बीते दो दशकों में मीडिया की दशा-दिशा में आए बदलावों का वरिष्ठ पत्रकार एलएन शीतल द्वारा विस्तृत विश्लेषण

मीडिया के बदलते रुझान-1 : इन नवकुबेरों ने मिशन शब्द का अर्थ ही पागलपन कर दिया

 

अगर हम मीडिया के रुझान में आये बदलाव के लिए कोई विभाजन-रेखा खींचना चाहें तो वह विभाजन-रेखा है सन 1995. नरसिंह राव सरकार के वित्तमन्त्री मनमोहन सिंह द्वारा शुरू की गयी खुली अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप अख़बारी दुनिया में व्यापक परिवर्तन हुए. पहला बदलाव तो यह आया कि सम्पादक नाम की संस्था दिनोदिन कमज़ोर होती चली गयी, और अन्ततः आज सम्पादक की हैसियत महज एक मैनेजर की रह गयी है.

आखिर कब ख़त्म होगा हिन्दी का वनवास… अनुवादकों और चुटियाछापों ने किया हिन्दी का कबाड़ा

भोपाल में हो रहा विश्व हिन्दी सम्मेलन देश के हृदयस्थल–मध्य प्रदेश, विशेषतः राजधानी भोपाल के लिए अत्यन्त गौरव का विषय है। इस आयोजन ने एक बार फिर, हिन्दी-प्रेमियों की विश्व-बिरादरी के समक्ष हिन्दी की दिशा और दशा के बारे में विचार-मंथन करने का एक और अवसर प्रदान किया है। यह आयोजन भी, पूर्ववर्ती आयोजनों की तरह, एक व्यर्थ की कवायद बन कर न रह जाये, इसके लिए ज़रूरी है कि इसमें शामिल हो रहे महानुभाव हिन्दी के सही स्वरूप, इसके समुचित विकास और इसके प्रचार-प्रसार के मार्ग में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कुछ सार्थक और ठोस कदम उठायें।

सहारा छोड़ने के बाद एलएन शीतल ने नव भारत (मध्य प्रदेश) ज्वाइन किया

LN Shital : प्रिय मित्रों, मैं अब सहारा इण्डिया परिवार में नहीं हूँ . मैंने आज 7 सितम्बर से नव भारत (मध्य प्रदेश) पत्र-समूह में सीनिअर ग्रुप एडिटर एवं इस समाचार पत्र समूह की प्रकाशक कम्पनी- ‘Engage Media Pvt. Ltd.’ के Director के रूप में ज्वाइन कर लिया है. मेरी अपने सर्वस्व तथा परम ईष्ट देव हनुमान जी से दण्डवत प्रार्थना है कि वे अपनी कृपा बनाये रखें. आप सबसे अपना स्नेह और शुभ कामनाएं बनाये रखने की गुज़ारिश है. (LN Shital के फेसबुक वॉल से.)

अखबार के कुछ ऐसे शीर्षक जिनमें वर्तनी और व्याकरण की दृष्टि से अनेक ग़लतियां…

LN Shital : मित्रो, निम्नलिखित शीर्षक एक ही अखबार के कुछ ऐसे शीर्षक हैं, जिनमें वर्तनी और व्याकरण की दृष्टि से अनेक ग़लतियाँ हैं। यदि मेरे हिन्दी-प्रेमी मित्रों की इच्छा हो तो, मैं उन ग़लतियों को उजागर करने का प्रयास करूँ।