Sanjaya Kumar Singh : बदल रहा है पत्रकारों का धंधा… हिन्दी पत्रकारों के बारे में अक्सर यह कहा सुना जाता है कि पत्रकार हैं ये तो ठीक है, गर चलाने के लिए क्या करते हैं? शुरू में यह मजाक लगता था बाद में पता चला कि देश के ज्यादातार हिस्से में बड़े-बड़े अखबारों के प्रतिनिधि असल में पैसे कमाने के लिए ठेकेदारी से लेकर ब्लैकमेल तक के धंधे करते हैं। कहने वाले कह देते हैं कि अंशकालिक संवाददाताओं के धंधे बुलंद होते हैं पर कुछेक अपवाद को नियम नहीं माना जा सकता।