जरिए लूटपाट का खुलासा किया
हमारे देश में गजब की लूट-पाट मची हुई है। आम जनता को डाक्टर, वकील और शिक्षा-संस्थाएं तो बेरहमी से लूट ही रही हैं, अब पता चला है कि हमारी सरकारी बैंके भी थोक में हाथ साफ कर रही हैं। आम जनता के खून-पसीने की कमाई के अरबों-खरबों रुपया ये बैंक उधार पर दे देती हैं और वह राशि डूब जाती है। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के खोजी पत्रकारों ने यह मामला उजागर किया है। उनके अनुसार सरकारी बैकों ने 2013 से 2015 के बीच 1.14 लाख करोड़ के कर्जों को डूबतखाते में डाल दिया है याने माफ कर दिया है।
पढ़िए टीवी चैनलों के संपादकों ने राजनाथ सिंह को जो ज्ञापन सौंपा, उसमें क्या लिखा है….
Press Release
BEA Delegation Meets Home Minister Over Manhandling of Journalists
New Delhi : Delegation of Editors of TV channels met the Home Minister Rajnath Singh and gave this memorandum.Those present included: Ms. Barkha Dutt, Ms. Sonia Singh, Mr. NK Singh, Mr. Shazi Zaman, Mr. Dibang, Mr. Vinay Tewari, Mr. QW Naqvi, Ms. Navika Kumar, Mr. Deepak Chaurasia, Mr. Satish K Singh, Mr. Supriya Prasad and Mr. Sanjay Bragta.
DD Bharati to live telecast Khajuraho Dance Festival 2016
New Delhi : Starting this weekend, from 20th February’16 to 26th February’ 16, a week-long International Dance Festival will be held against the spectacular backdrop of the magnificently lit Khajuraho temples, which stand a testimony to the glorious past of India’s cultural richness. The Khajuraho Dance Festival 2016 will highlight the grandeur of many Indian classical dance styles such as Kathak, Bharathanatyam, Odissi, Kuchipudi, Manipuri and also contemporary dance form with performances by artists of world fame.
संपादक जी, सुजीत की खबर डिलीट कराके मृतात्मा को अपने कर्जे से मुक्त करिए
आदरणीय सम्पादक जी,
देश में हलचल हो या न हो, दिल्ली में हलचल है। वैसे तो जब भी दिल्ली में कोई हलचल होती है तो मैं गाँव फोन करता हूँ, ये जानने के लिए कि क्या गाँव में भी कुछ ऐसा है? अक्सर जवाब “न” में ही होता है। अभी डेढ़ महीना पहले गाँव गया था तो दादा जी ने पूछ दिया कि ये ‘सहिष्णुता’ क्या होती है? मैने बता दिया और वो हंस कर रह गये। खैर, यह लेख कम, सम्पादक जी लोगों के नाम पत्र ज्यादा है।
जेएनयू को टैंकों से कुचलने का सुझाव दौड़ रहा है!
-डॉ राकेश पाठक-
आइये जान लीजिये हम किस तरफ बढ़ रहे हैं। जेएनयू में कुछ अलगाववादियों के नारों पर देश भर में उफान आया हुआ है। एक पक्ष है जो बिना किसी जाँच पड़ताल , मुकदमा अदालत , सबूत गवाही के नारे लगाने वालों की जीभ काटने , सीधे गोली मारने या फांसी पर लटका देने की मांग कर रहा है।ऐसे लोगों में उन्मादी भीड़ के साथ पूर्व मंत्री और सांसद तक शामिल हैं।सोशल मीडिया ऐसे बयानों और मांगों से अटा पड़ा है।
‘आप’ तो ऐसे न थे : केजरी वही सब टोटके कर रहे जो भ्रष्ट नेता करते रहे हैं
-मनोज कुमार-
एक साथ, एक रात में पूरी दुनिया बदल डालूंगा कि तर्ज पर दिल्ली में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी के हुक्मरान जनाब अरविंद केजरीवाल ने मुझे तीन दिनों से परेशान कर रखा है। आगे और कितना परेशान करेंगे, मुझे नहीं मालूम लेकिन हाल-फिलहाल मेरी बड़ी शिकायत है। सुबह अखबार के पन्ने पलटते ही दो और चार पन्नों का विज्ञापन नुमाया होता है। इन विज्ञापनों में केजरीवाल अपनी पीठ थपथपाते नजर आते हैं। केजरीवाल सरकार इन विज्ञापनों के जरिये ये साबित करने पर तुले हैं कि उनसे बेहतर कौन? ऐसा करते हुए केजरीवाल भूल जाते हैं कि दिल्ली के विकास को जानकर मध्यप्रदेश का कोई भला नहीं होने वाला है और न ही उनके इस ‘पीठ खुजाऊ अभियान’ से मध्यप्रदेश में कोई सुधार होगा। बार बार भोपाल और मध्यप्रदेश की बात इसलिए कर रहा हूं कि इससे मुझे इस बात की परेशानी हो रही है कि मेरे पढ़ने की सामग्री गायब कर दी जा रही है। केजरीवाल के इस ‘पीठ खुजाऊ अभियान’ में मेरी कोई रूचि नहीं है।
एंकरों ने एमआरआईयू में एंकरिंग की टिप्स दी
फरीदाबाद : एंकर बनने की इच्छा के साथ जर्नलिज्म कोर्स की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को इलैक्ट्रोनिक मीडिया इंडस्ट्री के दिगगजों के रू-ब-रू होने का मौका मिला। मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी में लाइव इंडिया के एंकर प्रवीण तिवारी व अर्चना तिवारी के द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘न्यूज एंकर – द फेस ऑफ द न्यूज’ का लॉन्च मीडिया के दिग्गजों के द्वारा किया गया। इस मौके पर मीडिया जगत के जाने माने एंकरों ने स्टूडेंट्स के साथ अपने अनुभवों को बांटा व एंकरिंग से जुड़ी गहराइयों के बारे में बताया। कार्यक्रम का आयोजन मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ मीडिया स्टडीज के द्वारा आयोजित किया गया था।
लूटने का व्हाट ए आइडिया सर जी!
आइडिया मोबाइल वालों ने अपनी टेक्निकल चाल चल कर एक सीनियर सिटिज़न को लूट लिया। किस्सा मेरे मोबाइल नंबर 09221232130 से जुड़ा हुआ है। मैंने 6 तारीख को मोबाइल में 103 रुपये का इंटरनेट पैक डलवाया था। मुझे बाहर घूमने जाना था। इंटरनेट पैक डलवाने के बाद इंटरनेट तो चालू हो गया पर उसमे बार–बार कंपनी से संदेश आ रहे थे। ये कर वालो तो ऐसा होगा, वगैरह। मैं तो इतना अँग्रेजी पढ़ा–लिखा नहीं हूं। जो भी संदेश आता था उसे ओके कर देता था। इसमें देखा तो मेरे बैलेन्स में से 200 रुपया निकाल लिया गया।
यूपी में पत्रकार हत्या मामले में थानाध्यक्ष निलम्बित, मुंबई में टीवी पत्रकार पर हमला
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में पत्रकार करूण मिश्र की हत्या का खुलासा के बाद खनन माफियाओं के साथ संलिप्ततता पाए जाने पर पुलिस महानिरीक्षक ए सतीश गणेश ने कुडवार थानाध्यक्ष को आज निलंबित कर दिया है। सुल्तानपुर जिले की कानून व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद पुलिस महानिरीक्षक ने खान माफियाओं के साथ संलिप्ततता पाये जाने पर कुडवार के थानाध्यक्ष अंजुल मिश्र को निलम्बित कर दिया।
पीलिया से पीड़ित कोटद्वार के पत्रकार संजीव कोठारी का निधन
कोटद्वार के काशीरामपुर निवासी पत्रकार संजीव कोठारी का बृहस्पतिवार को आकस्मिक निधन हो गया है। कोटद्वार प्रेस क्लब की ओर से शोकसभा आयोजित की गई। उन्होंने देहरादून के मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। संजीव कोठारी (44) पुत्र लोकानंद विगत छह महीने से पीलिया की बीमारी से पीड़ित थे। उनका इलाज देहरादून स्थित मैक्स अस्पताल में चल रहा था।
खनन, खबर और पैसे का जानलेवा काकटेल : हत्या से पहले दो बार पत्रकार करुण को समझाने की कोशिश की गई थी!
सुल्तानपुर : पांच दिन पूर्व दिनदहाड़े गोली मारकर की गई पत्रकार की हत्या मिट्टी के अवैध खनन और पैसे के लेन-देन में हुई थी। इसके लिए भाड़े के शूटर का इस्तेमाल किया गया था। एसटीएफ और जिले की पुलिस ने हत्या में शामिल मुख्य साजिशकर्ता समेत पांच लोगों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया। पत्रकार की हत्या करने वाले शूटर समेत दो आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस प्रयास में जुटी है। आईजी जोन लखनऊ ए सतीश गणेश ने बृहस्पतिवार को पुलिस लाइंस सभागार में घटना का खुलासा किया। अंबेडकरनगर जिले के हंसवर के तरौली मुबारकपुर गांव निवासी करुण मिश्र लखनऊ से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के ब्यूरो चीफ थे।
कुछ रुपयों के लिए इतना नीचे गिर कर पत्रकारिता न ही करें तो अच्छा
बस्ती। कुछ पत्रकार साथी कुछ रुपए के लिए अपना ईमान बेचने से पीछे नहीं हटते हैं। मैं मानता हूँ कि कोई भी मीडिया संस्थान इतना रुपया नहीं देता कि पेट्रोल तक का खर्च निकल सके। पैसा लेना गलत नहीं है। आज कल बिना पैसे का कुछ नहीं होने वाला है। लेकिन कुछ रुपयों के लिए इतना नीचे गिर जाना शोभनीय नहीं है, कुछ पत्रकार साथी तो ऐसे है की 100 रु भी मांग लेते है, क्या करे वो भी मज़बूरी है परिवार और बाल – बच्चे का खर्च भी इसी पत्रकारिता से चलाना पड़ता होगा।
पत्रकार हेमंत राजपूत को दैनिक दिव्य मराठी के प्रबंधन से खतरा! मेल भेजकर किया आगाह
मजिठिया वेज बोर्ड की लड़ाई में प्रबंधन को धूल चटा देने वाले दैनिक दिव्य मराठी के औरंगाबाद में कार्यरत जुझारू पत्रकार हेमंत राजपूत ने एक पत्र मेल के जरिये आज मुझे भेजा। पत्र में हेमंत ने अपने उपर खतरे का अंदेशा जताया है। इस पत्र को पढ़ने के बाद हेमंत के हौसले को सलाम करता हूं। हेमन्त की कहानी किसी को भी इनके हौसले को सलाम करने को मजबूर कर देगी कि किस तरह अदने से हेमंत ने पूरे डीबी कार्प की चूल हिला दी है।
श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशन ने अपने मीडियाकर्मियों की सेलरी में 2 से 3 हजार की वृद्धि की
मुम्बई के श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशन्स ने अपने समाचार पत्रों के कर्मचारियों व पत्रकारों के वेतन में दो से तीन हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से वृद्धि किया है। यह कंपनी प्रत्येक साल जनवरी माह में अपने कर्मचारियो और पत्रकारों का वेतन वृद्धि करती है जिसे कर्मचारियों को फरवरी माह के वेतन से दिया …
‘दबंग दुनिया’ में वेतन के लाले पड़े!
गुटखा किंग किशोर वाधवानी का अखबार ‘दबंग दुनिया’ हमेशा ख़बरों की दुनिया में खबर बनता रहा है। इस अखबार के पांच साल में कई संस्करण निकले। लेकिन, सारी कोशिशों के बाद भी इस अखबार की गंभीर पत्रकारिता में कोई साख नहीं बन सकी! तरह-तरह के प्रयोग भी कई बार किए गए। बार-बार स्टॉफ बदला गया, पर कोई नतीजा नहीं निकला! इस अखबार को मध्यप्रदेश में अब तक कोई पहचान नहीं मिली है! अब ‘दबंग दुनिया’ का प्रयोग आर्थिक संकट में फंसता नजर आ रहा है।
विक्रम राव को लखनऊ में ifwj के ही एक अन्य साथी कामरान ने दिखाया आइना
तुम खामोश रहो ……..IFWJ की बेबसाइट पर संविधान ACCOUNTS सब हैं… आप थोड़ा पढ़े लिखे होते कामरान…. अगर आप जि़म्मेदार होते…
-के. विक्रम राव (राष्ट्रीय अध्यक्ष, IFWJ)
I cannot keep SILENCE…May be you….
My firm believe that in today’s context of relentless upheaval in the media world, and journalism in particular, that it is a good time to resurrect the moribund organization registered way back in the year 1950 and put it back on the map. I agree, and this is why I decided to stand for election to the National Council after being approached by one of my friend and son of senior IFWJ leader.
इंडिया न्यूज ने रचा इतिहास, तीसर नंबर की कुर्सी पर लगातार दूसरे हफ्ते भी कब्जा
दीपक चौरसिया के प्रधान संपादकत्व वाले न्यूज चैनल इंडिया न्यूज ने लगातार दूसरे हफ्ते भी टाप थ्री चैनलों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराए रखा है. इस साल के छठें हफ्ते की टीआरपी में भी इंडिया न्यूज नंबर तीन पर है जबकि एबीपी न्यूज को लगातार चौथे पोजीशन पर रहना पड़ रहा है. अभी तक तीन नंबर चैनल का खिताब एबीपी न्यूज के पास था. जी न्यूज की दुर्गति सबसे ज्यादा हुई है जो अब पांचवें नंबर पर सिमट गया है. न्यूज नेशन को सातवें स्थान पर संतोष करना पड़ा है जो कभी टाप थ्री चैनल्स की लिस्ट में था. देखें छठें हफ्ते की टीआरपी…
दैनिक भास्कर के संपादक मधु आचार्य को ‘गवाड़’ के लिए विश्वनाथ तिवारी ने साहित्य अकादमी का पुरस्कार दिया
दैनिक भास्कर के संपादक मधु आचार्य को राजस्थानी उपन्यास ‘गवाड़’ के लिए नई दिल्ली के फिक्की ऑडिटोरियम में इस वर्ष का साहित्य अकादमी का पुरस्कार दिया गया| साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ तिवारी द्वारा आचार्य को १ लाख रुपये, शॉल, श्रीफल, माला, मोमेंटो पुरस्कार में दिया गया|
बारहवी विकास संवाद मीडिया फैलोशिप के लिए आवेदन आमंत्रित, 20 फरवरी अंतिम तिथि
भोपाल। विकास और जनसरोकार के मुद्दों पर मध्यप्रदेश में काम कर रहे पत्रकारों को दी जाने वाली विकास संवाद मीडिया लेखन और शोध फैलोशिप के लिए आवेदन आमंत्रित किए जा रहे है. फैलोशिप के बारहवें साल में पोषण और प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता विषय पर पांच पत्रकारों का चयन किया जायेगा। चार विषय किसी वंचित, उपेक्षित या हाशिये के समाज की पोषण की सुरक्षा और कुपोषण विषय पर केन्द्रित होंगे। एक विषय शिक्षा की स्थिति और उसकी गुणवत्ता पर केंद्रित होगा. इच्छुक पत्रकार 20 फरवरी तक आवेदन कर सकेंगे।
दीपक चौरसिया जैसे पत्रकारों के लिए भारतीय संविधान की जगह नागपुरी संविधान ने ले ली है!
दीपक चौरसिया का ‘उन्माद’ और फ़ासीवाद के ख़ूनी पंजों में बदलता मीडिया! जेएनयू में चंद सिरफिरों की नारेबाज़ी को राष्ट्रीय संकट के तौर पर पेश कर रहे न्यूज़ चैनल और अख़बार आख़िर किसका काम आसान कर रहे हैं। हर मोर्चे पर नाकाम मोदी सरकार, संकट से ख़ुद को निकालने के लिए ऐसा करे तो समझ में आता है, लेकिन संपादकों का आलोचनात्मक विवेक कहाँ चला गया ? ऐसा क्यों लग रहा है कि उन्होंने तर्क और विवेक के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है?
आईबी के रिटायर अफसर ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर मोदी को लिखा खुला पत्र
OPEN LETTER To,
Hon’bles
The Prime Minister
and The C.M. W.B. Govt.
The Hon’bles have already been apprised of the details leading to confirm that the founder of Shaulmari Ashram Sardanand Ji was Netaji Subhash Chandra Bose. But even after a period of about two months no cognizance of the submission has been taken. And hence this open matter.