ताज नगरी आगरा के जिला मुख्यालय पर देसी ब्वाय विनीत से विदेशी छोरी जैकलीन ने ब्याह रचाया. विदेशी छोरी को किस कदर देसी ब्वाय ने ट्रेंड किया है, यह तब पता चला जब विदेशी बाला ‘लकड़ी की काठी..’ और ‘नानी तेरी मोरनी…’ गा कर सुनाने लगी.
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ये बच्चा खुद का नाम ठीक से नहीं पाता पर तबला-ढोलक क्या खूब बजाता है, देखें वीडियो
Yashwant Singh : गाजीपुर के इस नन्हे उस्ताद ने तो दिल खुश कर दिया. इनकी चर्चा कई लोगों के जरिए कानों तक पहुंची थी. आज इनके दर्शन भी हो गए. इनसे संबंधित कुछ वीडियो क्लिप्स मंगवाया था जिसे एडिट कर यूट्यूब पर अभी अपलोड कर दिया.
आगरा पहुंचे यशवंत ने गाया- ना सोना साथ जाएगा ना चांदी जाएगी… (देखें-सुनें वीडियो)
Yashwant Singh : आगरा गया था. जमाने बाद. ताज लिट्रेचर क्लब की संस्थापिका Bhawna के न्योते पर. भावना जी आई-नेक्स्ट, कानपुर की लांचिंग के जमाने में ब्रांड और सरकुलेशन के हेड रहे मित्र Vardan की पत्नी हैं. वो घरेलू महिला होते हुए भी घरेलू महिलाओं से अलग हैं. बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. साहित्य से लेकर अध्यात्म तक और संपादकीय से लेकर टूरिज्म तक पर गहरा पकड़ रखती हैं. उनके पतिदेव और अपने मित्र वरदान जी इन दिनों वेडिंग प्लानिंग का काम देख रहे हैं. उनकी तीन कंपनियां हैं. जाहिर है, भावना इन सबमें उनका हाथ बंटाती हैं. इससे इतर ताज लिट्रेचर क्लब भावना के अपने दिमाग की उपज है.
पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव तो अदभुत गायक निकले (देखें वीडियो)
उत्तर प्रदेश में जौनपुर के वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने रविवार को विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में हारमोनियम बजा कर ऐसा लोकगीत गाया कि विद्यार्थियों की तालियां रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं. विश्वविद्यालय के कुलपति ने संगीत को अपने मन से जोड़ने की बात की। प्रोफ़ेसर यादव बचपन से ही संगीत से जुड़े रहे हैं और कई देशों में उन्होंने अपनी प्रस्तुतियां दी है। भारतीय परिधान धोती कुर्ता पहनकर प्रोफ़ेसर यादव विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन स्थित मंच पर चढ़े तो किसी ने इस बात की उम्मीद भी नहीं की थी कि भौतिकी का प्रोफेसर ऐसा गीत गा सकता है.
आ गया ‘मेरा प्याला’, यानि ‘मधुशाला’ के आगे की कहानी, सुनिए-देखिए
हरिवंश राय बच्चन ‘मधुशाला’ रच गए और वह जन-जन में लोकप्रिय हो गया. ‘मधुशाला’ के आगे की कहानी ‘मेरा प्याला’ नाम से मेरठ के शायर बिजेंद्र सिंह परवाज़ ने रचा है. ‘मेरा प्याला’ नाम से उनकी ग़ज़लों-गीतों की किताब सन 2004 में आ गई थी लेकिन इस पर लोगों ने ध्यान नहीं दिया. बिजेंद्र सिंह परवाज़ साहब भी खेमेबंदी से अलग रहकर फक्कड़ जीवन जाने वाले शख्स हैं, सो उन्होंने भी ज्यादा इसके प्रचार-प्रसार पर ध्यान नहीं दिया.
इन दो शानदार लोक गीतों और एक जानदार लोक कविता को अब तक नहीं सुना तो फिर क्या सुना… (देखें वीडियो)
जनता के बीच से जो गीत-संगीत निकल कर आता है, उसका आनंद ही कुछ और होता है. अवधी हो या भोजपुरी. इन देसज बोलियों की लोक रंग से डूबी रचनाओं में जो मस्ती-मजा है, वह अन्यत्र नहीं मिलता. नीचे तीन वीडियोज हैं. सबसे आखिर में जाने माने कवि स्व. कैलाश गौतम की रचना है, उन्हीं की जुबानी- ‘अमउवसा का मेला’. जो लोग इलाहाबाद में कुंभ-महाकुंभ के मेलों में जाते रहे हैं, उन्हें इस कविता में खूब आनंद आएगा.
चला सखी रोप आईँ खेतवन में धानी…. (सुनें)
Yashwant Singh : भोजपुरी में सावन का एक गीत… चला सखी रोप आईँ खेतवन में धानी…. गाजीपुर के जाने माने होम्यो चिकित्सक डा. एमडी सिंह की एक भोजपुरी रचना को स्वर दिया है डा. अरविंद पांडेय जी ने. दोनों लोग वीडियो पर तस्वीर में दिख रहे हैं. टोपी वाले डा. एमडी सिंह हैं और दाएं वाले अरविंद पांडेय.
Es Gareeb Bitiya Ki Majboori Dekhiye