याद कीजिये मेरी 26 जनवरी की इस पोस्ट को…
”आज बसपा के एक जमीनी नेता से बात हुई, वह बहिन मायावती से बहुत नाराज दिखे. उन्होंने अपनी नाराजगी में दो सवाल तुरंत दाग दिए- 1. जब बहिन जी ने अंसारी बंधुओं को टिकट देने में कोई संकोच नहीं किया तो स्वामी प्रसाद मौर्य को तीन टिकट क्यों नही दिए, जबकि वह बीस साल से उनके साथ था? 2. मुसलमानों को 97 टिकट किस राजनीति के तहत दिए, जबकि यह स्पस्ट है कि वे मुस्लिम वोट ही डिवाइड करेंगे, और उसका लाभ भाजपा को होगा. मैंने कहा, आप कहना क्या चाहते हैं? उन्होंने जवाब दिया, बहिन जी भाजपा के दबाव में हैं. और वह अपने भाई को बचाने के लिए भाजपा की तरफ से खेल रही हैं. उन्होंने यहाँ तक कहा कि भाजपा ने सुरक्षित सीटों पर सबसे ज्यादा जाटव और चमार जाति के लोगों को ही टिकट दिए हैं. बोले, पूछो क्यों? मैंने कहा, क्यों? वह बोले, इसलिए कि बसपा का वोट डिवाइड हो, और वह कमजोर हो. मैंने कहा, फिर? वह बोले, फिर क्या, बसपा खत्म.”