( File Photo Samarendra Singh )
Samarendra Singh : इन दिनों मेरे पास कुछ ई-मेल आ रहे हैं महिसासुर के बलिदान को लेकर। यह किसी दंगाई की सोच रही होगी जिसे लगता होगा कि वह इतिहास दुरुस्त कर देगा। ठीक वैसे ही जैसे कुछ लोग अयोध्या में इतिहास दुरुस्त करना चाहते हैं। अरे भई अब तक कोई ऐसा क्रांतिकारी पैदा ही नहीं हुआ जो अतीत को करेक्ट कर सके। फिर यह तो अतीत भी नहीं … अतीत का एक धार्मिक मिथक है। मैं इस दंगाई सोच का विरोध करता हूं और उन तमाम क्रांतिकारियों से अपील करता हूं कि मुझे ई-मेल नहीं भेजा करें। मुझे शांति से जीने दें। इस ई-मेल में संविधान का हवाला दिया गया है। तो क्या संविधान यह इजाजत देता है कि कोई मूर्ख किसी के भगवान या खुदा का अपमान करे? क्या यह अधिकार मुझे है कि किसी दिन मैं किसी भी धर्म के नायक को अपराधी करार देते हुए उसके विरोधियों को खुदा घोषित कर दूं?