Rajesh Agrawal : युवा पत्रकार विकास शर्मा और कुछ मित्रों के साथ एक कांफ्रेंस के सिलसिले में कुछ दिन पहले दिल्ली में था। नेशनल ड्रामा स्कूल के परिसर में मैं और विकास घूम रहे थे। कला-समीक्षक, कहानीकार और कवि, कई पुरस्कारों-सम्मानों से अलंकृत प्रयाग शुक्ल भीतर प्रवेश करते हुए दिखे। मैं तो उन्हें पहचानता नहीं था, पर विकास की मुलाकात कभी उनसे हुई थी। देश के जाने-माने लोग बिना भीड़ के दिखें तो पत्रकार स्वाभाविक रूप से उन्हें लपक लेने की कोशिश करता है। विकास ने आगे बढ़कर प्रणाम किया। उन्हें याद दिलाया कि किन-किन और जगहों पर वह पहले उनसे मिल चुका है। शुक्ल जी को कुछ याद आ भी रहा था या नहीं, यह तो पता नहीं पर उन्होंने औपचारिकता निभाई और विकास को आशीर्वाद देते हुए उनका हाल पूछा।
प्रयाग शुक्ल