‘हिन्दी खबर’ चैनल को पत्रकार नहीं, दलाल चाहिए!

चैनल ‘हिंदी खबर’ के प्रबंधन को एक स्ट्रिंगर ने लिखा करारा पत्र

डिअर टीम ‘हिन्दी खबर’

मेरा नाम सैय्यद शकील है. मैं आपके कुछ दिन पहले पैदा हुए चैनल के लिए आगरा से 18 दिन में 86 से ज्यादा खबर भेज चुका हूँ. कई खबरों पर फोनो भी हुए हैं. आपकी टीम के कई अधिकारियों की तरफ से फोन पर अच्छे काम को लेकर बधाई भी मिली है, और आप की टीम के जो हेड हैं उन्होंने कई बार फोन पर बातचीत के दौरान छोटा भाई कहकर संबोधित किया और कहा कि तुम्हारा काम अच्छा है, तुम काम करो.

‘समाचार प्लस’ चैनल ने मुझ स्ट्रिंगर का छह महीने का पैसा मार लिया!

समाचार प्लस चैनल की रीयल्टी. पत्रकारों का शोषण करने वाला चैनल. न्यूनतम वेतन से भी कम देने वाला चैनल. छ माह की तनख्वाह खा जाने वाला चैनल. असभ्य और बदमिजाज एडिटर वाला चैनल. अपनी बात से बार बार पलटने वाले सम्पादक. स्ट्रिगरों का हक मारने वाले. खबर के लिए चौबीस घण्टे फोन करने वाले. वेतन के लिए फोन नहीं उठाने वाले. रोज शाम राजस्थान की जनता को ज्ञान बॉटने वाले सम्पादक महोदय. एक स्ट्रिगर के सवालों का जवाब नहीं दे पाते. राजस्थान के दर्जनों पत्रकारों के मेहनत के पैसे खा जाने वाले. पत्रकारो को आईडी कार्ड नहीं देने वाले. ऐसा चैनल जिसमे एकाउण्ट और एचआर डिपार्टमेन्ट नहीं हो. गेजुएट, पोस्ट गेजुएट और बीजेएमसी पास युवाओं को मजदूर से कम वेतन देने वाले, वह भी चार माह की देरी से. ये सब करता है समाचार प्लस चैनल.

अपनी लगातार खराब होती टीआरपी से परेशान इंडिया टीवी ने स्ट्रिंगरों को तंग करना शुरू किया

इंडिया टीवी की टीआरपी पिछले लगभग एक वर्ष से गिरती ही जा रही है. तमाम कोशिशों के बावजूद भी चैनल है की चढ़ाई चढ़ ही नहीं पा रहा है. ख़बरों के मामले में भी चैनल के पास लगातार सूखा ही पड़ता जा रहा है, जिसकी वजह से चैनल ने अपनी झुंझलाहट निकालते हुए स्ट्रिंगरों का पैसा मारना शुरू कर दिया है. लगातार स्ट्रिंगरों के बिल काटे जा रहे हैं. मेहनताने के नाम पर उन्हें सिर्फ अठन्नी चवन्नी थमाई जा रही है. अब इस चैनल के बुरे दिन आये हैं या कुछ और मामला है, मगर इंडिया टीवी में सब ठीक नहीं चल रहा है, यह तय है.

आईबीएन7 और ईटीवी वालों ने स्ट्रिंगरों को वेंडर बना डाला! (देखें फार्म)

अंबानी ने चैनल खरीद लिया तो जाहिर है वह एक तीर से कई निशाने साधेंगे. साध भी रहे हैं. मीडिया हाउस को मुनाफे की फैक्ट्री में तब्दील करेंगे. मीडिया हाउस के जरिए सत्ता की दलाली कर अपने दूसरे धंधों को चमकाएंगे. मीडिया हाउस के जरिए पूरे देश में रिलायंस विरोधी माहौल खत्म कराने और रिलायंस पक्षधर दलाली को तेज कराने का काम कराएंगे. इस कड़ी में वे नहीं चाहते कि जिले से लेकर ब्लाक स्तर के पत्रकार कभी कोई आवाज उठा दें या रिलायंस की पोल खोल दें या बागी बन जाएं. इसलिए रिलायंस वाले खूब विचार विमर्श करने के बाद स्ट्रिंगरों को वेंडर में तब्दील कर रहे हैं. यानि जिले स्तर का आईबीएन7 और ईटीवी का स्ट्रिंगर अब वेंडर कहलाएगा और इस बाबत दिए गए फार्मेट पर हस्ताक्षर कर अपने डिटेल कंपनी को सौंप देगा.

राष्ट्रीय सहारा वाराणसी के स्ट्रिंगरो पर काम का बोझ अधिक लेकिन वेतन कम, विरोध करने पर किया जा रहा परेशान

सर जी, आपको अवगत करना चाहते है की राष्ट्रीय सहारा, वाराणसी यूनिट को शुरु हुए चार साल होने जा रहे हैं लेकिन यहां काम करने वाले स्ट्रिंगरों का वेतन एक रुपया भी नहीं बढ़ा है। सहारा श्री के जेल जाने से पहले तक अधिकारी सभी को परमानेंट कर देने का आश्वासन दे रहे थे। अब इस संबंध में बात भी करो तो अधिकारी नौकरी छोड़ देने की बाते करते हैं। स्ट्रिंगरो का वेतन यहाँ 36सौ रुपये से शुरु है जो अधिकतम 9 हजार तक है।