राहुल गांधी में नेतृत्व क्षमता है?

संदीप ठाकुर

राहुल गांधी का नाम सुनते ही आपके जहन में सबसे पहले उनकी कौन सी छवि
उभरती है…पप्पू वाली या गंभीऱ। पप्पू वाली न। आप बिल्कुल सही हैं। इसके
बाद  उनकी कौन सी बात याद आती है। यदि में गलत नहीं हूं तो आपको याद आती
हाेगी, आलू की फैक्ट्री या नारियल जूस वाली कहानी। या फिर याद आती होगी
उनके ऊपर चल रहे सोशल मीडिया के जोक्स और भाजपा नेताओं द्वारा समय समय
पर किए गए कटाक्ष। जरा सोचिए, क्या इन बातों के आधार पर राहुल को जज
किया जा सकता है? सही मायने में राहुल गांधी पप्पू हैं? क्या राहुल
गांधी पॉलिटिकल मैटीरियल नहीं हैं? क्या राहुल गांधी में नेतृत्व क्षमता
नहीं है?

देश को ‘कांग्रेस मुक्त’ करने के मायने

श्रीगंगानगर। कांग्रेस मुक्त भारत। कांग्रेस मुक्त देश। बीजेपी के महापुरुष नरेंद्र मोदी के ये शब्द लगभग 3 साल से मेरे कानों मेँ गूंज रहे हैं। अकेले मेरे ही नहीं और भी ना जाने कितने करोड़ देश वासियों के कानों मेँ होंगे ये शब्द। किसी के कानों मेँ मिठास घोल रहे होंगे और किसी के जहर। इन शब्दों का मायने ना जानने वालों के लिए ये शब्द गुड़ है और जो समझ रहे हैं उनके लिए कड़वाहट है। चिंता भी है  साथ मेँ चिंतन भी।

भारतीय राजनीति का निहायत खूंखार और ‘किलर इंस्टिंक्ट’ वाला मोदी-शाह युग!

Amitaabh Srivastava : कांग्रेस कमाल की पार्टी हो गई है। हमेशा दूसरों पर आरोप, आत्ममंथन से सख्त परहेज़। बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि गुजरात में 10-10 करोड़ में उसके विधायक खरीद रही है। आपके विधायकों का ईमान इतना ढुलमुल है, यह ज़्यादा बड़ी चिंता नहीं होनी चाहिए? कितने जहाजों में कितनी बार फेरे लगेंगे टोली बचाये रखने के लिए? कहां गयीं वो वफादारी की बातें? राहुल गांधी फिर कह देंगे हमें सब पहले से ही मालूम था।

राहुल गांधी ने नेशनल हेराल्ड के संपादक को कहा- आप मेरी और कांग्रेस पार्टी की खुलकर आलोचना करें!

Amitaabh Srivastava : एक ऐसे समय में जब केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारों पर मीडिया की आज़ादी का गला घोंटने और उसे पालतू बनाने के आरोप लग रहे हैं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी का नेशनल हेराल्ड के संपादक को यह कहना कि आप कांग्रेस पार्टी , उसके विचारों, मेरे और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ खुल कर अपनी आलोचनात्मक राय रखने के लिए आज़ाद हैं क्योंकि ये हमारे लिए ज़रूरी है कि हम उस पर गौर करें, मायने रखता है, भले ही यह किसी राजनैतिक रणनीति का हिस्सा क्यों न हो.