करप्शन किस कदर हमारे खून में समाया है, समझा रहे हैं आजतक के पत्रकार विकास मिश्र

Vikas Mishra : मेरे एक मित्र अभी एक शहर में एसपी सिटी हैं। एक रात जब हम मिले, चर्चा छिड़ी तो उन्होंने कहा-‘भाई मैं तो बस ईमानदारी से काम कर रहा हूं, कोई तीन-पांच नहीं।’ मुझे लगा कि शायद मोदी के प्रभाव में ईमानदार हो गए हैं। बात बढ़ी तो वो बोले-‘किसी को सताकर नहीं कमाना है भाई, बिना पैसे दिए पोस्टिंग मिली है, मैं तो बाहर का पैसा छूता नहीं हूं, बस महीने के जो ढाई-तीन लाख बंधे हुए आते हैं, उसी से काम चलाता हूं।’

बनारस का सबसे बड़ा भूमाफिया है सनबीम वाला दीपक मधोक!

Ashwini Sharma : योगी सरकार के आदेश के बाद वाराणसी जिला प्रशासन ने जिन 49 भूमाफियाओं की लिस्ट जारी की है..उसमे पहले स्थान पर मोदी के स्वच्छता मिशन में नौ रत्न और सनबीम ग्रुप के चेयरमैन दीपक मधोक का नाम शुमार है..सरकारी रिपोर्ट की मुताबिक दीपक मधोक ने सनबीम ग्रुप के तमाम स्कूल सरकारी जमीन पर खड़े किए हैं..हद तो ये हो गई है कि सनबीम ग्रुप ने तालाब और नाले तक को नहीं छोड़ा..

एक सामान्य इंजीनियर यूपी में कैसे बन गया अरबपति… जानिए महाभ्रष्टाचारी अरुण मिश्र की कहानी

भ्रष्ट अफसरों की पोषक उत्तर-प्रदेश की कोख से उत्पन्न एक मुख्य अभियन्ता अपने पद का दुरुपयोग कर अरबों की परियोजनाओं से करोड़ों की हेरा-फेरी कर अपना घर भरता रहा। काली करतूतों से कमाई गयी दौलत से चन्द वर्षों में ही यूपी और दिल्ली जैसे शहरों में अनगिनत जमीन-जायदाद का मालिक भी बन गया। आय से अधिक सम्पत्ति को लेकर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से जांच हुई तो भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। लगभग छह माह तक जेल की सलाखों के पीछे रहे फिर भी तत्कालीन अखिलेश सरकार की आंख का तारा बने रहे। उपहार स्वरूप दोबारा उसी जगह पर तैनाती भी दे दी गयी। स्थिति यह है कि यह अभियन्ता अब खुलेआम भ्रष्टाचार के नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है और योगी सरकार भी कमोवेश मूकदर्शक बनी हुई है।

ये हैं भ्रष्टाचार के पितामह उर्फ अरुण मिश्रा