किसी अखबार ने नहीं छापी एमसीडी भर्ती घोटाले की खबर, एक अधिकारी ने सबको मैनेज किया

सभी खबर अगर समाचारपत्र और न्यूज चैनल में चलती तो शायद भड़ास की जरूरत न पड़ती। आखिरकार आज मुझे भी पत्रकार होते हुए अपनी वेदना को लोगों तक पहुंचाने के लिए भड़ास का सहारा लेना पड़ रहा है। दिल्ली नगर निगम (उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली) में प्रचार सहायक के छह पदों के लिए निकाली गई भर्ती में आरक्षित वर्ग का कोटा समाप्त करने वाले अधिकारी योगेन्द्र सिंह मान ने अपने रसकू और पद के दम पर पत्रकारों को मैनेज कर लिया है। कुछ पत्रकार इसलिए खबर नहीं लिख पाए कि उनके, उनसे ताल्लुकात है। जिन पत्रकारों ने खबर लिखने की हिम्मत दिखाई उन पत्रकारों को पहले तो स्वयं फोन कर खबर रोकने का प्रयास किया गया। जब बात नहीं बनी तो ऊपर (चीफ रिपोर्टर और एडिटर) से फोन कर मैनेज कर लिया गया।

मीडिया संस्थानों में चुपचाप चल रहा ‘व्यापम’ जैसा घिनौना खेल

इन दिनों देशभर में ‘व्यापम’ भर्ती घोटाले पर बवाल मचा है। ये घोटाला अपने नज़दीकी, रिश्तेदार या अयोग्य लोगों को धनबल के आधार पर सरकारी नौकरियों और मेडिकल-इंजीनियरिंग में प्रवेश दिलाने का है। घोटाले के उजागर होने के बाद से ही देशभर में मानो भूचाल आ गया है। ऐसे में मीडिया संस्थानों के आंतरिक भर्ती-भ्रष्टाचार पर कहावत याद आती है कि जिसके घर शीशे के होते हैं, पत्थरों से वैर नहीं पालता। बीते दिनों डीडी न्यूज़ में 10-12 पदों के लिए 500 से ज़्यादा अनुभवी पत्रकारों की भर्ती परीक्षा आयोजित की गयी थी, जिसके पैटर्न की सूचना प्रकाशित करना भी प्रसार भारती ने उचित नहीं समझा। राज्यसभा टीवी ने अयोग्य लोगों को भर्ती करने का अभियान जारी रखा हुआ है। इन भर्ती परीक्षाओं में ओएमआर शीट का इस्तेमाल न किये जाने, प्रश्नपत्रों की गोपनीयता संदिग्ध होने सहित कईं खामियां देखी गयीं जो व्यापम की तर्ज पर घोटाले की तरफ इशारा करती हैं। निजी मीडिया संस्थानों में तो और भी बुरे हाल हैं। ताज़ा मामला देश के सबसे बड़े मीडिया संस्थान होने का दावा करने वाले ज़ी न्यूज़ समूह का है। आज तक, इण्डिया टीवी से लेकर एनडी टीवी और न्यूज़ नेशन से लेकर न्यूज़ 24 तक ऐसा कोई मीडिया संस्थान नहीं जो हायर एन्ड फायर का घिनौना खेल खेल कर हज़ारों होनहार पत्रकारों का भविष्य तबाह करने की इस दौड़ में शामिल न हो। 

भड़ास की खबर ने फिर दिखाया असर, भर्ती में भ्रष्टाचार पर घिरे राज्य सभा टीवी अफसर

भड़ास फॉर मीडिया की खबर ने एक बार फिर अपना असर दिखाया है. राज्य सभा टीवी में हुई भर्ती में भ्रष्टाचार की खबर भड़ास पर प्रसारित होने के तत्काल बाद राज्य सभा टीवी के कर्ता-धर्ता  पूरे मामले पर लीपा-पोती की कोशिश में जुट गए हैं. 

राज्य सभा टीवी में बैक डोर से इंट्री, भर्तियां चोरी-चोरी चुपके-चुपके!

राज्य सभा टीवी ने जनवरी माह में पत्रकारों की भर्ती के लिए जो मैराथन इंटरव्यू आयोजित किये थे उनके परिणाम तो अभी तक घोषित नहीं किये  हैं, लेकिन पिछले दरवाज़े से अपने लोगों के लिए रास्ता ज़रूर खोल दिया है.