खुश रहिए कि बाज़ार को हिंदी से इश्क हो गया है!

Vivek Satya Mitram लो जी, फ़िर आ गया 14 सितंबर। यही वो तारीख़ है जिस दिन मुझे मेरी हिंदी सबसे बेचारी नज़र आती है। ऐसा लगता है मानो ‘हिंदी दिवस’ हिंदी का उल्लास नहीं हिंदी का मातम मनाने के लिए आता है। सरकारी आयोजनों से लेकर, अख़बारों, पत्रिकाओं, टीवी चैनलों और सांस्कृतिक-साहित्यिक कार्यक्रमों तक में …

यशवंत किसी विचारधारा-गिरोहबाजी के आधार पर किसी को रियायत नहीं देते, इसलिए गिरोहबाजों ने चुप्पी साध रखी है!

Vivek Satya Mitram : प्रेस क्लब में हाल ही में जमा हुए पत्रकारों! इस मामले पर कहां जुटान है? इसका भी खुलासा हो जाए। वैसे भी ये हमला तो प्रेस क्लब के बाहर ही हुआ। एक वरिष्ठ पत्रकार पर कुछ ‘गुंडा छाप’ पत्रकारों द्वारा। फिर भी ना तो प्रेस क्लब के पदाधिकारियों को फर्क पड़ा ना ही साथी पत्रकारों को। Yashwant Singh को करीब से जानने वाले जानते होंगे कि वो पिछले एक दशक से गौरी जैसी ही निर्भीक पत्रकारिता कर रहे हैं। महज़ इसलिए कि वो इस हमले में ज़िंदा बच गए, पत्रकारों को उनके लिए न्याय नहीं चाहिए?

एडवाइस अड्डा डॉट कॉम के 2 साल पूरे, संस्थापक विवेक सत्य मित्रम ने यशवंत को यूं किया याद

Vivek Satya Mitram, Founder and CEO, AdviceAdda.com

The man who inspired me in becoming Entrepreneur from a Journalist! Even this person does not know that he has been an inspiration through out my entrepreneurial journey from starting up. He is Yashwant Singh (I call him Bhaiya), a firebrand journalist who left journalism long back after building an online news platform dedicated to Media Industry/ Happenings called Bhadas4media.com

इंडिया वांट्स टू नो, व्हाई मीडिया इज सो इनसेन्सिटिव अबाउट इट्स ओन पीपल! क्योंकि ‘सच ज़रूरी है’

‘सच ज़रूरी है’ की टैगलाइन के साथ ख़बरों के बाज़ार में कुछ सालों तक सच का कारोबार करने वाला न्यूज चैनल पी7 बंद हो गया। 400 से ज्यादा स्थाई कर्मचारी एक झटके में सड़क पर आ गए और आजकल वो अपने हक के लिए दफ्तर में धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। वो लोग जिन्होंने इस चैनल को एक मुकाम पर पहुंचाने के लिए जी-जान लगाकर काम किया वही लोग आज मालिकान के सामने अपनी सैलरी और बकाया रकम के भुगतान के लिए धरने पर बैठने को मजबूर हैं। अपने ही मेहनत की कमाई पाने के लिए उन्हें कानून का सहारा लेना पड़ रहा है।