Tabish Siddiqui : पहले हमारे यहाँ ब्लैक एंड वाइट टीवी होता था “बेलटेक” कंपनी का जिसमे लकड़ी का शटर लगा होता था जिसे टीवी देखने के बाद बंद कर दिया जाता था.. चार फ़ीट के लकड़ी के बक्से में होता था वो छोटा टीवी.. शटर बंद करने के बाद उसके ऊपर से एक पर्दा और डाला जाता था क्रोशिया से बुना हुवा.. लोगों के यहाँ फ्रिज टीवी और हर उस क़ीमती चीज़ पर पर्दा डाल के रखा जाता था जो उन्हें लगता था कि धूल और गर्मी से खराब हो जाएगा.. बाद में जब बिना शटर के टीवी आया तो वो मुझे बहुत अजीब सा नंगा नंगा दिखता था.. क्यूंकि मुझे उसी शटर में बंद टीवी की आदात थी.. फ्रीज़ से कपड़ा हट जाता तो वो भी नंगा दिखने लगता था…
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देश के मुसलमानों को दलितों से सीखना चाहिए राजनीति का सबक
इमामुद्दीन अलीग
इतिहास के अनुसार देश के दलित वर्ग ने सांप्रदायिक शोषक शक्तियों के अत्याचार और दमन को लगभग 5000 वर्षों झेला है और इस इतिहासिक शोषण और भीषण हिंसा को झेलने के बाद अनपढ़, गरीब और दबे कुचले दलितों को यह बात समझ में आ गई कि अत्याचार, शोषण,सांप्रदायिक पूर्वाग्रह और भेदभाव से छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका यही है कि राजनीतिक रूप से सशक्त बना जाए। देश की स्वतन्त्रता के बाद जब भारत में लोकतांत्रिक शासन की स्थापना की गई तो दलितों ने इसे अपने लिए एक बहुत बड़ी नेमत समझा। इस शुभ अवसर का लाभ उठाते हुए पूरे के पूरे दलित वर्ग ने सांप्रदायिक ताकतों के डर अपने दिल व दिमाग से उतारकर और परिणाम बेपरवाह होकर अपने नेतृत्व का साथ दिया, जिसका नतीजा यह निकला कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जनसंख्या के आधार 18-20% यानी अल्पसंख्यक में होने के बावजूद भी उन्होंने कई बार सरकार बनाई और एक समय तो ऐसा भी आया कि जब दलितों के चिर प्रतिद्वंद्वी मानी जाने वाली पार्टी भाजपा को भी दलित नेतृत्व के सामने गठबंधन के लिए सिर झुकाना पड़ा।
तुर्की के धर्मगुरु का बयान- अगर हस्तमैथुन किया तो मरने के बाद हाथ प्रेगनेंट हो जाएगा!
मुकाहिद सिहाद हान
इस्लाम के धर्म गुरु लोग जाने कैसे कैसे फतवे बयान देते रहते हैं. ताजा हास्यास्पद बयान तुर्की के एक धर्मप्रचारक ने दिया है. ये महोदय इस्लाम को बढ़ावा देने हेतु टीवी पर काफी सक्रिय रहते हैं. हस्तमैथुन पर इनके ताजे फतवे ने सोशल मीडिया में विवाद खड़ा कर दिया है. इनका कहना है कि जो लोग हस्तमैथुन करते हैं, मरने के बाद उनका हाथ गर्भवती हो जाता है और अपने अधिकारों की मांग करता है. इस मूर्खतापूर्ण बयान के बाद ट्वीटर पर लोग खूब मजे ले रहे हैं. एक शख्स ने ट्वीट कर पूछा है कि क्या मृत्यु के बाद कोई हैंड-गायनोकोलॉजिस्ट होता है? क्या वहां पर गर्भपात की इजाजत होती है? वहीं, एक दूसरे यूजर ने पूछा कि क्या आप मानते हैं कि प्रैगनेंट होना अल्लाह की दी गई सजा है?
मुसलमान होते हैं कैसे?
मैंने एक बार एक व्यक्ति से पूछा कि मुसलमान कैसे होते हैं? तो उसने बताया कि जो दंगा-फसाद और आतंक फैलाए वो मुसलमान है, जो 6-7 शादियां करके ज्यादा बच्चे पैदा करे वो मुसलमान है, जो हिंदू लड़की से शादी करके धर्म परिवर्तन करवाए, वो मुसलमान होता हैं और भी बहुत कुछ बोला था लेकिन मुझे याद नहीं है। उस व्यक्ति की बातों ने मेरे दिमाग पर गहरा असर किया। मैं सोचने लगा कि वाकई अगर मुसलमान ऐसे होते हैं तो मुझे उनसे दूर रहना चाहिए। उस व्यक्ति की बातें मेरे दिमाग में चल ही रही थीं कि मैं चाय पीने चला गया।
नमाज शुरू होने से पहले रस्मी दुआ “मुसलमानों की काफिरों की कौम पर जीत हो” का मतलब क्या है?
Chandan Srivastava : तारेक फतह का एक लेख पढ़ा जिसमें वे लिखते हैं कि…
”वे टोरंटो (कैनाडा) जहाँ वे रहते हैं, जुम्मे के नमाज को मस्जिद में जाना पसंद नहीं करते. उसमें से एक कारण ये है कि नमाज शुरू हो उसके पहले जो भी रस्मी दुआएं अता की जाती है उसमें एक दुआ “मुसलमानों की काफिरों की कौम पर जीत हो” इस अर्थ की भी होती है. बतौर तारेक फतह, यह दुआ सिर्फ टोरंटो ही नहीं लेकिन दुनियाभर में की जाती है. अब आप को पता ही है काफ़िर में तो सभी गौर मुस्लिम आते हैं – यहूदी, इसाई, हिन्दू, बौद्ध, सिख और निरीश्वरवादी भी. यह दुआ अपरिहार्य नहीं है. इसके बिना भी जुम्मे की नमाज की पवित्रता में कोई कमी नहीं होगी.”