Sangam Pandey : ऊबे हुए सुखी… पोलैंड की रहने वाली तत्याना षुर्लेई से मैंने पूछा कि उन्हें भारत में सबसे अनूठी बात क्या लगती है। उन्होंने ‘मुश्किल सवाल है’ कहकर आधे मिनट तक सोचा, फिर बोलीं- ‘यहां कोई किसी नियम-अनुशासन की परवाह नहीं करता, फिर भी सब कुछ चलता रहता है, यह बहुत यूनीक है… लेकिन अच्छा है।’ मुझे याद आया कि कुछ सप्ताह पहले दफ्तर में आए एक अमेरिकी गोरे युवक जॉन वाटर ने भी कहा था- ‘वस्तुनिष्ठता फालतू चीज है’। मैंने तत्याना से कहने की कोशिश की कि अपने समाज की नियमबद्धताओं की ऊब के बरक्स वे दिल्ली के एक छोटे से हिस्से की जिंदगी के सहनीय केऑस को देखकर मुग्ध न हों, क्योंकि परवाह न करने की आदत से पैदा हुए नरक उन्होंने अभी नहीं देखे हैं।
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बहुत दिनों बाद ‘सर्वहारा’ के ‘अधिनयाकवाद’ की कोई खबर सुनाई दी है… सुनिए केरल के दो घटनाक्रम…
Sangam Pandey : खबर केरल के कोच्चि जनपद की है। अमेरिका के एक कलाकार यहाँ के एक कला-उत्सव में भाग लेने आए थे। आयोजन की समाप्ति के बाद जब वे अपना सामान समेटकर ट्रक में लदवाने लगे तो सिर्फ दस फुट की दूरी तक छह बक्से पहुँचाने के उनसे दस हजार रुपए माँगे गए। खीझकर उन्होंने कहा कि मैं अपनी कृतियाँ नष्ट कर दूँगा, पर इतना पैसा नहीं दूँगा। उन्होंने केरल की लेबर यूनियनों को माफिया की संज्ञा दी और अपने विरोध को व्यक्त करने के लिए खुद द्वारा अपनी कृतियों को नष्ट किए जाने का एक वीडियो यूट्यूब पर डाल दिया। वासवो नाम के इन अमेरिकी कलाकार के साथ हुए इस बर्ताव जैसा ही बर्ताव उत्सव में भाग लेने गए भारतीय कलाकार सुबोध केरकर के साथ भी हुआ। उन्हें दो ट्रकों पर अपना सामान लोड कराने के साठ हजार रुपए देने पड़े।
संगम पांडेय, शिल्पी गुप्ता, अभिनय, सीपी शुक्ला, सुधीर द्विवेदी, योगेश पढियार के बारे में सूचनाएं
साहित्यिक मैग्जीन ‘हंस’ से सूचना मिली है कि यहां कार्यकारी संपादक के रूप में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संगम पांडेय ने इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों का कहना है कि ‘हंस’ के संचालन समेत कुछ मुद्दों को लेकर प्रबंधन से मतभेद के बाद संगम ने खुद ही इस्तीफा दे दिया. संगम पांडेय स्टार न्यूज समेत कई न्यूज चैनलों और अखबारों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं.
‘स्लीमेन के संस्मरण’ : ब्रिटिश इंडिया के दिनों का वर्णन करते हुए अंग्रेज अफसर स्लीमेन हिंदुस्तानियों को ‘सुखी लोग’ कहते हैं…
पुस्तक ‘स्लीमेन के संस्मरण’ का लोकार्पण पिछले शनिवार 15 नवंबर को जबलपुर स्थित शहीद स्मारक भवन में हुआ. इलाहाबाद के साहित्य भंडार द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का अनुवाद कवि-कथाकार राजेन्द्र चंद्रकांत राय ने किया है. विलियम हेनरी स्लीमेन ब्रिटिश इंडिया में सन 1810 से लेकर 1856 तक कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे. उनकी ख्याति उत्तर भारत में ठगी प्रथा के उन्मूलन के लिए है.