Outlook — Regret
In a Lok Sabha debate on November 30, 2015, Mr. Mohammad Salim, the honorable Member of Parliament of the CPI-M, referred to an Outlook cover story (“The Mirror States”, dated November 16, 2015).
Outlook — Regret
In a Lok Sabha debate on November 30, 2015, Mr. Mohammad Salim, the honorable Member of Parliament of the CPI-M, referred to an Outlook cover story (“The Mirror States”, dated November 16, 2015).
पुलिस अधीक्षक
जनपद गाजीपुर
उत्तर प्रदेश
विषय- पुलिस उप निरीक्षक ने पत्रकार को चुनाव कवरेज से रोका और दुर्व्यवहार किया
महोदय,
सादर अवगत कराना है कि न्यूज चैनल के पत्रकार प्रदीप दुबे समाचार संकलन हेतु चैनल की विशेष मांग पर त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव के पहले चरण के मतदान स्थल युसुफपुर प्राथमिक विद्यालय बूथ नं0-2 क्षेत्र मनिहारी का कवरेज करने पहुंचे। मतदान केन्द्र पर तैनात उपनिरीक्षक शक्तिदत्त दूबे ने पत्रकार से मतदान केन्द्र के बाहर पत्रकार की माईक आई0डी0 जबरन छीन कर फेंक दिया और अपनी गाड़ी में बैठा दिया और भद्दी भद्दी गाली देने लगे तथा अमानवीय दुर्व्यवहार किया जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं था।
जब पत्रकार संगठन पूरी तरह दलाली की तरफ अग्रसर हो जाते हैं तो मूल मुद्दों का जिक्र तक नहीं करते. यही हाल आईएफडब्लूजे का है. इनके राष्ट्रीय अधिवेशन की आफिसियल प्रेस रिलीज में मजीठिया वेज बोर्ड से लेकर आगरा में पत्रकारों पर लाठीचार्ज के मुद्दों का कहीं कोई जिक्र तक नहीं है. प्रेस रिलीज में संगठन के महासचिव परमानंद पांडेय तक का नाम नहीं है. सूत्रों ने बताया कि परमानंद पांडेय ने शिवपाल यादव के सामने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में यूपी सरकार की बेरुखी का मुद्दा उठाया. लेकिन इस प्रकरण का प्रेस रिलीज में कोई जिक्र नहीं है. पढ़िए आप भी प्रेस रिलीज, ताकि जान सकें कि इसमें जिक्र किस बात का है. -एडिटर, भड़ास4मीडिया
ग्वालियर। प्रख्यात शायर एवं फिल्मी गीतकार निदा फाज़ली देश के वर्तमान हालात पर व्यथित और चिंतित हैं। उनका कहना है कि आज देश के हालात ऐसे हो गए हैं कि यहां ‘अब हिन्दू भी खतरे में है, हर आजादी पहरे में है। असहिष्णुता के मुद्दे पर पूरे देश में हंगामा मचने की बात पर वे कहते हैं कि देश के हालात पहले भी खराब रहे हैं, लेकिन पहले खराब करने वालों को डर रहता था, उन्हें दण्डित किए जाने का, लेकिन अब डर नहीं रहा, यही बात ज्यादा चिंता जनक है।
देश के जाने माने पत्रकार नेता परमानंद पांडेय को अपमानित करने की मुहिम खुद उनके ही संगठन के वरिष्ठों ने शुरू कर दी है. वरिष्ठ पत्रकार और सुप्रीम कोर्ट के वकील परमानंद पांडेय ने मजीठिया वेज बोर्ड की लंबी व मुश्किल लड़ाई लड़ते हुए पूरे देश में आम पत्रकारों के बीच सम्मान और प्रशंसा हासिल की है. लेकिन वे जिस पत्रकार संगठन IFWJ में महासचिव हैं, उसी संगठन के वरिष्ठ लोग उन्हें अपमानित करने की मुहिम चलाने लगे हैं.
फिरोजाबाद से खबर है कि न्यूज़ 24 के पत्रकार जितेंद्र शर्मा पर घर जाते वक्त रात में कुछ अराजक तत्वों ने फायरिंग कर दी। वे बाल बाल बच गए। उन्होंने इस घटना की सूचना तुरन्त पुलिस को दी। मोके पर पहुची इलाका पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर लिया है। न्यूज़ 24 के पत्रकार जितेंद्र शर्मा पर जान से मारने की नीयत से चलाई गई गोली की इस घटना के बाद शहर के पत्रकारों में काफी रोष है।
अहमदाबाद से सूचना है कि गुजरात में स्थानीय निकायों के चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण की रिपोर्टिंग के बाद लौट रहे एक युवा पत्रकार की कल रात यहां से 80 किलोमीटर दूर मालवा वीरमगाम मार्ग पर एक सडक दुर्घटना में मौत हो गयी। पुलिस ने बताया कि टीवी चैनल ईटीवी की गुजराती सेवा से जुडे लगभग 30 वर्षीय अतुल दायाणी कल कच्छ से चुनाव की रिपोर्टिंग के बाद कार से लौट रहे थे तभी हादसा हुआ।
कोच्चि से खबर है कि केरल के मुख्यमंत्री उम्मन चांडी ने वरिष्ठ पत्रकार एवं यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया के पूर्व संवाददाता के एम रॉय को स्वदेशाभिमानी केसरी पुरस्कार 2014 से सम्मानित किया। श्री रॉय को यह पुरस्कार प्रदान करने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए श्री चांडी ने कहा कि पत्रकारिता के जरिये समाज …
गत दिनों उर्दू दैनिक इंकलाब के पत्रकार रजा फराज को उर्दू प्रेस क्लब द्वारा “सहाफत के सरताज अवार्ड” से सम्मानित किया गया. यह अवार्ड उन्हें सामाजिक और नागरिक मसलों से जुड़े मुद्दों को शिद्दत से उठाने पर दिया गया है. वे पिछले पांच सालों से दैनिक इंक़लाब उर्दू में सेवाएं दे रहे हैं.
Pankaj Chaturvedi : तुम्हारे लिए कोई एक शब्द इस्तेमाल करने की विवशता हो, तो मैं कहूँगा : अकृत्रिम। यही सिफ़त तुम्हें ज़िन्दगी के बेहद क़रीब लायी और तुम उसकी महिमा को पहचान सके। एक हज़ार फ़ीट की ऊँचाई पर मनुष्यता को पहुँचाने के लिए सड़क बनाते शहीद हुए मज़दूरों की स्मृति में कृतज्ञता से नतमस्तक होकर तुमने लिखा : ”कितनी विराट है यहाँ रात / घुल गये जिसमें हिम-शिखर / नमक के ढेलों की तरह / सामने के पहाड़ अन्धकार में / दीखती हैं नीचे उतरती एक मोटर गाड़ी की / निरीह बत्तियाँ / विराट है जीवन।”
Gunjan Sinha : एबीपी न्यूज के संपादकों की अकल अकालग्रस्त है क्या? मुंबई में एक थियेटर में एक परिवार राष्ट्रगान के समय खड़ा नहीं हुआ. इस बदतमीजी का आम दर्शकों ने विरोध किया और तब तक फिल्म नहीं चलने दी जबतक वह परिवार हाल से बाहर नहीं गया. एबीपी न्यूज इस खबर को यूँ बता रहा है कि दर्शकों ने ही उस परिवार से बादतमीजी की जबकि विजुअल के अनुसार दर्शकों ने राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करने पर शांतिपूर्ण विरोध किया और उस परिवार को एक थप्पड़ भी नहीं मारा.
Amitabh Thakur : आज़म खान पर परिवाद दर्ज.. मैंने मंत्री श्री आज़म खान द्वारा कल रामपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और मेरे लिए अत्यंत अभद्र भाषा और शब्दों का प्रयोग करने के सम्बन्ध में सीजेएम लखनऊ के समक्ष शिकायत दायर किया. सीजेएम श्री हितेंद्र हरि ने शिकायत को परिवाद के रूप में दर्ज करते हुए मेरा धारा 200 सीआरपीसी में बयान दर्ज करने के लिए 15 दिसंबर 2015 नियत किया. श्रीआज़म खान ने रामपुर में पत्रकार वार्ता में मेरे लिए प्रशासनिक अधिकारी के नाम पर कलंक जैसे शब्दों का प्रयोग किया था. साथ ही उन्होंने आरएसएस के लिए अत्यंत दूषित शब्दों का भी प्रयोग किया था. मैंने इन्हें धारा 500 आईपीसी में मानहानि और धारा 153, 153ए, 504, 505 आईपीसी के अधीन समाज में विद्वेष फ़ैलाने वाला अपराध बताते हुए कार्यवाही की प्रार्थना की है.
HYDERABAD: The Telangana and Andhra Pradesh governments are not ensuring implementation of the recommendations of the Majithia Wage Board for working journalists despite appeals from the Union labour ministry, Union minister of state for labour and employment Bandaru Dattatreya has said.
एक मलयालम फिल्ममेकर अली अकबर ने दावा किया है कि मदरसे में तालीम हासिल करने के दौरान उस्ताद ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। उन्होंने बताया कि जब वह चौथी जमात में थे तब उस्ताद ने उनके साथ अप्राकृतिक सेक्स किया। अली अकबर ने यह भी बताया कि उस्ताद ने सिर्फ उन्हीं के साथ ऐसा नहीं किया बल्कि क्लास के सभी छात्रों का यौनशोषण किया था।
एक बुरी खबर सहारा मीडिया से आ रही है. यहां प्रबंधन ने ‘सेल्फ एक्जिट’ नाम से एक स्कीम लागू की है. इसके तहत खुद कंपनी छोड़ने के लिए आप्शन दिया गया है. लेकिन बताया जा रहा है कि इस स्कीम के नाम पर बड़े पैमाने पर छंटनी की शुरुआत कर दी गई है. करीब तीन सौ लोगों को स्वत: या जबरन बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है या दिखाने की तैयारी है. सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक 80 लोगों ने दो दिन में किया सहारा की सेफ एग्जिट पालिसी से रिजाइन.
मित्रों,
पिछले लगभग दो माह से, जब से नए संविधान की घोषणा हुई, भारत द्वारा लागू की गयी आर्थिक नाकाबंदी के कारण पड़ोसी देश नेपाल जबरदस्त संकट के दौर से गुजर रहा है. भारत सरकार का कहना है कि उसने किसी तरह की नाकाबंदी नहीं की है और तराई क्षेत्र में मधेसी आंदोलकारियों ने सीमा से नेपाल के प्रवेश मार्गों पर अवरोध पैदा किये हैं जिससे भारत से कोई आपूर्ति संभव नहीं हो पा रही है. इसमें कोई संदेह नहीं कि मधेस की जनता नए संविधान से असंतुष्ट है और वह पिछले तीन महीनों से आन्दोलन कर रही है—उसे लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है और उसकी मागों को संविधान में संबोधित नहीं किया गया है. नेपाल के मौजूदा नेतृत्व से नाराज भारत सरकार ने मधेसी जनता के आन्दोलन की आड़ ले कर नेपाल को सबक सिखाने के मकसद से पहले तो प्रत्यक्ष तौर पर और फिर अप्रत्यक्ष तौर पर नाकाबंदी की है.
पूरे पाँच वर्ष लोकसभा सदस्य और उससे पूर्व इतने ही साल विधायक रहते प्रदीप टम्टा ने गैरसैंण को उत्तराखण्ड की राजधानी बनाने के लिए कभी कुछ नहीं किया, परन्तु अब इन्हें उत्तराखण्ड की आत्मा के गैरसैंण में बसने के सपने आ रहे हैं। आजकल ये कहते हैं कि ‘राजधानी गैरसैंण में स्थापित किये बगैर प्रदेश के समग्र विकास व प्रदेश गठन की जनाकांक्षाओं को साकार नहीं किया जा सकता। उत्तराखण्ड की तमाम समस्याओं का समाधान प्रदेश की राजधानी गैरसैंण में बनाकर ही किया जा सकता है।’ जबकि इन्हीं महाशय की कारगुजारियों के कारण भाजपा ने वर्ष 2000 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पूरा हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र ‘उत्तरांचल’ में मिला कर इसके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया था।
वाशिंगटन पोस्ट की इंडिया ब्यूरो चीफ Annie Gowen ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने ट्वीट करके जानकारी दी कि पिछले कुछ सप्ताह में दो बार उनसे प्राइवेट पीआर कंपनियों ने सरकारी अफसरों के प्रतिनिधि के बतौर संपर्क करने की कोशिश की. जनता के धन का क्या खूब इस्तेमाल हो रहा है. इस ट्वीट में उन्होंने पीएमओ इंडिया को टैग भी किया है. ((Annie Gowen- “We have been contacted twice in recent weeks by private PR companies representing Indian govt. officials. Good use of govt funds? @PMOIndia))
Abhishek Srivastava : कुछ महीने पहले इमरजेंसी में लखनऊ जाना हुआ। रास्ते में टोल पड़ा तो मैंने झट से रुपया निकाल कर दे दिया। टैक्सी ड्राइवर मुझ पर बिगड़ गया। बोला, आप प्रेस के आदमी हैं, कार्ड दिखा देते। मैंने पूछा अगर वो नहीं मानता, तो? वह मानने को तैयार ही नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है। आगे के हर टोल पर मैं पैसा देता गया और हर बार उसकी निगाह में गिरता गया। फिर एक दिन की बात है, ट्रेन में बैठा मैं खिड़की से बाहर की एक फोटो खींच रहा था।
Sanjaya Kumar Singh : मेरा पसंदीदा अखबार। इसी को पढ़कर पत्रकारिता का चस्का लगा था और जब इसमें अपनी रिपोर्ट छप गई तो लगा अंग्रेजी में भी छप गया। उस समय सभी पत्रिकाओं में कम से कम एक रिपोर्ट छपवा लेने का रिकार्ड बना रहा था। बाद में प्रभाष जी को बताया कि टेलीग्राफ में भी छप चुका हूं तो उन्होंने कहा कि उसकी अंग्रेजी तो हिन्दी जैसी ही (आसान) है। तब समझ में आया था कि घर में स्टेट्समैन आने के बावजूद मुझे टेलीग्राफ क्यों अच्छा लगता था। पर अब भी अच्छा लग रहा है तो उसका कारण कुछ और है। इसके संस्थापक संपादक कांग्रेस से होते हुए भाजपा में पहुंच गए हैं पर अखबार के तेवर लगभग वैसे ही है। सेल्फी पत्रकारों के इस दौर में भी।
Om Thanvi : इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक कुछ पत्रकारों ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी स्व-छवि एकाधिक बार ली। एंगल जंचा नहीं तो घूम कर दुबारा आ गए। इस पर भीड़ घटाने की गरज से सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि जो एक बार सेल्फी ले चुके हों, कृपया दुबारा न लें। तब, अनुराग के अनुसार, मोदीजी ने उन्हें टोका – अरे, लेने दो। किसी को न रोको। दुबारा चाहते हैं, दुबारा लो। लो, लो, लो … लेते रहो। तुम्हें अब कोई प्रेस्टीट्यूट नहीं कहेगा!
पीएम के साथ सेल्फियाने वाले पत्रकारों को दाद मिलनी चाहिए। बेशरमी में परदा तो नहीं करते। उनसे बेहतर हैं जो साफ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।
शैलेंद्र भदौरिया ने ‘नेशनल दुनिया’ नाम से जो अखबार निकाला था, उसका अंतकाल नजदीक आया दिख रहा है. कई संस्करण पहले ही बंद हो चुके हैं. अब नेशनल एडिशन भी बंद होने की चर्चा है. एनसीआर से करीब तीन दर्जन से ज्यादा मीडियाकर्मियों को निकाले जाने की खबर है. भड़ास के पास आई एक सूचना में कहा गया है: ”officially national duniya newspaper is closed now. when employees demanded salaries of four months, shailendra bhadauria told that all had been f..ked off.”
दिल्ली से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ‘दलित दस्तक’ के संपादक एवं प्रकाशक अशोक दास को ‘प्रभाष जोशी स्मृति पत्रकारिता सम्मान’ से नवाजा गया है. श्री दास को यह पुरस्कार रायबरेली (उत्तर प्रदेश) की संस्था ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति’ की ओर से दिया गया है. 21 नवंबर को आयोजित भव्य कार्यक्रम में उन्हें यह पुरस्कार दिया गया. इस मौके पर अशोक दास ने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी को याद करते हुए उन्हें हिन्दी पत्रकारिता का प्रथम पुरुष कहा.
सरकार ने अखबारों एवं संवाद समितियों के कर्मचारियों एवं पत्रकारों के लिये मजीठिया वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं को लागू कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने भी इन अनुशंसाओं को अक्षरश लागू करने का निर्देश दिया है लेकिन इसके बावजूद दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान टाइम्स, स्टेसमैन, यूएनआई जैसे मीडिया संगठनों ने सरकार एवं उच्चतम न्यायालय के आदेशों को धत्ता बताकर या तो मजीठिया वेतन बोर्ड की अनुशंसाओं को लागू ही नहीं किया है या मनमाने तरीके से लागू किया है। यही नहीं जिन पत्रकारों ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतन वृद्धि लागू किये जाने की मांग की उनके प्रबंधकों ने उनका तबादला करने और उन्हें नौकरी से निकालने के हथकंडे अपनाये।
Ayush Shukla : लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ. धन्य हो तुम्हारा हिंदी अखबार. धन्य हो इस अखबार की डिजिटल टीम के रिपोर्टर. धन्य हो डिजिटल के संपादक जी और धन्य हो इस ग्रुप के ओवरआल मालिक जी. आप लोग भी इसे देखिए और सोचिए कि अमर उजाला की टीम के पास क्या मुद्दों का टोटा पड़ गया है जो पैंट में पेशाब कर देने जैसी चीजों को खबर बनाने पर तुले हुए हैं.
राष्ट्रीय सहारा अखबार से सूचना आ रही है कि यहां के कई संपादकों को बदल दिया गया है. राजीव सक्सेना की जगह नेशनल एडिशन का संपादक मनोज तोमर को बनाए जाने की खबर है. मनोज तोमर इससे पहले लखनऊ संस्करण के स्थानीय संपादक हुआ करते थे और उनके परफारमेंस को देखते हुए उन्हें नेशनल एडिशन का संपादक बना दिया गया है. राजीव सक्सेना के बारे में चर्चा है कि उन्हें सलाहकार के रूप में नई जिम्मेदारी दी गई है.
Rajender Singh Brar : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साधुवाद जिन्होंने इन सेल्फीचोर पत्रकारों का ढोंग उजागर किया क्योंकि पिछले एक दशक से ये लोग उनको पानी पी पी कर ‘कोस’ रहे थे और आज उसी ‘महामानव’ के साथ सेल्फी के लिये धक्कमपेल करते दिखाई दिये। घिन आती है यह सोच कर कि यही वो पत्रकार बिरादरी है जिसके कंधों पर सच लिखने और दिखाने की ज़िम्मेदारी है पर भड़वागिरी में लिप्त हैं। मेरा भाजपा के नेतृत्व से भी सवाल है कि ऐसे आयोजनों से क्या साबित करना चाहते हैं? प्रजातान्त्रिक व्यवस्था के लिये तो यही अच्छा है कि प्रेस जनता के सवाल प्रधानमंत्री के सामने रखे और देश का प्रधानमंत्री उनके जबाव देकर उसे आश्वस्त करे। बड़े से बड़े देश का मुखिया भी मीडिया के सवालों के जबाव देने को बाध्य होता है। अपने देश में पता नहीं क्यों, देश का प्रधानमंत्री बनते ही ‘मौन’ हो जाता है। ऐसी चुप्पी से किसी का भला नहीं होने वाला, पब्लिक सब समझती है और उसे जबाव देना भी आता है, बस उपयुक्त समय की तलाश में रहती है।
पटियाला : शहर के एक नेता की बेटी के साथ दुराचार करने, उसे जान से मारने की धमकियां देने के आरोपी एनआरआई पत्रकार को शनिवार को पुलिस ने ड्यूटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया जहां कोर्ट ने आरोपी को एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया। इस मौके पर कोर्ट की पार्किंग में कुछ महिलाओं ने आरोपी पत्रकार के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही उस पर टमाटर मारने की कोशिश की, लेकिन पुलिस उसे बचाकर ले गई।
Yashwant Singh : मेरे एफबी फ्रेंड लिस्ट में मौजूद पत्रकार निशांत राय ने पीएम के साथ सेल्फी की दो तस्वीरें अपने एफबी वॉल पर डाली हैं. मैंने उन्हें अनफ्रेंड किया और फिर ये कमेंट किया : ”मैं आपको अनफ्रेंड करता हूं. टीवी पर दिख रहा था कि सेल्फी के लिए लोग मरे जा रहे थे. शेम शेम. एक रचनात्मक दर्प व्यक्तित्व में नहीं हो तो फिर क्या कंटेंट और क्या मार्केटिंग. सब बराबर है. बाकी ये लिखा है आज के सेल्फीमार पत्रकारिता और प्रेस टी ट्यूट पत्रकारों पर. https://www.facebook.com/yashwantbhadas/posts/925675474184193
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ये तो फिल्म है पूरी की पूरी। ‘सेल्फी विद पीएम।’ इस पर काम होना चाहिए। एक लाइट कॉमेडी फिल्म। पत्रकारों की आपस में तकरार। एडिटर और रिपोर्टर के बीच का फसाद। पहली सेल्फी किसकी? हो सके तो मारम मार। जमकर जूतम पैजार। एसपीजी और यहां तक कि एनएसए पर भी पत्रकारों के ‘सेल्फी जुनून’ का आतंक। एक रात पहले पीएमओ में आपात बैठक। मुद्दा ये कि पीएम को पत्रकारों से महफूज कैसे रखा जाए। पीएम इन डैंजर! इतनी सटकर सेल्फी ली जाएगी तो फिर तो ‘सिक्योरिटी ब्रीच’ हो गया न। आईबी और रॉ का भी इनपुट देना। फिर नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक में इसी ‘सेल्फी’ का जलवा।
भईया Yashwant, ये कौन लोग हैं जो पीएम के साथ सेल्फी लेकर अपने जीवन पर फ़क्र महसूस कर रहे हैं। और क्यों ले रहे हैं वो सेल्फी। क्या इसलिए कि ये कोई फोटो अपार्चुनिटी है? या इसलिए कि वो इसे सोशल मीडिया पर चमका सकें? वो अपने रीअल और वर्चुअल मित्रों को इस बात का अहसास दिला सकें कि वो कितने बड़े तीस मार खां हैं? वो उन्हें बता सकें कि उनकी पहुंच कितने ऊपर तक है? उन्हें अहसास दिला सकें कि वो कितने खास हैं?
Swapnesh Dubey Real : कितना शर्मनाक है ये? एक पत्रकार और साथ ही न्यूज़ एंकर होने के नाते शर्म से सर निचे झुक गया जब ये तस्वीर सामने आई। ये स्तर है हमारा? दुःख तो इस बात का है कि इन्ही की कम्युनिटी से हम भी आते हैं अपने आप को अलग करे भी तो कैसे?
Yashwant Singh : आज मीडिया वालों का सेल्फी दिवस है। pm साब बेचारों को पूरा मौका दिए हैं। फिर भी मीडिया वाले साले कहते हैं कि हमारे pm जी असहिष्णु हैं! अबे चिरकुटों, असहिष्णु तो तुम खुद हो। मरे गिरे छटपटाये जा रहे हो सेल्फी के लिए। pm ने तुम लोगों की औकात फिर दिखा दी। बिकाऊ बाजारू के अलावा सच में ‘प्रेस टी च्यूट’ हो।
बदायूं : महिलाओ पर अश्लील फब्तियाँ कसने का विरोध करना दैनिक जागरण के स्थानीय पत्रकार को खासा महंगा पड़ा. टोकाटाकी से खिसियाये शोहदों ने पत्रकार के घर धावा बोल दिया. शोहदों ने फिल्मी अंदाज में फायरिंग करते हुए घर मे घुस कर पेशेवर गुंडों की तरह हाकियों से पत्रकार को पीटने लगे. बीच बचाव करने वाले भी जम कर पिटे. खाकी के खौफ से बेखबर शोहदे अपनी हसरत पूरी करने के बाद वापस हुए.
Rakesh Praveer : पत्रकारों पर प्रबंधन का पहरा… दुनियाभर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दम भरने वाले एक बड़े मीडिया घराने ने अपने यहां कार्यरत पत्रकारों और स्टाफ से सोशल मीडिया के उनके निजी अकाउंट डीटेल्स मांगे हैं। एक अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट क्वॉर्ट्ज के भारतीय संस्करण में प्रकाशित समाचार के अनुसार ‘बैनेट एंड कोलमैन’ अखबार समूह ने अपने तमाम पत्रकारों से कहा है कि वे अपने ट्विटर और फेसबुक के पासवर्ड दफ्तर के हवाले कर दें।
जी पुरवइया के संपादक शिवपूजन झा को आख़िरकार ज़ी मीडिया ने निकाल दिया है. उनकी जगह अनुभव खंडूरी को अंतरिम डिप्टी संपादक बनाकर भेजा गया है. उधर, मुंबई IBN7 से खबर आ रही है कि ब्यूरो चीफ निशांत शम्सी ने इस्तीफा दे दिया है. IBN7 से निशांत की छुट्टी होने के बाद से ही मुंबई मीडिया में हर कोई IBN7 का मुम्बई ब्यूरो हेड बनने की जुगत में लग गया है. खबर न्यूज़24 मुंबई से भी है. यहां संजय प्रभाकर को मुम्बई हेड बनाया गया है.
: हमारे विरोध का तरीका है पुरस्कार वापसी : हुकूमत का मतलब सिर्फ केंद्र से नहीं बल्कि राज्य से भी है : ‘’किसी के हिस्से में मकां आया तो किसी के हिस्से में दुकां आई मैं घर में सबसे छोटा था तो मेरे हिस्से में मां आई.’’ जी हां इन शब्दों और दमदार आवाज के साथ भारत के चर्चित शायर मुनव्वर राणा लोगों के दिलों में उतरते चले गए. किताबों से उनके शब्द उभरकर आंखों से आंसुओं का दरिया बहाने लगे. क्योंकि उनकी कलम ने कलाम लिखकर जहन के किसी खास कोने को छू लिया था. लेकिन साहित्य अकादमी पुरस्कार वापसी को लेकर मुनव्वर राणा अब कलामों से ज्यादा विवादों के तौर पर सुर्खियां बटोर रहे हैं. कभी नामर्द कहकर तो कभी कुत्तों को शाही टुकड़े हुकूमत के जरिए दिए जाने को लेकर. एक अच्छी खासी बहस का मुद्दा बने हुए हैं मुनव्वर साहब. इन्ही मुद्दों पर आपके आत्मीय ने मुनव्वर राणा साहब से बातचीत की. आईये जानते हैं कुछ अहम सवालों के जवाब.
मुंबई। शीना बोरा हत्याकांड में वित्तीय पहलू पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीबीआई ने अदालत में कहा कि पूर्व मीडिया उद्यमी पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी ने कथित तौर पर नौ कंपनियों की कड़ी के माध्यम से अपनी कंपनी 9एक्स मीडिया से 900 करोड़ रुपए का धन निकाला था। सीबीआई ने उस समय यह दलील दी जिस समय उसने अदालत को बताया कि उसने मुखर्जी के विदेशी बैंक खातों तक पहुंच के लिए इंटरपोल से मदद मांगी है। साथ ही अदालत ने पीटर की हिरासत 30 नवंबर तक बढ़ा दी। पीटर की हिरासत की मांग करते हुए सीबीआई ने कहा कि मुखर्जी दंपति ने करोड़ों रुपए का निवेश किया और इंद्राणी और पीटर ने साल 2006-07 के दौरान विभिन्न कंपनियों का गठन किया और उनमें 900 करोड़ रुपए का निवेश किया।
उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री आजम खान की एक हरकत के कारण हाईकोर्ट में फिर अखिलेश सरकार की थू-थू हुई. आजम खान के खिलाफ फेसबुक पर टिप्पणी करने के मामले में दलित लेखक कंवर भारती के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट को हाईकोर्ट ने राजनीति से प्रेरित करार दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि क्यों न इस मामले में पीड़ित को असाधारण मुआवजा दिया जाए.
मुंबई : भारत की प्रमुख डीटीएच (डायरेक्ट टू होम) कंपनियों में से एक टाटा स्काई ने आज अपने प्लेटफॉर्म पर न्यूजएशिया इंटरनेशनल चैनल को लॉन्च किया। यह एशियन चैनल टाटा स्काई के ग्राहकों के लिए चैनल नंबर 535 पर उपलब्ध होगा। टाटा स्काई पर लॉन्चिंग के साथ एशिया के तीन सबसे पसंदीदा इंग्लिश न्यूज चैनल में शामिल चैनल न्यूजएशिया इंटरनेशनल भारत के 14 मिलियन घरों तक पहुंचेगा। अब यह एशिया के 27 देशों में 58 मिलियन से अधिक घरों में उपलब्ध है। इसके द्वारा हर घंटे पर समाचार के प्रसारण के अलावा एशिया के व्यावसायिक कार्यक्रमों, सामयिकी, वृत्तचित्र और लाइफ स्टाइल से जुड़े कार्यक्रमों की पेशकश की जाती है।
कोझिकोड : एक मलयालम अखबार की महिला पत्रकार को मदरसों में बच्चों के साथ हो रहे कथित यौन शोषण के बारे में खुलासा करने के कारण ऑनलाइन धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। पत्रकार वी पी रंजीना ने मदरसों में हो रही इन घटनाओं के बारे में रविवार को फेसबुक पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद से उसे उसके समुदाय के लोगों के प्रचण्ड क्रोध को झेलना पड़ रहा है।
हिंदी न्यूज वेब मीडिया का बिजनेस जिस एनर्जी के साथ आगे बढ़ रहा था, वह फिलहाल मुझे कम होता दिख रहा है। इस इंडस्ट्री में मेरी शुरुआत 2012 के जनवरी में हुई थी और 2015 के मार्च में मैंने इंडस्ट्री छोड़ दी। इन तीन सालों में कभी ऐसा नहीं लगा कि हिंदी न्यूज वेब का बिजनेस मंदा होगा। ऐसा लग रहा था कि इसमें ही पत्रकारिता और पत्रकारों का भविष्य है। लेकिन 2015 के आखिरी महीनों में मामला उल्टा नजर आ रहा है। मैंने यह जानने की कोशिश की आखिर क्यों मुझे लग रहा है कि हिंदी वेब मीडिया अपनी चमक खो रहा है। कुछ वजह नजर आए –
महिला सशक्तीकरण की दिशा में कलम की ताकत ने सदा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित लेख मानस पटल पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। किन्तु वर्तमान समय में महिला संबंधित मुद्दों को उठाती पत्रिकाओं का घोर अभाव है। मेकअप, कुकिंग, ब्यूटी टिप्स, पति को खुश रखने के नुस्खे बताने वाली तमाम पत्रिकाओं की बाजार में भरमार है, लेकिन लैंगिक भेदभाव की गहरी जड़ों पर प्रहार कर सकने वाली पत्रिकाएं कहीं दिखाई नहीं देती। इस उपेक्षा को देखते हुए महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दों को गंभीरता से उठा सकने के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से युवाओं के एक समूह ने ‘नारी उत्कर्ष’ पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया है।
46वें हफ्ते की बार्क की टीआरपी में सबसे ज्यादा नुकसान एबीपी न्यूज और न्यूज24 को हुआ है. इनकी टीआरपी बहुत ज्यादा गिरी है. एबीपी न्यूज ने 2.6 अंक टीआरपी के खोए हैं. वहीं न्यूज24 ने 1.3 का नुकसान सहा है. एबीपी न्यूज नंबर चार पर लुढ़क गया है. आजतक और इंडिया टीवी की टीआरपी बढ़ी है. आजतक अपनी पहले वाली नंबर एक की पोजीशन पर पहुंच चुका है और इंडिया टीवी नंबर दो पर है. जी न्यूज ने सबसे ज्यादा फायदा कमाया है और नंबर तीन पर पहुंच गया है. देखें 46वें हफ्ते की टीआरपी….
मध्य प्रदेश के मनोज कुमार नामक एक पत्रकार ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भरपूर तेल लगाते हुए आलेख लिखा है. यह आलेख यहां इसलिए प्रकाशित किया जा रहा है ताकि पता चल सके कि कोई पत्रकार अपनी कलम को कितना पतित कर सकता है. पत्रकारिता का धर्म सत्ता की नीतियों में बुराई खोजना है. सत्ता में जाने वाले लोगों को अच्छा काम करने के लिए ही बहुमत जनता देती है. मीडिया को ये अधिकार दिया जाता है कि वह तलाश करे कि किन किन क्षेत्रों में खराब काम हो रहा है या नीतियों में कहां कहां गड़बड़ी है.
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मुट्ठी भर अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित छात्रों ने जब 25 अक्टूबर, 2011 को पहली बार ‘महिषासुर शहादत दिवस’ मनाया था, तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि यह दावानल की आग सिद्ध होगा। महज चार सालों में ही ये इन आयोजनों न सिर्फ देशव्यापी सामाजिक आलोड़न पैदा कर दिया है, बल्कि ये आदिवासियों, अन्य पिछडा वर्ग व दलितों के बीच सांस्कृतिक एकता का एक साझा आधार भी प्रदान कर रहे हैं।
नयी दिल्ली : दिल्ली सरकार ने श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया जिसमें किसी भी उल्लंघन के लिए एक साल तक की कैद की सजा और 10,000 रुपए तक के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया है।
सहरसा : पिछले दो दिनों से चल रहे बेसिकॉन् 2015 कार्यक्रम में डॉक्टरों द्वारा किये गए हरकत को किसी लोकल पेपर ने छापने की हिमाकत नहीं की। खबर चली सबसे पहले ईटीवी पर। खबर चलते ही मनो हड़कंप मच गई। आनन फानन में हुन्दुस्तान टाइम्स ने पटना एडिशन में खबर छपते हुए डॉक्टरों का बयान …
इंडिया न्यूज़ के बिज़नेस हेड राजेश शर्मा को इडिया न्यूज़ UP/UK के CEO का प्रभार दिये जाने की ख़बर है. न्यूज़ टेलीविज़न सेल्स का जाना पहचाना नाम राजेश शर्मा इस वक्त इंडिया न्यूज़ नेटवर्क के बिज़नेस हेड हैं. इंडिया न्यूज़ नेटवर्क के रीजनल चैनलों के विस्तार के लिये नयी टीम का गठन किया जा रहा …
: पत्रकारों पर हमले नहीं रुके तो जेल भरो आंदोलन – उपमन्यु : मथुरा के पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट पर नारेबाजी-प्रदर्शन कर राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपा : मथुरा। आगरा में आईजी (जोन) कार्यालय के बाहर धरना दे रहे भाजपा नेताओं की कवरेज करते पत्रकारों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने को लेकर जनपद के पत्रकारों में भारी आक्रोश है। मंगलवार को उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं ब्रज प्रेस क्लब के अध्यक्ष के नेतृत्व में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। इसके साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग भी की। साथ ही चेतावनी दी कि यदि पीडि़त पत्रकारों को न्याय नहीं मिला और उत्पीडऩ की घटनाएं जारी रही तो प्रदेश भर के पत्रकार जेल भरो आंदोलन को बाध्य होंगे।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने आगरा में कई पत्रकारों को जमकर लाठियों से पीटा और उनको घायल कर दिया। बताया जाता है कि उनके कैमरे तक तोड़ दिय गये। पत्रकार असली थे या नक़ली..? दलाल थे या ईमानदार..? कवरेज कर रहे थे या ब्लैकमेल…? हो सकता है कुछ लोगों के मन में इस दखद समय में इसी तरह के विचार आ रहे हों! हो सकता है कि कुछ प्रेस क्लबों में शराब के नशे मे धुत कुछ कथित क़लम के सिपाही सरकार को गिराने से लेकर एक एक को देख लेने का प्लान भी बना भी चुके हों!
मैंने आज भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया है. राजनीति में आने के मेरे फैसले का मुख्य कारण है कि मैंने अपने सामाजिक कार्यों के दौरान यह अनुभव किया कि वृहत्तर स्तर पर समाज की सेवा कर पाने और अधिक प्रभाव के सामने अपनी बात रख पाने के लिए एक राजनैतिक पार्टी के मजबूत संबल की बहुत अधिक जरुरत है. भाजपा में शामिल होने के मुख्य कारण यह हैं कि इस पार्टी में वंशवाद नहीं है, इसमें सर्वाधिक आतंरिक प्रजातंत्र है, यह विभिन्न वगों में विभेद नहीं करता है, एक अखिल भारतीय पार्टी है और राष्ट्रीयता की भावना पर आधारित है. जल्द ही मैं औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण करुँगी.
लखनऊ से प्रकाशित कला, संगीत और रंगमंच की त्रैमासिक पत्रिका ‘कलास्रोत” के नए अंक (अंक-३) का लोकार्पण जयपुर आर्ट समिट में हुआ। जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में यह कला मेला 21 से 25 नवम्बर तक आयोजित था जिसमें देश के कई प्रसिद्ध कलाकारों, कलासमीक्षकों, कला प्रोत्साहकों, विभिन्न कला दीर्घाओं के प्रमुखों और कलाप्रेमियों एवं युवा छात्र-छात्राओं के बीच कलास्रोत के नए अंक का लोकार्पण किया गया।
Vineet Kumar : जी न्यूज के दागदार संपादक सुधीर चौधरी को 16 दिसंबर 2012 में हुए दिल्ली गैंगरेप की पीडिता के दोस्त का इंटरव्यू करने के लिए साल 2013 का रामनाथ गोयनका सम्मान दिया गया. ये सम्मान सुधीर चौधरी के उस पत्रकारिता को धो-पोंछकर पवित्र छवि पेश करती है जिसके बारे में जानने के बाद किसी का भी माथा शर्म से झुक जाएगा. पहली तस्वीर में आप जिस महिला के कपड़े फाड़ दिए जाने से लेकर दरिंदगी के साथ घसीटने,बाल नोचने के दृश्य दे रहे हैं, ये शिक्षक उमा खुराना है. इन पर साल 2007 में लाइव इंडिया चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन किया और लोगों को बताया कि ये महिला शिक्षक जैसे पेशे में होकर छात्राओं से जिस्मफरोशी का धंधा करवाती है. चैनल ने इस पर लगातार खबरें प्रसारित की.
राष्ट्रीय सहारा देहरादून के वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक मिश्र के पिता श्री एस एन मिश्र का ह्रदयगति रुक जाने से सोमवार को उनके पैतृक निवास कानपुर में निधन हो गया। श्री मिश्र के निधन पर राष्ट्रीय सहारा के पत्रकारों ने शोक सभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और दो मिनट का मौन धारण कर उनकी …
यूपी के आगरा में पत्रकारों पर हुए लाठीचार्ज की नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने कड़ी निंदा की है। आगरा में केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री रामशंकर कठेरिया के नेतृत्व में भाजपा विधायकों और व्यापारियों द्वारा पुलिस लाइन पर एक धरने का आयोजन किया गया था जिसे कवर करने के लिए बड़ी संख्या में पत्रकार मौजूद थे। लेकिन आईजी जोन की मौजूदगी में जब पुलिस धरने पर बैठे विधायकों और व्यापारियों को खदेड़ने लगी, तो पुलिसकर्मियों ने वहां उपस्थित पत्रकारों पर भी लाठियां भांजनी शुरू कर दी।
रामनाथ गोयनका एक्सेलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड्स के आठवें संस्करण के मौक़े पर अभिनेता आमिर खान ने समाज में गहरे उतरती असुरक्षा और भय की भावना का ज़िक्र करते हुए लेखकों, कलाकारों, इतिहासकारों और वैज्ञानिकों के विरोध-प्रदर्शन के प्रति जिन शब्दों में सहमति व्यक्त की है, वह सराहनीय है. उन्होंने सृजनात्मक कर्म में लगे लोगों द्वारा अपने अहसास – अपनी हताशा और असंतुष्टि – को वाणी देने का समर्थन तो किया ही है, घटनाओं के सिलसिले को देखते हुए एक व्यक्ति और नागरिक के रूप में खुद अपने भय को भी व्यक्त किया है, साथ ही सरकार में बैठे जन-प्रतिनिधियों के रवैये से किसी तरह का आश्वासन हासिल न होने की आलोचना की है.
हम सभी जानते हैं कि हर संस्थान का अपना मैन्यूअल होता है जिसे हम नियमावली भी कहते हैं, जिसमें उस संस्थान को चलाने के कुछ नियम विधि संगत तरीके से रखे जाते हैं और उनका पालन करके ही कोई भी संस्थान अपने को चला पाती है, गैर सरकारी संस्थानों में मैन्यूअल की अनदेखी जग जाहिर है, नियम सिर्फ किताबों में रह जाते हैं उनका पालन शायद ही होता है।
New Delhi : Prasar Bharati signed three Joint Understandings with Deutsche Welle (DW) for broadcasting and co-production for providing interesting and fresh content to Indian audiences on Doordashan network, today. DW’s Director General Peter Limbourg and Prasar Bharati CEO Jawhar Sircar signed three joint understandings for future programming under the existing MOU of 2011 with DW in an event held today in Prasar Bharati. The first represents a major step towards creating new programming, with a coproduction of DW’s award-winning show Euromaxx in Hindi. The second extends the rights to dub DW’s Hindi science program Manthan into other Indian languages. The third understanding is for telecast of Sports Programmes from Transtel.
Kumar Sauvir : जय हिन्द आईजी साहब! कैसे हो मेरे माई-बाप हजूर सरकार? पहले तो आपको बधाई कि आपने आगरा के पत्रकारों को लंगड़ाकर चलना सिखा दिया। पत्रकारों के बदन पर वो लाठियां भांजी है आपने, कि पूछिए मत। देखने वाले दंग थे कि…. छोड़िये यह सब।
देश के सबसे बड़े प्रदेश की कितनी कड़वी हकीकत है कि ताजनगरी आगरा में कथित बहादुर पुलिसकर्मी धरने की कवरेज कर रहे मीडियाकर्मियों पर लाठियां चलाते हैं, उन्हें लहुलूहान करते हैं। यह कोई जांबाजी नहीं बल्कि पुलिसिया नाकामी का नमूना भर है। वैसे अर्से से मानवाधिकार सिसक रहा है। मानवाधिकार उल्लंघन में यूपी को अव्वल दर्जा हासिल है। पत्रकारों पर होने वाली हमले की वारदातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितना स्वस्थ माहौल कायम है।
दिल्ली में सोमवार को आठवें रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस अवार्ड प्रदान किए गए। ये पुरस्कार 2013 और 2014 में प्रसारण और प्रिंट पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए दिए गए। मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए भयावह दंगे के दौरान सलामत बचे लोगों की झकझोर देने वाली खबरों से लेकर सीरिया-इराक में इस्लामिक स्टेट की बर्बरता, छत्तीसगढ़ के बंध्याकरण शिविर में हुई मौतें और झारखंड में माओवादी हिंसा से पीड़ित एक गांव में क्रिकेट खेलना सीखती लड़कियों के जज्बे की खुशनुमा दास्तान इन खबरों का केंद्र थीं। इन खबरों के लिए ही देश के उत्कृष्ट खबरनवीसों को ये अवार्ड दिए गए। केंद्रीय वित्त, और सूचना प्रसारण मंत्री अरुण जेटली इस समारोह के मुख्य अतिथि थे।
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी और एक पत्रकार के बीच ट्विटर पर जमकर बहसबाजी हुई। दरअसल यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब पत्रकार ने इकानामिक टाइम्स में छपी अपनी एक खबर में इस बात का दावा किया था कि एचआरडी मिनिस्टर ने 2015-16 के लिए नए एजुकेशन सेशन में पांच हजार से ज्यादा एडमिशन के लिए सिफारिश की है जो कि इस मंत्रालय के पिछले मंत्रियों के मुकाबले 4 गुना ज्यादा है।
”प्रेस की आजादी सुरक्षित रखनी है तो पत्रकार सुरक्षित रहना चाहिए।” यह बात गत 22 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित एक संगोष्ठी में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. नंदकिशोर त्रिखा ने कही। इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने किया था और विषय था- ‘पत्रकार सुरक्षा अधिनियम और मीडिया आयोग की जरूरत।’
गुड़गांव में सहारा समय न्यूज चैनल और टाइम्स नाउ के लिए कार्यरत स्ट्रिंगर रोशन भारद्वाज को गुड़गांव पुलिस ने सोमवार शाम गिरफ्तार कर लिया. रोशन पर आरोप है कि उसने एक महिला से साथ मिलकर एक रिटायर्ड फौजी को ब्लैकमेल किया और दस लाख रुपए की मांग की. बताया जा रहा है कि रोशन के साथ गुड़गांव से पत्रकारिता कर रहा गुलशन ग्रोवर भी शामिल था. ग्रोवर कभी पी7, हरियाणा न्यूज का गुड़गांव से रिपोर्टर रहा और आजकल ANI के लिए रिपोर्टिंग कर रहा है.
एनडीटीवी चैनल और उसके मालिकानों पर मनी लांड्रिग का केस कगार पर है। प्रवर्तन निदेशालय की जांच निर्णायक मोड पर है। मामला एनडीटीवी लि. कंपनी का ब्रिटेन में वहां बनाई सबसिडरी कंपनी एनएनपीएलसी को पब्लिक इश्यू से फंड जुटाने और उसे ग्रुप कंपनी को जस का तस भेजने की एफआईपीबी की अनुमति से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि जो अनुमति पब्लिक आफरिंग की थी उसके बजाय कंपनी ने विदेशी कर्ज, बांड्स जैसे अलग तरीके से फंड जुटाया। यह एफआईपीबी की मंजूरी की शर्त और फेमा कानून की धारा का उल्लंघन था।
संकट से जूझ रहे सहारा समूह के मीडिया सेक्टर की कमान संभालने के बाद उपेन्द्र राय ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले लेते हुए सहारा मीडिया को सुगठित करने और आत्मनिर्भर बनाने की कवायद तेज कर दी है. सहारा मीडिया को सरकारी कंपनी की बजाय युवा प्रोफेशनल्स की टीम के रूप में पुनर्गठित करने हेतु साठ साल से ज्यादा उम्र के करीब 80 लोगों को हटाने का आदेश जारी किया है.
सहारा मीडिया बहुत बड़े बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहा है. सहारा प्रबंधन ने उपेंद्र राय पर पूरी तरह भरोसा करके उनके हवाले सहारा मीडिया कर दिया है. इसके बाद उपेंद्र राय हर मोर्चे पर बदलाव की कवायद में जुटे हैं. राष्ट्रीय सहारा अखबार का समूह संपादक विजय राय को बनाया गया है. प्रिंट लाइन में इनका नाम भी जाने लगा है. पहले समूह संपादक के पद पर रणविजय सिंह हुआ करते थे. प्रिंट लाइन में उपेंद्र राय का पद ग्रुप सीईओ और एडिटर इन चीफ के बतौर जा रहा है. उपेंद्र राय ग्रुप सीईओ होने के साथ साथ टीवी और अखबार दोनों के एडिटर इन चीफ हैं. विजय राय को सिर्फ अखबार का ग्रुप एडिटर बनाया गया है.
हाल ही में दैनिक जागरण के तीन कर्मचारियों ने मजीठिया के हिसाब से दिल्ली में एक करोड़ 10 लाख रुपये से ऊपर की रिकवरी फाइल की है। इसमें 1 जनवरी 2008 से 10 नवंबर 2011 तक के कार्यकाल की अंतरिम राहत भी शामिल है। उनकी रिकवरी फाइल को डीएलसी ने आगे बढ़ा दिया है।
नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों के खिलाफ सैकड़ों हथकंडे अपना कर थक हार चुके अखबार मालिकों ने मान लिया है कि वे हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। अन्य अखबार मालिकों को भी हाल ही में माननीय उच्चतम न्यायालय के लोकमत अखबार के कर्मचारी महेश साकुरे के पक्ष में आये फैसले के बाद ये स्पष्ट रूप से समझ में आ गया है कि अब उन्हें हर हाल में कर्मचारियों को उनका हक़ यानि मजीठिया विद एरियर के साथ देना होगा।
देश के प्रधानमंत्री भले चाय बेच चुके हों और चाय बेचने का बार बार गर्व से जिक्र करते हों लेकिन उनके पीएम बनने के बाद भी बाकी चाय वालों की जिंदगी में अच्छे दिन नहीं आ पाए हैं. स्कूली ड्रेस में एक नाबालिग छात्रा चाय बेचने की मजबूरी के कारण थाने में पुलिस वालों को चाय पिलाने पर मजबूर है, वह भी फ्री में. बाल अधिकार जैसे कानून के होने के बावजूद खुद पुलिस वाले इसकी सरेआम धज्जियां उड़ाते हं. आजमगढ़ क्षेत्र के डीआईजी, बलिया के पुलिस अधीक्षक और गड़वार थाना के पुलिस कर्मी इसी कक्षा चार की छात्रा के हाथों दी गई चाय को चुस्कियां लेकर पीते रहे.
Newspapers, news agencies employees to demand new wageboard
Newspapers and news agencies employees will demand the formation of a new wageboard for journalists and non-journalists following submission of the 7th Pay Commission recommendations.
चिटफण्ड कंपनी साईं प्रसाद ने अपने रीजनल मीडिया न्यूज चैनल न्यूजएक्सप्रेस मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के मीडियाकर्मियों के पीएफ में बड़ा घोटाला किया है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब इस चैनल से इस्तीफा देने के बाद मीडियाकर्मियों ने अपने अंतिम माह की सैलरी और पीएफ की माँग की। तब मीडियाकर्मियों को पता चला की न्यूज़ चैनल ने मीडियाकर्मियों की सैलरी में से पीएफ काटा लेकिन जमा ही नहीं किया था।
सेवा में, माननीय मुख्यमंत्री
श्री अखिलेश यादव जी
विषय- समाचार पत्र दैनिक जागरण द्वारा कर्मचारियों के साथ किये जा रहे अन्याय के संबंध में।
महोदय,
दैनिक जागरण की नोएडा यूनिट में अखबार मालिकों और उनके गुर्गों ने अत्याचार की इंतेहा कर दी है। लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है कि समाजवाद के सिद्धांतों पर चलने वाली उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार आखिर यह सब जानकर भी चुप क्यों है। माननीय युवा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी आप और आपकी पार्टी कर्मचारियों के हितों की लड़ाई लड़ती रही है। माननीय नेताजी धरती पुत्र श्री मुलायम सिंह यादव जी आजीवन समाजवाद के सिद्धान्तों पर चलकर शोषितों, वंचितों के हक़ के लिए संघर्ष करते रहे हैं। लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी, आज आपकी सरकार में जिला गौतमबुद्धनगर के नोएडा में समाचार पत्र दैनिक जागरण के मालिकान खुलेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं। जिले का डीएलसी कार्यालय पूरी तरह अखबार मालिकों के समर्थन में खड़ा है।
Sushant Jha : अपेक्षित बनाम उपेक्षित… कुछ तथ्य… (1.) आधे से ज्यादा पत्रकारों और करीब 80 फीसदी पब्लिक को पूछा जाए कि अपेक्षित और उपेक्षित में क्या फर्क है तो दांत निपोड़ देंगे। लेकिन लालू के कुमार ने कह दिया तो मजे ले रहे हैं। (2.) उस जमाने के लोग ऐसा ही एक किस्सा राजीव गांधी का सुनाते हैं कि बंदे ने कथित तौर पर ये पूछ लिया था कि गेंहू का पेड़ कैसा होता है! जमाना ट्विटर का नहीं था, वरना भारी ट्रॉल होता।
यशवंत भाई
सादर प्रणाम,
एक खबर bhadas4media.com पर पढ़ने को मिला कि एक पत्रकार साथी को सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं दी गई क्योंकि वह भड़ास का रीडर है. सबसे बड़ी बात यह है कि वह जिसने पत्रकार साथी को नौकरी नहीं दी, वह अभी तक अपने पद पर कैसे बना है? उसे भी तो संस्थान को निकाल देना चाहिए था. क्योंकि हकीकत तो यह है वह भी भड़ास पढ़ता है, भले ही छुप छुप कर पढ़ता हो. यह सच्चाई है कि मीडिया से जुड़ा हर आदमी.. चाहे कैमरामैन हो, पत्रकार हो यहां तक सफाई कर्मचारी भी भड़ास के रीडर हैं.
Padampati Sharma : वाह रे इमानदारी के झंडाबरदार! घोषित भ्रष्टाचारी के साथ इस ऐतिहासिक मिलन का फोटो जब आप देखेंगे, सोचा है कभी कि शर्म से डूब नहीं मरेंगे? क्या कहेंगे अपने समर्थकों को कि बड़े मुकाम हासिल करने के लिए इस तरह की गलबहियां जरूरी है.
लखनऊ। ग्रामीण मीडिया कंपनी चार संवाददाताओं के पदों पर भर्ती करने जा रही है। ये पद हैं क्राइम रिपोर्टर, न्यायिक मामलों का रिपोर्टर, हेल्थ रिपोर्टर व पॉलिटिक्स रिपोर्टर। इन विषयों पर रिपोर्टिंग का तीन से चार साल का अनुभव रखने वाले पत्रकार गाँव कनेक्शन के एसोसिएट एडिटर मनीष मिश्र को अपना आवेदन manish@gaonconnection.com पर भेज सकते हैं। ये सभी पद लखनऊ कार्यालय में स्थित हैं।
नई दिल्ली : बिहार चुनाव नतीजों के दिन यानी 8 नवंबर को एबीपी न्यूज़ व्यूअरशिप के मामले में देश का नंबर वन न्यूज़ चैनल रहा. BARC के मुताबिक एबीपी न्यूज़ का मार्केट शेयर 19 फीसदी रहा और इस मुकाम को कोई भी हिंदी न्यूज़ चैनल छू नहीं सका. 17 फीसदी मार्केट शेयर के साध आजतक दूसरे स्थान पर रहा तो 12 फीसदी मार्केट शेयर के साथ इंडिया टीवी तीसरे पायदान पर रहा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ में अपने आप को सबसे आगे दिखाने की होड़ में लगा दैनिक जागरण खुद इस अभियान को कैसे पलीता लगा रहा है इसका उदाहरण आप नोएडा में सेक्टर 62 स्थित इसकी इमारत में देख सकते हैं।
यूपी के लखीमपुर – खीरी से खबर है कि पत्रकार ज्ञानेंद्र सिंह की मौत एक सड़क हादसे में हो गई है. लखीमपुर के पत्रकार ज्ञानेंद्र सोमवार को गोला गए थे. वहां से देर रात वापसी के दौरान उनकी बाइक की टक्कर सामने से बाइक से आ रहे सैनिक पुष्पेंद्र से हो गई. सैनिक पुष्पेंद्र की …
हममें से कई साथियों ने मजीठिया वेतनमान के अनुसार अपने एरियर के क्लेम उप श्रम आयुक्त या संबंधित अदालतों में लगा दिए हैं या लगाने जा रहे हैं। साथियों एरियर का क्लेम बनाते हुए आप 30 प्रतिशत के अंतरिम राहत को जोड़ना ना भूलें। अंतरिम राहत 1 जनवरी 2008 से 10 नवंबर 2011 तक के कार्यकाल पर लागू होंगी। अंतरिम राहत की राशि पर आप 24 प्रतिशत तक का साधारण या सालाना चक्रवृद्वि ब्याज मांग सकते हैं। इसके अलावा चक्रवृद्वि ब्याज दर की गणना प्रतिदिन या महीने के अनुसार भी की जा सकती है।
हत्या बेलसर ओपी प्रभारी की हुई खबर छपी लालगंज थानाध्यक्ष की
अपने को देश का सबसे विश्वसनीय और नंबर-1 होने का दावा करने वाला ‘दैनिक भास्कर’ के पटना संस्करण ने पाठकों को अचंभित कर देने वाली एक खबर छापी है। 19 नवम्बर को प्रकाशित यह खबर भास्कर के पहले पन्ने पर सेकेंड लीड खबर है। बुधवार को वैशाली के लालगंज में उपद्रवियों के हमले में बेलसर के ओपी प्रभारी अजीत कुमार की हत्या कर दी गई थी पर ‘दैनिक भास्कर’ ने गुरुवार को अपने प्रकाशित खबर में जो हेडिंग ‘लालगंज के थानाध्यक्ष को उग्र भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला।’
आजकल आई नेक्स्ट आगरा में ख़बरों पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है. खबरों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. तथ्यों में अभाव में खबरें हास्यास्पद साबित हो रही हैं. ऐसी ही एक खबर के कारण प्रेस काउंसिल आफ इंडिया से धिक्कार योग्य घोषित किए जा चुके एडिटोरियल हेड सचिन वासवानी की अकर्मण्यता की वजह से डेस्क का स्टाफ लापरवाह बना रहता है.
हाल ही में मध्यप्रदेश की सरकार ने प्रदेश के अधिमान्य पत्रकारों के दुर्घटना बीमा तथा चिकित्सा बीमा कराने की घोषणा की थी। इसी के तहत जनरल इंश्योरेंस कम्पनी की इकाई नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा पत्रकारों के स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा किए जाने के आवेदन लिए गए। जिले में मौजूद जिला जनसम्पर्क कार्यालयों द्वारा यह फार्म पत्रकारों को वितरित किए गए।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल श्री रामनाईक से मुलाकात कर मान्यता प्राप्त संवाददाताओं को मिल रही रियायती रेल टिकट की सुविधा इंटरनेट से भी उपलब्ध कराने के लिए रेलमंत्री से पहल करने की मांग की। राज्यपाल के माध्यम से रेलमंत्री से मांग की गई है कि पत्रकारों को रेल किराए में पचास प्रतिशत की उपलब्ध छूट को गरीबरथ व दूरंतों ट्रेनों में भी अनुमन्य कराया जाए।
नई दिल्ली/ नोएडा। प्रिंट मीडिया समूहों में कार्यरत कर्मचारियों के शोषण और अत्याचारी अखबार प्रबंधनों के खिलाफ अब कर्मचारी एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे। इस क्रम में दैनिक जागरण कर्मचारी यूनियन ने आंदोलित सहारा समूह के मीडियाकर्मियों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर लड़ाई लड़ने का निश्चय किया है।
There is no daily newspaper in the Union Territory of Andaman and Nicobar. There are a few small weekly newspapers which do not employ any regular employee. One or two persons are employed by them on hourly basis to bring out the weeklies. It has been stated by Mr. Madhu Sudhan Baidya, Labour Commissioner and Director of Employment Training (Andaman and Nicobar Administration) in his affidavit filed before Hon’ble Supreme Court of India.
Om Thanvi : बड़ी आनंद दायक खबर है। मुझे दस करोड़ रूपया मिला है। एक सांसद के जरिए, पहली नवम्बर को मावलंकर हॉल में प्रतिरोध के आयोजन के लिए। यानी मेरी तंगहाली तो रातोंरात दूर हो गई। अशोक वाजपेयी और एमके रैना को ज्यादा मिला होगा, क्योंकि वे बड़े नाम हैं। हालाँकि उन्हें मुझ सरीखी जरूरत शायद न हो!
बलात्कार के एक आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता की आत्महत्या पर महीनों गैंगवार करने वाला फेसबुक एक पत्रकार की हत्या पर खामोश क्यों है? दरअसल इसे समझने के लिये रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है. दोनों मामलों को अलग से देखते ही स्थिति स्पष्ट हो जाती है. सामाजिक कार्यकर्ता एक बड़े बौद्धिक गिरोह के सदस्य थे, जिस गिरोह में बड़े संपादक, कई पत्रकार, कई मानवाधिकारी थे. गिरोह जानता था कि आरोप बलात्कार का है और इसका फैसला अदालत करेगी लेकिन इसके बाद भी फेसबुक उत्तेजित कर दिया गया. यह उत्तेजना अखबारी पन्नों से निकलकर प्रेस क्लब तक में बिखर गयी.
नई दिल्ली/ नोएडा। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की वाजिब मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने अब प्रबंधन को तगड़ी चोट देने की तैयारी कर ली है। माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश को धता बताने में जुटा जागरण प्रबंधन मजीठिया से बचने के लिए सारे हथकंडे अपना चुका है लेकिन अब उसे ऐसी चोट पड़ेगी कि कंपनी को डुबोने को तैयार बैठे प्रबंधन के चमचे बुरी तरह तिलमिला जायेंगे।
नई दिल्ली। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इण्डिया) के राष्ट्रीय महासचिव श्री रतन दीक्षित ने उस खबर को भ्रामक और गलत बताया है जिसमें यह कहा गया है कि आगामी दिनांक 07.12.2015 को पत्रकार सुरक्षा कानून गठन सहित अन्य प्रमुख मांगों को लेकर संसद के समक्ष जो प्रदर्शन कार्यक्रम प्रस्तावित है, उसे निरस्त कर दिया गया है। साथ ही उन्होंने इस खबर का भी खण्डन किया है कि संगठन के अध्यक्ष श्री रास बिहारी जी ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है।
नागपुर। दो साल पहले 61 कर्मचारियों को बिना किसी कारण के अवैध रूप से टर्मिनेट करने और कर्मचारियों के शोषण, अन्याय एवं अत्याचार के लिए कुख्यात महाराष्ट्र के कुख्यात लोकमत समाचार पत्र समूह को सुप्रीम कोर्ट से फिर एक बड़ा झटका लगा है. लोकमत के भंडारा कार्यालय में प्लानर के रूप में कार्यरत महेश मनोहरराव साकुरे को सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेतन आयोग के अनुसार वेतन देने और 1998 से लेकर अब तक पालेकर, बछावत, मणिसाना एवं मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ब्याज के साथ एरियर्स देने का फैसला सुनाया है.
Gunjan Sinha : ”बिहार के ग्रामीण इलाकों में वर्ग संघर्ष की वारदातें कवर करके जब लौटते थे हमलोग (हेमेन्द्र, अरुण रंजन, अरुण सिन्हा) तो हेमेन्द्र का रुमाल आंसुओं से भीगा रहता था और सबकी जेबें खाली हो चुकी होती थीं.”
Gunjan Sinha : अन्ततः चले गए अरुण जी, असाध्य रोग कभी उनका मनोबल न तोड़ सका और न कभी कम कर सका सामाजिक सरोकारों के प्रति उनकी जबरदस्त प्रतिबद्धता … बहुत सालता है ऐसे जूझारू पुराने साथी का यूँ असमय चले जाना…. अलविदा अरुण जी. हमेशा याद रहेगी आपकी सादगी और उसके पीछे आडम्बर-रहित आग बदलाव और प्रतिरोध की.. संघर्ष तो बहुत लोग करते हैं. कोई शहीदाना मुद्रा में, समाज पर एहसान करते हुए, कोई गिरे हुओं के बीच जैसे एक आदर्श हों, ईश्वर के भेजे दूत, नाक फुलाते हुए…
वरिष्ठ पत्रकार हेमेंद्र नारायण के निधन से जयशंकर गुप्त और दिलीप मंडल मर्माहत
Jaishankar Gupta : एक नितांत दुखद सूचना। वरिष्ठ पत्रकार एवं निजी पारिवारिक मित्र हेमेंद्र नारायण 16-17 नवंबर की आधी रात हम सबको छोड कर अनंत की यात्रा पर निकल गए। बीमार तो लंबे अरसे से थे लेकिन 32-33 वर्षो का पुराना साथ इस कदर छोड जाएंगे, इसका यकीन नहीं था। हम पहली बार संभवतः 1983 में गोहाटी में मिले थे। हम तब रविवार के साथ थे और वह इंडियन एक्सप्रेस के।
रामोजी ग्रुप ने फिल्म सिटी में शनिवार को अपने चार नए चैनल लॉन्च किए. रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव ने ईटीवी लाइफ, ईटीवी सिनेमा, ईटीवी अभिरुचि और ईटीवी प्लस चैनल लॉन्च किया. ईटीवी अपने 20 साल पूरे कर चुका है. इस मौके पर रामोजी राव ने कहा कि यह चारों चैनल लोगों के लिए …
जयपुर से सूचना है कि पत्रकार विजय शर्मा का कल यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 48 वर्ष के थे। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि स्नान घर में गिरने के कारण तीन दिन पहले एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। शर्मा के परिवार में पत्नी, एक पुत्र, एक पुत्री है। शर्मा काफी समय तक राष्ट्रीय सहारा से जुडे रहे और इन दिनों स्वतंत्र लेखन कर रहे थे। शर्मा का अन्तिम संस्कार मंगलवार को उनके पैतृक गांव अलवर में किया गया। पिंक सिटी प्रेस कलब और पत्रकार संगठनों ने विजय शर्मा के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्वाजंलि दी है।
(जन्म से बीमार और ह्वीलचेयर धारी पुत्र आदित्य शौरी के साथ अरुण शौरी. फोटो साभार हिंदुस्तान टाइम्स)
Sanjaya Kumar Singh : अरुण शौरी जब इंडियन एक्सप्रेस में संपादक थे तो मैं जनसत्ता में भर्ती हुआ था और प्रशिक्षु था तभी 1987 की हड़ताल हुई थी और हड़तालियों के हमले में मुझे चोटें आई थीं। इसलिए थोड़ी करीबी रही। जनसत्ता में रहते हुए अखबार के डेढ़ पन्नों में छपने वाले उनके आलेखों के बड़े हिस्से अनुवाद मैंने कई बार किया है। बाद में जब वे एक्सप्रेस में नहीं थे तो उनकी एक पुस्तक के अनुवाद के सिलसिले में उनके घर गया था।
पहले अरुण कुमार, फिर प्रशांत और अब हेमेन्द्र की कैंसर से असमायिक मौत से पत्रकार स्तब्ध
(हेमेंद्र और प्रशांत)
हफ्ते भर में बिहार में पत्रकारों की लगातार तीन मौतों से पत्रकार समुदाय स्तब्ध है। छह दिनों पहले वरीय पत्रकार अरुण कुमार की कैंसर से जूझते हुए मौत हो गई। सोमवार को मौर्य टीवी के पत्रकार प्रशांत कुमार चल बसे और सोमवार की ही देर रात वरीय पत्रकार हेमेन्द्र नारायण लंग संबंधी कैंसर की बीमारी के कारण चल बसे।
Geetali Saikia : बचपन में सायकिल सीखने को लेकर अक्सर भाई से मेरी लड़ाई हो जाती थी. एक तो वो लाल रंग की हरकुलिस उसे बहुत पसंद थी. दूसरी मैं इतनी कमजोर थी कि मुझे चोट लगने के डर से वो मुझे छूने भी नहीं देता था. अकसर बीमार रहती थी मैं. दुबली पतली होने के कारण उससे जीत नहीं पाती थी तो मन मसोसकर या तो घर में आ जाती या फिर बाउंड्रीवाल के किनारे लगे नारियल के पेड़ों में पत्थर मारती थी.
अभय वर्मा ने आटोमोबाइल वेबसाइट जिग व्हील्स के साथ नई पारी की शुरुआत की है. उन्होंने यहां बतौर असिस्टेंट एडिटर ज्वाइन किया है. अभय ऑटो और ट्रेवल विशेषज्ञ भी है. उधर नयनिमा बासु ने बिजनेस स्टैंडर्ड को अलविदा कहकर द हिंदू बिजनेस लाइन में बतौर सीनियर असिस्टेंट एडिटर नई पारी की शुरुआत की है. वे …
फेसबुक ने भारत में सोमवार से एक नया फीचर शुरू किया है. इंस्टैंट आर्टिकल्स नाम से. इसके लिए फेसबुक ने इंडिया टुडे, द क्विंट, आज तक, हिन्दुस्तान टाइम्स और द इंडियन एक्सप्रेस को पब्लिशिंग पार्टनर बनाया है.
इस साल के 44वें हफ्ते में भी इंडिया टीवी नंबर वन की पोजीशन पर मौजूद है. इस चैनल ने आजतक से अपना फासला पूरे एक अंक का बढ़ाया है. नंबर तीन पर एबीपी न्यूज है. चार पर न्यूज नेशन विराजमान है. न्यूज नेशन 1.3 अंक के नुकसान के बावजूद नंबर चार की कुर्सी बचाए हुए है. पांच पर जी न्यूज है. छठें पोजीशन पर न्यूज24 है. इंडिया न्यूज सातवें पोजीशन पर लटक गया है. देखें टीआरपी के आंकड़े…
यशवंत जी,
सर्वप्रथम तो आपको साधुवाद कि आपने इस भ्रामक खबर पर आईएफडब्लूजे का पक्ष जानने का प्रयास किया. इस पूरी खबर को पढ़ने से एक बात तो स्पष्ट होती है कि यह पूरी कहानी आईएफडब्लूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के.विक्रम राव को बदनाम करने की और हमारे संगठन आईएफडब्ल्यूजे की छवि धूमिल करने के लिए गढ़ी गयी है. इनमे से किसी भी बात में कोई सच्चाई नहीं है. हमारे अध्यक्ष पर आरोप लगाने के लिए जिन घटनाओं का ज़िक्र किया गया है वे सभी 5 से 15 साल पुरानी है और ये अपने में आप में बड़ा हास्यास्पद है की किसी घटना पर आरोप लगाने में इतना लम्बा समय लग गया.
सबसे ज्यादा कर्मचारियों वाले महाराष्ट्र के समाचार पत्र समूह श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशन ने अपने सभी कर्मचारियों को दीवाली के पूर्व हमेशा की तरह इस साल भी एक माह का वेतन बोनस के रूप में दिया। साथ ही सभी कर्मचारियों को एक एक लाख रुपये का मेडिक्लेम बीमा और मीठा का एक एक किलो का पैकेट भी दिया।
खबर है कि आज समाज अखबार के संपादक पद पर कुणाल वर्मा को नियुक्त कर दिया गया है. कुणाल अभी तक एक्जीक्यूटिव एडिटर हुआ करते थे. अजय शुक्ल के इस्तीफा देकर हिंदुस्तान अखबार जाने के बाद कुणाल को प्रमोशन देकर संपादक बना दिया गया है. कुणाल इसके पहले आई-नेक्स्ट अखबार में संपादक हुआ करते थे. कुणाल का आज समाज अखबार की प्रिंटलाइन में नाम जाने लगा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार विश्व बैंक में भारत की रैंकिंग में सुधार का ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन विश्व बैंक की रैंकिंग का आधार भारतीय उद्योग या पूंजी बाज़ार में पूंजी के बैलेंस पर टिका होता है, उसका कोई रिश्ता भारतीय जनता के जनजीवन से नहीं होता. वास्तविकता यह है कि भारतीय जनता की क्रय शक्ति कम हो रही है और आमदनी घट रही है. नौकरियां हैं नहीं और हमारा निर्यात कम हो रहा है. नतीजतन, भारत में न तो सामान्य आदमी खुश है और न वे खुश हैं, जिनके पास पैसा है. मुझसे ऐसे लोग कई बार टकराते हैं, जिनका बड़ा या छोटा व्यापार है. वे कहते हैं कि उनके पास पूंजी समाप्त हो रही है. पूंजी समाप्त होने का एक ही कारण वे बताते हैं कि बाज़ार अनियंत्रित, बेलगाम और अराजक स्थिति में पहुंच रहा है. कौन दिशा निर्धारित कर रहा है, कौैन दिशा भटका रहा है, यह सब नज़रों से ओझल हो गया है.
देश भर के सैकड़ों लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अखबार मालिकों द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड न दिए जाने के खिलाफ अवमानना याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगा रखी है. भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने भी सैकड़ों मीडियाकर्मियों का प्रतिनिधित्व करते हुए कई मीडिया हाउसों के मालिकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका एडवोकेट उमेश शर्मा के माध्यम से दायर कर रखी है. इन सारी याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई इकट्ठे करता है. सुप्रीम कोर्ट ने कई महीनों पहले सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि श्रम विभाग के स्पेशल अधिकारी मजीठिया वेज बोर्ड की रिपोर्ट लागू किए जाने को लेकर स्टेटस रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में सबमिट करें, उसके बाद अगली सुनवाई होगी.
The PMO (Prime Minister’s office) has asked the Union Labour Ministry to coordinate with the State Government of Uttar Pradesh for the implementation of the Majithia Award. In a letter to the Prime Minister Narendra Modi, the IFWJ requested him to immediately intervene and ensure the implementation of the Majithia Award which has already been notified by the Government of India on 11.11.2011. The writ petitions filed by the newspaper proprietors against the recommendations of the Majithia Award were also dismissed by the Hon’ble Supreme Court of India on 07.02.2014.
मीडिया संगठनों की हालत बहुत खराब है. कहने को तो ये मीडिया संगठन हैं, पत्रकारों के संगठन हैं, लेकिन इनकी औकात इतनी भी नहीं कि मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़कर उसे मीडियाकर्मियों को दिलवा सकें. प्रबंधन और सिस्टम के टुकड़े पर पलने बढ़ने वाले ये नेता किसी एक जेनुइन कार्यक्रम के दौरान भी एकजुट नहीं रह पाते. मीडियाकर्मियों के मुद्दों को लेकर संसद पर प्रदर्शन का एक कार्यक्रम बना लेकिन रास बिहारी नामक पत्रकार न सिर्फ अचानक इस्तीफा दे देता है बल्कि इकतरफा तौर पर संसद पर प्रदर्शन का घोषित कार्यक्रम रद्द करने का ऐलान कर देता है.
Respected Rajeev Parashar sir,
Suject : A serious escalation
I hereby bring to your kind notice that I am writing this email to you as a follow up mail written on 24th October, 2015. This mail is regarding a gross misuse of News24’s technical resources by Pragati Pandey.
नई दिल्ली/ नोएडा। दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने रविवार को नोएडा के सेक्टर 62 स्थित पार्क में बैठक कर मजीठिया आंदोलन के लिए रणनीति पर विचार विमर्श किया। जागरण कर्मचारियों ने बैठक में कहा कि प्रबंधन लाख कोशिशों के बाद भी एक भी कर्मचारी को आंदोलन में आने से रोकने में असफल रहा है। कर्मचारी नेता वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि हमारा आंदोलन पूरी तरह अनुशासित रहा है।
मंच ने प्रदेश आंदोलन समन्वय समिति का गठन कर 85 सदस्य शामिल किए
लखनऊ । रिहाई मंच की एक बड़ी बैठक में यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी भूमिका तय करने के बाबत मंथन हुआ। इसमें कई वक्ताओं ने कहा कि मंच को अपने प्रत्याशी उतार कर जनता को एक विकल्प देना चाहिए। देश तथा प्रदेश में आवाम पर बढ़ रहे हमले, सामज में फैल रही असहिस्णुता, सांप्रदायिकता और जातिगत हिंसा का मुकाबला करने और सरकार के जनविरोधी कारपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरने की तैयारियों को लेकर रिहाई मंच राज्य समन्वय समिति की बैठक शनिवार को लखनऊ के कैसरबाग स्थित जय शंकर प्रसाद सभागार में संपन्न हुई।
सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट पवन ने कहा है कि कार्टून आम लोगों की भावना को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है. इसे जहां पढ़े-लिखे लोग समझ सकते हैं तो इसकी पहुंच ग्रामीण तबके के लोग तक पहुंच चुकी है. यह बात उन्होंने प्रमंडलीय सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय मुंगेर प्रमंडल के तत्वावधान में राष्ट्रीय प्रेस दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित संगोष्ठी में कही. संगोष्ठी का विषय था ‘‘विचारों की अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में कार्टूनों एवं व्यंग्य चित्रों का प्रभाव व महत्व’’.
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुंबई शहर के सभी समाचार पत्र प्रतिष्ठानों के वर्ष २००७-८, २००८-९ और २००९-१० के सकल राजस्व को दर्शाने वाला टर्नओवर देना इस समय श्रम आयुक्त कार्यालय के लिये गले की हड्डी बन गया है। इस टर्नओवर को पाने के लिये मुंबई के पत्रकार शशिकांत सिंह ने आरटीआई दायर की थी जिससे पता चल सके कि कौन कौन से समाचार पत्र का उस समय कितना टर्नओवर था और किस आधार पर मजीठिया की गणना की गयी है।
नैनीताल। हिन्दुस्तान अखबार ने भड़ास में खबर छपने और बुकिंग किए लोगों द्वारा आफिस पहुंचकर बुकिंग के पैसे वापस मांगने के बाद 6 नवंबर को अपना एडिशन लांच कर दिया। आनन-फानन में किए गए अखबार लांच में जब ग्राहकों के पास पेपर पहुंचा तो नजारा कुछ और ही था।
कांगड़ा। छह महीने… सिर्फ छह महीने का वक्त बहुत थोड़ा होता है… किसी भी शुरू किए गए काम का परिणाम जानने के लिए… 9 मई 2015 को ”हिमाचल अभी अभी” की ओपनिंग से लेकर अब तक अगर मैं इन छह महीनों का आकलन करूं तो लगता है कि बहुत कुछ पाया है… हिमाचल अभी अभी मीडिया ग्रुप की बुनियाद रखते हुए कभी नहीं सोचा था कि इस काम का इतना जबरदस्त रिस्पांस मिलेगा। आप सबके सहयोग के बिना यह संभव नहीं हो पाता….
घटना छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर सरगुजा की है. यहां मनीष सोनी नामक पत्रकार कई वर्षों से जी न्यूज एमपी-सीजी से जुड़े हुए हैं. आज उन्होंने अचानक देखा कि चैनल स्क्रीन पर उनका नाम लिखकर यह चलाया जा रहा है कि मनीष सोनी को चैनल से निकाल दिया गया है, उनसे कोई किसी प्रकार का संबंध अपने जोखिम पर रखे. ऐसी ही कुछ लाइनें बदल बदल कर लगातार चल रही थी. मनीष सोनी को यकीन न हुआ कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है. उन्होंने न तो दलाली की है, न बेइमानी की है, न चोरी की है, न अपराधी हैं, तो चैनल वाले ये सलूक क्यों कर रहे हैं.
वैसे तो मोदी जी की विदेश यात्रायें आपका सुख चैन खबर बाखबर सब नियंत्रित कर लेती हैं, आप चाह कर भी मोदीमय होने से बच ही नहीं सकते। सारे चैनल उनका ही मुखड़ा दिखाते मिलते हैं और सारे अख़बार उन्हीं पर न्योछावर। सोशल मीडिया पर भी वही छाये रहते हैं पक्ष हो या विपक्ष! पर इस बार यह सब होते हुए भी कुछ और भी है जिसकी परदेदारी तो है पर वह परदे में समा नहीं रहा! इस बार लंदन में मोदी का भारी विरोध हुआ और अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया में और सोशल मीडिया में उसने खासी हलचल पैदा की।
सहारा मीडिया से सूचना है कि नए बने ग्रुप एडिटर उपेंद्र राय ने बदलाव शुरू कर दिया है. राष्ट्रीय सहारा अखबार के वाराणसी संस्करण के संपादक स्नेह रंजन को बर्खास्त कर दिया गया है. गाजीपुर के ब्यूरो चीफ आशीष कुमार सिंह को प्रमोट करके बनारस में राष्ट्रीय सहारा का नया यूनिट मैनेजर बनाया गया है. …
स्व. अरुण कुमार जी की फाइल फोटो
प्रसिद्ध पत्रकार अरूण कुमार नहीं रहे। सामाजिक-राजनीतिक सरोकारों वाले सुप्रसिद्ध जनपक्षधर पत्रकार अरूण कुमार का कल तड़के बरौनी में निधन हो गया। पिछले कुछ वर्षों से वे कैंसर से जूझ रहे थे। अरूण कुमार ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के वरिष्ठ संवाददाता के रूप में दो वर्ष पूर्व अवकाश ग्रहण किया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के पटना एडिशन से वे लगभग तीन दशकों तक संबद्ध रहे। वे श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, बिहार के महासचिव के अलावा ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया’ के सदस्य भी थे।
नासिक : नासिक सहित मुंबई और पुणे से प्रकाशित होने वाले हमारा महानगर अखबार को प्रबंधन अब नासिक और पुणे से समेटने में जुट गया है. इसकी शुरुआत नासिक से हो चुकी है. नासिक कार्यालय के सभी कर्मचारियों को सूचना देकर मुंबई कार्यालय आने या फिर राजीनामा देने को कह दिया गया है. नासिक में कार्यरत कर्मचारियों में इसको लेकर नाराजगी व्यक्त किया जा रहा है कि अचानक इस तरह से कार्यालय बंद क्यों किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि नासिक एडिशन का काम मुंबई कार्यालय से किया जाने वाला है. इसके लिए नासिक की सभी खबरें एजेंसी से लेकर पेज भरने का काम किया जाने वाला है.
कहते हैं अन्याय करने वाला से ज्यादा दोषी अन्याय सहने वाला होता है. अगर सहने वाले अन्याय होते ही इसके खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दें तो अन्याय होना ही बंद हो जाए. लेकिन हिंदी भाषी मीडियाकर्मी मूलत: डरपोक, कायर, स्वार्थी और लिजलिजे होते हैं. इनका मूल स्वभाव किसी भी तरह अपना पेट पालना होता है. इस कारण कई तरह के अन्याय अत्याचार उत्पीड़न को झेलते सहते रहते हैं. लेकिन ढेर सारे ऐसे भी साथी हैं जो अन्याय के खिलाफ न सिर्फ आवाज उठाते हैं बल्कि अन्याय को परास्त करने के लिए लंबी लोकतांत्रिक कानूनी लड़ाई का रास्ता भी अख्तियार करते हैं.
चंडीगढ़। अमर उजाला चंडीगढ़ दफ्तर में कर्मचारियों को पीने का पानी भी नहीं नसीब हो रहा। कहने को अमर उजाला देश में एक जानी-मानी मीडिया कंपनी है, लेकिन इसका एक सच यह है कि अमर उजाला चंडीगढ़ के कार्यालय में कर्मचारियों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा। अमर उजाला का खर्चा कम करने के चक्कर में कार्यालय में आने वाले पानी के कैन को बंद करवा दिया गया। नतीजा यह हुआ कि वहां काम करने वाले कर्मचारियों को पीने को पानी नहीं मिल पा रहा। मजबूरन उन्हें कर्यालय में लगा नल का पानी पीने पर विवश हाना पड़ रहा है जो बेहद गंदा है।