ये एक दिन में नहीं हुआ है। और, ये स्थापित करने में सबसे बड़ी भूमिका बड़का टाइप के सरोकारी साबित पत्रकार, लेखकों ने निभाई है। ताज़ा सागरिका घोष का मुख़्तार परिवार का महिमामंडन वाला लेख पढ़ लीजिए या किसी हरिशंकर तिवारी, रघुराज प्रताप सिंह जैसों के बारे में दिल्ली लखनऊ से इन आरोपी अपराधियों के इलाक़े में गए पत्रकारों की रिपोर्टिंग पढ़िए। सब राबिनहुड छवि बनाने का ठेका लिए दिखते हैं।