मीडिया दलाल है तो क्यों?

मीडिया दलाल है… मीडिया बिका हुआ है… आज इस तरह के आरोपों से मीडिया चौतरफा घिरा हुआ है। अब तो खबरिया चैनलों के एंकर भी बहस के दौरान इस बात का उलाहना देने लगे हैं कि “आप की निगाह में हम तो दलाल हैं ही”। ऐसा नहीं कि मीडिया (अखबारों) पर पहले कभी आरोप नहीं लगे। खबरों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का ठीकरा आज भी मीडिया पर फोड़ा जाता है और मीडिया झेलता रहा है। आज अतीत का रोना रोने का समय नहीं है। मीडिया के दलाल होने के आरोप पर तो किसी निष्कर्ष पर पहुंच पाना और फरमान सुना देना संभव नहीं है फिर भी इस पर मंथन जरूरी है कि समाज के हर कोने से दलाल होने के आरोप लग रहे हैं तो क्यों?

ये मीडिया को ‘विलेन बनाने’ का दौर है

Dilnawaz Pasha : ये मीडिया को ‘विलेन बनाने’ का दौर है. भारत में ‘प्रेस्टीट्यूट’ शब्द को स्वीकार कर लिया गया है और एक धड़ा जमकर इसका इस्तेमाल कर रहा है. सरकार ने मंत्रालयों में पत्रकारों की पहुंच कम कर दी है. यहां तक कि प्रधानमंत्री अपनी यात्राओं में पत्रकारों को साथ नहीं ले जा रहे हैं, जैसा कि पहले होता था.

खबर को लेकर मेरी दो बार मुठभेड़ मुख्‍तार अंसारी से हो चुकी है

हम अपराधियों की हरकतों के खिलाफ युद्ध करें, उनके धंधे में भागीदारी क्‍यों

लखनऊ : यह कोई 13 साल पहले का हादसा है। मैं जौनपुर में हिन्‍दुस्‍तान अखबार का ब्‍यूरो प्रमुख था। खबर को लेकर दो बार मेरी मुठभेड़ मुख्‍तार अंसारी से हो गयी। एक बार एक ट्रैक्‍टर व्‍यवसायी आईबी सिंह के घर और दूसरी बार मोहम्‍मद हसन कालेज के प्रिंसिपल के यहां। तब मुख्‍तार अंसारी समाजवादी पार्टी के चहेते हुए करते थे। दोनों ही बार आयोजकों ने मुख्‍तार से मेरा परिचय कराया और मैंने सवाल पूछने शुरू किये।

हेमन्त तिवारी जैसों को नहीं पहचाना तो फिर अगला नम्बर आपका होगा

न खुद दलाली कीजिए और न दलालों को अपने आसपास फटकने दीजिए

लखनऊ : चाहे वह सीवान का काण्‍ड हो या फिर चतरा का, पत्रकारों की मौत के असल कारणों का खुलासा तो बाद में ही हो पायेगा, लेकिन अब तक इतिहास बताता है कि ऐसे मामलों में उन लोगों की खास भूमिका रहती है, जो खुद को पत्रकार कहलाते हैं और असल पत्रकार जाने-अनजाने उनके पाले में पहुंच कर अपनी बरबादी का सामान जुटा लेता है। कम से कम, चालीस साल का जिन्दा इतिहास तो मुझे खूब याद है, जिसमें किसी पत्रकार की मौत के कारणों में से एक रहे हैं जो ऐसे पत्रकारों के करीबी बन कर असल वारदात को अंजाम दिला देते हैं।

छह माह पहले स्टिंग कर चुके अशोक पांडेय सौदेबाजी करने के लिए सीडी दबाए बैठे रहे?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात आईएएस मोहम्मद शाहिद का खुफिया कैमरों से स्टिंग आपरेशन कर सुर्खियां में आए अशोक पांडेय भी सवालों को घेरे में हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जिस तरह इस सीडी के सामने आने के बाद जांच कराने से ही बचने की कोशिश की, वह उनको तो कठघरे में खड़ा करता ही है, लेकिन भाजपाई और मीडिया का एक हिस्सा पांडेय के निर्माणाधीन भवन को गिराने को लेकर जिस तरह हायतौबा मचा रहा है, वह इस पूरे प्रकरण से खड़े सवालों को नेपथ्य में धकेल रहा है। पहली बात तो यह कि इस सीडी के सामने आने से मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे नौकरशाह किस तहर दलाली का खेल खेल रहे हैं, सबके सामने आ गया। दूसरे सवालों को थोड़ी देर के लिए किनारे रख दें तो इस सीडी का यह एक उजला पक्ष है। लेकिन इस उजले पक्ष के पीछे जो भी अंधेरा है उस पर भी रोशनी डाली जानी चाहिए।

किसान मर रहे हैं, मोदी सपने दिखाते जा रहे हैं, मीडिया के पास सत्ता की दलाली से फुर्सत नहीं

Deepak Singh :  प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री बनने के बाद कौन सुध लेता हैं किसानों की? महाराष्ट्र में और केंद्र में दोनों जगह भाजपा की सरकार पर हालत जस के तस। यह हाल तब हैं जब नरेंद्र मोदी को किसानों का मसीहा बता कर प्रचार किया गया। आखिर क्यों नई सरकार जो दावा कर रही हैं की दुनिया में देश का डंका बज रहा हैं पर उस डंके की गूंज गाँव में बैठे और कर्ज के तले दबे गरीब और हताश किसान तक नहीं पहुँच पाई? क्यों यह किसान आत्महत्या करने से पहले अपनी राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं कर पाया की सरकार आगे आएगी और कुछ मदद करेगी?

वरिष्ठ पत्रकार अभय दुबे ने जी न्यूज और इसके एंकर रोहित सरदाना को लाइव ही धो डाला

जी न्यूज, इंडिया टीवी और इंडिया न्यूज जैसे न्यूज चैनलों की भाजपा परस्ती और मोदी स्तुति किसी से छिपी नहीं है. इसी कारण इन तीनों न्यूज चैनलों का आम आदमी पार्टी के प्रति भयंकर घृणा भी जग जाहिर है. ये तीनों न्यूज चैनल समय-समय पर केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को बदनाम करने के लिए फर्जी स्टिंग से लेकर फर्जी न्यूज एंगल और फर्जी प्रोग्राम तक बनाने पेश करने से नहीं चूकते. इसी क्रम में जी न्यूज ने अभी बीते कुछ दिनों पहले केजरीवाल को निशाने पर लिया. चूंकि अब दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक है इसलिए सारे भाजपा पोषित न्यूज चैनल केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को बदनाम करने में जुट गए हैं.

कुछ मीडिया घराने बीजेपी के दलाल बन गए हैं : ममता बनर्जी

दुर्गापुर। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बेबुनियाद खबरें दिखाने को लेकर मीडिया पर हमला किया। एक रैली में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष बनर्जी ने कहा कि जिस तरह खाने की सामग्री बेची जाती है, उसी तरह मेरी सरकार के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण गलत खबरें बेचना एक नया व्यापार बन गया है।