लगता है कि दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान ने पुराना मैटर रिपीट करने की कसम खा रखी है। हिन्दुस्तान के 31 जुलाई के अंक के पेज नंबर 11 (हेल्थ तरक्की) में जो सुडोकू 3503 नंबर से प्रकाशित किया गया है, वही सुडोकू 27 जुलाई के पेज नंबर 11 (जीने की राह) पर 3499 नंबर से पहले ही प्रकाशित किया जा चुका है। इतना ही नहीं सुडोकू नं. 3499 का जो उत्तर 28 जुलाई के पेज नं. 11 (धर्मक्षेत्रे) पर छपा है, वही उत्तर 01 अगस्त के पेज नं 11 (मनोरंजन) पर 3503 नंबर से प्रकाशित किया गया है।
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अवधेश कुमार जी, खुद के घर जब शीशे के हों तो दूसरों पर पत्थर नहीं मारते
अवधेश कुमार जी आजकल एक दुविधा में पड़े हैं। प्रतिष्ठत अखबार दैनिक जागरण से संबद्ध नई दुनिया को लेकर। उनकी परेशानी यह है कि जागरण में छपे संपादकीय लेख नई दुनिया में भी छापे जा रहे हैं। पर इसमें कोई गलती इसलिए नहीं कही जा सकती है क्योंकि दोनों ग्रुप एक ही हैं। इसलिए आपस में खबरों आलेखों का आदान प्रदान कर सकते हैं। जैसे आजतक न्यूज चैनल अपने रीजनल चैनल दिल्ली आजतक पर कई बार वही स्टोरी चलाता है जो पहले आजतक पर चल चुकी होती हैं।
जागरण प्रबंधन से अपील, श्रवण गर्ग के बाद नई दुनिया के संपदाकीय पृष्ठ को भी मुक्ति दिलाये
Awadhesh Kumar : आजकल मैं यह देखकर आश्चर्य में पड़ रहा हूं कि आखिर नई दुनिया में जागरण के छपे लेख क्यों छप रहे हैं। जागरण इस समय देश का सबसे बड़ा अखबार है। उसका अपना राष्ट्रीय संस्करण भी है। जागरण प्रबंधन ने नई दुनिया को जबसे अपने हाथों में लिया उसका भी एक राष्ट्रीय संस्करण निकाला जो रणनीति की दृष्टि से अच्छा निर्णय था। पर उस अखबार को जागरण से अलग दिखना चाहिए।