वरिष्ठ पत्रकार इरा झा ने अपने अदभुत पापा को यूं दी श्रद्धांजलि

अलविदा डेविड कॉपरफील्ड. ये उपमा जस्टिस सुरेश दत्त झा के लिए है जो संयोग से हमारे पिता थे. वो अकसर खुद अपनी तुलना डेविड कॉपरफील्ड से करते थे. उन्होंने बड़ी कठिनाइयों में अपना शुरुआती जीवन गुजारा था पर इससे कभी वह विचलित नहीं हुए. उल्टे, यह उनकी ताकत बना. उन्होंने आगे बढने के लिए मेहनत की, अपनी लाचारी का रोना नहीं रोया. यह जरूर है कि वह अपने रिश्तेदारों के घर रहकर पढे थे. जाहिर है उन्हें बड़ी दिककतें पेश आई होंगी पर उनके चेहरे पर कभी किसी के लिए शिकन नहीं देखी, उपेक्षा नहीं देखी.

इरा झा के मामले में अदालत ने कहा- टाइम्स समूह की जांच कार्यवाही अनुचित और अन्यायपूर्ण

वरिष्ठ पत्रकार इरा झा के मामले में बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड की जांच कार्यवाही को श्रम न्यायालय ने अनुचित और अन्यायपूर्ण करार दिया है. इरा झा ने 1985 ने बतौर सब एडीटर टाइम्स समूह के नवभारत टाइम्स अखबार में ज्वाइन किया था. वह 1996 में चीफ सब एडीटर बनीं थीं. हिंदी पत्रकारिता में न्यूज डेस्क की कमान संभालने वाली वह पहली महिला हैं. भारी ट्रैफिक जाम की वजह से वह दफ्तर देर से पहुंचीं. इस वजह से उनका अपने विभाग प्रमुख से विवाद हो गया.

यशवंत सिंह, इरा झा और विनायक विजेता ने अपनी-अपनी खराब सेहत के बारे में जानकारी दी

Yashwant Singh : हाई बीपी के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। ecg से लेकर कई किस्म के चेकअप हुए। डॉक्टर ने पांच दिन तक अल्कोहल, नमक, अचार से दूर रहने और दी गयी दवाएं नियम से खाते रहने को कहा है। रोज एक निश्चित टाइम पर बीपी नापते हुए छठें रोज फिर मिलने का आदेश किया है। उसने ह्रदय और दिमाग में मचे आड़ोलन को किसी किस्म का अटैक या हैमरेज होने या इनकी आहट की आशंका होने को खारिज किया है। लेकिन अलर्ट की चेतावनी जारी कर दी है। नार्मल से एलर्ट मोड में जीवन को रख दिया है।

श्रद्धांजलि : न्यायमूर्ति मेरी प्यारी बहन शिप्रा… मौत के मामले में भी अव्वल रहकर मेरे साथ अन्याय कर गई

शिप्रा ने अचानक मुझे फोन किया- मैंने शंकराचार्य से दीक्षा ले ली है और उन्होंने कहा है तुम्हें इसी जन्म में मोक्ष मिल जाएगा. तुम्हारा अगला जन्म नहीं होगा. मैं सुनती रही और झिड़ककर कहा कि कि ऐसी ऊटपटांग बाते मुझे मत सुनाओ. पर  मन माना नहीं. दिन भर रोती रही. पता नहीं कैसी बातें करती है शिप्रा. मेरे पति  वरिष्ठ पत्रकार अनंत मित्तल ने समझाया कि तुमने उसका अगला जनम देखा है क्या, जो दुखी हुए जा रही हो. पर मन तो मन है. शिप्रा उन दिनों नरसिंहपुर की डीजे यानी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन्स जज थी. मेरी सगी बहन. मुझसे सवा साल छोटी, लिहाजा जमकर लड़ते अ‍ैर दोस्ती ऐसी कि कभी बड़ी-छोटी का लिहाज नहीं, परदा नहीं.