दूसरों को नियम कानून और नैतिकता का उपदेश देने वाले मीडिया संस्थान इन्ही उपदेशों का किस तरह नंगा नाच करते हैं यह किसी से छुपा नहीं है। एक ऐसी ही शिकायत है नवोदय टाइम्स के कर्मचारियों की जहां कर्मचारियों से मशीन की तरह काम लिया जाता है, लेकिन उसके बदले मालिक और संपादक की नजर कर्मचरियों के वेतन काटने में रहती है। किसी को मेडिकल कार्ड नहीं, अवकाश कार्ड नहीं, पीएफ का पैसा कहा जाता है, पता नहीं लेकिन मुंह खोले तो निकालने की धमकी पहले दी जाती है। यहां साप्ताहिक अवकाश या अवकाश के बारे में सोचो ही मत। जान पर आफत हो तो क्या, दवाई खाकर आओ और काम करो। जान से ज्यादा यहां काम कीमती है।