कोई मेरे कमेंट में जाकर गाली देने वालों की सामाजिक पृष्ठभूमि का अध्ययन कर सकता है । आसानी से एक ब्लाक का पता चल सकता है जो गाली देता है । गाली और आलोचना में फ़र्क समझता हूँ । आलोचना हमेशा स्वागत योग्य है । यहाँ तक कि दो कप की तस्वीरें लगा देने पर उसी जाति ब्लाक के लोग आए और अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगे ।
Tag: raveesh
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को रवीश कुमार की चिट्ठी- ‘पढ़ते ही राममूर्ति को संस्पेड करें’
आदरणीय अखिलेश जी,
इस उम्मीद से यह ख़त लिख रहा हूं कि पढ़ते ही आप मंत्री राममूर्ति वर्मा को सस्पेंड कर देंगे। पद और पार्टी दोनों से।
क्या ग़ज़ब के लिखते हो, बात ही नहीं करते हो
प्राइम टाइम के लिए रोज़ाना कई लेखों से गुज़रना पड़ता है । इन लेखों से अब बोर होने लगा हूं। कई बार लगता है कि अख़बारों के संपादकीय पन्नों पर छपने वाले इन लेखों की संरचना( स्ट्रक्चर) का पाठ किया जाना चाहिए। ज़्यादातर लेखक एक या दो तर्क या सूचना के आधार पर ही तैयार किये जाते हैं। पहले तीन चार पैराग्राफ को तो आप आराम से छोड़ भी सकते हैं। भूमिका में ही सारी ऊर्जा खत्म हो जाती है। लेखक माहौल सेट करने में ही माहौल बिगाड़ देता है । आप किसी भी लेख के आख़िर तक पहुंचिये, बहुत कम ही होते हैं जिनसे आप ज्यादा जानकर निकलते हैं। नई बात के नाम पर एक दो बातें ही होती हैं। हर लेख यह मानकर नहीं लिखा जा सकता कि पढ़ने वाला पाठक उससे जुड़ी ख़बर से परिचित नहीं है इसलिए भूमिका में बता रहे हैं। ख़ुद मैं भी इस ढांचे का कैदी बन गया हूं, कई बार लगता है कि कैसे ख़ुद को आज़ाद करूं।
मत भूलिएगा कि हम पीपली लाइव के दौर में जी रहे हैं
दक्षिण वियतनाम की एक सड़क पर नंगी भागती किम फुक (Kim Phuc) की उस तस्वीर को कौन भूल सकता है। नौ साल की किम के साथ कुछ और बच्चे भाग रहे हैं। सड़क के अंतिम छोर पर बम धमाके के बाद उठा हुआ काले धुएं का गुबार है। युद्ध की तबाही का यह काला सच दुनिया के सामने नहीं आता, अगर फोटोग्राफर निक ने हिम्मत करके वह तस्वीर न ली होती। निक ने न सिर्फ तस्वीर ली, बल्कि किम को उठाकर अस्पताल भी ले गए। जहां किम का इलाज हुआ और वह बच गई। आज किम के दो बच्चे हैं और वो टोरंटो में रहती हैं। किम ने अपने चालीसवें जन्मदिन पर कहा था कि इस तस्वीर के जरिये मैं दुनिया के लिए उम्मीद हूं। इस फोटो को पुलित्ज़र पुरस्कार मिला था।