सेल्फी की चाहत में मौत को गले लगाते युवा

आजकल सेल्फी युवाओं की मौत का सबब बनती जा रही है। महाराष्ट्र के नागपुर में एक बार फिर सेल्फी की चाहत ने आठ युवा दोस्तों की जान लेकर उनके परिवार में ऐसा अंधकार किया कि अब वहां उजाले की किरणें कभी नजर नहीं आयेंगी। लोग कहीं घूमने जाएं या फिर रेस्तरां में खाना खाने बैठें, सेल्फी लेना नहीं भूलते। फिर चाहे उस तस्वीर को दोबारा जिंदगी में कभी देखें भी नहीं। खास कर युवाओं के स्मार्टफोन सेल्फी वाली तस्वीरों से भरे रहते हैं। फोन को हाथ में लिए कैमरे की ओर मुस्कुराते हुए पोज देते समय किसी के ध्यान में नहीं आता कि यह आखिरी मुस्कराहट हो सकती है। दुनिया भर में सेल्फी के चक्कर में 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

मोदी के हाथों पुरस्कार लेने से मना करने वाले पत्रकार अक्षय मुकुल से सेल्फी पत्रकारों को शायद कुछ शर्म आए

Sanjay Kumar Singh : सुधीर चौधरी को रामनाथ गोयनका पुरस्कार देकर एक्सप्रेस के कर्ता-धर्ताओं ने रामनाथ गोयनका, उनके नाम पर दिए जाने वाले पुरस्कार और पत्रकारिता का जो अपमान किया था उसकी भरपाई पत्रकार और लेखक अक्षय मुकुल को उनकी किताब ‘गीता प्रेस एंड मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया’ को गोयनका देकर पूरी कर दी। रही-सही कसर अक्षय मुकुल ने नरेंद्र मोदी के हाथों पुरस्कार लेने से मना करके पूरी कर दी।

जबरन सेल्फी लेने वाले मनचले को जेल भिजवाने वाली डीएम चंद्रकला के पीछे क्यों पड़ा है दैनिक जागरण?

बी. चंद्रकला (जिलाधिकारी, बुलंदशहर)

नीचे चार आडियो टेप हैं. ये टेप करीब तीन महीने पहले सामने आये थे. बुलंदशहर के करोड़ों रुपये के आईटीआई परीक्षा घोटाले से संबंधित इन टेपों के जरिए पता चला कि इस पूरे घोटाले में दैनिक जागरण, बुलंदशहर के ब्यूरो चीफ सुमन करन भी किसी न किसी रूप में संलिप्त हैं. जागरण प्रबंधन ने सब कुछ जानकर भी अपने दागी ब्यूरो चीफ को पद से नहीं हटाया. बुलंदशहर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला ने जब अपने संग जबरन सेल्फी लेने वाले एक मनचले युवक को जेल भिजवाया तो जागरण के इसी दागी पत्रकार ने उनसे जले पर नमक छिड़कने वाले अंदाज में सवाल पूछा जिसके बाद चंद्रकला ने भी पत्रकार को कायदे से समझाया.

जो-जो पत्रकार pm के साथ सेल्फी की फ़ोटो सोशल मीडिया पर डाले, कमेंट बॉक्स में ‘प्रेस टी च्यूट” ज़रूर लिखना

Yashwant Singh : आज मीडिया वालों का सेल्फी दिवस है। pm साब बेचारों को पूरा मौका दिए हैं। फिर भी मीडिया वाले साले कहते हैं कि हमारे pm जी असहिष्णु हैं! अबे चिरकुटों, असहिष्णु तो तुम खुद हो। मरे गिरे छटपटाये जा रहे हो सेल्फी के लिए। pm ने तुम लोगों की औकात फिर दिखा दी। बिकाऊ बाजारू के अलावा सच में ‘प्रेस टी च्यूट’ हो।

आनंद पांडे ने कहा सेल्फी मेरी जिद तो रिपोर्टर ने कहा- यह पकड़ो मेरा इस्तीफा

नईदुनिया के एमपी स्टेट हेट आनंद पांडे को एक रिपोर्टर ने आईना दिखा दिया। पांडे ने कुछ दिन पहले रिपोर्टरो को फरमान सुनाया कि वे जहां भी रिपोर्टिंग के लिए जाएं वहां से अपना सेल्फी नईदुनिया के संपादकीय टीम के आफिशियल वाट्सएप ग्रुप पर डालें। उनका यह फरमान सुनकर रिपोर्टर भौचक रह गए थे। पहले दो तीन दिन को कुछ रिपोर्टरों ने इसका पालन किया पर जब मीडिया जगत में इसकी खबर फैलने के बाद उनकी हंसी उड़ने लगी और यह कहा जाने लगा कि क्या आप लोगों पर संपादक को भरोसा नहीं है तो रिपोर्टरों ने सामूहिक रूप से फैसला लेकर सेल्फी डालना बंद कर दिया।

हाल-ए-हरियाणा लाइव-रिपोर्टिंग : लंका जिताने गये, ‘लंगूर’ बन कर लौटे, क्यों भाई?

मैं एडिटर क्राइम तो बनाया गया, मगर मोदी के साथ ‘सेल्फी-शौकीन-संपादक’ की श्रेणी में कभी नहीं आ सका। एक चिटफंडिया कंपनी के चैनल में करीब दो साल एडिटर (क्राइम) के पद पर रहा। मतलब संपादक बनने का आनंद मैंने भी लिया। सुबह से शाम तक चैनल रिपोर्टिंग सब ‘गाद’ (जिम्मेदारियां), चैनल हेड मेरे सिर पर लाद देते थे। लिहाजा ऐसे में मोदी या किसी और किसी ‘खास या शोहरतमंद’ शख्शियत के साथ ‘चमकती सेल्फी’ लेने का मौका ही बदनसीबी ने हासिल नहीं होने दिया। या यूं कहूं कि, चैनल के ‘न्यूज-रुम’ की राजनीति में ‘नौकरी बचाने’ की जोड़-तोड़ में ही ‘चैनल-हेड’ से लेकर चैनल के चपरासी तक ने इतना उलझाये रखा, कि अपनी गिनती ‘सेल्फी-संपादकों’ में हो ही नहीं पाई। हां, इसका फायदा यह हुआ कि, मेरे जेहन में हमेशा इसका अहसास जरुर मौजूद रहा कि, रिपोर्टिंग, रिपोर्टर, और फील्ड में रिपोर्टिंग के दौरान के दर्द, कठिनाईयां क्या होती हैं? शायद एक पत्रकार (वो चाहे कोई संपादक हो) के लिए सेल्फी से ज्यादा यही अहसास जरुरी भी है।