कांग्रेस घोषणापत्र का शीर्षक है: ‘हम निभाएंगे’. मतलब कि ये शीर्षक ही मोदी के जुमलों पर बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक है!
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जासूसबाज साहेब की हरकत, चैनल मालिक के यहां छापा और जगन मोहन रेड्डी से चाकूबाजी!
Samar Anarya : बड़ी ब्रेकिंग : सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के सुरक्षाकर्मियों ने उनके बंगले का बाहर जासूसी करने की कोशिश करते हुए 4 को धर दबोचा, बंगले के अंदर ले गए और फिर दिल्ली पुलिस को बुलाया! पूछताछ जारी! सूत्रों के मुताबिक चारों इंटेलिजेंस ब्यूरो के पर अभी पुष्टि नहीं! ठीक है भाई, निज़ाम …
शुक्र है, शशि थरूर साहब आप कामरेड न हुए वरना टीआरपीखोर कविता कृष्णन अब तक चुप न बैठती
Samar Anarya : कामरेडों के खिलाफ बिना किसी पीड़िता या पुलिस शिकायत के बलात्कार का किस्सा बना देने वाली श्रीमती कविता कृष्णन को सुनंदा पुष्कर की हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गयी एफआईआर का नोटिस लेकर एक ट्वीट तक करने की फुर्सत नहीं मिली है. शुक्र है, शशि थरूर साहब आप कामरेड न हुए वरना…. पूछिये आपकी लिस्ट में हो तो कामरेडों की इस सुपारी किलर से https://www.facebook.com/kavita.krishnan (मेरे ऊपर मानहानि का मुकदमा कर सकती है, स्वागत है). मधु किश्वर की उस चेली को, टीआरपीखोर को, खुर्शीद मामले की साजिशकर्ता को मैं वही कहता हूँ जो वह है. मधु किश्वर का बनवाया वीडिओ बंटवाया था इस टीआरपीखोर ने. ये देखें: http://www.countercurrents.org/shukla130814.htm
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मुझे बुलाते तो ‘जिया इंडिया’ के प्रोग्राम में हरगिज न जाता : ओम थानवी
Om Thanvi : मैं होता तो हरगिज न जाता! पर मुझे कोई बुलाता भी क्यों?
मौलाना आजाद की जयंती पर मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा पुरानी स्टोरी गरम करके परोसने के मायने
Vineet Kumar : आज यानी 11 नवम्बर को मौलादा अबुल कलाम आजाद की जयंती है. इस मौके पर मेनस्ट्रीम मीडिया ने तो कोई स्टोरी की और न ही इसे खास महत्व दिया. इसके ठीक उलट अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उनके ना से जो लाइब्रेरी है, उससे जुड़ी दो साल पुरानी बासी स्टोरी गरम करके हम दर्शकों के आगे न्यूज चैनलों ने परोस दिया. विश्वविद्यालय के दो साल पहले के एक समारोह में दिए गए बयान को शामिल करते हुए ये बताया गया कि इस लाइब्रेरी में लड़कियों की सदस्यता दिए जाने की मनाही है. हालांकि वीसी साहब ने जिस अंदाज में इसके पीछे वाहियात तर्क दिए हैं, उसे सुनकर कोई भी अपना सिर पीट लेगा. लेकिन क्या ठीक मौलाना आजाद की जयंती के मौके पर इस स्टोरी को गरम करके परोसना मेनस्ट्रीम मीडिया की रोचमर्रा की रिपोर्टिंग और कार्यक्रम का हिस्सा है या फिर अच्छे दिनवाली सरकार की उस रणनीति की ही एक्सटेंशन है जिसमे बरक्स की राजनीति अपने चरम पर है. देश को एक ऐसा प्रधानसेवक मिल गया है जो कपड़ों का नहीं, इतिहास का दर्जी है. उसकी कलाकारी उस दर्जी के रूप में है कि वो भले ही पाजामी तक सिलने न जानता हो लेकिन दुनियाभर के ब्रांड की ट्राउजर की आल्टरेशन कर सकता है. वो एक को दूसरे के बरक्स खड़ी करके उसे अपनी सुविधानुसार छोटा कर सकता है. मेनस्ट्रीम मीडिया की ट्रेंनिंग कहीं इस कलाकारी से प्रेरित तो नहीं है?