TOI को पता है कि कोई किसान टाइम्स आफ इंडिया नहीं पढ़ता, इसलिए वह किसान विरोधी छापता है! देखें

Vibhuti Pandey : आप चाहे कितनी भी बार कह लें, चाहे टाइम्स के संपादक तक आप की बात से सहमत हों, लेकिन The Times of India अपना उच्च मध्यम वर्गीय चरित्र नहीं छोड़ेगा. कल किसान कवरेज पर टाइम्स की हेडलाइन पढ़िए. परसों सोशल मीडिया पर हिट शेयर के लिए इन्होंने जो भी किया हो लेकिन …

यौन उत्पीड़न के कई आरोपों से घिरे आरके पचौरी ने टीओआई और टाइम्स नाऊ के खिलाफ दायर याचिका अदालत से वापस ली

यौन उत्पीड़न के कई मामलों में आरोपी टेरी के कार्यकारी उपाध्यक्ष और जाने माने पर्यावरणविद आरके पचौरी ने टाइम्स आफ इंडिया और टाइम्स नाऊ को संचालित करने वाली मीडिया कंपनी बेनेट कोलमैन कंपनी लिमिटेड के खिलाफ याचिका अदालत से वापस ली. पचौरी ने बेनेट कोलमैन के खिलाफ कार्यवाही करने और जांच के नतीजे से संबंधित खबरों के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग मानने से इनकार करने वाले एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी थी.

अमरीका-वियतनाम युद्ध को कवर करने वाले एकमात्र भारतीय पत्रकार थे हरिश्चन्द्र चंदोला

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हरिश्चन्द्र चंदोला ने वर्ष 1950 में दिल्ली से प्रकाशित हिन्दुस्तान टाइम्स से अपने पत्रकारिता कैरियर की शुरूआत की। यह वह समय था, जब देश को आजाद हुऐ ज्यादा समय नहीं हुआ था। भारत में संचार माध्यमों का खास विकास नहीं हुआ था। मुद्रित माध्यमों में भी ज्यादातर अंग्रेजी अखबार ही प्रचलन में थे। उसमें भी टाइम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स व इंडियन एक्सप्रेस ही प्रमुख अखबारों में थे। ऐसे में देश के प्रमुख समाचार पत्र में नौकरी मिलना हरिश्चन्द्र जी के लिए अच्छा मौका था। हरिश्चन्द्र जी की पारिवारिक पृष्ठभूमि पत्रकारिता से जुड़ी रही। यही कारण रहा कि उन्होंने देश के नहीं बल्कि विदेशी समाचार पत्रों में भी लेख लिखे। चंदोला विश्व के प्रमुख युद्ध पत्रकारों में पहचाने जाते हैं। उन्होंने सन् 1968 से लेकर 1993 तक के सभी महत्वपूर्ण युद्धों व क्रांतियों के बारे में घटना स्थल पर जाकर लिखा।