सारा घर ले गया घर छोड़ के जानेवाला
-रासबिहारी पाण्डेय-
इस छोटे से जीवन में जिन बड़े कवि शायरों के साथ कुछ खुशनुमा शामें गुजरी हैं और कवि सम्मेलन मुशायरों में शिरकत करने का मौका मिला है ,उनमें एक नाम निदा फ़ाज़ली का भी है.पिछले 8 फरवरी को जब निदा फ़ाज़ली नहीं रहे तो वे सारी यादें एकबारगी चलचित्र की तरह आँखों के सामने घूम गयीं .उनके इंतकाल के बाद उन्हें सुपुर्दे खाक किये जाने तक छह सात घंटे उनके घर और उनके घर से चंद कदम दूर यारी रोड स्थित कब्रिस्तान और मस्जिद में गुजारने के दौरान कुछ उन दोस्तों के साथ भी अरसे बाद मिलने का मौका मिला जो अब या तो किसी की मैयत में मिलते हैं या किसी मुशायरे में . मुंबई की एक खुली सच्चाई यह भी है कि लोग अपनी जरूरतों से कुछ इस तरह बावस्ता हैं कि जिसे दिल से चाहते हैं उसे ज्यादे वक्त नहीं दे पाते, जिसे दिमाग से चाहते हैं उसे ज्यादे वक्त देना पड़ता है.