केजरीवाल ने माफी मांगने का जो रास्ता ढूंढा है, मेरी राय में वह सर्वश्रेष्ठ है : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले विक्रमसिंह मजीठिया और अब नितिन गडकरी से माफी मांगकर भारत की राजनीति में एक नई धारा प्रवाहित की है। यह असंभव नहीं कि वे केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और अन्य लोगों से भी माफी मांग लें। अरविंद पर मानहानि के लगभग 20 मुकदमे चल रहे हैं। अरविंद ने मजीठिया पर आरोप लगाया था कि वे पंजाब की पिछली सरकार में मंत्री रहते हुए भी ड्रग माफिया के सरगना हैं।

जब केजरी पार्टी ‘पीटी’ जा रही थी तो कांग्रेसी उपदेश देते थे, अब कांग्रेसी ‘मारे’ जा रहे तो आपिये आइना दिखाने लगे!

Sheetal P Singh : अनुभवी लोग… अहमद पटेल पर बन आई तो अब बहुतों को लोकतंत्र याद आ रहा है ………आना चाहिये पर शर्म भी आनी चाहिये कि जब बीते ढाई साल यह बुलडोज़र अकेले केजरीवाल पर चला तब अजय माकन के नेतृत्व में कांग्रेसी राज्यपाल के अधिकारों के व्याख्याकारों की भूमिका में क्यों थे? जब एक बेहतरीन अफ़सर राजेन्द्र कुमार को सीबीआई ने बेहूदगी करके सिर्फ इसलिये फँसा दिया कि वह केजरीवाल का प्रिंसिपल सेक्रेटरी था तब भी लोकतंत्र की हत्या हुई थी कि नहीं? जब दिल्ली के हर दूसरे आप विधायक को गिरफ़्तार कर करके पुलिस और मीडिया परेड कराई गई तब भी यमुना दिल्ली में ही बह रही थी! तब कांग्रेसी बीजेपी के साथ टीवी चैनलों में बैठकर केजरीवाल को अनुभवहीन साबित कर रहे थे! अब अनुभव काम आया?

2019 में मोदी के लिए असली सिरदर्द केजरीवाल बनेंगे!

Vikram Singh Chauhan : अरविंद केजरीवाल बहुत बहादुर है, शेर हैं। वे मोदी के सामने झुके नहीं। दिल्ली में रहकर मोदी के 56 इंच के सीने पर मूंग दल रहे हैं। मोदी जहाँ गए वहां जाकर चुनाव लड़ने की चुनौती दी और बिना पहले के जनाधार और संगठन के चुनाव लड़कर मोदी का होश उड़ा दिया, हिंदुत्व ने उसे हरा दिया। वे भारत के एक अकेले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जिसके साथ वर्तमान ने अन्याय किया पर इतिहास न्याय करेगा। मीडिया पहले दिन से उनकी सुपारी ली हुई है।

केजरीवाल यानि हर रोज नया बवाल

अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी में इन दिनों जो कुछ चल रहा है, उससे राजनीतिज्ञों के प्रति अविश्वास और गहरा हुआ है। वे उम्मीदों को तोड़ने वाले राजनेता बनकर रह गए हैं। साफ-सुथरी राजनीति देने का वादा करके बनी आम आदमी पार्टी को सत्ता देने में दिल्ली की जनता ने जितनी तेजी दिखाई, उससे अधिक तेजी केजरीवाल और उनके दोस्तों ने जनता की उम्मीदें तोड़ने में दिखाई है।

एक था केजरीवाल… एक थी आम आदमी पार्टी…

Sheetal P Singh : आम आदमी पार्टी…  वे चौराहे पर हैं और उनकी याददाश्त जा चुकी है। चौराहे पर कोई साइनबोर्ड नहीं है न किसी क़िस्म का मील का पत्थर! भारतीय मध्यम वर्ग के २०११-२०१७ के दौरान जगमगाये और बुझ रहे दियों के मानिंद दिवास्वप्न हैं। उनकी समस्यायें अनंत हैं पर उनमें संभावनायें भी कम नहीं पर निश्चित ही वे एक ऐसी बारात हैं जिनमें कोई बूढ़ा नहीं जो बिना साइनबोर्ड के चौराहे पर फँस जाने पर रास्ता सुझा सके। उन्होंने ऐतिहासिक काम हाथ में लिये पर उनके सारे काम अधूरे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य में उनके आउट आफ बाक्स फ़ैसलों से वामपंथी तक एकबारगी चकरा गये पर उनके पास फालोअप न था और ब्यूरोक्रेसी वे पहले ही मोदी के हाथ LG को हार चुके थे।

सुभाष चंद्रा ने केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा ठोंका, कोर्ट ने नोटिस भेजा

Sheetal P Singh : सुभाष चन्द्रा ‘जी’ टेलिविज़न के विभिन्न अवतारों के मालिक हैं। इसके अलावा इनके तरह तरह के बिज़नेस हैं! पता चला कि उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र हरियाणा और कुछ अन्य जगहों पर इनकी कंपनियाँ बड़ी सड़कों के निर्माण का काम भी करती हैं जो आजकल की मंदी के दौर में दुधारू गाय है! वे ख़बरों के जरिये ब्लैकमेल के एक आरोपी भी हैं पर देश के उन समर्थ लोगों में हैं जिन्हे क़ानून पकड़ने से पहले परिभाषा बदल लिया करता है!

केजरीवाल के इस काम ने वरिष्ठ पत्रकार डा. वेद प्रताप वैदिक का दिल खुश कर दिया

दिल्ली की केजरीवाल सरकार के एक विज्ञापन और एक खबर ने मेरा दिल खुश कर दिया। विज्ञापन यह है कि दिल्ली के किसी भी निवासी को यदि एमआरआई, सीटी स्केन और एक्स रे जैसे दर्जनों टेस्ट करवाने हों तो वह सरकारी अस्पतालों और पोलीक्लिनिकों में जाए। यदि एक माह में उसका टेस्ट हो जाए तो ठीक वरना वह अपना टेस्ट निजी अस्पतालों में भी करवा सकता है। वह मुफ्त होगा, जैसा कि सरकारी अस्पतालों में होता है।