नलिनी सिंह कल स्कर्ट टी शर्ट में दिखीं

Sanjaya Kumar Singh : नलिनी सिंह दूरदर्शन की संभवतः सबसे पुरानी एंकर हैं। 1985 में सच की परछाईं प्रस्तुत करते हुए कैसे कपड़े पहनती थीं ये तो याद नहीं है पर कल स्कर्ट टी शर्ट में थीं। आंखिन देखी भी दूरदर्शन के पुराने कार्यक्रमों में है और कल बहुत दिनों बाद दिख गया। इस कार्यक्रम में मेरी दिलचस्पी कभी रही नहीं और कल तो लगा कि आंखिन देखी असल में अपराध की खबरों की बहुत ही घटिया प्रस्तुति है और टीवी एंकर या रिपोर्टर की आंखिन देखी नहीं, हिन्दी पट्टी के पुलिसियों की आंखिन देखी है – जिसका विवरण बहुत ही फूहड़ ढंग से प्रस्तुत कर दिया जाता है।

 

नलिनी सिंह की घटिया मानसिकता को समझना-जानना है तो उनकी बेटी द्वारा लिखित उपन्यास Daughter By Court Order पढ़ें

Sanjaya Kumar Singh : पहली बार अंग्रेजी का कोई उपन्यास पूरा पढ़ा। उपन्यास हिन्दी के भी मैंने लगभग नहीं पढ़े हैं। विज्ञान का छात्र रहा हूं और इंजीनियरिंग पढ़ना था इसलिए साहित्य-कहानी में दिलचस्पी रही नहीं। वो तो पत्रकारिता का चस्का लगा और जनसत्ता में नौकरी मिल गई कि दिल्ली चला आया और जब तक तय हुआ कि पत्रकारिता की नौकरी मेरे लिए नहीं है, अनुवाद करके गुजर-बसर करने लायक कमाने लगा था। नौकरी छोड़कर भी काम चलता रहा और मैं पत्रकार ही रह गया। पर यह अलग मुद्दा है और बताना यह था कि अंग्रेजी का जो पहला उपन्यास मैंने पढ़ा वह क्या है और क्यों पढ़ा।

‘डॉटर बाई कोर्ट ऑर्डर’ : एक किताब के जरिए मां नलिनी सिंह के चेहरे से नकाब हटाया बेटी रत्ना वीरा ने

कॉरपोरेट एक्ज़ीक्यूटिव से लेखिका बनीं रत्ना वीरा ने अपना पहला उपन्यास ‘डॉटर बाई कोर्ट ऑर्डर’ लु़टियन्स दिल्ली के रईसों के पारिवारिक संपत्ति विवादों की पृष्ठभूमि में लिखा है। कहानी की नायिका, अरण्या, एक दुखी पुत्री के रुप में सामने आती है जो अपने दादा की संपत्ति में अपना पाने के लिए अदालत का सहारा लेती है और परिवार की बेटी के रूप में अपनी पहचान स्थापित करती है।