: कानाफूसी : एबीपी न्यूज चैनल से खबर है कि पीसीआर में कार्यरत एक वरिष्ठ महिला मीडियाकर्मी को इन दिनों न्याय की तलाश है. एडिटर इन चीफ शाजी जमां को सब कुछ पता है. लेकिन पीड़िता को न्याय नहीं मिल पा रहा. हुआ ये कि पीसीआर में कार्यरत वरिष्ठ महिला मीडियाकर्मी ने एक रोज अपने फेसबुक पेज पर बिना किसी का नाम लिए यह लिख दिया कि ‘एंकर ने कितना घटिया सवाल पूछा’.
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संपादक जी को टेक्निकल के कर्मचारियों ने नाम दिया है- ‘राष्ट्रीय हुदहुद’!
: (कानाफूसी) : एक राष्ट्रीय चैनल है… दिल्ली के दिल कनाट प्लेस के नजदीक है… उसके संपादक जी के बारे में वहीं के टेक्निकल के कर्मचारियों ने नाम दिया है राष्ट्रीय हुदहुद… कुछ उन्हें सीएसओ यानी चीफ सुपरवाइजिंग अफसर बोलते हैं… वजह यह कि वे आजकल चैनल में काम करने वाले कर्मचारियों का पहचान पत्र चेक करते हैं… एक दिन एक कर्मचारी आई कार्ड गले में नहीं लटकाए था तो उसके पीछे-पीछे टॉयलेट तक पहुंच गए…
मोदी के ‘हनुमान’ ने तेवर दिखाए तो अंग्रेजी अखबार यूं बन बैठा केजरीवाल विरोधी!
: कानाफूसी : जी हां. ये गासिप यानि कानाफूसी कैटगरी की खबर जरूर है, लेकिन है सोलह आने सच. देश का एक बहुत बड़ा अंग्रेजी अखबार इन दिनों मोदी के ‘हनुमान’ के इशारों पर नाचता है. आप गौर करिए. पिछले कई महीने से अंग्रेजी का यह बड़ा अखबार आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ एक कैंपेन छेड़े हुए है. क्यों? कभी सोचा आपने? अंदर की खबर ये है कि इस अखबार के सीईओ को जनवरी माह में मोदी के ‘हनुमान’ ने फोन कर बुलाया. तब सीईओ ने बताया कि वो तो इंदौर में हैं.