जब फेसबुक की खुबसूरत “बला” ने मुझे ब्लॉक कर दिया… पढ़ें लाइव चैट

बच गया गुरु आज एक खुबसूरत दिखाई देने वाली फेसबुकिया मोहतरमा के हाथों नंगा होने से…आप भी अलर्ट रहें… इस फेसबुक पर खूबसूरत सी दिखाई देने वाली कई मोहतरमायें मर्दों को इनबाक्स में घर बैठे बैठे ही नंगा करने का इंतजाम करे बैठीं हैं… खूबसूरत चेहरे वाली जलील मोहतरमा और मेरी चैट को पढ़ें….

यशवंत पर जंगली सांपों के काटने का भला क्या असर होगा!

भड़ास के ‘मुखिया’ यशवंत सिंह को गांव में काले नाग ने डस लिया है। खबर लगने पर भड़ासियों के बदन में गरमी दौड़ गयी। जितने मुंह उतनी बातें। कुछ का मानना है, सांप अगर जहरीला हुआ, और इलाज में देरी हुई होगी, तो खतरा मरीज (यशवंत सिंह) की जान को हो जायेगा। कुछ इस सोच में जुटे हैं कि, कहां काला सांप और कहां भला इंसानी शख्शियत वाले यशवंत सिंह। भला दोनो का भी कोई जोड़ हो सकता है!

डाक्टर को बाउंसरों ने घसीटते हुए कहा था- ”स्टेज पर चलो, तुम्हारा बाप (मिका) तुम्हें बुला रहा है” (देखें इंटरव्यू)

पहले राखी सावंत और फिर सनी लियोनी की ‘किस’ करके साफ-साफ बच निकले सिंगर मिका सिंह इस बार बुरी तरह फंस गये हैं. 11 अप्रेल 2015 को दिल्ली स्थित पूसा इंस्टीट्यूट के मेला ग्राउंड में आयोजित रंगारंग नाइट में मिका सिंह ने एक प्रशिक्षु डॉक्टर को सरेआम थप्पड़ जड़ दिया. इस नाइट का आयोजन DELHI OPHTHALMOLOGICAL SOCIETY (DOS) द्वारा कराया गया था.

यूपी पुलिस, समाजवादी सरकार और डर्टी पिक्चर

जब नाम समाजवादी पार्टी है, तो जाहिर है कि बतौलेबाजी भी ‘समाजवाद’ की ही होगी। समाजवाद का रूप, चेहरा-मोहरा सुंदर, सभ्य, शालीन होना चाहिये या फिर वीभत्स…! इसकी गारंटी समाजवाद की बैसाखियों पर राजनीति कर रहे मुलायम सिंह से लेकर सूबे की सल्तनत के सर्वे-सर्वा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक कोई लेने/ देने को तैयार नहीं है। तो फिर भला उनकी पुलिस ने क्या समाजवाद को सजाने-संवारने का ठेका ले रखा है।

भारत की पहली महिला आईपीएस प्रकरण, ‘गूगल’ और खुद के ‘अल्प-ज्ञान’ पर शर्मिंदा हूं

: ‘गूगल’ भी हमारे ‘ज्ञान’ के रहम-ओ-करम पर हंसता-सिसकता है साहब! :

सवाल- भारत की पहली महिला आईपीएस कौन थी?

जबाब- ‘किरन बेदी’…..भारत सहित दुनिया भर में अबतक खिंचा चला आ रहा था…..

‘बिलकुल सही जबाब….’

लेकिन अब इस सवाल का सही जबाब ‘किरन बेदी’ गलत साबित होगा। सही जबाब होगा…मरहूम सुरजीत कौर।

हां, शर्मिंदा हूं मैं….

गोवा डीडी एंकराइन कांड : कान खोलकर सुनो मैडम, माथा गरम मत करो

गोवा में आयोजित फिल्म फेस्टीवल की ‘लाइव-रिपोर्टिंग-एंकरिंग’ में ‘गवर्नर ऑफ इंडिया’ अलाप कर दुनिया भर में डीडी की दुर्गति करा चुकी मैडम सामने आ गयी  हैं। माफी मांगने से ज्यादा, हवावाजी और ज्ञान बांटने के लिए। मैडम का नाम आयनाह पाहूजा है (इस लेख में अगर मोहतरमा का नाम अंग्रेजी से हिंदी में लिखने पर कुछ त्रुटि हो, तो मैडम जी कहीं इस मुद्दे पर भी जांच के लिए तुम मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के पास मत चली जाना, जैसे अपनी एतिहासिक गोवा एंकरिंग का वीडियो यू-ट्यूब से हटवाने की कोशिशों में तुमने मुंबई पुलिस को पसीना ला दिया है)। मैडम का नाम भी उन्हीं के एक वीडियो से पता चला है। मैडम को भी उसी यू-ट्यूब का सहारा लेना पड़ा है, जिस पर उनका गोवा में की गई एंकरिंग “गवर्नर ऑफ इंडिया” वाला वीडियो मौजूद है।

डीडी के मठाधीशों, आने वाली पीढ़ियों की जड़ों में मट्ठा मत डालो

सोशल मीडिया से ही सुना-पढ़ा है कि गोवा फिल्म फेस्टीवल में डीडी नेशनल का बैंड बजवा चुकी महिला एंकराइन को लेकर संस्थान में ही कई गुट हो गये हैं। प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सिरकार इस सवाल के जवाब को लेकर व्याकुल हैं, कि इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम की कवरेज के लिए इन भद्र और अनुभवहीन महिला एंकर को गोवा भेजा ही क्यों गया? इस सवाल की पड़ताल के लिए प्रसार भारती ने अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के आला-अफसर को दिल्ली से मुंबई भेजा है। साथ ही प्रसार भारती ने इस सब कलेश को ‘सिस्टम फेल्योर’ मान लिया है।

डीडी नेशनल की एंकराइन का फूहड़पन छोड़ो, इसे भर्ती करने वाले की तलाश करो

गोवा में चल रहे 45वें इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल को कवर करने के लिए डीडी नेशनल की तरफ से सजा-धजाकर भेजी गयी महिला एंकर की काबिलियत भारत के गली-कूंचों में जाहिर हो चुकी है। इस बिचारी पर अब रहम खाओ। यू-ट्यूब से लेकर दुनिया भर की बेवसाइटों ने इसकी कथित काबिलियत जमाने भर को दिखा, सुना और पढ़वा दी है। इस बिचारी के पीछे पड़ने से भला क्या हासिल होने वाला है। जो थोड़ी-बहुत हिंदी- अंग्रेजी बोलनी सीखी थी। बिचारी सबका सब भाषा ज्ञान गोवा में चल रहे इस फेस्टीवल में “ओक” (उल्टी कर आई) आई। लाइव एंकरिंग में कैसे हिलते-डुलते-मचलते हैं? कैसे कमर और पांव का हिला-डुलाकर संतुलन करते हैं। कैसे खींसें (दांत) निपोरते हैं? किस तरह पहने हुए कपड़ों का कलर-मैचिंग किया जाये…आदि-आदि…सब में मोहतरमा फिट्ट दिखाई दे रही हैं।

हाल-ए-हरियाणा लाइव-रिपोर्टिंग : लंका जिताने गये, ‘लंगूर’ बन कर लौटे, क्यों भाई?

मैं एडिटर क्राइम तो बनाया गया, मगर मोदी के साथ ‘सेल्फी-शौकीन-संपादक’ की श्रेणी में कभी नहीं आ सका। एक चिटफंडिया कंपनी के चैनल में करीब दो साल एडिटर (क्राइम) के पद पर रहा। मतलब संपादक बनने का आनंद मैंने भी लिया। सुबह से शाम तक चैनल रिपोर्टिंग सब ‘गाद’ (जिम्मेदारियां), चैनल हेड मेरे सिर पर लाद देते थे। लिहाजा ऐसे में मोदी या किसी और किसी ‘खास या शोहरतमंद’ शख्शियत के साथ ‘चमकती सेल्फी’ लेने का मौका ही बदनसीबी ने हासिल नहीं होने दिया। या यूं कहूं कि, चैनल के ‘न्यूज-रुम’ की राजनीति में ‘नौकरी बचाने’ की जोड़-तोड़ में ही ‘चैनल-हेड’ से लेकर चैनल के चपरासी तक ने इतना उलझाये रखा, कि अपनी गिनती ‘सेल्फी-संपादकों’ में हो ही नहीं पाई। हां, इसका फायदा यह हुआ कि, मेरे जेहन में हमेशा इसका अहसास जरुर मौजूद रहा कि, रिपोर्टिंग, रिपोर्टर, और फील्ड में रिपोर्टिंग के दौरान के दर्द, कठिनाईयां क्या होती हैं? शायद एक पत्रकार (वो चाहे कोई संपादक हो) के लिए सेल्फी से ज्यादा यही अहसास जरुरी भी है।

यस चौहान अंकल, डैडी इज नो मोर…

: मैं, अजय नाथ झा और पूर्वी दिल्ली में ईस्ट एंड अपार्टमेंट की वो शाम : तारीख तो याद नहीं…हां महीना यही रहा होगा मई या जून, सन् 2013 । भयानक गर्मी। वक्त शाम करीब सात बजे के आसपास। जगह नोएडा से सटा पूर्वी दिल्ली का ईस्ट एंड अपार्टमेंट। इसी अपार्टमेंट के एक फ्लैट में रहते थे अजय नाथ झा, बेटे कैलविन और भाभी रीना के साथ। चाहे घर में कोई भी मेहमान हो। शाम के समय अजय झा का अपार्टमेंट के अंदर की सड़कों पर डेढ़ दो घंटा टहलना जरूरी था।

चिरनिद्रा में विलीन अजय नाथ झा की आखिरी तस्वीर.