जगेंद्र हत्याकांड : जांच में सबसे बड़ा रोड़ा सत्ता की खाल में छिपे दलाल पत्रकार

उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव की सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा, कोतवाल श्रीप्रकाश राय और मंत्री के चार अन्य गुर्गों के खिलाफ पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाकर मारने के मामले में खुटार थाने में रिपोर्ट दर्ज तो दर्ज हो गई, अब देखिए इस मामले का अंत किस तरह होता है। चाहिए तो था कि हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने के साथ ही मंत्री को सरकार से बाहर कर दिया जाता, और उसके बाद जांच अमिताभ ठाकुर जैसे किसी ईमानदार आईपीएस से कराई जाती। लेकिन ऐसा कहां संभव है। मंत्री हत्यारोपी है, उस पर और भी कई मामले पहले से सुर्खियों में हैं। हकीकत है कि सब हाथीदांत जैसा चलता लग रहा है। जब सारे छंटे-छंटाए सियासत के टीलों पर सुस्ता रहे हैं, जिसकी नकाब हटाओ, वही अपराधियों के सरगना जैसा, तो फिर ऐसी जांच की संभावना कहां बचती है। 

 

लोकपाल के नाम पर सत्ता में आए और सवाल उठाने पर लोकपाल की ही छुट्टी कर दी!

आम आदमी पार्टी में मची भयानक कलह के बाद भी हालांकि पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पार्टी में “आल इज़ वेल”  है, लेकिन हर रोज़ हम सभी को जो देखने और सुनने को मिल रहा, उससे तो यही लगता है की केजरी हम सभी को बार बार “अप्रैल फूल” ही बना रहे हैं. हालांकि केजरी को अब इसकी ज़रूरत नहीं होनी चाहिए थी क्योंकि वह तो पहले ही हम दिल्ली वासियों को अप्रैल फूल बना कर ही दिल्ली की सत्ता पर क़ाबिज़ हुए हैं। 

सत्ता प्रतिष्ठान से टकराते रहे विनोद मेहता

दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने ‘आउटलुक’ पत्रिका के संस्थापक संपादक विनोद मेहता के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती है।

बजट के महीने में देश का वित्त मंत्री दिल्ली चुनाव के लिये बीजेपी हेडक्वार्टर में बैठने को क्यों है मजबूर

: दिल्ली फतह की इतनी बेताबी क्यों है? : बजट के महीने में देश के वित्त मंत्री को अगर दिल्ली चुनाव के लिये दिल्ली बीजेपी हेडक्वार्टर में बैठना पड़े… केन्द्र के दर्जन भर कैबिनेट मंत्रियों को दिल्ली की सड़कों पर चुनावी प्रचार की खाक छाननी पड़े… सरकार की नीतियां चकाचौंध भारत के सपनों को उड़ान देने लगे… और चुनावी प्रचार की जमीन, पानी सड़क बिजली से आगे बढ़ नहीं पा रही हो तो संकेत साफ हैं, उपभोक्ताओं का भारत दुनिया को ललचा रहा है और न्यूनतम की जरूरत का संघर्ष सत्ता को चुनाव में बहका रहा है।