‘समाचार प्लस’ चैनल का दिवालियापन : अमित शाह की रैली में मुलायम सिंह यादव को पहुंचा दिया!

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड केंद्रित रीजनल न्यूज चैनल ‘समाचार प्लस’ की कोई क्रेडिबिल्टी नहीं रह गई है. यह ओछी और घटिया पत्रकारिता पर उतर आया है. ऐसी ऐसी खबरें यह चैनल दिखा रहा है कि लोग माथा पकड़ ले रहे हैं. इस चैनल ने अपने यहां लिख दिया कि अमित शाह की रैली में मुलायम सिंह यादव पहुंच गए. बताइए भला, क्या यह संभव है कि भाजपा नेता अमित शाह की रैली में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पहुंच जाएं?

मजीठिया क्रान्ति : लोकमत के पांच और मीडिया कर्मियों ने लगाया क्लेम

मुंबई : महाराष्ट्र में इन दिनों मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और प्रमोशन मांगने वाले मीडियाकर्मियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मीडियाकर्मी जोश खरोश के साथ अखबार मालिकों के खिलाफ अपने हक़ के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं। यहाँ लोकमत के 5 और मीडियाकर्मियों ने रिकवरी क्लेम लगाया है।ये सभी कर्मचारी लोकमत की अकोला यूनिट में कार्यरत हैं। इन पांच कर्मचारियों ने असिस्टेंट लेबर कमिश्नर अकोला के यहाँ 17(1) के तहत रिकवरी क्लेम लगाया है।

तो ये है यूपी में यश भारती एवार्ड हथियाने का फार्मूला!

Maheruddin Khan : काफी सोच विचार के बाद इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि यह अनुभव मित्रों के साथ साझा करना चाहिए. गत सप्ताह एक सज्जन मेरे पास आए. मैं उन्हें पहचान नहीं पाया तो उन्होंने बताया कि 20-25 साल पहले नवभारत टाइम्स में मुलाकात होती थी, उस समय आपने मेरी बहुत मदद की थी …

बरखा दत्त जा चुकी हैं, विक्रम चंद्रा भी जा चुके हैं, क्‍या अगली बारी सोनिया सिंह की है?

पिछले शनिवार यानी 22 अक्‍टूबर को एनडीटीवी के सीईओ विक्रम चंद्रा के चैनल छोड़ देने की अटकलों के बारे में पूछा गया था तब उन्‍होंने साफ़ कह दिया था कि ऐसी अटकलें हर रोज़ लगाई जाती हैं, इसलिए जब भी ऐसा कुछ होगा तो वे सूचित कर देंगे। ठीक पांच दिन बाद 27 अगस्‍त को ”हर रोज़” लगाई जाने वाली अटकलों को उन्‍होंने हकीक़त में तब्‍दील कर दिया और वास्‍तव में अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया। क्‍या यह संयोग था या पहले से चले आ रहे किसी घटनाक्रम का परिणाम? क्‍या एनडीटीवी में अभी कुछ और विकेट गिरने बाकी हैं?

कैंसर की नई दवा के परीक्षण में जुटे गाजीपुर के डाक्टर एमडी सिंह का कवि रूप (देखें वीडियो इंटरव्यू)

Yashwant Singh : गाज़ीपुर जिले के मशहूर चिकित्सक डॉक्टर मुनि देवेंद्र सिंह उर्फ एमडी सिंह के कवि रूप को उनके ही जिले के बहुत कम लोग जानते होंगे। इस बार गाज़ीपुर प्रवास की उपलब्धि रहे DR. MD SINGH जी. आधे घंटे तक उनसे विस्तार से बातचीत हुई और पूरी बातचीत को मोबाइल में रिकार्ड किया. इस इंटरव्यू में एक डॉक्टर को कैसा होना चाहिए और संवेदनशीलता किस तरह शब्दों में ढलकर व्यक्ति को कवि बना देती है, इसके बारे में बताया डाक्टर एमडी सिंह ने.

मजीठिया क्रांतिकारियों से अपील, हम सभी आरटीआई को हथियार बनाएं

दोस्तों मैं एक बार फिर आप सब से अपील कर रहा हूँ कि आप आरटीआई को हथियार बनाइये। श्रम विभाग के पास अखबार मालिकों द्वारा मंत्रियों से फोन करा कर उन पर दबाव डलवाया जा रहा है। उनके पास मंत्री हैं। हमारे पास आरटीआई है। इसी आरटीआई ने सुरेश कलमाणी को जेल डलवा दिया। शीला …

मुम्बई के दो पत्रकारों ने श्रम आयुक्त कार्यालय में किया ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ (देखें वीडियो)

पत्रकारों की छापेमारी से घबराए अधिकारियों ने गिफ्ट के पैकेट बाहर फेंके, गिफ्ट के पैकेटों का आरटीआई से माँगा गया जवाब, घटनाक्रम हुआ कैमरे में शूट

मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और प्रमोशन की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे मुम्बई के दो पत्रकारों शशिकान्त सिंह और धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने शनिवार को महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त कार्यालय में ऐसा सर्जिकल स्ट्राइक किया कि श्रम अधिकारी भी हक्के बक्के रह गए। ये दोनों पत्रकार काफी दिनों से देख रहे थे कि महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त और मुम्बई शहर कार्यालय में अखबार मालिकान सहित कई दूसरी कंपनी के लोग श्रम अधिकारियों को बड़े बड़े गिफ्ट के पैकेट दे रहें हैं, जो पूरी तरह गलत है। इन दोनो पत्रकारों ने तय किया कि इस मामले का भंडाफोड़ किया जाय।

दीपावली सांग के लिए इस स्कूल प्रेयर से भला अच्छा क्या हो सकता है (सुनें)

Yashwant Singh : दिवाली सांग… मेरठ में मेरे एक मित्र हैं Vishal Jain जी. कई स्कूलों के संचालक हैं. खुद काफी इन्नोवेटिव हैं. नया नया खोजते रचते रहते हैं. इन्होंने अपने स्कूल प्रेयर के लिए अदभुत गीत तैयार कराया है. सुबह सुबह इनके स्कूलों में जो प्रार्थना बच्चे गाते हैं, उसे सुनकर खुद ब खुद बच्चों संग गाने का मन करने लगता है.

उगाही में जेल जा चुके किसी संपादक को किसी राष्ट्र प्रमुख से मिलवाने की ये पहली घटना होगी (देखें तस्वीर)

Vishwa Deepak : अगर ये तस्वीर हैदराबाद हाउस की है तो कहा जा सकता है कि आज हैदराबाद हाउस की धरती पवित्र हो गई. आज एक महान ‘संत’ के चरण इस धरती पर पड़े. आप सब पहचानते हैं इस ‘संत’ को. ऐसा सौभाग्य भारत के किसी प्रधानमंत्री को शायद ही मिला होगा. उगाही के चक्कर में तिहाड़ जेल की रोटी खाने वाले किसी संपादक को किसी राष्ट्र प्रमुख से मिलवाने की ये शायद पहली घटना होगी.

अखिलेश यादव की तारीफ करने वाले उनके चमचे पत्रकार और बुद्धिजीवी यह जरूर पढ़ें…

Chandan Srivastava : यूपी के बेहाल हाल के लिए अखिलेश यादव के पास दो बहाने होते हैं। एक वह खुद बोलते हैं, दूसरा उनके टुकड़ों पर पल रहे चमचे पत्रकार, बुद्धिजीवी आदि बोलते हैं। अखिलेश कहते हैं कि यूपी के आपराधिक वारदातों की कवरेज ज्यादा ही होती है जबकि चमचे कहते हैं अखिलेश के काम में मुलायम, शिवपाल वगैरह अड़ंगा लगाते रहते हैं, समस्या वहीं है। कुल मिलाकर अखिलेश पाक-साफ। आपको ढाई साल पहले ले चलता हूं जब हमारे मुख्यमंत्री के दोस्ताना ने प्रदेश में सैकड़ों लोगों की जान ले ली।

सूरत के हीरा व्यापार की हकीकत भी जान लीजिए

Prakash K Ray : सूरत के हीरा कारोबारी सावजी भाई ढोलकिया ने फिर अपने कर्मचारियों को कार और मकान दिवाली बोनस के रूप में दिया है. ढोलकिया ने इस बार 400 फ्लैट और 1,260 कारें कर्मचारियों गिफ्ट की हैं. साल 2014 में ढोलकिया ने 1300 से ज्यादा कर्मचारियों को कार, मकान और ज्वैलरी दी थी. साल 2015 ढोलकिया ने 491 कारें और 200 फ्लैट गिफ्ट किए थे. यह उपहार पाने वालों में अनेक का वेतन तो सिर्फ दस हज़ार है. सूरत के इस हीरा व्यापारी द्वारा अपने कर्मचारियों को घर और कार बाँटने की ख़बर सोशल मीडिया पर ख़ूब चल रही है.

जेटली के लौंडे को कार पार्किंग का तरीका समझाने वाले दिल्ली पुलिस के दो सिपाही सस्पेंड

Anand Sharma : जेटली साहब पूरे देश पर कड़ा टैक्स शिकंजा थोपना चाहते हो पहले अपने गोबर औलाद के पुत्र मोह से निकलो. उस कांस्टेबल से मुआफी मांगो और लौंडे को चौराहे पर जूतों से पीटों ताकि तुम बाप बेटों का अहंकार तुम्हारे सड़े दिमाग से निकले…..साले औलाद को पार्किंग की तमीज सीखा नहीं पाए पूरे देश को ईमानदारी सिखाएंगे….ब्लडी इम्पोस्टर….loser…. लीच

एनडीटीवी के ग्रुप सीईओ विक्रम चंद्रा पर गिरी गाज, कई अन्य भी निपटाए जाएंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टेबल पर पड़ी ब्लैकमनी को ह्वाइट करने वाली एनडीटीवी के मालिक प्रणय राय की फाइल ने करामात दिखाना शुरू कर दिया है. मोदी खांटी नेता हैं. वे किसी चीज का देर तक और दूर तक इस्तेमाल करते हैं. कांग्रेसी, वामपंथी और आपाइयों का पसंदीदा चैनल कहे जाने वाला एनडीटीवी इन दिनों चोला बदल रहा है. इसके पीछे कारण चिदंबरम-प्रणय राय वाली फाइल है जिसमें इन लागों के कारनामों का डिटेल है.

‘प्रयुक्ति’ अखबार के मैनेजमेंट पर कई आरोप लगा महिला पत्रकार ने कहा गुडबॉय, पढ़ें इस्तीफानामा

The Chairman
Prayukti
21 B/9, Rohtak Road, Opp LIC Building,
Karol Bagh, New Delhi-110005

Sir

With a profound feeling, i, Ms Deepti Angrish, am confessing that coerced by the callous, inhuman, insensitive, merciless and intolerant behavior of the head and the team prayukti, i am taking the decision of leaving the publication. Despite of my hard work and loyalty towards the publication, i was humiliated at each and every moment, at each and every work of mine. This kind of torturous behavior started after the couple of days of my joining, which i ignored and kept working honestly and diligently. Following are the few instances (although there are actually numerous) which i can recall:

42वें हफ्ते की टीआरपी : 22+ कैटगरी में इंडिया टीवी नंबर वन, इंडिया न्यूज चौथे नंबर पर

टीआरपी के दो आंकड़े आमतौर पर जारी किए जाते हैं. पहला जो 15+ कैटगरी का होता है उसे ही आमतौर पर टीआरपी का आंकड़ा कहा जाता है. दूसरा 22+ का होता है. इनके अलावा भी ढेर सारे कैटगरी होते हैं जिसमें टाइम, उम्र आदि के हिसाब से आए टीआरपी आंकड़े को चैनल वाले अपने अपने सुविधा के हिसाब से उद्धृत कर खुद को नबर वन बताते रहते हैं. 42वें हफ्ते की बात करें तो बार्क के सामान्य यानि 15+ के आंकड़ों में पहले के मुकाबले ज्यादा बदलाव नहीं है. आजतक नंबर वन पर है. इंडिया टीवी नंबर दो पर है. इंडिया न्यूज नंबर तीन पर है. जी न्यूज नंबर चार पर है. एबीपी न्यूज नंबर पांच पर है.

आशीष भारद्वाज ने न्यूज नेशन चैनल की वेब टीम में चीफ सब एडिटर के रूप में ज्वाइन किया

न्यूज नेशन चैनल की वेब टीम में आशीष भारद्वाज ने बतौर चीफ सब एडिटर ज्वाइन किया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी और आईआईएमसी से इतिहास और पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले आशीष इस बीच सक्रिय पत्रकारिता से छोटा सा ब्रेक लेकर कुछ किताबों के लेखन-संपादन के काम में लगे थे. बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले आशीष केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनीटरिंग सेंटर के बाद साल भर आईआईएमसी में ही हिंदी पत्रकारिता और शोध विभाग में एकेडमिक एशोसिएट भी रहे.

ब्रेन हैमरेज के बाद SGPGI में भर्ती कराए गए लखनऊ के पत्रकार रीतेश द्विवेदी का निधन

लखनऊ में करीब 15 साल से पत्रकारिता कर रहे पत्रकार रीतेश द्विवेदी का संजय गांधी पीजीआई में निधन हो गया. उन्हें ब्रेन हेमरेज के बाद भर्ती कराया गया था. उनका अंतिम संस्कार लखनऊ के चौक के गुल्लाला श्मशान घाट पर किया गया. लखनऊ में चौपटिया के दिलाराम बारादरी के रहने वाले रीतेश ने राजधानी के कई बड़े मीडिया संस्थानों से जुड़ कर लंबे समय तक पत्रकारिता की.

निशीथ जोशी और नीरज सिसौदिया ने हिमाचल दस्तक को अलविदा कहा

समूह सलाहकार संपादक निशीथ जोशी और चीफ सब एडिटर नीरज सिसौदिया ने हिमाचल दस्तक को अलविदा कह दिया है। निशीथ जोशी जल्द ही एक बड़े ग्रुप के साथ नया प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं। फिलहाल इसका खुलासा नहीं किया गया है। वहीं, नीरज सिसौदिया ने अपनी नई पारी जालंधर में दैनिक जागरण के साथ बतौर चीफ सब एडिटर शुरू की है। नीरज सिसौदिया हिन्दुस्तान, अमर उजाला जैसे संस्थानों में काम कर चुके हैं।

अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को पूरे कुनबे समेत क्यों जाना पड़ा मां गंगा की शरण में? देखें तस्वीरें

शिल्पा शेट्टी का कहना है कि उन्हें गंगा दर्शन से प्रेरणा एवं संबल प्राप्त होता है इसलिए वह बार बार मां गंगा की शरण में आती हैं. 27 अक्टूबर को फिल्म जगत की अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी अपने पति व जाने-माने उद्योगपति राज कुन्द्रा, बहन शमिता शेट्टी व अपनी माताश्री के साथ ऋषिकेश पहुंचीं. यहां स्थित परमार्थ निकेतन की मेहमान बनीं. पावन गंगा आरती एवं यज्ञ में शामिल हुईं. परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मिलकर इन लोगों ने आशीर्वाद प्राप्त किया. वैसे परमार्थन निकेतन वाले चिदानंद के बारे में कहा जाता है कि यह केवल बड़े नेताओं, बड़े लोगों आदि से ही सीधे मिलता है और उनके लिए गंगा पूजा उन्हें अपने बगल में खड़ा करा के कराता है. अगर कोई गरीब परमार्थ निकेतन पहुंच जाए तो चिदानंद का मिलना दूर, आश्रम के लोग ही उस गरीब को झिड़क कर भगा देते हैं. यानि यहां भी पैसा फेंको और धर्म का तमाशा देखो वाला फंडा चलता है.

राजस्थान हाईकोर्ट में लगी मनु की मूर्ति हटाए जाने के लिए राष्ट्रव्यापी आन्दोलन का ऐलान

25 दिसम्बर 2016 को गांव गांव जलाई जायेगी मनुस्मृति और 3 जनवरी 2017 को जयपुर में होगा मनु मूर्ति हटाने का आन्दोलन… जिसने असमानता की क्रूर व्यवस्था को संहिताबद्ध किया, जिसने शूद्रों और महिलाओं को सारे मानवीय अधिकारों से वंचित करने का दुष्कर्म करते हुये एक स्मृति रची, जिसके प्रभाव से करोडों लोगों की जिन्दगी नरक में तब्दील हो गई. जिसने वर्ण और जाति नामक सर्वथा अवैज्ञानिक, अतार्किक और वाहियात व्यवस्था को अमलीजामा पहनाया. जिसकी दी हुई सामाजिक व्यवस्था ने किसी को कलम पकड़ाई तो किसी को झाड़ू थामने को मजबूर कर दिया. ऐसे कलम कसाई द्वारा लिखी गई मनुस्मृति को आग के हवाले करने में कैसी झिझक? कैसा डर?

तकदीर के तिराहे पर नवजोत सिंह सिद्धू : …क्योंकि राजनीति कोई चुटकला नहीं है

-निरंजन परिहार-

वे क्रिकेटर हैं। राजनेता हैं। कमेंटेंटर हैं। कवि हैं। समां बांधनेवाले वक्ता है। दिखने में सुदर्शन हैं। टीवी एंकर भी हैं। और कलाकार तो वे हैं ही। एक आदमी सिर्फ एक ही जनम में आखिर जो कुछ हो सकता है, नवजोत सिंह सिद्धू उससे कहीं ज्यादा हैं। उनको बहुत नजदीक से जानने वालों को यह कहने का हक है कि जीवन में वे अब अगर और कुछ भी नहीं कर पाए, तो भी उनका चुटीला कविताई अंदाज उन्हें बेराजगारी से तो बचा ही लेगा। लेकिन फिर भी पता नहीं सिद्धू के बारे में ऐसा क्यों लग रहा है कि भस्मासुर के कलयुगी अवतार में आने की वजह से वे जीते जी मोक्ष को प्राप्त होनेवाले हैं। पंद्रह साल के राजनीतिक जीवन में पहली बार नवजोत सिंह सिद्धू को राजनीति के मैदान में अपने खडे होने लायक जगह तलाशनी पड़ रही है।

मजीठिया मांगने वाले को फंसाने वाला दैनिक भास्कर का मैनेजर अपने ही बुने जाल में फंसने जा रहा!

खबर जालंधर से है. दैनिक भास्कर के मैनेजर को एक पत्रकार के लिए जाल बुनना महंगा पड़ने जा रहा है. यह खबर दूसरे अखबारों और अन्य मैनेजरों के लिए भी चेतावनी है कि वे मजीठिया वेज बोर्ड मांगने के लिए लड़ रहे साहसी मीडियाकर्मियों से टक्कर न लें वरना उन्हें एक न एक दिन ऐसे जाल में फंसना पड़ेगा जिससे वे निकल न सकेंगे और उनके अखबार मालिक भी उनकी कोई मदद न कर पाएंगे.

हे कमाल खान जी, संविधान में ‘दफा’ नहीं होती बल्कि अनुच्छेद यानि Article होता है

Chandan Srivastava : अभी कैंटीन में देखा एनडीटीवी चैनल पर आ रहा था कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राज्यपाल से मिलने पहुंचे जिसके बारे में विस्तृत जानकारी चैनल के पत्रकार कमाल खान लाइव दे रहे थे। उन्होंने बताया कि मिलने की वजह हाईकोर्ट का कल का आदेश हो सकता है जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में क्यों न “दफा 156” के तहत राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर दी जाए।

यूपी में डेंगू से मौत के मुद्दे को नवभारत टाइम्स ने लगातार छापा, नभाटा की पूरी टीम बधाई की पात्र

Dhananjay Singh : हाई कोर्ट ने यूपी के मुख्य सचिव से पूछा है क्यों न धारा 356 लगाकर सरकार बर्खास्त कर दी जाय? कारण परिवार का लफड़ा नहीं केवल लखनऊ में ही डेंगू से होने वाली मौतें, बाकी सूबा भी रामभरोसे! दो महीने से इस मुद्दे पर कोई सरकारी मीटिंग नहीं हुई, अधिकारिक रूप से सरकार राजधानी में 90 मौतें मान रही है और चर्चा के मुताबिक यह संख्या 500 हो सकती है. कोई ऐसा मोहल्ला नहीं होगा जहाँ डेंगू न फैला हो!

मुलायम कुनबे में झगड़े से जो बड़े खुलासे हुए, उसे आपको जरूर जानना चाहिए….

Nikhil Kumar Dubey : घर के झगड़े में जो बड़े ख़ुलासे हुए…

1: यादव सिंह घोटाले में रामगोपाल और अक्षय फँसे हैं, बक़ौल शिवपाल. 

2: अमर सिंह ने सेटिंग करके मुलायम को जेल जाने से बचाया था: ख़ुद मुलायम ने बताया.

3: शिवपाल रामगोपाल की लड़ाई में थानों के कुछ तबादले अखिलेश को जानबूझकर करने पड़े थे: ख़ुद अखिलेश ने कहा.

4: राम गोपाल नपुंसक है : अमर सिंह ने कहा.

5: प्रतीक काग़ज़ों में पिता का नाम एम एस यादव लिखते हैं लेकिन मुलायम के किसी हलफ़नामे में उनके दूसरे बेटे का नाम नहीं

6: प्रमुख सचिव बनने की योग्यता मुलायम के पैर पकड़ने से तय होती है : अखिलेश.

वाकई अखिलेश यादव का ‘काम बोलता है’? पढ़िए इसे और गिनिए, पचास सेकेंड हुए या नहीं!!

Chandan Srivastava : ‘काम बोलता है।’ इस शीर्षक से पचास सेकंड का विडियो आ रहा है जो अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल के कामों का गुणगान होगा। काम बोल रहा है। बाराबंकी से मां-बेटी का अपहरण हुआ। बीती रात को दोनों की लाश मिली है। बेटी की मेरे घर से थोड़ी दूर चिनहट इलाके में और मां की देवां इलाके में। दोनों के साथ बलात्कार किए जाने की भी बात आ रही है।

आजतक के युवा पत्रकार रजत सिंह की दिल्ली के एम्स ट्रामा सेंटर में मौत

आजतक न्यूज चैनल के पत्रकार रजत सिंह का दो दिन पहले एक्सीडेंट हो गया था. नोएडा के बॉटनिकल गार्डन के पास उनकी बाइक को डम्पर ने टक्कर मार दी थी. उनके सिर में गंभीर चोटें आई थी. उन्हें एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था.

पत्रकार Dhirendra Pundir ने रजत सिंह को याद करते हुए फेसबुक पर कुछ यूं लिखा है :

मजीठिया की जंग : झूठ लिख कर बुरा फंसा डीबी कॉर्प!

‘जिद करो दुनिया बदलो’ का नारा देने वाला डीबी कॉर्प अब ‘झूठ बोलो और बुरे फंसो’ के पैटर्न पर काम कर रहा है। मंगलवार को मुंबई के श्रम आयुक्त कार्यालय में डी बी कॉर्प की महिला रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया शेख के मजीठिया वेज बोर्ड बोर्ड मामले की सुनवाई थी। लतिका और आलिया ने मजीठिया वेजबोर्ड के तहत वेतन और एरियर न मिलने पर 17 (1) के तहत रिकवरी का क्लेम श्रम आयुक्त कार्यालय में किया था।

अभिषेक मानव जैसे मीडिया के प्रोफेशनल बेगर्स से आपका भी पाला पड़ा है क्या!

Yashwant Singh : एक रोज एक फोन आता है. खुद को अभिषेक मानव नामक पत्रकार बता रहा एक शख्स पहले तो मेरी और फिर भड़ास4मीडिया डॉट कॉम की तारीफों के पुल बांधता है. मैं सर सर कहते हुए उन्हें सुनता रहा और थैंक्यू थैंक्यू बोल उनकी हौसलाअफजाई करता रहा. तारीफ सुनना भला किसे अच्छा नहीं लगता. आखिर में वे बोले कि बड़ा मुश्किल में हूं. अभी के अभी चार हजार रुपये चाहिए, आपको अगले बीस दिन बाद जरूर से जरूर लौटा दूंगा. मैंने पूछा इतनी अर्जेंसी क्यों है और आपकी लोकेशन क्या है. वे बोले- दूध वाला खड़ा है, कई महीने से उधार है, बिना लिए जाने को तैयार नहीं है. कोई रास्ता नजर नहीं आया तो आपको फोन किया. उन्होंने अपनी लोकेशन के लिए लक्ष्मीनगर दिल्ली का नाम लिया.

”सबकी पाती” (सपा) के ‘पत्र’ काल के दौर में ”चोथा मुर्गा” यानी शार्ट कट बोले तो ‘सीएम’ का पत्र जनता के नाम

बेचारी जनता,

मेरे चरणों में आपका सादर प्रणाम, उम्‍मीद है कि आप सब लोग कुशलपूर्वक होंगे. ऐसा लिखना पड़ता है अन्‍यथा मुझे पूछने की जरूरत ही क्‍या थी? साढ़े चार साल कुछ नहीं पूछा. वैसे पत्र लिखने का दौर चल रहा है तो सोचा एक पत्र आपलोगों के नाम भी लिख दूं. खैर, विश्‍वास है कि फैमिली ड्रामा देखकर आपलोगों का टाइम मस्‍त गुजर रहा होगा. इधर थोड़ा रायता ज्‍यादा फैल गया है नहीं तो पिछले साढ़े चार साल में जिस तरीके से हमने परिवार के साथ मिलकर सरकार चलाई है, उसमें मुजफ्फरनगर से लगायत मथुरा-बनारस सब आपने महसूस ही किया होगा. कब्‍जा, वसूली से हमें फुरसत ही नहीं थी. हमने और हमारी फैमली ने साढ़े चार साल सरकार चलाई और सीबीआई की छोड़कर किसी की नहीं सुनी. कई मामलों में तो कोर्ट की भी नहीं. जनता का सुनने का तो सवाल ही कहां उठता है.

काटजू नैं, ईं हैं असली इलाहाबादी बकैत

बकैती की सबकी अपनी अलग-अलग परिभाएं हैं, लेकिन इलाहाबादी बकैती की बात ही निराली है। आपने अक्सर कई इलाहाबादी बकइतों के बारे में सुना भी होगा। दरअसल इलाहाबाद शहर अपनी बकइती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर रहा है। प्रो. एएन झा, भगवती चरण वर्मा, डॉ. हरिवंश राय बच्चन, फिराक़ गोरखपुरी, रवीन्द्र कालीया और दूधनाथ सिंह जैसे महान बकइत इलाहाबाद से निकले हैं।

यूपी में सत्ता के करीबी बड़े अफसरों में भी अंदरखाने शह-मात देने की खूब हो रही लड़ाई!

कल किसी वक्त चर्चा बहुत तेज छिड़ गई कि मुलायम सिंह यादव फिर से सीएम बनेंगे और सारे झगड़े को शांत कराएंगे तो देखते ही देखते यह खबर भी दौड़ने लगी कि मुलायम के सीएम बनने पर दीपक सिंघल तब मुख्य सचिव बनाए जाएंगे. इसके बाद तो कई बड़े अफसरों की हालत पतली होने लगी. दबंग और तेजतर्रार अफसर की छवि रखने वाले दीपक सिंघल की इमेज खराब करने के लिए कई अफसरों की टीम अलग अलग एंगल से सक्रिय हो गई.

मजीठिया की जंग : सुनवाई के लिए आज हम तीन पत्रकार पहुंचे तो उप श्रमायुक्त गोरखपुर गायब मिले

 

मेरी लड़ाई पत्रकारों या अखबारों से नहीं, कंपनियों की शोषक नीतियों से लड़ रहा हूं

मित्रों,

दस साल हो गए पत्रकारिता में। इस दरम्यान टीवी, रेडियो, कई दैनिक सांध्य अखबारों, दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान जैसे कार्पोरेट अखबारों, साप्ताहिक अखबारों, डिजीटल मीडिया और मैगजीन में सेवाएं दीं। स्वतंत्र पत्रकार के रूप में डिजीटल मीडिया व एक सांध्य दैनिक अखबार में लेखन और रेडियो पत्रकारिता अभी भी जारी है। एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं। मेरी लड़ाई न किसी अखबार से है और न ही किसी पत्रकार से। मैं उन कंपनियों से लड़ रहा हूं जो अखबारों में काम करने वाले पत्रकारों के साथ धोखा कर रही हैं। उनका आर्थिक, शारीरिक और मानसिक शोषण कर रही हैं। इस लड़ाई में शोषित सभी पत्रकार साथी मेरे साथ हैं। बस चंद ऐसे पत्रकार मेरे विरोधी हैं जो कंपनियों द्वारा गुमराह किये जा रहे हैं। ऐसे विरोधी साथियों के प्रति भी मेरी पूरी हमदर्दी है। भरोसा है कि एक न एक दिन वह भी मेरे साथ जरूर आएंगे।

‘दृष्टांत’ मैग्जीन में प्रकाशित हुई मुलायम खानदान की अकूत संपत्ति पर कवर स्टोरी

लखनऊ से अनूप गुप्ता के संपादकत्व में निकलने वाली चर्चित मैग्जीन दृष्टांत में जो कवर स्टोरी है, वह पठनीय तो है ही, आंख खोल देने वाली भी है. जिस अखिलेश यादव के ढेर सारे लोग प्रशंसक हैं और उनमें जाने कौन कौन से गुण देखते हैं, उसी के शासनकाल में जो लूटराज अबाध निर्बाध गति से चला है, वह हैरतअंगेज है. अब जबकि चुनाव में चार दिन शेष रह गए हैं तो सब के सब पवित्र और पुण्यात्मा बन सत्ता व संगठन के लिए मार कर रहे हैं ताकि जनता मूल मुद्दों से भटक कर इनमें उनमें नायकत्व तलाशे. नीचे पूरी कवर स्टोरी है ताकि आप सबकी समझदानी में लगा झाला खत्म हो सके.

-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया

राष्ट्रीय मीडिया के लिए झारखंड का जनाक्रोश खबर नहीं, मुलायम वंश का सत्ता संघर्ष खबर!

राष्ट्रीय मीडिया के लिए झारखंड का जनाक्रोश खबर नहीं, मुलायम वंश का सत्ता संघर्ष खबर… गोला में पुलिस फायरिंग, बड़कागांव गोलीकांड, भू-कानूनों में परिवर्तन के विरोध में होने वाला विरोध प्रदर्शन, मोराबादी का जन सैलाब, खूंटी गोली कांड, झारखंड बंद— यह सब राष्ट्रीय मीडिया के लिए खबर नहीं है. पिछले कई महीनों से मुलायम सिंह यादव का पारिवारिक कलह मीडिया की सुर्खी बना हुआ है.

मुलायम की हालत सांप छछूंदर वाली!

कहा जा रहा है कि बाप-बेटे की भावुक राजनीति सपा को बचा लेगी। वैसे यह भी सच है कि इन दिनों नेता जी मुलायम सिंह यादव की हालत साँप छछूंदर वाली हो गयी है। भाई का साथ देते है तो बेटा नाराज और बेटे के साथ जाते है तो भाई के साथ धोखा।  नेता जी ऐसा चाहते भी नहीं।  वे तो सबको लेकर चलना चाहते है और पार्टी को आगे ले जाने के लिए ही सब कुछ कर रहे है। लेकिन हो कुछ भी नहीं रहा है। नेता जी के लिए सब अपने ही है लेकिन सबको मुलायम सिंह की फ़िक्र नहीं है।  सपा के लिए नेता जी वट  वृक्ष की तरह है लेकिन इस वृक्ष की सभी टहनियां अलग होने पर आमदा है। लेकिन एक बात तय है की बाप बेटे की भावुक राजनीति सपा को बचा ले जायेगी। यही वजह है की सपा में संग्राम जारी होने के बावजूद अभी तक टूट की कहानी से सब बच रहे है। 

यादव कुल में लातम-जूतम : कहीं आईपीएस अमिताभ ठाकुर और पत्रकार यशवंत सिंह के श्रापों-आहों का असर तो नहीं!

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में भयंकर ड्रामा चरम पर है. सारे चेहरे बेनकाम हो रहे हैं, मुलायम सिंह यादव से लेकर रामगोपाल यादव तक और शिवपाल यादव से लेकर अखिलेश यादव तक. हर कोई स्वार्थ, लिप्सा और सत्ता की चाहत में किसी भी लेवल पर गिरने को तैयार है. जनता हक्की बक्की देख रही है. उधर, कुछ लोगों का कहना है कि आईपीएस अमिताभ ठाकुर व भड़ास फेम पत्रकार यशवंत सिंह जैसे बहादुर, ईमानदार और सरोकारी लोगों के साथ सपा की इस सरकार के राज में जो जो बुरा बर्ताव किया गया, उसकी आहों व बददुवाओं का असर है कि अखिलेश यादव राज बवंडर में है और यादव कुल के किसी भी व्यक्ति का जीवन शांत नहीं रह गया है.

‘साधना’ वालों के उत्पीड़न से परेशान ‘लोकायत’ के मालिक और संपादक एमके तिवारी की मौत

लोकायत मैग्जीन के मालिक और संपादक एमके तिवारी नहीं रहे. उनके निधन को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं. वे साधना चैनल वालों से न्यूज चैनल ठेके पर लेकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में संचालित करते थे. सूत्रों के मुताबिक साधना वालों ने अपने स्वभाव के अनुरूप एमके तिवारी को कई तरह से चीट किया. कहा तो यहां तक जा रहा है कि एमके तिवारी के साथ साधना वालों ने मारपीट तक की थी जिसके बाद तिवारी जी सदमें चले गए और उन्हें ब्रेन स्ट्रोक तक हुआ. इसी के महीने भर बाद उनका निधन हो गया. कुछ लोगों का यहां तक कहना है कि एमके तिवारी ने साधना वालों द्वारा किए गए उत्पीड़न के खिलाफ भोपाल के एक थाने में लिखित तहरीर भी दी थी.

Arguments in favour of 167 base and divisor

Dear Yashwantji,

I request you to consider publishing the following in bhadas4media.com . The main reason for writing this to you is to clarify on the issue as there is some confusion even among learned people as to which DA formula is correct – Gazette Notified 167 Base and Divisor formula or the INS dictated 189 Base and Divisor formula as it has put forth that it has changed the base and divisor to 189 because of change in the implementation date set by the Hon Supreme Court, viz, Nov 11, 2011.

यूएनआई की हालत बेहद खराब, यहां के मीडियाकर्मी अपने हुक्मरानों के आगे नहीं बोलते

यूएनआई, देश की एजेंसियों में बड़ा नाम लेकिन अंदरूनी हालात काफी बदतर। सैलरी में 19-20 महीने का बैक लॉग। इसके बावजूद न कोई शोर, न शराबा और न ही कोई विरोध। लोग यहां काम नहीं सेवा करते हैं। हां ये भी है कि अपने जुगाड सेट कर चुके लोगों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता लेकिन उनके साथ दूसरे लोग भी पिसते हैं जो सिर्फ एक ही सैलरी पर आश्रित हैं। कमाल तो ये है कि सिर्फ अंदर अंदर घुटते रहते हैं, हुक्मरानों के आगे कोई नहीं बोलता।

अरनब बोले- मुझे नहीं मिली कोई सुरक्षा और न ही सुरक्षा पाने के लिए इच्छुक हूं

वाई श्रेणी सुरक्षा मिलने की खबर का टाइम्स नाउ के प्रधान संपादक अरनब गोस्वामी ने खंडन किया है. उन्होंने कहा- मैं ऐसी खबरों को पढ़ सुन कर हैरान हूं. यह बेतुकी और हास्यास्पद खबर है कि मैं वाई कैटेगरी की सिक्योरिटी और 20 सुरक्षा गार्ड के साथ चलूंगा. मैं सच में हैरान हूं. मैंने न तो कोई सुरक्षा मांगी है और न ही सरकार ने दी है.

एचएमवीएल के एचआर हेड को उप श्रमायुक्त गोरखपुर ने जारी किया नोटिस

हिन्दुस्तान अखबार को चलाने वाली कंपनी हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड (एचएमवीएल) के एचआर हेड को उप श्रमायुक्त गोरखपुर ने नोटिस जारी किया है। नोटिस के जरिये कंपनी के प्रतिनिधि को बुलाया गया है ताकि कंपनी अपना पक्ष रख सके। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 7 फरवरी 2015 तक सभी अखबार चार किश्तों में मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर का पूर्ण भुगतान कर दें। नवम्बर की 11 तारीख और वर्ष 2011 से 10 जनवरी 2013 तक के मेरे एरियर का भुगतान कंपनी को 18 प्रतिशत कंपाउंड ब्याज के साथ मुझे बिना मांगे देना चाहिये था। मैंने बड़ी विनम्रता से माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समयावधि का इंतजार किया। जब एक पाई कंपनी ने नहीं भेजा तब कंपनी के एचआर हेड और समूह संपादक को पत्र भेजकर अपना एरियर मांगा। इस बेशर्म कंपनी ने जवाब तक नहीं दिया।

बैंकों से डॉटा चोरी की बात चार महीने तक क्यों दबी रही!

देश भर में 32 लाख से ज्यादा डेबिट कार्ड के डेटा चोरी होने का मामला, गुपचुप किया गया बड़ा सायबर हमला है। हालांकि सायबर सुरक्षा तंत्र के जानकार संख्या कहीं ज्यादा, 65 लाख बता रहे हैं। कुछ भी हो निश्चित रूप से हमारी सतर्कता और सुरक्षा दोनों के लिए बड़ी चुनौती है। देश के करोड़ों लोग जिस तरह,  बैंकों और उनके डिजिटल उत्पादों पर, आंख मूंदकर भरोसा कर रहे हैं, उनके लिए यह मामला निजी तौर पर न केवल चौंकाने वाला रहा बल्कि विश्वास टूटने जैसा है। जहां एक ओर एटीएम को सुरक्षित बताना, बचत खाते में पैसा रखने, प्रेरित किया  जाता है, वहीं यह धोखाधड़ी ‘डिजिटल इण्डिया’ की ओर बढ़ते भारत के लिए बड़े झटके से कम नहीं है। लेकिन इन सबके बीच जो बातें सामने हैं वो और भी चौंकाने वाली हैं तथा जिम्मेदार तंत्र अपने को पाक साफ बता, एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं।

कमाई करते मीडिया हाऊसेस, हिस्सा लेते हैं मार्केटिंग वाले और मुंह ताकते हैं एडीटोरियल वाले!

मीडिया सबकी सुनता आ रहा है लेकिन मीडिया वालों की सुनने वाला कोई नहीँ है। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारशें मानने की बात हो या फिर विशेष सप्लीमेंट्स के दौरान होने वाला पत्रकारों का शोषण हो- भुगतता एडीटोरियल ही है। इन दिनों फेस्टिवल सीजन चल रहा है। डबल एडीशन छप रहे हैं। यानी एडीटोरियल वाले डबल मेहनत कर रहे हैं। मीडिया हाऊसेस गाढ़ी कमाई कर रहे हैं। इसमें से मार्केटिंग वालों को तो इंसेंटिव के रूप में उनका हिस्सा मिल जाता है, लेकिन एडीटोरियल वाले मेहनत करने के बावजूद मुंह ताकते रह जाते हैं।

कल के हॉकर ही आज के टीवी ऐंकर हैं!

खबरिया चैनलों के ऐंकरों को मामूली से मामूली खबर पर गला फाड़-फाड़ कर चिल्लाते देखता-सुनता हूँ, तो बरबस चालीस साल पहले के एक न्यूजपेपर हॉकर की याद ताजा हो जाती है। वह अखबार लेकर गोरखपुर शहर की गलियों-मुहल्लों में साइकिल पर सवार होकर घूमता रहता था। ठीक आजकल के टीवी ऐंकरों की तरह किसी खबर का ऐसे बेहूदे ढंग से हल्ला मचाता था कि सुनने वाले को लगता था कि जरूर कहीं कोई अनर्थकारी घटना हो गयी है। कौतूहल और उत्सुकता के मारे लोग उसे रोकने थे और न चाहते हुए भी अखबार की एक प्रति खरीद लेते थे।

सिर्फ दो पत्रकार निकाल रहे हैं 12 पेज का हिंदी दैनिक ‘प्रातःकाल’!

मुम्बई में रहने वाले मारवाड़ी और राजस्थानी समाज के लोगों के मुखपत्र हिंदी दैनिक प्रातःकाल में सिर्फ 2 मीडियाकर्मी काम करते हैं! 12 पेज के इस अखबार में न तो मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू है और न ही इस अखबार का मालिक कभी श्रम विभाग को कोई दस्तावेज दे रहा है. यहां मणिसाना वेज बोर्ड भी नहीं लागू किया गया था. ये खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिये. मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकान्त सिंह ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश प्रातःकाल अखबार में लागू है या नहीं, इसकी जानकारी श्रम आयुक्त कार्यालय महाराष्ट्र से मांगी थी.

शादाब रिजवी, अमित त्रिपाठी और वासुदेव चौहान के बारे में सूचनाएं

30 साल लंबी पारी का अंत, शादाब रिजवी ने अमर उजाला से दिया इस्तीफा… अमर उजाला में 30 साल लंबी पारी खेलने के वरिष्ठ पत्रकार शादाब रिजवी ने आख़िरकार अमर उजाला से इस्तीफा दे दिया। शादाब रिजवी का हाल ही में बुलंदशहर से नई डेल्ही ट्रांसफर किया गया था। इस कारण वह नाराज चल रहे थे। शादाब रिजवी अब नई पारी नव भारत टाइम्स के साथ शुरू करेंगे। उन्हें वेस्ट यूपी प्रभारी की जिम्मेदारी दी गयी है.

जागरण न्यूज़ पेपर के MD आशुतोष मोहन की गन्दी बात सुनिए

मुझसे जुलाई 2015 में छतरपुर की जागरण रीवा ब्यूरोशिप और एजेंसी के नाम पर इंदौर रीवा जोन जागरण के एमडी आशुतोष मोहन ने HDFC का 25000 का चेक लिया था, जो कि 28-07-15 को क्लीयर भी हो गया। बाद में इन लोगों ने किसी तरह का कोई पेपर न भेजा और ना ही कोई खबरें प्रकाशित की। आज करीब एक साल बाद तक पैसा वापस करने की बात ये लोग कहते रहे लेकिन पैसे लौटाए नहीं।

जनसत्ता के पत्रकार जयनारायण प्रसाद को ब्रेन अटैक, नासिक में अपोलो अस्पताल में भर्ती

जयनारायण प्रसाद जी

मेरे मित्र जयनारायण प्रसाद नासिक में अपोलो अस्पताल में जीवन और मौत से जूझ रहे हैं। साथ में सिर्फ उनका भतीजा व भाई है। जयनारायण को भी बड़ा फक्र होता था कि उनके सैकड़ों आभाषी मित्र हैं। लेकिन मुश्किल की घड़ी में कोई नजर नहीं आ रहा है। जयनारायण प्रसाद के बारे में जानिए। कोलकाता इंडियन एक्सप्रेस के जनसत्ता हिंदी दैनिक में कार्यरत हैं। फिलहाल जीवन और मौत से जूझ रहे हैं। शिरडी घूमने गए थे। साथ में टूर पर जाने वाले ग्रुप के अलावा उनका भतीजा और भाई भी था।

एसिड वाली लड़की : इस किताब को जरूर पढ़ें

अक्सर मीडिया में किसी महिला पर एसिड फेंकने की खबरें आती रहती हैं. कुछ खबरें ब्रेकिंग न्यूज तक सिमट कर रह जाती है तो कभी बीच-बीच में उनके दर्द को दिखाया जाता है. पहली बार किसी पत्रकार ने न केवल एसिड पीड़ितों के दर्द को महसूस किया है बल्कि किसी सिरफिरे के कारण तबाह हुई इन लड़कियों के जीने की जद्दोजहद, इलाज के लिए दर-दर भटकने, असप्ताल और कोर्ट के चक्कर लगाने, घर-परिवार के बिखरने, आर्थिक रुप से बुरी तरह टूट जाने की व्यथा को किताब के जरिए समेटने की कोशिश की है. वरिष्ट पत्रकार प्रतिभा ज्योति की किताब ‘एसिड वाली लड़की’ में पहली बार एसिड हमले के पीछे के मनोवैज्ञानिक पहलूओं से लेकर एसिड पीड़ित लड़कियों के प्रति समाज और सिस्टम के रवैए की गहराई से पड़ताल की गई है.  

मजीठिया वेज बोर्ड मामला : आरसी कटने के बाद मालिकों का बैँक खाता सील कराएं

देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए श्रम आयुक्त कार्यालयों ने रिकवरी के लिए आरसी काटने का काम शुरू कर दिया है। जिन मीडिया कर्मियों के पक्ष में फैसला आया है, उनका सवाल है कि वे आरसी कटने के बाद क्या करें। इस पर मजीठिया वेज बोर्ड मामले में पत्रकारों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा ने काफी महत्वपूर्ण सलाह दी है।

एक दलित शिक्षिका का सुलगता सवाल : क्या हम अपनी बेटियों के साथ बलात्कार होने का इन्तजार करें?

यह जलता हुआ सवाल राजस्थान के पाली जिले की एक दलित शिक्षिका का है, जो कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय सोजत सिटी की संस्था प्रधान है .शोभा चौहान नामकी यह सरकारी अध्यापिका  एक बहादुर सैनिक की बेटी है और बाबा साहब से प्रेरणा लेकर न्याय के लिए अनवरत लड़ने वाली भीमपुत्री है .उनके विद्यालय में पढने वाली चार दलित नाबालिग लड़कियों ने उन्हें 15 मार्च की शाम 8 बजे बताया कि उनके साथ परीक्षा के दौरान 12 और 14 मार्च 2016 को परीक्षक छैलसिंह चारण ने परीक्षा देते वक़्त अश्लील हरकतें की. छात्राओं के मुताबिक– शिक्षक छैलसिंह ने उनमें से प्रत्येक के साथ पेपर देने के बहाने या हस्ताक्षर करने के नाम पर अश्लील और यौन उत्पीड़न करने वाली घटनाएँ की.

वरुण गांधी की वह फोटो हमारे पास भी है, लेकिन सार्वजनिक नहीं करूँगा

Sanjaya Kumar Singh : मीडिया में संघ की घुसपैठ और उसका असर… मीडिया में अपनी घुसपैठ संघ ने बहुत पहले शुरू कर दी थी। जो मीडिया संस्थान चला सकते हैं उन्हें भी प्रोत्साहन और शाखा जाने वाले जो अखबारों में नौकरी करना चाहें उन्हें भी सहारा। कई लोग हैं, जाने-पहचाने चिन्हित। अब तो संघी पत्रकारों की दूसरी पीढ़ी भी सक्रिय है। हालांकि, संघ इसमें अकेला नहीं है पर उसका काम ज्यादा असरदार, योजनाबद्ध, सफाई से होता रहा है और इसके कई उदाहरण हैं। अब तो दिखाई देने लगा है। इतना खुल्लम खुल्ला कि आंखें चौंधिया जाएं। पर युद्ध और प्रेम में सब जायज है। सत्ता हथियाने और उसे बनाए रखने के लिए आप चुनाव न लड़ें “युद्ध” करें और चुनाव लड़ने के लिए सेना और सैनिक कार्रवाई को भुनाएं तो चुनाव लड़ने और युद्ध लड़ने का अंतर मिट जाता है।

हमारे यहां सिरिल अलमिडा और आयशा सिद्दीका जैसे निर्भीक पाकिस्तानी पत्रकार नहीं हैं : शेखर गुप्ता

पाकिस्तानी पत्रकार और टिप्पणीकार प्राय: कहते हैं कि जब विदेश और सैन्य नीतियों की बात आती है तो भारतीय मीडिया उनके मीडिया की तुलना में सत्ता के सुर में अधिक सुर मिलाता है। कड़वा सच तो यह है कि कुछ पाकिस्तानी पत्रकार (ज्यादातर अंगरेज़ी के) साहसपूर्वक सत्ता प्रतिष्ठानों की नीतियों व दावों पर सवाल उठाते रहे हैं। इनमें कश्मीर नीति में खामी बताना तथा अातंकी गुटों को बढ़ावा देने जैसे मुद्‌दे शामिल हैं। इसके कारण कुछ को निर्वासित होना पड़ा (रज़ा रूमी, हुसैन हक्कानी) या जेल जाना पड़ा (नजम सेठी)।

मजीठिया वेज बोर्ड : भास्कर सहित महाराष्ट्र के 85 अखबार मालिकों को शो कॉज नोटिस जारी

पत्रकारों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त विभाग ने दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डी बी कॉर्प सहित कुल 85 अखबारों के मालिकों को शो कॉज नोटिस भेजा है। इन अखबार मालिकों में कोंकण (मुम्बई), नासिक, औरंगाबाद, नागपुर और पुणे से प्रकाशित अखबारों के मालिक शामिल हैं। इन अखबार मालिकों में सबसे ज्यादा 26 अखबार कोंकण (मुम्बई) के हैं जबकि पुणे के 13, नागपुर के 14, नासिक के 10 और औरँगबाद के 22 अखबार शामिल हैं।

सेबी ने महाराष्ट्र सरकार को सहारा क्यू शॉप पर कार्यवाही को कहा

भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने सहारा क्यू शॉप यूनिक प्रोडक्ट्स रेंज लिमिटेड द्वारा सहारा क्यू शॉप बांड जारी करने का मामला महाराष्ट्र सरकार को महाराष्ट्र निवेशक हित की प्रतिरक्षा अधिनयम 1999, प्राइज चिट तथा मनी सर्कुलेशन निषेध अधनियम 1978 तथा आईपीसी के अंतर्गत समुचित कार्यवाही करने हेतु संदर्भित किया है. सेबी ने आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर द्वारा सहारा क्यू शॉप बॉण्ड के सम्बन्ध में दायर याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के 11 फ़रवरी 2015 के आदेशों के पालन में यह कार्यवाही की.

‘इंडिया न्यूज’ चैनल में दीपक चौरसिया के अधिकारों पर कई तरह की पाबंदी

एक बड़ी सूचना ‘इंडिया न्यूज’ चैनल से आ रही है. सूत्रों का कहना है कि एडिटर इन चीफ दीपक चौरसिया के अधिकारों पर प्रबंधन ने भरपूर कैंची चला दी है. बताया जा रहा है कि दीपक चौरसिया अब न किसी को भर्ती कर सकेंगे और न ही किसी को चैनल से निकाल सकेंगे. इस बाबत प्रबंधन की तरफ से कुछ मेल जारी कर दिए गए हैं. सूत्रों का कहना है कि पहले अपने मित्र संजय सूद, फिर निधि कौशिक को चैनल से निकाले जाने के बाद दीपक चौरसिया कोप भवन में चले गए हैं.

यूपी में जंगलराज : …उस ग़रीब की किस्मत पर अगले दिन थानेदार ने ‘अपहरणकर्ता’ लिख दिया!

Sheetal P Singh : यह एक सौ प्रतिशत सच्ची कथा है… सत्ताइस बरस के दलित / पिछड़े शासन के बावजूद किसी दलित / पिछड़े की यूपी में कितनी सुनवाई है, इसका अंदाजा लगा सकते हैं…उ०प्र० के अवध क्षेत्र के एक गाँव में एक मल्लाह परिवार एक ठाकुर साहब की जायदाद पर (जंगल और नदी का तट) हाड़तोड़ मेहनत से कुछ बँटाई की खेती और कुछ जंगली उत्पाद (जलाऊ लकड़ी) आदि के संयोजन पर जीवित है। पति पत्नी और कुछ बच्चे!

‘मंतव्य’ मैग्जीन के बाद हरे प्रकाश उपाध्याय ने शुरू किया ‘मंतव्य प्रकाशन’, राजेश्वर वशिष्ठ बने संपादक

Hareprakash Upadhyay : बहुत सारे मित्रों और शुभचिंतकों का यह काफी समय से निरंतर दबाव और आग्रह है कि मंतव्य अपनी रचनात्मक गतिविधियों का विस्तार करे। ‘मंतव्य’ की अपनी एक सीमा है, यह एक अनियतकालीन पत्रिका है और इसका एक निश्चित फार्मेट है, जिसके कारण बहुत सारे लेखकों को हम चाहते हुए भी अवसर या मंच उपलब्ध नहीं करा पाते, जबकि इधर हिन्दी में प्रतिभाशाली नवलेखन का विस्फोट दिखाई पड़ रहा है, रचनात्मक आयाम की दिशाएं निरंतर बढ़ रही हैं, इन सबकी जरूरत को परखते हुए और मित्रों के आग्रहों का मान रखते हुए ‘मंतव्य’ ने पुस्तक प्रकाशन की दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिसके तहत हम नवलेखन को भरपूर प्रोत्साहन देंगे।

कई मर्दों से संबंध रखने वाली ये महिला भी करवा चौथ व्रत कर रही है!

Balendu Swami : मैं करवा चौथ रखने वाली अपने आस-पास की कुछ महिलाओं को व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ: 1) एक महिला, जो 15 साल से विवाहित है और रोज आदमी से लड़ाई होती है, सभी जानते हैं कि इनका वैवाहिक जीवन नरक है। 2) एक और महिला, जिसकी महीने में 20 दिन पति से बोलचाल बंद रहती है और वह उसे छिपाती भी नहीं है तथा अकसर अपनी जिन्दगी का रोना रोती रहती है।

जिन लोगों ने ABVP के खिलाफ ज्ञापन दिया, जागरण ने उन्हीं को बता दिया अभाविप कार्यकर्ता!

जागरण वाले ये क्या छाप देते हैं… देखिए एक ब्लंडर : बदायूं में कल जिस अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के विरोध में वकीलों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन दिया था, आज दैनिक जागरण अख़बार ने उसी ABVP का वकीलों को कार्यकर्ता बता कर खबर छाप दिया. सुबह दैनिक जागरण अखबार देखकर वकील सकते में आ गए. एबीवीपी के खिलाफ ज्ञापन दिया था और उन्हें ही बता दिया गया एबीवीपी कार्यकर्ता. इस ब्लंडर को लेकर दैनिक जागरण के पाठकों में भारी रोष है. वकीलों ने माफीनामा न छापने पर अखबार के बहिष्कार की धमकी दी है.

श्रम आयुक्त को पत्र : सीएमडी, एमडी और डायरेक्टर के हस्ताक्षर वाले एफिडेविड ही करें स्वीकार

देश भर के मीडिया कर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मजीठिया संघर्ष मंच ने महाराष्ट के श्रम आयुक्त को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि अखबार मालिकों की साजिश रोकने के लिये मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू किये जाने के बारे में आपके विभाग द्वारा मंगाये जा रहे एफिडेविड पर कंपनी के सीएमडी, एमडी, डायरेक्टर या पार्टनर का ही हस्ताक्षर होना मान्य किया जाये।

शोषण से त्रस्त सिक्योरिटी गार्डों ने दैनिक जागरण इलाहाबाद को दिया जोरदार सबक

दुनिया भर के लोगों की लड़ाई लड़ने वाले मीडियाकर्मी अपने हक-अधिकार के नाम पर सोए लगते हैं लेकिन कम पढ़े लिखे उन्हीं के आफिस के सिक्योरिटी गार्ड अपने अधिकार को लेकर गजब के सतर्क निकले. इलाहाबाद से खबर है कि दैनिक जागरण प्रबंधन के शोषण से त्रस्त सिक्योरिटी गार्डों ने सेलरी मिलने के बाद अचानक ही आफिस को उसके हाल पर छोड़कर गायब हो गए. कई घंटे बीत जाने के बाद आफिस के लोगों ने गौर किया तो उन्हें समझ में आया कि सिक्योरिटी गार्ड तो गायब हो चुके हैं.

विश्वेश्वर कुमार ने क्राइम बीट इंचार्ज अभिषेक त्रिपाठी की ली बलि

वाराणसी : अब बनारस में दिखा मजीठिया बाबा का प्रकोप। मजीठिया वेज बोर्ड का जिन्न समाचारपत्र कर्मचारियों की बलि लगातार ले रहा है। केंद्र व राज्य सरकारों को अपने ठेंगे पर नचा रहे अखबार मालिकों के सम्मुख सुप्रीम कोर्ट से क्या राहत मिलेगी, यह तो कोई नहीं जानता। लेकिन यह राहत कब मिलेगी और तब तक लोकत्रंत का तथाकथित चौथा पाया किस कदर टूट चुका होगा, इसका अहसास होने लगा है।

तनख्वाह आधी किए जाने का फरमान सुनते ही संपादक आशीष बागची बोले- अब नौकरी छोड़ दूंगा!

वाराणसी : जनसंदेश टाइम्स वाराणसी लगातार खोखला हो रहा है और जो संकेत मिल रहे हैं, ज्यादा दिन दूर नहीं जब इस अखबार की सिर्फ फाइल कापी ही छपेगी। छह फरवरी, 2012 को वाराणसी से इस अखबार का प्रकाशन शुरू होने के बाद स्थानीय संपादक के रूप में कार्यभार संभालने वाले इस शहर के ख्यातिनाम पत्रकार आशीष बागची को वैसे तो लगभग साढ़े चार वर्षों में यहां कई बार अपमान के घूंट पीने पड़े, लेकिन 18 अक्टूबर की शाम तो हद हो गयी, जब आफिस पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि उनकी तनख्वाह आधी कर दी गयी है। बस उनका मिजाज एकदम से उखड़ा और उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया कि वह नौकरी छोड़ रहे हैं।

मजीठिया मांगने पर हिंदुस्तान प्रबंधन ने अपने चार कर्मियों को नौकरी से निकाला

संजय दुबे ने कानपुर के उप श्रमायुक्त को पत्र लिखकर अपने और अपने साथियों के साथ हुए अन्याय के बारे में विस्तार से बताया है. मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन और एरियर मांगने पर संजय दुबे, नवीन कुमार, अंजनी प्रसाद और नारस नाथ साह को पहले तो आफिस में घुसने पर रोक लगा दी गई. उसके बाद इन्हें टर्मिनेट कर दिया गया. हिंदुस्तान प्रबंधन के खिलाफ ये चारों कर्मी हर स्तर पर लड़ रहे हैं लेकिन इन्हें अब तक न्याय नहीं मिला है.

रेल में हवाई यात्रा के सुख बनाम भारतीय रेल

कल 08792 निजामुद्दीन-दुर्ग एसी सुपरफास्ट स्पेशल से वास्ता पड़ा। निजामुद्दीन से चलने का ट्रेन का निश्चित समय सवेरे 830 बजे है सुबह सात बजे नेशनल ट्रेन एनक्वायरी सिस्टम पर चेक किया तो पता चला ट्रेन राइट टाइम जाएगी। यहीं से चलती है इसलिए कोई बड़ी बात नहीं थी। स्टेशन पहुंचा तो बताया गया प्लैटफॉर्म नंबर चार से जाएगी। प्लैटफॉर्म पर पहुंच गया तो घोषणा हुई (संयोग से सुनाई पड़ गया वरना देश भर में कई स्टैशनों के कई प्लैटफॉर्म पर घोषणा सुनाई नहीं पड़ती है और हम कुछ कर नहीं सकते) कि ट्रेन एक घंटे लेट है। परेशान होने के सिवा कुछ कर नहीं सकता था।

बेवकूफ औरत (देखें वीडियो)

भारत में बेवकूफों की कमी नहीं है. खासकर औरतों की. ऐसी ही एक बेवकूफ औरत ने आगर में पुलिस वालों के पास जाकर अपने प्रेमी से मिलवा देने की गुहार लगाई ताकि प्रेमी को देखकर वह करवा चौथ का व्रत तोड़ सके. हाथों में मेहँदी और मांग में सिन्दूर लगाये एक महिला कल पुलिस अधिकारियों की चौखट पर माथा रगड़ती नजर आई. महिला रो रो कर अधिकारियों से पति से मिलाकर करवाचौथ का व्रत पूरा करवाने की गुहार लगा रही थी.मूल रूप से मोदीनगर गाजियाबाद की रहने वाली कामना (बदला हुआ नाम) के पति की मौत २०१४ में हो गयी थी. इसके बाद कामना गाजियाबाद में एक इन्वर्टर कम्पनी में नौकरी करने लगी.

मजीठिया : हिंदुस्‍तान, अमर उजाला, पंजाब केसरी के साथियों, इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा

मजीठिया की लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है, उसके बावजूद अपने जायज हक के लिए आवाज न उठाने के लिए पत्रकारिता के इतिहास में हिंदुस्‍तान, अमर उजाला, पंजाब केसरी जैसे अखबारों में कार्यरत साथियों का नाम काले अक्षरों में लिखा जाएगा। यह बहुत ही शर्म की बात है कि अंदर कार्यरत साथियों को तो छोड़ों, जो रिटायर या नौकरी बदल चुके हैं उन्‍होंने भी अभी तक रिकवरी का क्‍लेम नहीं लगाया है।

यूपी में जंगलराज : सिपाहियों ने संपादक के मुंह में जबरन डाली शराब, जमकर की पिटाई

उत्तर प्रदेश में जंगलराज चरम पर है. समाजवादी पार्टी के नेताओं में आपसी घमासान का पूरा फायदा पुलिस और प्रशासनिक अफसर उठा रहे हैं. अखिलेश यादव की अनुभवहीनता और अहंकार पूरे प्रदेश को अंधेरे की तरफ ढकेल रही है. कोई किसी की सुनने वाला नहीं है. यूपी के एटा में एक ऐसी घटना हुई है जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. यह एक संपादक के साथ हुआ. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि आम आदमी का क्या हाल होगा. एटा में पुलिस वालों ने एक स्थानीय अखबार के संपादक पर बर्बर जुल्म ढाया.

टीआरपी वालों ने एनडीटीवी को टॉप 10 से बाहर कर दिया!

41वें हफ्ते की टीआरपी में एनडीटीवी टॉप टेन हिंदी न्यूज चैनल्स की लिस्ट से बाहर हो गया है. उससे ज्यादा टीआरपी डीडी न्यूज और तेज नामक चैनलों की दर्शाई गई है. बार्क के टीआरपी आंकड़े बताते हैं कि एनडीटीवी किसी लायक चैनल नहीं है. लेकिन इसके उलट हकीकत में एनडीटीवी देश के बहुत बड़े तबके का पसंदीदा न्यूज चैनल है. हालांकि ये भी सच है कि एनडीटीवी के लोग टीआरपी के लिए कार्यक्रम नहीं बनाते. वह अपने कार्यक्रम संपादकीय समझ और जन सरोकार को ध्यान में रखकर दिखाते हैं. जबकि दूसरे न्यूज चैनल्स की प्रियारिटी किसी तरह टीआरपी रेस में आने की होती है जिसके लिए वह किसी भी किस्म का न्यूज / नान न्यूज परोसने के लिए तत्पर रहते हैं.

सड़क दुर्घटना में घायल पत्रकार शुभम की आर्थिक तंगी झेलते हुए हुई मौत

बरेली में एक पत्रकार आर्थिक तंगी झेलते हुए मौत का शिकार हो गया. आज सुबह शिवम ने अपने घर में अंतिम साँस ली. शुभम करीब तीन महीने पहले एक एक्सीडेंट में घायल हो गए थे. शुभम को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण जल्द ही अस्पताल से डिस्चार्ज करा लिया गया था.  मीडिया से जुड़े तमाम मित्रों ने प्रशासन से शुभम के इलाज के लिए सहयोग मांगा लेकिन दुर्भाग्य यह रहा कि हर जगह से निराशा ही मिली.

सरकारी विज्ञापनों के नाम पर जनता के पैसे की बर्बादी

सरकारें अपनी छवि चमकाने में जनता के पैसों को विज्ञापनों पर बर्बाद करती हुईं दिख रही हैं… सरकारें केद्र या राज्य में किसी भी दल की हो, सरकारी योजना और प्रचार के नाम पर जनता का धन बर्बाद करने में कोई भी दल पीछे नहीं… मीडिया के विभिन्न माध्यमों को सरकार की ओर से ऐसे विज्ञापन दिए जाते हैं जिनका असली मकसद सरकारी योजनाओं कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाना है परन्तु सरकारो का अब असली मकसद इन अपनी कल्याणकारी नीतियों को जनता तक पहुंचाना नहीं बल्कि अपनी पार्टी और अपने पार्टी के नेताओं का महिमामंडन करना होता है… ये पैसा जनता से टैक्स लगाकर जुटाया जाता है…

सानिया मिर्ज़ा का बिहारी कनेक्शन : तीन-तीन गाने बन गए….

लाखों करोड़ों युवा दिलों की धड़कन टेनिस सनसनी सानिया मिर्ज़ा का बिहार के साथ क्या नाता है इससे आप अभी तक अनजान हैं तो खोजी पत्रकार अनूप नारायण सिंह आप को बता रहे हैं कि हैदराबाद में जन्मी और पाकिस्तानी क्रिकेटर सोइब मालिक से ब्याही सानिया का बिहार से जुड़ाव है….

पूरी दुनिया में अपने खेल और बेपनाह हुश्न के कारण चर्चा के केंद्र बिंदु में रहने वाली सानिया मिर्ज़ा का बिहार से एक अनूठा जुड़ाव है जिसे आप आज तक नही जानते थे. उसे आज हम आपको बता रहे है. वैसे तो ना ही सानिया और ना ही उसके परिजन कभी बिहार आये है और ना ही उनका कोई दूर दूर का रिश्तेदार ही बिहार में रहता है. बावजूद इसके बिहार में किसी भी फ़िल्मी या राजनैतिक हस्ती से ज्यादा लोग सानिया मिर्ज़ा को जानते है और उनकी नजर में वह सबसे बड़ी स्टार हैं.

राम के नाम पर सपा और भाजपा मिलकर विधानसभा चुनाव को नर्म बनाम उग्र हिंदुत्व के बीच केंद्रित करना चाहती हैं

लखनऊ 19 अक्टूबर 2016। मोदी सरकार द्वारा अयोध्या में रामायन म्यूजियम बनाने की घोषणा के साथ ही अखिलेश सरकार द्वारा भी अयोध्या में अन्र्तराष्ट्रीय रामलीला थीम पार्क बनाने की घोषणा को रिहाई मंच ने सपा सरकार की नर्म हिन्दुत्वादी राजनीति बताया है। मंच ने आरोप लगाया कि सपा-भाजपा गठजोड़ 2017 के चुनाव को नर्म और कट्टर हिन्दुत्व के बीच केन्द्रित रखना चाहती हैं ताकि संघ का भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का एजेंडा पूरा हो सके।

मजीठिया वेतनमान : पहली बार शीर्ष कोर्ट को असहाय देखा

किताबों में लिखे कानून पढ़कर सुप्रीम कोर्ट की मैं बहुत इज्जत करता था लेकिन सम्मान तब कम हुआ जब मजीठिया वेतनमान की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट के जज दो साल लगा दिए फिर भी पत्रकारों को अपेक्षित न्याय नहीं दिला पाए। जबकि आम नागरिकों के मन में भय है कि यदि कोर्ट की अवमानना किए तो जेल ही होगी। वहीं अवमानना अधिनियम में भी लिखा है यदि कारपोरेट घराने न्यायालय की अवमानना करते हैं तो मालिक व संस्थान प्रमुखों को सीधे जेल होगी। मजीठिया वेतनमान की मांग को लेकर लगे कंन्टेप्ट पीटीशन (सिविल) में आज तक पत्रकारों को सही न्याय नहीं मिला।

बायकाट से चिढ़े चीन के सरकारी अखबार ने लिखा- ”भ्रष्टाचारियों का देश भारत केवल भौंकना जानता है”

भारत में सोशल मीडिया पर चीन के सामान के बहिष्कार की मुहिम का असर पड़ता देख चीन बौखला गया है. वहां की सरकारी मीडिया ने भारत पर अपना शनाप आरोप लगाना शुरू कर दिया है. भारत में सोशल मीडिया पर की जा रही चीनी सामान के बहिष्कार की अपील पर चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आर्टिकल में लिखा गया है कि भारत के प्रॉडक्ट किसी भी मामले में चीनी प्रॉडक्ट्स का मुकाबला नहीं कर सकते. भारत केवल ‘भौंक’ सकता है और दोनों देशों के बढ़ते व्यापार घाटे पर कुछ नहीं कर सकता.

चेहरा चमकाने के लिए लाइक्स पाने का चक्कर : केजरीवाल जनता के लाखों रुपये रोजाना देते हैं गूगल और फेसबुक को!

प्रशांत भूषण ने खोली पोल…. दिल्ली सरकार ने टॉक टू एके नामक जो प्रोग्राम कराया, उसके लिए सोशल मीडिया पर पूरे 1.58 करोड़ रुपये लुटाए. ये पैसे आम आदमी पार्टी के नहीं बल्कि जनता के थे. केजरीवाल सोशल मीडिया पर लाइक्स खरीदने के लिए हर दिन 10-10 लाख रुपये गूगल और फेसबुक आदि को दिए. इसी तरह केजरीवाल ने ताज पैलेस होटल से 12 हजार रुपये प्रति थाली के हिसाब से सैकड़ों थाली खरीद कर अपने नेताओं कार्यकर्ताओं को दिल्ली सरकार के दो साल पूरे होने पर पार्टी दी थी. यहां भी जो पैसा खर्च हुआ वह जनता का था, आम आदमी पार्टी का नहीं.

हिन्दुस्तान धनबाद की हालत बेहद खराब

हिन्दुस्तान के धनबाद एडिशन की नैया डगमगा रही है. अनुभवहीन लोगों के हाथों एडिटोरियल की कमान देने का नतीजा है कि इसकी प्रसार संख्या लगातार गिरती जा रही है. न्यूज़ में पक्षपात, कंटेंट के साथ छेड़छाड़ और नाना प्रकार के माफियाओं के साथ गठजोड़ के लक्षण सीधे-सीधे अखबार में छपे समाचारों में दिख जा रहे हैं. एक दौर था जब ज्ञानवर्धन मिश्र की एडिटोरियल और आशीष सिंह के मैनेजमेंट की कप्तानी में एक साल में ही अखबार की प्रसार संख्या 35 हजार से छलांग लगा कर 60 हजार पहुँच गयी थी. रेवेन्यू के मामले में तीन जिला को कवर करने वाले इस यूनिट ने नौ जिला के एरिया वाली रांची जैसी बड़ी यूनिट को भी पछाड़ दिया दिया था.

माखनलाल पत्रकारिता विवि के पूर्व विद्यार्थियों का डेटाबेस तैयार होगा

भोपाल, अक्टूबर 18 । देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में कार्यरत माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थियों के लिए दिल्ली में भी पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन (Alumni Meet) आयोजित की जायेगी। विश्वविद्यालय वर्ष 1991 से लेकर 2016 तक के पूर्व विद्यार्थियों का डेटाबेस भी तैयार कर रहा है। विश्वविद्यालय रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में दिल्ली में भी पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन आयोजित कर रहा है। हाल ही में विश्वविद्यालय में भोपाल में सफलतापूर्वक पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन आयोजित किया। जिसमें देशभर के विभिन्न हिस्सों से आये पूर्व विद्यार्थियों ने जोर-शोर से भाग लिया।

केरल में सिर्फ ईसाई शराब पी सकता है, बेच सकता है, हिन्दू नहीं!

Shameer Aameen Sheikh : यदि आपको लगता है कि भारत में सिर्फ एक ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ है तो आप बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं। आइये जानते हैं भारत के कुछ अन्य पर्सनल लॉ के बारे में। इनको पढ़कर आप समझ जायेंगे कि भारत जैसे ‘अनेकता में एकता’ वाले देश में ‘कॉमन सिविल कोड’ अगले ढाई साल तो क्या ढाई सौ साल तक लागू नहीं हो सकता, यह सिर्फ राजनीतिक उछल-कूद है और कुछ भी नहीं –

Launch of the AdhaFULL Campaign by UNICEF and BBC Media Action India

New Delhi, 18th October, 2016 –UNICEF India and BBC Media Action India today launched a‘coming of age’ action drama series for social change,AdhaFULL. The launch was graced by Dr. A Surya Prakash, Hon’ble Chairman, PrasarBharati, Mr. Louis-Georges Arsenault, UNICEF India Representative, Ms Supriya Sahu, Director General Doordarshan, Ms. Priyanka Dutt, Country Director, BBC Media Action, officials from the Government of India, senior members from the media,civil society partners and adolescents themselves.

Sunil Arora, Advisor, Prasar Bharati reviews DD National

Sunil Arora, Advisor, Prasar Bharati today held a meeting with the senior officials of Doordarshan. Ms. Supriya Sahu, Director General, Doordarshan along with ADGs and other officials of Doordarshan were present in the meeting. Sh. Arora undertook a comprehensive review of DD National. He reviewed the content mix, methodology of audience research and slotting process of the programmes and advised DD officials to follow the best practices from the industry. He also reviewed the marketing strategies and efforts being made to augment revenues for Doordarshan. He emphasised that DD should leverage the flagship schemes of the Govt. to showcase the developmental initiatives of the Govt.

केदारधाम के आस पास नरकंकाल का मिलना हरीश रावत के मुंह पर कालिख

बड़े दुःख और शर्म की बात है कि एक तरफ तो उत्तराखंड की मौजूदा सरकार और उसके मुखिया 2013 की केदार घाटी आपदा से बाखूबी निपटने के बड़े बड़े दावे करते नहीं अघाते वहीँ दूसरी तरफ तीन वर्ष पूर्व घटी सदी की सबसे भयानक त्रासदी के बाद राज्य सरकार और उसके भ्रष्ट बड़बोले अधिकारियों और नेताओं के अपनी पीठ ठोकने वाले तमाम दावों के बावजूद केदारनाथ के रास्तों में इस दर्दनाक हादसे में मौत को गले लगा चुके दुर्भाग्यजनक यात्रियों और क्षेत्रीय लोगों के करीब बासठ नरकंकाल मिले हैं जो सीधे सीधे उत्तराखंड के मौजूदा हुक्मरानों की झूट और काली करतूतों की पोल खोलता है.

जिलाधिकारी ने लाठी चार्ज के दौरान पत्रकार का मोबाईल छीना, बोले- मीडियाकर्मी कराते है दंगा!

गोण्डा । क्या जिलाधिकारी को यह हक है कि वह लाठी चार्ज के दौरान घटना स्थल पर कवरेज कर रहे मीडिया कर्मी का मोबाईल छीन लें? प्रतिमा विर्सजन के दौरान हुए बवाल के दौरान घटना स्थल पर कवरेज करने गये गोण्डा लाइव न्यूज मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रकाश श्रीवास्तव का मोबाईल डीएम आशुतोष निरंजन ने छीन लिया। बाद में साथी अधिकारियो के यह कहने पर कि कवरेज कर रहा व्यक्ति मीडिया कर्मी है तब वह झल्ला गये और पत्रकार का मोबाईल सड़क पर फेक दिया।

एक करोड़ आदिवासी करेंगे संसद का घेराव

नई दिल्ली। संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूचि के अब तक अनुपालन न होने के कारण आदिवासी समुदाय क्षुब्ध है। अब एक करोड़ से अधिक की संख्या में आदिवासी संसद घेरने की तैयारी में हैं। 16 अक्टूबर 2016 को दिल्ली के झंडेवालान स्थित अंबेडकर भवन में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, ओड़िशा, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम समेत देश के विभिन्न राज्यों से “जय आदिवासी युवा शक्ति” (जयस) के बैनर तले आयोजित “मिशन 2018” बैठक में जुटे आदिवासी प्रतिनिधियों ने सरकार के रवैया के प्रति घोर असंतुष्टि जताई।

देखे खट्टर तेरे ठाठ : पार्टी वर्कर और जनता त्रस्त… नेता, अफसर और मंत्री मस्त…

पवन कुमार बंसल, नयी दिल्ली

मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बने दो साल हो गए. प्रदेश में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत लेकर सरकार बनी है. लंबे अरसे से नेताओं की सभाओं में दरी बिछाने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि अब उनकी सरकार में सुनवाई होगी. उन्हें मान सम्मान मिलेगा और काम भी होंगे. लेकिन इस समय पार्टी का वर्कर मुख्यमंती को लेकर काफी परेशान और दुखी है. मुख्यमंत्री अफसरशाही के चुंगल में फंसे हैं और आम जनता से तो दूर की बात, अपने कार्यकर्तओं से भी कट गए हैं.

कई चैनलों के स्ट्रिंगर के घर नही जलेंगे दीपावली पर चूल्हे!

मीडिया की रीढ़ कहे जाने वाले स्ट्रिंगरों के घर दीपावली का जश्न फीका होने की आशंका है। मिली जानकारी अनुसार कई चैनल पहले से ही घाटे में हैं। उनके पास स्ट्रिंगर्स को देने लिए आश्वासन  के सिवाय कुछ नहीं है। इसमें कुछ चैनल ऐसे हैं जो मीडिया इंडस्ट्री में कई सालों से स्थापित है और कुछ हाल हीमें उभरे हैं। लेकिन सबसे खास बात यह कि सभी चैनल जनता के सामने अपने को सबसे आगे बताने काम करते हैं। कुछ चैनल उस कतार में शामिल हैं जो आज भी 90 रुपए से 150 रुपए ही भुगतान करते हैं। ऐसे में स्ट्रिंगर बड़ी मुश्किल से 3000 रुपए प्रति माह ही कमा पाता है।

छत्तीसगढ़ में सरकार की वजह से मजदूरों की दीपावली होगी काली

ठेकेदारों के 300 करोड़ का भुगतान अटका बिजली विभाग में…

रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत् वितरण कम्पनी द्वारा पिछले छह माह में बिजली सप्लाई के लिए लाइने बिछाने का लगभग 300 करोड़ का काम ठेकेदारो से करवाया गया है परन्तु भुगतान नही होने से ठेकेदारों और मजदूरों के सामने भुगतान का संकट पैदा हो गया है।

अरनब गोस्वामी ने लाइव शो से पूर्व एसीपी शमशेर पठान को बाहर निकाल दिया

पूर्व एसीपी शमशेर पठान को टाइम्स नाउ के लाइव शो न्यूजआवर से अरनब गोस्वामी ने बाहर निकाल दिया. पैनलिस्ट शमशेर पठान ने कुछ ऐसा कह दिया कि जिससे लाइव शो के दौरान टीवी एंकर अरनब गोस्वामी उखड़ गए और उन्हें गेट आउट कह दिया. अरनब गोस्वामी ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर डिबेट कर रहे थे. अरनब ने शमशेर की राय जाननी चाही तो उन्होंने अपने तर्क में महिला गेस्ट की खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी. पठना ने शो में मौजूद पैनलिस्ट शाजिया इल्मी और एक अन्य महिला को कुछ ऐसा कह दिया जो अरनब को पसंद नहीं आया.

5th Day of indefinite hunger strike of DU’s Law Faculty’s Students

New Delhi : The 2nd season hunger strike of Law Faculty of Delhi University entered 5th day. The students namely, Mithilesh Jaiswal, Brajesh Singh, Nitin Gautam and Ankit Sangwan sitting General Secretary of DUSU are sitting on hunger strike for last 5 days against the mass failure of students in Semestar exams. More than 50% students were failed in the exam conducted in the month of June 2016. The students are demanding promotions, reevaluation, Restoration of supplementary exams, etc. Earlier the students were on the strike and the strike was called off on the assurance of the Dean and the University authorities.

कश्मीर पर भारतीय समाज की चुप्पी आपराधिक है : गौतम नवलखा

लखनऊ 17 अक्टूबर 2016 । इस समय कश्मीर की अवाम के साथ खड़ा होना भारतीय लोकतंत्र को बचाने के लिए बहुत अहम है। भारतीय राज्य द्वारा कश्मीरी आंदोलनकारियों की ठंडे दिमाग से हत्याएं की जा रही हैं। जिस पर भारतीय समाज की चुप्पी आपराधिक है। वहीं विश्व समुदाय की चुप्पी स्थिति को और भयावह बना रही है जिससे न सिर्फ इस उपमहाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा मंडरा रहा है। कश्मीर इस समय अपने आंदोलन के नए शिखर पर है जिससे भारत सरकार का टकराव इसे और तेज करेगा। इस जमीनी सच्चाई को नकारने वाली भारत सरकार कश्मीरी अशांति की सबसे बड़ी जिम्मेदार है। कश्मीर में भारतीय राज्य का यह सैन्य दमन सिर्फ कश्मीर तक ही सीमित नहीं रहेगा। सरकार इस हथियार का इस्तेमाल देश के अंदुरूनी हिस्सों में आदिवासियों और दलितों के आक्रोश को दबाने के लिए भी करेगी। ये बातें प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता और लेखक गौतम नवलखा ने रिहाई मंच द्वारा कश्मीरी आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर आयोजित ‘युद्धोन्माद के दौर में भारतीय लोकतंत्र’ सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता कहीं।

सबसे ज्यादा बददुआ पाने वाली मीडिया कंपनी है डीबी कॉर्प!

राजश्री प्रोडक्शन ने एक से बढकर एक हिट फिल्में दी हैं जिन्हें लोगो ने बार बार देखा और बार बार सराहा। राजश्री प्रोडक्शन के सूरज बड़जात्या से एक बार मैंने सवाल पूछ लिया और जो उत्तर मिला वो आज तक नहीं भुला सका। सवाल था राजश्री प्रोडक्शन की कामयाबी का राज आप क्या मानते हैं? सूरज जी ने उत्तर दिया- हम फिल्में पैसे से नहीं, दुआओं से बनाते हैं। तह तक गया तो पता चला राजश्री प्रोडक्शन में आज भी कई लोग ऐसे हैं जो ‘दोस्ती’ फिल्म के समय से जुड़े और इसी कंपनी के होकर रह गए। कंपनी प्रबंधन उनके हर सुख दुख में साथ देता है।

यूनीवार्ता में बिना सेलरी के काम करते हैं मीडियाकर्मी!

एक ऐसा संस्थान जहां लोग पैसे कमाने के लिए नहीं जाते. दिल्ली में एक मीडिया संस्थान ऐसा है जहां कर्मचारियों को हर महीने सैलरी नहीं मिलती. इसके बावजूद न कोई कर्मचारी छुट्टी करता है और न ही मजबूती से सेलरी न दिए जाने का विरोध ही करता है. एक एडमिन विभाग है लेकिन वहां सैलरी के बारे में नहीं पूछ सकते. अकाउंट्स विभाग भी है लेकिन वहां बैठे साहब महीना पूरा होने के बाद ‘इस हफ्ते इस हफ्ते’ कहकर हफ्तों निकाल देते हैं.

निखिल वागले ने प्राइम टाइम डिबेट के दौरान सनातन संस्था के अभय वर्तक को लाइव शो से निकाल बाहर किया

मुंबई : वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले महाराष्ट्र01 न्यूज़ चैनल पर प्राइम टाइम की एंकरिंग कर रहे थे. डिबेट का विषय विवादित और संवेदनशील था. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान विवादित बयान दिया था- “धर्मसत्ता राजसत्ता से बड़ी होती है।’ इस बयान से लोगों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. मुख्यमंत्री के इस बयान को सीधा संघ नीति से जोड़ा गया. निखिल वागले ने प्राइम टाइम में इसी विषय पर डिबेट रखा.

हरीश रावत ने राहत व बचाव कार्य करने वाले संगठनों को भी राजनीति का हिस्सा बना दिया!

बृजेश सती/देहरादून
‘निम’ की बढती लोकप्रियता से किसको है खतरा…  राज्य में आपदा को लेकर दो प्रमुख सियासी दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप कोई नई बात नही है। राज्य गठन के बाद से ही सत्ता पक्ष व विपक्ष ने अपने राजनीतिक नफा नुकसान को देखते हुए जनहित से जुडे इस संवेदनशील मसले पर खूब सियासत की है। लेकिन अब तो राहत व बचाव कार्य करने वाले संगठनों को भी राजनीति का हिस्सा बना दिया गया है। आपदा में राहत व बचाव कार्य में उल्लेखनीय कार्य करने वाले संगठन पर अब सरकार की नजरें तिरछी होने लगी है।

मजीठिया के लिए लड़ रहे क्रांतिकारी मीडियाकर्मियों के पक्ष में एक पत्रकार की आम जन से अपील

स्वच्छ, स्वस्थ, निष्पक्ष, गुणवत्तायुक्त पत्रकारिता सभी की डिमांड है। इसके लिये जवाबदेह हिन्दी मीडिया संस्थानों को सस्ते और सर्वगुण समपन्न पत्रकार चाहिये। पिछले 10 सालों से पत्रकारिता में पाने वाली सेलरी बताऊं, उससे पहले इसकी पढ़ाई का खर्च बताता हूं। 2 लाख खर्च करके पहली पढ़ाई पूरी की तो 3000 रूपये महीने की नौकरी 2007 में मिली। काम 14 घंटे। अच्छे संस्थान में नौकरी की प्रत्याशा में 1 लाख और खर्च कर ट्रेनिंग ली। मेरठ में नौकरी मिली। दाम 4000 रूपये महीने। थोड़े दिन बाद दैनिक भास्कर जैसा बड़ा समूह ज्वाइन किया। पहले 8000 महीना दिया और 2010 तक यह रकम 9500 हो गई। कामकाज ठीकठाक था लिहाजा गोरखपुर हिंदुस्तान में ज्वाइनिंग मिल गई। 2010 में रिपोर्टर पद पर 12000 में ज्वाइन किया और 2013 में सीनियर स्टाफ रिपोर्टर पद से 15000 प्रति माह की पगार के साथ बीमारी के कारण विदाई हो गई।

जवाहर सरकार ने प्रसार भारती से दिया इस्तीफा, सुशांत सिन्हा और कविता चौहान इंडिया न्यूज पहुंचीं

प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सरकार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है. इस बात की जानकारी जवाहर सरकार ने ट्वीट करके दी है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है- ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ने का वक्त आ गया है। सरकार ने भी मेरा इस्तीफा मंजूर कर लिया है। काम बहुत हुआ। अब न सरकारी काम न कोई निजी। अंततः मैं स्वतंत्र हूं और अब सिर्फ किताबें।’

ठंडा पड़ा सपा का सियासी घमासान, कई चेहरे हुए बेनकाब

अजय कुमार, लखनऊ
अंत भला, तो सब भला। समाजवादी पाटी में पिछले कुछ समय से अखिलेश बनाम ‘अन्य’ के बीच छिड़े घमासान की पटकथा का पटाक्षेप हो गया। अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोले बाप-चचा को एक तरह से मुंह की खानी पड़ गई। अखिलेश पिछले कई दिनों से कुनबे की जंग में हारते हुए प्रतीत हो रहे थे,लेकिन इस हार में भी उनकी जीत छिपी हुई थी। इस बात का अहसास पाले लोंगो की संख्या भी कम नहीं थी। इसके पीछे की वजह थी,अखिलेश की स्वच्छ छवि और बाहुबली और भ्रष्टाचारी नेताओं के प्रति उनका सख्त रवैया।

देव प्रकाश चौधरी की किताब ‘जिसका मन रंगरेज’ का विमोचन

पत्रकार और चित्रकार देव प्रकाश चौधरी की नई किताब ‘जिसका मन रंगरेज’ का स्वागत कला जगत के साथ-साथ पत्रकार जगत में भी जोर-शोर से हुआ है। पिछले 14 अक्टूबर को इस किताब का भव्य विमोचन जयपुर में आयोजित सार्क सूफी फेस्टिवल में मशहूर कथाकार अजीत कौर के हाथों हुआ। इस कार्यक्रम में देश-विदेश के दिग्गज विद्वानों की मौजूदगी रही। हिंदी में अपनी तरह की इकलौती और बेहद आकर्षक यह किताब ‘जिसका मन रंगरेज’ मशहूर चित्रकार अर्पणा कौर की कला दुनिया को नए सिरे से परिभाषित करती है।

आईआईटी का ये प्रोफेसर नौकरी छोड़ एक दिन चल पड़ा जंगल की ओर…

Rana Yashwant : आज एक स्टोरी आई. स्क्रिप्ट पढते ही मैं चौंक गया. कहा- कल इसको ठीक से करेंगे. अभी वही खबर दिख गई तो सोचा आपसे साझा कर लूं. शहाबुद्दीन जैसे लोगों के लिये सैकड़ों गाड़ियों का काफिला और हजारों की भीड़ चुटकियों में खड़ा हो जाते हैं, लेकिन एक आदमी इस देश की सेवा की बेहतरीन मिसाल खड़ी कर गया और हम उसको जानते तक नहीं. आलोक सागर, आईआईटी में प्रोफेसर हुआ करते थे. उनके छात्रों में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी हैं.

बाईस सुरक्षाकर्मी इस देश के महानतम अंधराष्ट्रवादी ऐंकर के आगे-पीछे तैनात रहेंगे!

Harsh Deo : टाइम्स नाउ के स्टूडियो में बैठकर तमाम स्वतंत्र चेता व्यक्तियों के विरुद्ध माइक पर बलबलाने वाला अर्णव गोस्वामी स्टूडियो से बाहर वाई श्रेणी की सरकारी हिफ़ाज़त में रहेगा! बेचारा राष्ट्रभक्तों की जर्सी गाय! उम्मीद नहीं थी इतने पतन की।

लाखों सेलरी पाने वाले भक्त संपादकों अरनब-सुधीर को Y कैटगरी देने पर मोदी की लानत-मलानत

Markandey Katju :Why should Arnab Goswamy be provided Govt. security, and that too of the Y category, which means 20 guards will be with him day and night. Who will pay the salaries of these guards? It will be the government, which really means the public, because these salaries come from the taxes we pay. So we will have to pay for Arnab’s security.

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने रखी कुल्लू प्रेस क्लब की आधारशिला

शिमला, 17  अक्तूबर । मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज 25 लाख रुपये की लागत से निर्मित होने वाले प्रेस क्लब भवन कुल्लू की आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मीडिया को सुविधा प्रदान करने के लिये निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिला मुख्यालयों तथा अधिकांश उपमण्डलों में प्रेस कक्षों की सुविधा प्रदान की गई है। इसी प्रकार, वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल के दौरान विभिन्न जिला मुख्यालयों तथा उपमण्डलों में प्रेस क्लब खोले गए हैं।

Zee News वाले Sudhir को एक पत्र : ये डिज़ाइनर पत्रकार क्या होता है चौधरी साब?

ज़ी न्यूज़ के एक प्रोग्राम डीएनए में सुधीर चौधरी बार बार डिज़ाइनर पत्रकार और सच्ची पत्रकारिता का जिक्र कर रहे थे. मन में उनसे कुछ पूछने की इच्छा जागी है. अगर आपके माध्यम से मेरी बात उन तक पहुँच सके तो आभारी रहूँगा.

Regards,
Karamvir Kamal
Editor
The Asian Chronicle
editor.theasianchronicle@gmail.com

मोहित पारीक ने आईबीएन खबर से इस्तीफा देकर जनसत्ता डाट काम ज्वाइन किया

मोहित पारीक ने एक्सप्रेस ग्रुप की वेबसाइट जनसत्ता डॉट कॉम में बतौर सब एडिटर ज्वाइन किया है। वो इससे पहले आईबीएन7 के डिजिटल विंग ibnkhabar.com में थे। यहां वे कॉपी एडिटर के रूप में कार्यरत थे, जहां वो सोशल मीडिया और स्पेशल स्टोरिज पर काम करते थे। अब उन्होंने जनसत्ता से नई पारी की शुरुआत की है।

अनुराग कश्यप का साहस काबिल-ए-तारीफ़ है

Mukesh Kumar : आम तौर पर फिल्म इंडस्ट्री कायरों से भरी पड़ी है (तथाकथित महानायक अमिताभ बच्चन इसकी सबसे बड़ी बानगी हैं)। एक-दो लोगों को छोड़कर कभी कोई खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं करता। लेकिन अनुराग कश्यप ने जिस तरह से सीधे प्रधानमंत्री को आ़़ड़े हाथों लिया है वह काबिल-ए-तारीफ़ है और इसके लिए उन्हें शाबाशी दी जानी चाहिए। अंध राष्ट्रवादी नफ़रत और हिंसा के खिलाफ़ ये खुलकर बोलने का समय है। जो चुप हैं इतिहास उनको भी दर्ज़ कर रहा है।

जानिए, आजकल क्यों खुद को मरियल और फिसड्डी बताने में जुटा है दैनिक भास्कर!

जो अपनी क्लास में ही पांचवे या दसवें नंबर पर हो क्या वह शहर में अव्वल आने का दावा कर सकता है? कर तो नहीं सकता लेकिन हिंदी का एक बड़ा अखबार ऐसा ही करता आया है, आज से नहीं लंबे समय से… भारत का सबसे तेज बढ़ता, सबसे ज्यादा सर्कुलेशन वाला और भी न जाने क्या क्या दावा करने वाला अखबार दैनिक भास्कर… पर समय की गति देखिए कि कल तक खुद के बारे में बड़े बड़े दावे करने वाला यह अखबार अब खुद को मरियल और फिसड्‌डी बताने की जुगत में है। यहां तक कि ये अखबार अपने कर्मचारियों को अपनी गरीबी की दुहाई भी देने लगा है। है न अचरज की बात? चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि दैनिक भास्कर जैसा दुनिया के सबसे बड़े अखबारों में खुद को शामिल बताने वाला अखबार अब जगह जगह यह दावा सरकारी विभागों में दावा करता फिर रहा है कि वह तो फलां जगह आठवें और अमुक जगह दसवें नंबर का अखबार है।

केजरीवाल से डरी भाजपा यूपी के साथ गुजरात में भी विस चुनाव कराने के पक्ष में!

Sheetal P Singh : ब्रेकिंग न्यूज़… डेटलाइन गुजरात… गुजरात में एक साल पहले पाँच राज्यों में होने वाले चुनावों के साथ हो सकते हैं विधानसभा चुनाव। TV चैनलों के “ब्लैक आउट” और राष्ट्रीय प्रिंट मीडिया की घबराई रिपोर्ट्स के बावजूद केजरीवाल की सूरत के योगी चौक पर पहली रैली लगभग पूरी शांति से कामयाब हो गई। कुछ युवकों ने काले झंडे लहराये पर उन्हे बिलकुल भी स्थानीय समर्थन नहीं मिला। इसके पहले आप विधायक और गुजरात प्रभारी गुलाब यादव को मंच पर गिरफ्तार करके टीवी की ख़बर बनाने का अमित शाह का प्लान (आप नेता अंकित लाल के ट्वीट के अनुसार) भी धरा रह गया।

पीएम मोदी के Soft Interview का इनाम! अरनब गोस्वामी को Y कैटिगरी की सुरक्षा मिली

Nadim S. Akhter : अरनब गोस्वामी को “पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण” उसी दिन मिल गया था, जिस दिन उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का Soft Interview लिया था. भारत सरकार की ओर से अरनब को मिली Y कैटिगरी की सुरक्षा उसकी पहली कड़ी भर है. Soft Journalism का ये कमाल आगे कइयों के सिर चढ़कर बोलने वाला है. Soft रहके ही स्वादिष्ट SOFTY खाई जा सकती है. बस Softy पिघलने से पहले उसे गटकने का हुनर आना चाहिए. Soft Journalism तेजी से फैलती बीमारी है. पत्रकारों के अलावा सोशल मीडिया पर citizen journalists भी द्रुत गति से इसकी चपेट में आ रहे हैं.

वृन्दावन में सिटी मजिस्ट्रेट राम अरज यादव कंस जैसी भूमिका में था!

14 अक्टूबर की सुबह नास्तिक सम्मेलन में शामिल होने को वृन्दावन के लिए निकला था और करीब 11 बजे वहाँ पहुँच भी गया था। लेकिन श्री बिन्दु सेवा संस्थान के परिसर में जाने का रास्ता लगभग पौन किलोमीटर पहले अटल्ला चौकी पर ही अवरुद्ध कर दिया गया था। गलियों में हो कर वहाँ पहुँचा तो हालात देख कर स्तब्ध रह गया।

नोएडा से मुस्लिम पकड़े गए होते तो उन्हें अब तक खूंखार आतंकी साबित कर दिया जाता!

नोएडा से अगर हिन्दू की जगह मुस्लिम गिरफ्तार किये गए होते तो मीडिया उन्हें आतंकवादी घोषित कर चुका होता! पूरे देश में तमाम एजेंसिया उन पर कई हमलों और प्लानों का ठीकरा फोड़ चुकी होती लेकिन गैर मुस्लिम होने का फायदा ये है कि पुलिस और मीडिया के लोग उन्हें आतंकवादी की जगह नक्सली का तमगा दे रहे हैं!

जियाउर्रहमान

देश का मीडिया लाख दावे निष्पक्ष होने के कर ले लेकिन मीडिया ही अब देश में अन्याय और ज्यादती का प्रतीक बनता जा रहा है. औद्योगिक घरानों के हाथ की कठपुतली बन चुके अधिकांश चैनलों ने पत्रकारिता की मान मर्यादाओं को तार तार कर दिया है. हिंदुस्तान का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और देश के नागरिकों के लिए संविधान ही सबसे अहम ग्रन्थ है. पिछले कुछ वर्षों से देश के लोकतंत्र को न जाने किसकी नजर लग गयी है. लोकतंत्र के चारों स्तंभों व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और चौथा स्तंभ मीडिया में घुन लगता जा रहा है. जिस मीडिया से देश को निष्पक्ष और जनता की आवाज़ उठाने की आस लगी रहती थी, बदलते दौर में वही मीडिया अब दोगलेपन और चापलूसी का माध्यम मात्र बनकर रह गया है. यह नए दौर का मीडिया जिसे चाहे हीरो बना देता है और जिसे चाहे विलेन. यहां तक कि देश की एकता, अखंडता भी अब इसी मीडिया के चलते खतरे में दिखाई देने लगी है. मीडिया में धर्म और वर्ग के आधार पर भेदभाव खुलकर दिखाई देने लगा है जो कि भविष्य में देश के लिए बहुत घातक है.

जीवन बदलने वाली कहानी : बुद्ध और मांस

कुछ कहानियां, वाकये, अनुभव ऐसे होते हैं जो जीवन को बदल कर रख देते हैं. वाकये और अनुभव तो आप खुद जीते हैं, खुद जिएंगे. लेकिन कहानियां तो कोई सुना सकता है. खासकर उन लोगों के लिए कहानियां बहुत जरूरी हैं जो मन से तन से मस्त हो चुके हैं. संन्यस्त होने की ओर छलांग लगाने को तैयाार हो चुके हैं. ऐसे लोगों के लिए एक वक्त ऐसा आता है जब अकेलापन और मौन इन्हें बहुत भा जाता है… ये लोग पाते हैं कि वे दिल की बात अनसुनी नहीं कर पा रहे… वैसे यह भी सच है कि एक से एक उम्दा संत किस्म के लोग घर-परिवार के चूल्हा जुटान चक्कर में अंततः डिप्रेशन, सिस्टम, रुटीन, दायरे के हिस्से होकर रह जाते हैं… उन्हें धरती को, सभ्यता को जो कुछ अदभुत देना / पाना था, उससे वंचित रह जाते हैं…

सत्य का प्रतिवेदक होता है पत्रकार

आचार्य लक्ष्मीकांत मिश्र सम्मान से सम्मानित हुईं पांच हस्तियां

मुंगेर : प्रमंडलीय आयुक्त नवीन चंद्र झा ने कहा है कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे देश और समाज के प्रति अपने कर्तव्य का बोध हो सके. आयुक्त रविवार को स्थानीय नगर भवन में आचार्य लक्ष्मीकांत मिश्र स्मृति सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि साक्षर होना शिक्षित होना नहीं है. वास्तव में शिक्षित वह है कि जो समाज और देश के लिए काम करें, राष्ट्रीय एकता, अखंडता के लिए संघर्ष करे और अन्याय व अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करें.

पत्रकार संगठित रहेंगे तभी अपने अधिकार लागू करवा पाएंगे : डॉ. त्रिखा

‘‘पत्रकार आंदोलन का गौरवशाली इतिहास रहा है। देश की आजादी के बाद पत्रकार हितों को लेकर सशक्त प्रयास हुए लेकिन आज पत्रकारों में हिम्मत नहीं है कि वे हड़ताल करवा लें। पत्रकार जब संगठित रहेंगे तभी वे अपने अधिकार लागू करवा पाएंगे।’’ यह कहना है प्रेस कानून व पत्रकार मसलों के जानकार एवं प्रेस परिषद् के दो बार सदस्य रहे डॉ. नंदकिशोर त्रिखा का। दिल्ली पत्रकार संघ द्वारा 15 अक्टूबर को दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार, नई दिल्ली में आयोजित ‘पत्रकारों के अधिकार’ विषय पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने उक्त बातें कही।   

गुजरात में ‘आप’ की लहर, सूरत की सफल रैली से भाजपा नेताओं को आए पसीने

वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह सूरत में हैं. वहां से उन्होंने जो हालात बयान किया उससे तो यही लगता है कि आम आदमी पार्टी की अंदरखाने गुजरात में लहर है. भारतीय जनता पार्टी के कुशासन, भ्रष्टाचार और दमन से सिहरे हुए गुजरात के लोग अब केजरीवाल के शरण में जा रहे हैं. सूरत रैली में उमड़ी भीड़ ने काफी कुछ स्पष्ट कर दिया है. शीतल कहते हैं- ”इस भीड़ का असर मौक़े पर मौजूद लोगों से सैकडों गुना ज्यादा उस अवाम पर होगा जो डराया हुआ है और दूर से बैठकर इसकी कामयाबी की दुआएँ पढ़ रहा है”.

बंगाली माछ-भात के इतने प्रेमी क्यों होते हैं?

Daya Sagar : अक्सर सोचता था बंगाली माछ-भात के इतने प्रेमी क्यों होते हैं। तराई इलाका होने के कारण यहां धान की बहार है। जिससे सदियों से इनका जीवन चावल पर आश्रित है। और मछली के लिए यहां गंगा का मीठा पानी है। गंगा यहां हुगली में बदल जाती है और उत्तराखंड के गंगोत्री से निकलने भागीरथी बंगाल की खाड़ी में कहीं खो जाती है। हुगली में इतनी मछली होती है जो साल भर पूरे पश्चिम बंगाल को तृप्त कर सकती है।

मथुरा और बनारस में 25-25 मौतों के लिए बुनियादी रूप से स्टेट जिम्मेदार है

Abhishek Srivastava : बीते चार महीनों के दौरान हर महीने कम से कम दो बार जगदीश बहराइच के अपने गांव से मुझे फोन करता रहा। आज फिर उससे बात हुई। हर बार फोन कर के एक ही बात कहता है- बाबूजी, हमार औरत अभी ले नहीं आई। कछु पता लगे तो बतइहो…।” मथुरा में 2 जून को जय गुरुदेव के अनुयायियों पर हुई गोलीबारी के बाद से उसकी औरत और लड़की गायब है। ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके परिजनों का आज तक पता नहीं लगा। इनके स्‍वयंभू नेता रामवृक्ष यादव की मौत की पुष्टि भी अब तक नहीं हो सकी है।

संपादक ने मांगा हफ्ता तो दुकानदार ने की आत्महत्या

संपादक सहित दो गिरफ्तार, एक फरार : महाराष्ट्र के भिवंडी तालुका से एक खबर आ रही है कि यहां ‘सत्यकामना’ नामक एक साप्ताहिक के संपादक ने सरकारी राशन दुकानदार के खिलाफ खबर छापकर पांच लाख रुपये का हफ्ता मांगा तो परेशान होकर सरकारी राशन दुकानदार ने आत्महत्या कर लिया। मृत्यु से पूर्व लिखे गये पत्र को आधार बनाकर पुलिस ने आरोपी संपादक को गिरफ्तार कर लिया है।

आजतक के ‘सर्वे’ पर सवाल उठाने वाली पोस्ट सोशल मीडिया पर हुई वायरल

इन दिनों सोशल मीडिया ने बड़े से बड़े मीडिया हाउस को घुटने के बल बैठने को मजबूर कर दिया है. आप झूठ दिखाएंगे या डील के हिसाब से शो पेश करेंगे तो सोशल मीडिया पर उसके खिलाफ एक आवाज तो उठ ही जााएगी. जब एक आवाज उठाएगा तो उसके संग समान धर्मा सोच वाले हजार …

नागपुर के पत्रकार जगदीश जोशी के खिलाफ महिला ने विनय भंग का मामला दर्ज कराया

नागपुर : खबरों की हकीकत को जनता तक पहुँचाने वाले ही सवालों के घेरे में पहुँचने लगे हैं। नागपुर में रिपोर्टिंग कर रहे एक पत्रकार पर महिला ने गंभीर आरोप लगाए हैं। इस घटना के बाद शहर के चर्चित क्राइम रिपोर्टर जगदीश जोशी के खिलाफ फिर एक मामला दर्ज हुआ। प्रतिष्ठित हिंदी अखबार लोकमत समाचार के अपराध संवाददाता जगदीश जोशी पर एक महिला ने बदसलूकी और सम्मान को ठेस पहुँचने का आरोप लगाते हुए पुलिस में मामला दर्ज कराया है।

ये है अमेरिका की असलियत… विरोध प्रदर्शन कवर करने वाली महिला पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज, जेल भेजने की तैयारी

नई दिल्ली: अमेरिका खुद को बहुत डेमोक्रेटिक बताता है. प्रेस-मीडिया को पूरी तरह आजाद बताता है. लेकिन एक घटनाक्रम से इसकी असलियत खुल गई है. अमेरिका के नॉर्थ डकोटा राज्य ने अमेरिकी टीवी कार्यक्रम डेमोक्रेसी नाउ की पत्रकार एमी गुडमैन को जेल भेजने की तैयारी कर ली है. सोमवार को गुडमैन को मॉर्टन काउंटी में जेल भेजा जाना है. उन पर ‘दंगा’ भड़काने के आरोप में मुकदमा चलेगा. अमेरिकी पत्रकार पर लगे आरोपों को लोकतंत्र और बोलने की आज़ादी पर हमले के रूप में देखा जा रहा है.

मोदी भक्तों और मुखालिफ पत्रकारों में खिचीं तलवारें

पत्रकारों की टूटी दोस्ती, आपसी मधुर रिश्तों मे पड़ी फूट, मोदी विरोध में कई पत्रकारो की गयी नौकरियाँ, दो खेमों में बंटे पत्रकार, लखनऊ के दो नामी पत्रकार दोस्तों की दोस्ती का हुआ कत्ल.. : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के भक्तों और विरोधी पत्रकारों मे इन दिनों तलवारें खिंची हैं। सोशल मीडिया का बढ़ता रिवाज ऐसे विवादों में आग में घी का काम कर रहा है। भाजपाई और गैर भाजपाई पत्रकारों के दो गुट तैयार हो गये हैं। जो गाहे-बगाहे कभी किसी मुद्दे पर तो कभी किसी मसले पर आपस मे भिड़ जाते हैं।