नैतिकता के चोले में रंगे सियार (पार्ट-तीन) : सैकड़ों पत्रकार ऐसे हैं जिन्हें तत्कालीन मुलायम सरकार ने रियायती दरों पर भूखण्ड और मकान उपलब्ध करवाए थे इसके बावजूद वे सरकारी आवासों का मोह नहीं त्याग पा रहे। इनमें से कई पत्रकार ऐसे हैं जिनके निजी आवास भी लखनऊ में हैं फिर भी सरकारी आवासों का लुत्फ उठा रहे हैं जबकि नियम यह है कि सरकारी आवास उन्हीं को दिए जा सकते हैं जिनका निजी आवास लखनऊ में न हो। कुछ पत्रकारों ने रियायती दरों पर मिले मकानों को किराए पर देकर सरकारी आवास की सुविधा ले रखी है तो कुछ सरकारी आवासों को ही किराए पर देकर दोहरा लाभ उठा रहे हैं।