शाहरुख खान जनता को मूर्ख बनाता है, कोर्ट ने किया तलब

घटिया माल को नंबर वन बताकर प्रचार करता है शाहरुख खान, कोर्ट में पेश होने के आदेश… भोपाल न्यायालय ने फिल्म अभिनेता शाहरुख़ खान को 26 अगस्तत 2017 को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है. अधिवक्ता राजकुमार पाण्डेय ने इस बाबत याचिका लगाई थी. अधिवक्ता ने शाहरुख खान द्वारा प्रचारित एक शेविंग क्रीम को खरीदा और इसका इस्तेमाल किया तो उन्हें इनफेक्शन हो गया. उन्होंने इलाज कराने के बाद पूरे मामले के डाक्यूमेंट्स तैयार कराए और शाहरुख खान समेत शेविंग क्रीम कंपनी पर मुकदमा ठोंक दिया.

जीत गयी एप्पको, हार गया तर्क

ये कोई मजाक है कि जिस देश का भावी प्रधानमंत्री एप्पको जैसी पीआर एजेंसी की सेवा ले रहे हों और उसका सीधा लाभ भी मिल जाए, वही पीआर एजेंसी मैगी जैसे उत्पाद के लिए फिल्डिंग करे और हार जाए.

मौजू मीडिया : ‘बसंती इन कुत्तों के आगे मत नाचना ! ‘

  ‘शोले’ के इस कालजयी डायलॉग से शायद ही कोई अंजान हो! फ़िल्म में नायक धर्मेन्द्र का ये संवाद सम्बोधित तो था नायिका हेमामालिनी के लिए लेकिन इंगित था खलनायक गब्बर यानी अमज़द ख़ान और उसके गुर्गों के लिए…! ये संवाद आज भी बेहद मौजू है क्योंकि इसमें नायिका की जिस सुचिता (purity) का वास्ता दिया गया है वो सामाजिक बुराइयों के आगे घुटने नहीं टेकने का है!

मीडिया की मंडी में वह परिवर्तन का समय था

सन 1992 मेरे लिए बड़ी भागदौड़, बदलाव और चुनौतियों का साल था। हाईकोर्ट की अवमानना के मुकदमे के साथ ही ये मेरे विवाह का साल भी था। अक्टूबर में मेरी शादी हो गई और मेरी आवारगी, मस्तमौलापन सब तिरोहित हो गया। जिम्मेदारियां बढ़ गईं। घर के खूंटे से जो बंध चुके थे। पत्नी का आग्रह था कि अकेले नाटक नहीं देखूं, तो मेरा आग्रह था कि वे शाम को रवीन्द्र मंच पर पहुंच जाएं। मैं भी ऑफिस से सीधे रवीन्द्र मंच पहुंच जाऊंगा। फिर साथ में नाटक या कोई और कल्चरल प्रोग्राम देखते हुए घर लौट आएंगे, पर वो तैयार नहीं थीं। 

केंद्र क्यों नहीं कर रहा महंगाई रोकने के विकल्पों की तलाश?

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में उछाल का रुझान है। जब से बाजार में तेल कीमतों में वृद्धि होना शुरू हुआ है, तभी से लगातार भारत में भी अंतरराष्ट्रीय मार्केट के भरोसे छोड़े जा चुके तेल दामों में कुछ समय के अंतराल के बाद वृद्धि की जा रही है। यहां समझ में यह बात नहीं आ रही कि जो सरकार सबका साथ और सबका विकास के नारे तथा एक बार मोदी सरकार के वायदे के साथ सत्ता में आई है, वह उन मूलभूत बातों को क्यों नहीं गंभीरता से ले रही, जिससे कि भारत में कुछ समय काबू में रहने के बाद तेजी से बढ़ रही महंगाई पर अंकुश लगाया जा सकता।

मीडिया की मंडी में हमारे लिए अब जयपुर के वे दिन सपने जैसे

ये मार्च या अप्रैल 1990 था,जब मैं जयपुर दूरदर्शन समाचार विभाग से नियमित जुड़ा था।एक कैजुअल सब एडिटर कम ट्रांसलेटर के रूप में……हर महीने दस दिन की बुकिंग मिलती थी….उससे एक मुश्त कमरे का किराया और भोजन सहित छोटा-मोटा खर्च निकल जाता था,ये बहुत बड़ा सहारा था।साथ ही यह उम्मीद भी, कि कभी मौका लगा तो दूरदर्शन में स्थायी हो जाएंगें।तब किसी ने मार्गदर्शन नहीं दिया था,कि समाचार विभाग में सरकार कभी एडिटर या सब एडिटर की पोस्ट नहीं निकालेगी।खैर ये तो लंबे समय तक धक्के खा कर खुद ही समझना पड़ा।समाचार संपादक एम आर सिंघवी ने मुझमें विश्वास जताया और न्यूज रूम में हर तरह के असाइनमेंट करने का मौका दिया।