‘जनता पागल हो गयी है’ लिखने वाले शिवराम को यूं किया गया याद

कोटा। मशहूर रंगकर्मी, साहित्यकार एवं राजनेता शिवराम के स्मृति दिवस पर परिचर्चा और नुक्कड़ नाटक का आयोजन “विकल्प जन सांस्कृतिक मंच” “श्रमजीवी विचार मंच” तथा “अभिव्यक्ति नाट्य एवं कला मंच” अनाम, कोटा द्वारा आयोजित किया गया। इस स्मृति दिवस पर नुक्कड़ नाटक “विश्वास एवं अंधविश्वास” की प्रस्तुति शिवराम द्वारा संस्थापित नाट्य संस्था “अभिव्यक्ति नाट्य एवं कला मंच  “अनाम” कोटा (राजस्थान) द्वारा की गई। नाटक की दो प्रस्तुतियां कोटा मे की गई।

मैथिली एवं भोजपुरी नाट्य समारोह : ’एकादशी’ और ‘बबुआ गोबरधन’ नाटकों का मंचन

नई दिल्ली : मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली ने दिनांक 19 एवं 20 सितम्बर, 2017 को मुक्तधारा सभागार, गोल मार्केट, नई दिल्ली में दो दिवसीय ’मैथिली एवं भोजपुरी नाट्य समारोह’ का आयोजन किया। अकादमी के उपाध्यक्ष कुमार संजॉय सिंह के सान्निध्य में हुए इस आयोजन में पहले दिन बारहमासा के कलाकारों ने श्री मुकेश झा के निर्देशन में श्री हरिमोहन झा कृत ’एकादशी’ नाटक की प्रस्तुति की। दूसरे दिन रंगश्री के कलाकारों ने श्री महेन्द्र प्रसाद सिंह कृत एवं निर्देशित ’बबुआ गोबरधन’ नाटक का मंच किया।  समारोह के पहले दिन बतौर मुख्य अतिथि पधारे श्री सुमन कुमार, उप-सचिव (ड्रामा), संगीत नाटक अकादमी ने कहा कि अकादमी पूरब की भाषाओं, साहित्य, संस्कति और कला के प्रचार-प्रसार के लिए प्रशंसनीय कार्य कर रही है और उम्मीद है इसके बहुत ही सार्थक परिणाम सामने आएंगे।

‘तितली’ के बहाने आभासी दुनिया के मित्र पंकज सोनी से वास्तविक मुलाकात हुई

तितली : फ़ायदे की उड़ान… सिवनी, मप्र। इंसान का मन तितली की तरह चंचल होता है। और यह पुरूष का हो तो कई बार तितली के पंख कुंठित यौनेच्छाओं से लिपटे होते हैं और बार-बार फ्रायड के कथन को बगैर जरूरत साबित करने पर आमादा होते हैं। पुरुष को किसी लड़की के चरित्रहीन होने में दिलचस्पी सिर्फ इस बात पर होती है कि चरित्र के सन्देह का लाभ उसके अपने खाते में जाए। इससे ज्यादा चरित्रहीनता वह अफोर्ड नहीं कर सकता और लाभांश नहीं मिलने पर वह थोपे गए आरोपों के मूलधन में किसी काईंयाँ बनिए की तरह सूद पर सूद लगाता जाता है। वैसे परिवार में वह भला-मानुस बना रहता है और मौका लग जाए तो नजर बचाकर थोड़ी-बहुत “फ्री-लान्सिंग” भी कर लेता है।

National School of Drama : 26 रंगकर्मियों पर हर साल जनता का 80 करोड़ क्यों खर्चा जाए?

रानावि अपने 26 छात्रों पर जितना पैसा खर्च करता है उसका एक हिस्सा भी वे सारी जिंदगी नहीं कमा पाते… भारत रंग महोत्सव 2017 : यह किसका ‘भारंगम’ है?  राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का भारत रंग महोत्सव (भारंगम) अब जवान हो चुका है। जब 1999 मे तब के विजनरी निर्देशक राम गोपाल बजाज ने भारंगम की शुरुआत की तो इसका चौतरफा विरोध इस आधार पर हुआ कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का काम महोत्सव करना नहीं है। पिछले 19 सालों मे काफी कुछ बदला है। अमाल अल्लाना और अनुराधा कपूर की टीम ने तो इसका नाम तक बदल डाला और इसे थिएटर उत्सव कहा जाने लगा। राम गोपाल बजाज के बाद देवेंद्र राज अंकुर के समय तक तो यह भारत रंग महोत्सव बना रहा पर धीरे- धीरे इसे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय महोत्सव में बदल दिया गया।

‘जनता पागल हो गई है’ और ‘खोल दो’ का मंचन

सामाजिक जड़ता के विरुद्ध हिन्दी रंगमंच की बड़ी भूमिका

दिल्ली।  हिन्दू कालेज की हिन्दी नाट्य संस्था ‘अभिरंग’ द्वारा कालेज पार्लियामेंट के वार्षिक समारोह ‘मुशायरा’ के अन्तर्गत दो नाटकों का मंचन किया गया। भारत विभाजन के प्रसंग में सआदत हसन मंटो की प्रसिद्ध कहानी ‘खोल दो’ तथा शिवराम के चर्चित नाटक ‘जनता पागल हो गई है’ का मंचन हिन्दू कालेज के खचाखच भरे प्रेक्षागृह में हुआ। राजसत्ता और पूँजीवादी लालची ताकतों के जान विरोधी गठजोड़ के खिलाफ लिखे गए नाटक ‘जनता पागल हो गई है’ में शर्मा ने नेता, आशुतोष ने पागल, पीयूष ने जनता, पूजा ने पूंजीपति, स्नेहदीप ने इन्स्पेक्टर की मुख्या भूमिकाएं निभाईं।

कमानी ऑडिटोरियम के गेट पर ‘मैला आंचल’ के लिए 17 साल के किशोर से 70 साल के बुजुर्ग तक को गिड़गिड़ाते देखा

Navin Kumar : कोई पचास साल की एक महिला कमानी ऑडिटोरियम के मुख्य गेट के भीतर गार्ड से झगड़ा कर रही थी – मैं अंदर चली आई, मेरे पति को पार्किंग की जगह खोजने में देर लग गई उन्हें अंदर आने दीजिए प्लीज। उनके बुजुर्ग पति गेट के बाहर से हाथ हिलाते हुए कह रहे थे मैं ही हूं इनका पति। गार्ड हाथ जोड़ रहा था, “मैडम आपकी बात ठीक है लेकिन उनके लिए गेट खोला तो डेढ़ सौ लोग चढ़ बैठेंगे।” सोमवार को शाम 7 बजकर 10 मिनट पर दिल्ली के कमानी सभागार का ऐसा ही नज़ारा था। अंदर हॉल ठसाठस भरा हुआ। बीच की गैलरी तक की कारपेट पर लोग बैठे हुए। बाहर लोग मिन्नतें कर रहे थे हमें कोई कुर्सी नहीं चाहिए.. बहुत दूर से किराया भाड़ा खर्च करके आधी छुट्टी लेकर आए हैं बस नाटक देखने दीजिए।