पुण्‍यतिथि पर विशेष : मैंने सुन रखा था कि धूमिल अहंकारी और उजड्ड स्‍वभाव के हैं

सुदामा पाण्डेय उर्फ धूमिल की आज (10 फरवरी) पुण्‍यतिथि है। नवम्‍बर 1974 में वह ब्रेनट्यूमर के इलाज के लिए लखनऊ मेडिकल कालेज में भर्ती हुए थे। वहीं उनसे पहली मुलाकात हुई। उन दिनों मैं लखनऊ के नेशनल हेरल्‍ड अखबार में मुलाजिम था। एक रोज मेरे घर पर बनारस से नागानंद मुक्तिकंठ का एक पोस्‍टकार्ड मिला। सुदामा पांडेय धूमिल लखनऊ मेडिकल कालेज में भर्ती हैं। न्‍यूरो सर्जिकल वार्ड में। उन्‍हें ब्रेन ट्यूमर है। मैं भागा-भागा मेडिकल कालेज गया। धूमिल बीमार होने के बावजूद पूरी गर्मजोशी से मिले। संसद से सडक तक पढ चुका था।

खेवली में मनाई गयी जाने-माने कवि सुदामा पांडेय उर्फ धूमिल की जयंती, पढ़िए उनकी जीवनगाथा और कुछ लोकप्रिय कविताएं

बनारस के जंसा क्षेत्र के खेवली गाँव में कल दिन भर बड़ी चहल पहल रही. बड़ी संख्या में साहित्यकार, कवि, लेखक और सामजिक कार्यकर्त्ता जुटे थे. मौका रहा इस गाँव में ही जन्म लिए समकालीन कविता के स्तम्भ जन कवि स्व. सुदामा पाण्डेय उर्फ धूमिल की जयंती का. स्व. सुदामा पांडेय अपनी कविताएँ “धूमिल” उपनाम से लिखते थे. मात्र 38 वर्ष की ही कुल अवस्था में उन्होंने अनेक काव्य संग्रहों की रचना की और साहित्य में अमर हो गए. धूमिल जी का जन्म खेवली में हुआ था. खेवली में सुबह से ही आस पास के गाँव के बच्चे उनके निवास पर एकत्र होने लग गये थे.

खेवली में मनाई गयी धूमिल जी की जयंती

वाराणसी : जंसा क्षेत्र के खेवली गाँव में कल दिन भर बड़ी चहल पहल रही, बड़ी संख्या में साहित्यकार, कवि, लेखक और सामजिक कार्यकर्त्ता जुटे थे. वजह थी इस गाँव में ही जन्म लिए समकलीन कविता के स्तम्भ जन कवि स्व सुदामा पाण्डेय की जयंती. वे अपनी कविताएँ “धूमिल” उपनाम से लिखते थे.मात्र 38 वर्ष की ही कुल अवस्था में उन्होंने अनेक काव्य संग्रहों की रचना की और साहित्य में अमर हो गए.धूमिल जी का जन्म खेवली में हुआ था. खेवली में सुबह से ही आस पास के गाँव के बच्चे उनके निवास पर एकत्र होने लग गये थे.श्रम दान द्वारा गाँव में साफ़ सफाई की गयी. 10 बजे से एक सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित हुयी जिसमे उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 20 बच्चो को एक सामाजिक संस्था “आशा” ट्रस्ट द्वारा रोचक बाल साहित्य देकर पुरस्कृत किया गया.