आईआईटी का ये प्रोफेसर नौकरी छोड़ एक दिन चल पड़ा जंगल की ओर…

Rana Yashwant : आज एक स्टोरी आई. स्क्रिप्ट पढते ही मैं चौंक गया. कहा- कल इसको ठीक से करेंगे. अभी वही खबर दिख गई तो सोचा आपसे साझा कर लूं. शहाबुद्दीन जैसे लोगों के लिये सैकड़ों गाड़ियों का काफिला और हजारों की भीड़ चुटकियों में खड़ा हो जाते हैं, लेकिन एक आदमी इस देश की सेवा की बेहतरीन मिसाल खड़ी कर गया और हम उसको जानते तक नहीं. आलोक सागर, आईआईटी में प्रोफेसर हुआ करते थे. उनके छात्रों में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी हैं.

आईआईटी पर बरसा आरएसएस का मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइजर’

आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने अब आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को भारत विरोधी और हिन्दू विरोधी गतिविधियों का केंद्र करार दिया है। कुछ आईआईएम द्वारा सरकार के कदमों के विरोध के पीछे राजनीतिक उद्देश्य होने का जिक्र करते हुए लेख में कहा गया है कि वामदल और कांग्रेस अभी भी प्रतिष्ठित संस्थाओं पर नियंत्रण किये हुए हैं और दोनों दल संचालक मंडल और निदेशकों के जरिये एक संस्थान पर ‘वैचारिक नियंत्रण’ के संचालक (मास्टर) हैं।

आईआईटी मद्रास के छात्रों के ग्रुप पर पाबंदी लगाना फासीवादी कार्रवाई : ‘दिशा’

हाल ही में आई.आई.टी छात्रों द्वारा चलाये जा रहे अम्बेडकर पेरियार स्टडी सर्किल पर आई.आई.टी मद्रास के प्रबंधन द्वारा लगाया गया प्रतिबन्ध विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा है। दिशा छात्र संगठन ने इस प्रतिबन्ध की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है। 

तो IIT दिल्ली के प्रमुख रघुनाथ शिवगाँवकर ने इसलिए दिया इस्तीफा

Satyendra Ps : भाजपा और संघ के लुटेरे किसी भी सही आदमी को रहने नहीं देंगे। सुब्रहमन्यम स्वामी 1972 और 1991 के बीच पढाए का मेहनताना 70 लाख रुपये देने के लिए IIT दिल्ली के प्रमुख रघुनाथ शिवगाँवकर पर दबाव बनाए हुए थे। पढ़ाते क्या होंगे पता नहीं लेकिन केन्द्रीय संस्थानों में भुगतान को लेकर कोई दिक्कत नहीं होती, सब जानते हैं! साथ ही रघुनाथ से कहा जा रहा था कि सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट अकादमी खोलने के लिए iit कैम्पस में जगह दी जाए!