Deepak Sharma : तकरीबन ढाई साल पहले फेसबुक की इसी वाल पर मैंने एक इंडिपेंडेंट पब्लिक मीडिया आउटलेट की पैरवी की थी. एक ऐसी आज़ाद मीडिया जो सरकार और कॉर्पोरेट की मदद के बिना चले. ये पहल , देश में स्वतंत्र मीडिया को आगे बढ़ाने की अपनी किस्म की एक नायब शुरुआत थी. शायद इसलिए सोशल मीडिया पर इस कांसेप्ट को भरपूर समर्थन मिला और रोज़ाना इस कांसेप्ट से लोग जुड़ते चले गए. कुछ ही महीनो में इंडिया संवाद का नामकरण हुआ और कई स्थापित पत्रकारों की अगुवाई में एक वेबसाइट शुरू कर दी गयी. पहले अंग्रेजी में और बाद में हिंदी में. हिंदी की न्यूज़ वेबसाइट ज्यादा कामयाब हुई. कामयाबी मिली तो इंडिया संवाद ने कुछ उतार चढ़ाव भी देखे. कुछ विचारों के मतभेद रहे, कुछ संवाद के ट्रस्ट मॉडल को लेकर …और आखिरकार कुछ साथी बिछड़े और कुछ नए शामिल हुए. पर इंडिया संवाद बढ़ता रहा.