मरने से पहले झुनझुनवाला को ज्ञान मिला- ‘सेहत में निवेश सबसे बढ़िया’

Yashwant Singh- अब शेयर खेलना बंद। जब खूब पैसा बना कर भी अचानक ही मर जाना है और थोड़ा माल भी साथ न ले जा पाना है तो फिर पैसा बनाने का फ़ायदा ही क्या! पैसा जितना हो उतना खर्चिए!

उपनिषद के इस एक लाइन ‘ब्रह्म माया है और जीव अविद्या’ को ओशो ने डेढ़ घंटे में समझाया… जानिए निचोड़ क्या है!

यशवंत सिंह- ‘ब्रह्म माया है और जीव अविद्या!’ उपनिषद के एक श्लोक का ये अंश है। इसकी व्याख्या ओशो ने जो की है, कमाल कर दिया है। सवा घंटे का उनका व्याख्यान उपरोक्त एक लाइन को समझाने के लिए है। इस व्याख्यान में एंटी-मैटर जैसी साइंटिफिक खोज का भी सहारा लिया गया। कृष्ण, महावीर, बुद्ध …

ग़ाज़ीपुर के प्रिंस!

यशवंत सिंह- ये हमारे ग़ाज़ीपुर के मित्र सुजीत सिंह प्रिंस की बिटिया हैं। पूजा घर का नाम है इनका। अपराजिता स्कूल का। बेहद संवेदनशील। कलाकार हृदय। चित्रकारी पेंटिंग में इनकी दुनिया बसती है। और आज ये अपने पैशन को जीती हुईं अपने एक बड़े पड़ाव पर पहुँच गईं। निफ़्ट भुवनेश्वर!

दिया झोंपड़ा फूंक! (भड़ासकीय)

यशवंत सिंह- चलने में आनंद ही आनंद है! चलना संतई का एक एलीट अनुभव है। ये दासों के लिए सम्भव नहीं। वे तो बहुत सारे खूँटों से बंधे हैं। कभी नौकरी, कभी परिवार, कभी अरमान, कभी विस्तार, कभी समाज, कभी दिल-जान!

नशे की खोज! (भड़ासकीय)

यशवंत सिंह- मनुष्य जब खेती करने लगा तो उसे व्यवस्थित होना पड़ा। घर बनाना पड़ा। परिवार बसाना पड़ा। घूमना भटकना बंद करना पड़ा। खेती के लिए उसे एक जगह स्थिर होना पड़ा। वह हज़ारों साल की अपनी आदतों के ख़िलाफ़ जीवन जीने लगा। वह जानवरों / जंगलियों वाले जीवन से मुक्त होकर कुछ नया बनने …