डॉ. भीमराव आम्बेडकर की प्रतिष्ठा भारतीय समाज में देश के कानून निर्माता के रूप में है. भारत रत्न से अलंकृत डॉ. भीमराव अम्बेडकर का अथक योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता. वे हम सब के लिये प्रेरणास्रोत के रूप में युगों-युग तक उपस्थित रहेंगे. उनके विचार, उनकी जीवनशैली और उनके काम करने का तरीका हमेशा हमें उत्साहित करता रहेगा. बाबा साहेब धनी नहीं थे और न ही किसी उच्चकुलीन वर्ग में जन्म लिया था. वे अपने जन्म के साथ ही चुनौतियों को साथ लेकर इस दुनिया में आये थे लेकिन इस कुछ कर गुरजने की जीजिविषा ने उन्हें दुनिया में वह मुकाम दिया कि भारत वर्ष का उनका आजन्म ऋणी हो गया.
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126वीं जयंती पर कर्मवीर विद्यापीठ में माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता को नमन
खंडवा (म.प्र.) : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के परिसर कर्मवीर विद्यापीठ, खंडवा में आज 4 अप्रैल को पं. माखनलाल चतुर्वेदी की 126 वीं जयंती पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।
आज है माखनलाल जयंती : मजीठिया मांग रहे पत्रकार इस मीडिया पर गर्व करें कि शर्म !
राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए माखनलाल चतुर्वेदी ने लिखा कि ‘बिजली के प्रकाश में बैठकर लिखने वाले की अपेक्षा, जो रोटी बेंचकर तेल खरीदता है और फिर लिखता है उसकी ओर ध्यान देना जरूरी है, ऐसे साहित्यिक की सेवा करते हुए जो दिखाई दे उसे मेरा वन्दन है।…गरीब साहित्यिक से बड़ा मैं दुनिया में किसी को नहीं मानता। साधनहीनता में छटपटाने वाले साहित्यिक की ओर पुरानी व नयी पीढ़ियों का ध्यान किया जाना ही चाहिए। गद्दियों और सिंहासनों को चाहे जो चुनौती दे, परन्तु मृगछाला पर बैठे बृहस्पति को कोई चुनौती नहीं दे सके, यह मेरी साध है।’ 4 अप्रैल 1925 को जब खंडवा से उन्होंने ‘कर्मवीर’ का पुनः प्रकाशन किया तो उनका आह्वान था- ‘आइए, गरीब और अमीर, किसान और मजदूर, ऊंच-नीच, जित-पराजित के भेदों को ठुकराइए। प्रदेश में राष्ट्रीय ज्वाला जगाइए और देश तथा संसार के सामने अपनी शक्तियों को ऐसा प्रमाणित कीजिए, जिस पर आने वाली संतानें स्वतंत्र भारत के रूप में गर्व करें।’