सुख-दुख
Yashwant Singh- अब शेयर खेलना बंद। जब खूब पैसा बना कर भी अचानक ही मर जाना है और थोड़ा माल भी साथ न ले...
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Yashwant Singh- अब शेयर खेलना बंद। जब खूब पैसा बना कर भी अचानक ही मर जाना है और थोड़ा माल भी साथ न ले...
यशवंत सिंह- ‘ब्रह्म माया है और जीव अविद्या!’ उपनिषद के एक श्लोक का ये अंश है। इसकी व्याख्या ओशो ने जो की है, कमाल...
यशवंत सिंह- ये हमारे ग़ाज़ीपुर के मित्र सुजीत सिंह प्रिंस की बिटिया हैं। पूजा घर का नाम है इनका। अपराजिता स्कूल का। बेहद संवेदनशील।...
यशवंत सिंह- चलने में आनंद ही आनंद है! चलना संतई का एक एलीट अनुभव है। ये दासों के लिए सम्भव नहीं। वे तो बहुत...
यशवंत सिंह- बाबा होना एक मूक विद्रोह भी होता है, परिवार देश समाज राजनीति तंत्र सिस्टम धन तन आदि के ख़िलाफ़…
यशवंत सिंह- मनुष्य जब खेती करने लगा तो उसे व्यवस्थित होना पड़ा। घर बनाना पड़ा। परिवार बसाना पड़ा। घूमना भटकना बंद करना पड़ा। खेती...