पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने बताई पंकज श्रीवास्तव टाइप क्रांतिकारियों की असलियत, आप भी पढ़ें….

(अभिषेक उपाध्याय)


Abhishek Upadhyay : बहुत शानदार काम किया। Well done Sumit Awasthi! Well done! सालों से सत्ता की चाटुकारिता करके नौकरी बचाने वाले नाकाबिल, अकर्मण्यों को आखिर रास्ता दिखा ही दिया। उस दिन की दोपहर मैं आईबीएन 7 के दफ्तर के बाहर ही था जब एक एक करके करीब 365 या उससे भी अधिक लोगों को आईबीएन नेटवर्क से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। चैनल के अंबानी के हाथों में चले जाने के बावजूद बेहद ही मोटी सैलरी लेकर चैनल का खूंटा पकड़कर जमे हुए उस वक्त के क्रांतिकारी मैनेजिंग एडिटर खुद अपने कर कमलों से इस काम को अंजाम दे रहे थे। एक एक को लिफाफे पकड़ाए जा रहे थे।

मित्ररंजन भाई, आपने पागुरप्रेमी पंकज परवेज का पुख्ता बचाव किया है

: पंकज परवेज का विलाप और किसी की जीत के जश्न का सवाल : किसी मित्ररंजन भाई ने अपने मित्र पंकज परवेज मामले पर जोरदार बचाव किया है। बचाव में घिसे हुए वामपंथी रेटॉरिक और शाप देने वाले अंदाज में परवेज भाई के चेहरे से नकाब खींचने वालों की लानत मलामत की गई है। लेकिन परवेज भाई की पवित्र और पाक क्षवि पर सवाल उठाने वाले लोगों को भाजपाई और संघी कहने का उनका अंदाज उस लिथड़ी हुई रजाई की तरह हो गया है जिसकी रुई की कई सालों से धुनाई नही की गई है। पार्टी और संगठन में असहमति और आलोचना पर संघी होने का ठप्पा लगा देने की रवायत बहुत पुरानी रही है। लेकिन दुर्वासा शैली में कोसने और गरियाने के बावजूद इस संगठन और पीछे की पार्टी का स्वास्थ्य दिनोंदिन खराब होता जा रहा है। लेकिन कॉमरेड लोग हैं कि मुट्ठी तानने / मारने में मशगूल हैं।

“सूत न कपास जुलाहे में लट्ठम-लट्ठा”

“सूत न कपास जुलाहे में लट्ठम-लट्ठा” ये बात जाहिर होती है पत्रकारिता बचाने के नाम पर लड़ाई करने वालों के सोशल मीडिया स्वांग से| अभी हाल का ही मामला ले लीजिये एक भड़ास4मीडिया के यशवंत सिंह हैं ने आईबीएन 7 के पंकज श्रीवास्तव मामले में जिस बचपने का परिचय दिया है उससे तो यही लगता है कि चैनलों और दूसरे मीडिया संस्थानों के भीतर की खबरों को भड़ास पर दिखा के यशवंत मीडिया के नामचीन मठाधीशों में शामिल तो हो गए लेकिन भड़ास से सिर्फ उनके व्यक्तिगत संबंधों और संपर्कों के सिवा और कुछ नहीं निकला| लेकिन अगर ये अनुमान लगाया जाए कि इससे देश दुनिया समाज और खुद पत्रकारिता पर फर्क क्या पड़ा तो नतीजा ढ़ाक के तीन पात ही नज़र आता है|

पेंदी रहित पंकज परवेज उर्फ पंकज श्रीवास्तव के विलाप के पीछे की कुछ कहानियां

साथ मिलेगा…भरपूर मिलेगा पंकज श्रीवास्तव उर्फ ‘पंकज परवेज’। आप बस जाकर मुट्ठी ताने रहिए मुट्ठीगंज में….सॉरी कर्नलगंज में। सुना है आप सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) में होल टाइमर थे। कब थे ये तो नहीं पता लेकिन “लाल फरेरे तेरी कसम, इस जुल्म का बदला हम लेंगे”…। लेकिन परवेज भाई अभी तो कुछ ही महीनों पहले आपने फेसबुक पर अपना नाम बदल लिया था, पंकज श्रीवास्तव से ‘श्रीवास्तव’ हटाकर ‘परवेज’ रख लिया था। आज देख रहा हूं कि बर्खास्तगी विलाप में आप ‘परवेज’ नाम को हटाकर दोबारा ‘वास्तव में श्री’ हो गए हैं। खैर मजाक छोड़िए अब तो हम आपको परवेज भाई ही कहेंगे।