हमेशा से कहा जाता रहा है कि “जर, जोरू और जमीन” के कारण पक्के दोस्तों में ही नहीं, भाइयों में भी दुश्मनी हो जाती है। धीरूभाई अंबानी के देहावसान के बाद अंबानी भाइयों में छिड़ा युद्ध इस सत्य की मिसाल है। इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है। हालांकि इतिहास इस बात का भी गवाह है कि “जर, जोरू और जमीन” के साथ इसमें “तख्त” भी जोड़कर इसे “जर, जोरू, जमीन और तख्त” कहा जाना चाहिए। “जर” यानी धन, “जोरू” यानी स्त्री, “जमीन” यानी चल-अचल संपत्ति, और “तख्त” यानी सत्ता। इतिहास उन उदाहरणों से भी भरा हुआ है जहां तख्त के लिए पुत्र ने पिता को कारागार में डाल दिया या भाई ने भाई को मार डाला। राजा की वफादार सेना अलग होती थी और युवराज की वफादार सेना अलग, या अलग-अलग राजकुमारों की सेनाएं अलग-अलग रही हैं और उनमें युद्ध हुए हैं।