प्रताप सोमवंशी के सौ शेर : एक पत्रकार का शायर बन जाना…

अम्मा भी अखबार के जैसी रोज सुबह
पन्ना-पन्ना घर भर में बंट जाती हैं

ये दो लाइनें किसी का भी मन बरबस अपनी ओर खींचने को काफी हैं। कितनी गहराई है इन दो लाइनों में। कोई गंभीर पत्रकार जब शायर या गज़लकार के रूप में सामने आता है तो कुछ ऐसे ही गजब ढाता है। गजल, शायरी में अपनी अलग किस्म की पहचान रखने वाले प्रताप सोमवंशी के सौ शेर प्रकाशित हुए हैं।

लाजवाब! राहत इंदौरी को सुनें : …किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है… (देखें वीडियो)

जाने-माने शायर राहत इंदौरी का अंदाज-ए-बयां देखिए सुनिए. इस वीडियो में राहत इंदौरी बड़ी बारीकी, हिम्मत और स्वाभिमान के साथ सच्चे दिलों की बात को प्रकट कर रहे हैं. उनकी आखिरी लाइनें तो लाजवाब कर देने वाली है जिसमें वो कहते हैं….

25 नवम्बर नजीर बनारसी की जंयती पर : …हम अपना घर न जलाते तो क्या करते?

हदों-सरहदों की घेराबन्दी से परे कविता होती है, या यूं कहे आपस की दूरियों को पाटने, दिवारों को गिराने का काम कविता ही करती है। शायर नजीर बनारसी अपनी गजलों, कविताओं के जरिए इसी काम को अंजाम देते रहे है। एक मुकम्मल इंसान और इंसानियत को गढ़ने का काम करने वाली नजीर को इस बात से बेहद रंज था कि…