नेटवर्क 18, दैनिक भास्कर समूह, जी नेटवर्क, टाइम्स ग्रुप या ऐसे तमाम मीडिया समूह जनतंत्र की मूल आत्मा और उसके ढांचे के लिए खतरनाक हैं जो एक ही साथ दर्जनभर से ज्यादा ब्रांड को चमकाने और उनसे अपने मीडिया बिजनेस का प्रसार करने में लगे हैं ? देश के इन प्रमुख मीडिया घरानों के संबंध में अगर ये बात सवाल की शक्ल में न करके स्टेटमेंट देने के तौर पर की जाए तो बहुत संभव है कि इनकी ओर से संबंधित व्यक्ति पर मान-हानि का मुकदमा या कम से कम कानूनी नोटिस तो भेजा ही जाएगा. लेकिन भारत सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय, उसकी सहयोगी संस्था ट्राय और मीडिया के मालिकाना हक को लेकर समय-समय पर गठित कमेटी पिछले कुछ सालों से लगातार इस बात को दोहराती आयी है कि जो मीडिया संस्थान एक ही साथ प्रिंट, टेलीविजन, रेडियो, ऑनलाइन और मीडिया के कई दूसरे व्यवसाय से एक साथ जुड़ी है, वो दरअसल देश के लोकतांत्रिक ढांचे और उसकी बुनियाद कमजोर करने का काम कर रहे हैं.
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कैंसर से ज्यादा खतरनाक है कैंसर का treatment
मित्रो कैंसर हमारे देश मे बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है । हर साल बीस लाख लोग कैंसर से मर रहे हैं और हर साल नए केस आ रहे हैं । सभी डॉक्टर्स हाथ-पैर डाल चुके हैं। एक छोटी सी विनती है, याद रखना, कैंसर के पेसेंट को कैंसर से मृत्यु नहीं होती है, जो treatment उसे दिया जाता है उससे मृत्यु सबसे अधिक होती है । माने कैंसर से ज्यादा खतरनाक कैंसर का treatment है । Treatment कैसा है, सभी जानते है, Chemotherapy दे दिया, Radiotherapy दे दिया, Cobalt-therapy दे दिया ।
परमाणु ऊर्जा का विकल्प महंगा भी, खतरनाक भी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद की मुलाकात में भारत में 6 परमाणु सयंत्र शुरू करने के लिए समझौता हुआ है। भारत ने परमाणु ऊर्जा को लेकर फ्रांस के साथ अहम करार किए हैं। इस करार के तहत महाराष्ट्र के जैतापुर में फ्रांस के सहयोग से एनपीसीआईएल 6 न्यूक्लियर प्लांट लगाएगी, जिसका इस्तेमाल बिजली बनाने में होगा। जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना भारत के महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में प्रस्तावित एक परमाणु ऊर्जा परियोजना है। 9900 मेगावाट क्षमता का यह संयंत्र न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा निर्मित किया जाएगा। दूसरी तरफ इस परियोजना का विरोध करने वाली एक मात्र राजनीतिक दल शिवसेना ने जल्द ही नए सिरे से विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। शिवसेना को उस क्षेत्र के मछुआरों के विस्थापन की चिंता है। कोंकण बचाओ समिति और रायगढ़ जिला जागरूक मंच सहित कई एनजीओ जैतापुर परियोजना के खिलाफ पहले से ही आवाज उठा रहे हैं।